वसंत पंचमी (इंडियन वैलेंटाइंस-डे) का पर्व-त्योहार……
(लेखक- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, मोब. नंबर –.9669.90067 )
वसंत पंचमी का त्योहार हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत में बड़े उल्लास से की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण कर पूजा-अर्चना करती हैं। पूरे साल को जिन छः मौसमों में बाँटा गया है, उनमें वसंत लोगों का मनचाहा मौसम है।
बसंत/वसंत पंचमी का पर्व-त्यौहार इस वर्ष 4 फरवरी 20.4 (मंगलवार) को मनाया जायेगा ।
पंचमी तिथि . को दोपहर 2.35 से अगले दिन 4 फरवरी तक दोपहर 1.01 बजे तक रहेगी।
इसके साथ ही दिवस पर्यंत रेवती नक्षत्र होगा।
जब फूलों पर बहार आ जाती है, खेतों में सरसों का सोना चमकने लगता है, जौ और गेहूँ की बालियाँ खिलने लगती हैं, आमों के पेड़ों पर बौर आ जाती है और हर तरफ तितलियाँ मँडराने लगती हैं, तब वसंत पंचमी का त्योहार आता है। इसे ऋषि पंचमी भी कहते हैं।
वसंत पंचमी को भारत का वेलेंटाइन-डे कहने में कोई गुरेज नहीं। भारतीय पंचांग अनुसार मौसम को छह भागों में बाँटा गया है उनमें से एक है वसंत का मौसम। इस मौसम से प्रकृति में उत्सवी माहौल होने लगता है। वसंत ऋतु आते ही प्रकृति के सभी तत्व मानव, पशु और पक्षी उल्लास से भर जाते हैं। वसंत आते-आते शीत ऋतु लगभग समाप्त होने लगती है।
जरूरी नहीं कि प्रेमिका को ही कोई उपहार या फूलों का गुलदस्ता भेंट करें। अपने किसी मित्र, सहकर्मी, सहपाठी, पत्नी या गुरु के प्रति सम्मान और प्यार व्यक्त करने के लिए भी आप उपहार दे सकते हैं। यह भी जरूरी नहीं कि उपहार ही दें, आप चाहें तो प्रेम के दो शब्द भी बोल सकते हैं या सिर्फ इतना ही कह दें कि ‘आज मौसम बहुत अच्‍छा’ है।
सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं। वसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं। पुराणों के अनुसार श्रीकृष्ण ने सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि वसंत पचंमी के दिन तुम्हारी भी आराधना की जाएगी। इस कारण हिंदू धर्म में वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल की पंचमी तिथि (पांच तारीख) को वसंत पंचमी मनाई जाती है।
देवी भागवत में उल्लेख है कि माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद, शब्द व शक्ति की प्राप्ति जीव को हुई थी। सरस्वती को प्रकृति की देवी की उपाधि भी प्राप्त है।
यह तिथि देवी सरस्वती का प्राकट्य दिवस होने से इस दिन सरस्वती जयंती, श्रीपंचमी आदि पर्व भी होते हैं। वैसे सायन कुंभ में सूर्य आने पर वसंत शुरू होता है। इस दिन से वसंत राग, वसंत के प्यार भरे गीत, राग-रागिनियां गाने की शुरुआत होती है। इस दिन सात रागों में से पंचम स्वर (वसंत राग) में गायन, कामदेव, उनकी पत्नी रति और वसंत की पूजा की जाती है।
खास तौर पर बिहार, पश्चिम बंगाल और पूर्वांचल के लोग भी इस पर्व को खासे उत्साह के साख मनाते है। इस विशेष उत्साह के साथ सरस्वती पूजा की तैयारियां भी की जाती है।
इस दिन सैंकड़ों स्थानों पर सामूहिक आयोजन किया जाता है। माता सरस्वती की पूजा में मूर्तियों के साथ पलाश की लकड़ियों, पत्तों और फूलों आदि का उपयोग किया जाता है। विधि-विधान के साथ पूजन, पुष्पांजलि और आरती के साथ पूजा संपन्न होती है।
रातभर भक्ति संगीत के साथ अगले दिन सरस्वती की मूर्तियों को नदी में विसर्जन किया जाता है।
इस पूरे दिन खुले आसमान में पंतगबाजी और एक-दूसरे के साथ चुहलबाजी करने में दिन व्यतीत हो जाता है। वासंती रंग की मिठाइयों के साथ दूसरी और भी कई तरह की खाने-पीने की चीजों की भरमार होती है।
—-पद्मपुराण में मां सरस्वती का रूप प्रेरणादायी है।
—-शुभ्रवस्त्र धारण किए हैं और उनके चार हाथ हैं जिनमें वीणा, पुस्तकमाला और अक्षरमाला है। उनका वाहन हंस है।
—–शुभवस्त्र मानव को प्रेरणा देते हैं कि अपने भीतर सत्य, अहिंसा, क्षमा, सहनशीलता, करुणा, प्रेम व परोपकार आदि सद्गुणों को बढ़ाएं और क्रोध, मोह, लोभ, मद, अहंकार आदि का परित्याग करें।
—–दो हाथों में वीणा ललित कला में प्रवीण होने की प्रेरणा देती है।
—-जिस प्रकार वीणा के सभी तारों में सामंजस्य होने से मधुर संगीत निकलता है वैसे ही मनुष्य अपने जीवन में मन व बुद्घि का सही तालमेल रखे।
सरस्वती का वाहन हंस विवेक का परिचायक है।
पर्व का महत्व :—-
वसंत ऋतु में मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास भरने लगते हैं। यूं तो माघ का पूरा मास ही उत्साह देने वाला होता है, पर वसंत पंचमी का पर्व हमारे लिए कुछ खास महत्व रखता है। प्राचीनकाल से इसे ज्ञान और कला की देवी माँ सरस्वती का जन्मदिवस माना जाता है, इसलिए इस दिन मां शारदे की पूजा कर उनसे ज्ञानवान, विद्यावान होने की कामना की जाती है। वहीं कलाकारों में इस दिन का विशेष महत्व है। कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार, नृत्यकार अपने उपकरणों की पूजा के साथ मां सरस्वती की वंदना करते हैं।
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मां सरस्वती स्तोत्रम्. (विद्या एवं बुद्धि दिलाएं)……
वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इस दिन मां सरस्वती का पूजन-अर्चन करने के साथ-साथ श्री सरस्वती चालीसा-आरती एवं सरस्वती स्तोत्रम्‌ का पाठ करने का विशेष मह‍त्व है। इस दिन किए गए मां के पूजन करने से बुद्धि एवं धन की निरंतर प्राप्ति होती है।
सरस्वती स्तोत्रम्‌ का पाठ :-
विनियोग
ॐ अस्य श्री सरस्वतीस्तोत्रमंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः।
गायत्री छन्दः।
श्री सरस्वती देवता। धर्मार्थकाममोक्षार्थे जपे विनियोगः।
आरूढ़ा श्वेतहंसे भ्रमति च गगने दक्षिणे चाक्षसूत्रं वामे हस्ते च
दिव्याम्बरकनकमयं पुस्तकं ज्ञानगम्या।
सा वीणां वादयंती स्वकरकरजपैः शास्त्रविज्ञानशब्दैः
क्रीडंती दिव्यरूपा करकमलधरा भारती सुप्रसन्ना॥1॥
श्वेतपद्मासना देवी श्वेतगन्धानुलेपना।
अर्चिता मुनिभिः सर्वैर्ऋषिभिः स्तूयते सदा।
एवं ध्यात्वा सदा देवीं वांछितं लभते नरः॥2॥
शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्यापिनीं
वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहम्‌।
हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थितां
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥3॥
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमंडितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युतशंकर प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥4॥
ह्रीं ह्रीं हृद्यैकबीजे शशिरुचिकमले कल्पविस्पष्टशोभे
भव्ये भव्यानुकूले कुमतिवनदवे विश्ववन्द्यांघ्रिपद्मे।
पद्मे पद्मोपविष्टे प्रणजनमनोमोदसंपादयित्रि प्रोत्फुल्ल
ज्ञानकूटे हरिनिजदयिते देवि संसारसारे॥5॥
ऐं ऐं ऐं दृष्टमन्त्रे कमलभवमुखांभोजभूते स्वरूपे
रूपारूपप्रकाशे सकल गुणमये निर्गुणे निर्विकारे।
न स्थूले नैव सूक्ष्मेऽप्यविदितविभवे नापि विज्ञानतत्वे
विश्वे विश्वान्तरात्मे सुरवरनमिते निष्कले नित्यशुद्धे॥6॥
ह्रीं ह्रीं ह्रीं जाप्यतुष्टे हिमरुचिमुकुटे वल्लकीव्यग्रहस्ते
मातर्मातर्नमस्ते दह दह जडतां देहि बुद्धिं प्रशस्ताम्‌।
विद्ये वेदान्तवेद्ये परिणतपठिते मोक्षदे परिणतपठिते
मोक्षदे मुक्तिमार्गे मार्गतीतस्वरूपे भव मम वरदा शारदे शुभ्रहारे॥7॥
धीं धीं धीं धारणाख्ये धृतिमतिनतिभिर्नामभिः कीर्तनीये
नित्येऽनित्ये निमित्ते मुनिगणनमिते नूतने वै पुराणे।
पुण्ये पुण्यप्रवाहे हरिहरनमिते नित्यशुद्धे सुवर्णे
मातर्मात्रार्धतत्वे मतिमतिमतिदे माधवप्रीतिमोदे॥8॥
ह्रूं ह्रूं ह्रूं स्वस्वरूपे दह दह दुरितं पुस्तकव्यग्रहस्ते
सन्तुष्टाकारचित्ते स्मितमुखि सुभगे जृम्भिणि स्तम्भविद्ये।
मोहे मुग्धप्रवाहे कुरु मम विमतिध्वान्तविध्वंसमीडे
गीर्गौर्वाग्भारति त्वं कविवररसनासिद्धिदे सिद्दिसाध्ये॥9॥
स्तौमि त्वां त्वां च वन्दे मम खलु रसनां नो कदाचित्यजेथा
मा मे बुद्धिर्विरुद्धा भवतु न च मनो देवि मे यातु पापम्‌।
मा मे दुःखं कदाचित्क्कचिदपि विषयेऽप्यस्तु मे नाकुलत्वं
शास्त्रे वादे कवित्वे प्रसरतु मम धीर्मास्तु कुण्ठा कदापि॥10॥
इत्येतैः श्लोकमुख्यैः प्रतिदिनमुषसि स्तौति यो भक्तिनम्रो
वाणी वाचस्पतेरप्यविदितविभवो वाक्पटुर्मृष्ठकण्ठः।
स स्यादिष्टार्थलाभैः सुतमिव सततं पाति तं सा च देवी
सौभाग्यं तस्य लोके प्रभवति कविता विघ्नमस्तं प्रयाति॥11॥
निर्विघ्नं तस्य विद्या प्रभवति सततं चाश्रुतग्रंथबोधः
कीर्तिस्रैलोक्यमध्ये निवसति वदने शारदा तस्य साक्षात्‌।
दीर्घायुर्लोकपूज्यः सकलगुणानिधिः सन्ततं राजमान्यो
वाग्देव्याः संप्रसादात्रिजगति विजयी जायते सत्सभासु॥12॥
ब्रह्मचारी व्रती मौनी त्रयोदश्यां निरामिषः।
सारस्वतो जनः पाठात्सकृदिष्टार्थलाभवान्‌॥13॥
पक्षद्वये त्रयोदश्यामेकविंशतिसंख्यया।
अविच्छिन्नः पठेद्धीमान्ध्यात्वा देवीं सरस्वतीम्‌॥14॥
सर्वपापविनिर्मुक्तः सुभगो लोकविश्रुतः।
वांछितं फलमाप्नोति लोकेऽस्मिन्नात्र संशयः॥15॥
ब्रह्मणेति स्वयं प्रोक्तं सरस्वत्यां स्तवं शुभम्‌।
प्रयत्नेन पठेन्नित्यं सोऽमृतत्वाय कल्पते॥16॥
॥इति श्रीमद्ब्रह्मणा विरचितं सरस्वतीस्तोत्रं संपूर्णम्‌॥
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इस वर्ष बसंत पंचमी( 4 फरवरी 2014 (मंगलवार ) को बनेगा दुर्लभ संयोग…
(लेखक- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, मोब. नंबर –09669290067 )
इस बार ऋतु परिवर्तन की इस बेला में शहनाई और बैंड-बाजा बरात के लिए कई अति विशेष दुर्लभ संयोग बन रहे हैं।अपने अबूझ मुहूर्त के लिए प्रचलित एक वसंत पंचमी इस बार विशेष बन गयी हें..
इस दिन जहां एक ओर वैवाहिक जीवन के लिए मंगलकारी रवि, अमृतसिद्धि और शुभ योग का संयोग बनेगा, वहीं दूसरी ओर विवाह के लिए आवश्यक लता दोष रेखा भी दस में दस होगी। साथ ही विवाह के लिए आवश्यक त्रिबल सिद्धि भी रहेगी। ज्योतिषियों के अनुसार परिणय सूत्र में बंधने के लिए यह दिन श्रेष्ठ है।
वसंत पंचमी (इंडियन वैलेंटाइंस-डे) पर बने इस संयोग के चलते इस वर्ष वसंत पंचमी पर सैकड़ों जोड़े परिणय-सूत्र में बंधेंगे। सरस्वती पूजन का यह पर्व इस वर्ष 4 फरवरी मंगलवार को होगा। पंचमी तिथि 3 को दोपहर 2.35 से अगले दिन 4 फरवरी तक दोपहर 1.01 बजे तक रहेगी। इसके साथ ही दिवस पर्यंत रेवती नक्षत्र होगा।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री (मोब. नंबर –09669290067 )के अनुसार, सालों बाद अबूझ मुहूर्त में परिणय-सूत्र बंधने के लिए इस तरह का दोष रहित संयोग बना है।
संयोग और उनके परिणाम—
रवि योग :—-
शाम 4.35 तक रहने वाले इस योग के बारे में माना जाता है कि यह विपरीत हालात का विनाश करता है।
अमृत सिद्धि योग :—
शाम 4.16 बजे तक रहने वाले इस योग में किए गए मांगलिक कार्य के सुखद परिणाम मिलते हैं और कार्य में सिद्धि प्राप्त होती है…

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