जानिए स्वाइन फ्लू के लक्षण एवं बचाव की जानकारी —–
स्वाइन फ्लू के शुरूआती लक्षण सामन्य लू जैसे ही होते हैं, जिसमें गले में खराश, नाक बहना, बुखार जोडो में दर्द, आंखो में लाली छाना, गले में दर्द आदि इसके प्रारम्भिक लक्षण है। यह आवश्यक नही है कि प्रत्येक खांसी जुखाम से ग्रसित व्यक्ति स्वाइन से ग्रसित हो जांच पूर्ण होने पर ही स्वाइन फ्लू का केस कन्फर्म होता है।
स्वाइन फ्लू से बचाव के तरीके —- जब खांसी या छींक आये तो मह पर हाथ या रूमाल जरूर लगायें। फ्लू के सीजन में किसी से हाथ न मिलायें, बीमारी से पीडत व्यक्ति को पौष्टिक भोजन खिलाएं, बुखार आने पर घर पर आराम करें, बुखार वाले व्यक्ति का तौलिया व रूमाल आदि अलग कर दे, खाना खाने से पहले व बाहर से आने पर हाथ अच्छी तरह अवष्य धोएं, बच्चे को बुखार व कफ हो जाए तो उसे स्कूल न जाने दे, जब कन्फर्म केस आये तो ऐसे व्यक्ति का पूर्ण इलाज कराये व सफाई व्यवस्था का पूर्ण ध्यान रखें, बीमारी के दौरान ट्रेवलिंग करने से बचे, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पानी खूब पिलाएं, भीडभाड वाले इलाकों में जाने से बचे।
स्वाइन फ्लू की तीन कैटेगिरी की जानकारी —-
कैटगिरी-ए—–हल्के बुखार के साथ खांसी व गले में खरास, सैम्पल की जरूरत नही, लक्षण के आधार पर उपचार की आवश्यकता, रोगी स्वयं को घर पर ही आइसोलेट करे, लोगो से मिलन जुलने से परहेज करे, स्वाइन लू की औशधि की आवष्यकता नही।
कैटेगिरी-बी —–में कैटेगिरी-ए के साथ तेज बुखार व गले में अत्यधिक खरास, इसमें रोगी स्वंय को घर पर ही आइसोलेट करें, लोगो से मिलने जुलने से परहेज करे, लक्षण के आधार पर एन्टी वायरल की आवश्यकता पड सकती है, रिपोर्ट आने तक एक गोली प्रतिदिन खानी है।
कैटेगिरी-सी —-में अत्यधिक सांस फूलना, बैचैनी, लो बल्ड प्रेषर, के लक्षण दिखते हैं सैम्पल की जरूरत है, अस्पताल में भर्ती जरूरी है, लक्षण के आधार पर एन्टी वायरल की आवश्यकता है तथा रिपोर्ट पाजिटिव आने पर एक-एक गोली सुबह शाम चिकित्सक के निर्देशनुसार खानी है लक्षण के आधार पर उपचार की जरुरत, भीड-भाड वाले स्थान पर जाने से परहेज करें।
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