सम्पूर्ण हस्तरेखा ज्ञान
(जानिए अपनी हस्तरेखा/हथेली के प्रभाव और लाभ)—
जानिए हाथों की उंगलियां एवं हथेली पर स्थित विभिन्न चिन्ह—-
( पंडित “विशाल ” दयानन्द शास्त्री, . .–.9669.90067)
हमारे हाथ के अंगूठे के मूल में ब्रह्म तीर्थ होता है। ब्रह्म संबंधी तर्पणादि ब्रह्म क्षेत्र से ही करने चाहिए। तर्जनी एवं अंगूठे के मध्य में पितृ क्षेत्र होता है। अत: पितृ तर्पण कार्य तर्जनी एवं अंगूठे के मध्य से ही करने से पितृ तर्पण का पूरा फल मिलता है। करतल पर सभी देव एवं तीर्थ निवास करते हैं। हाथ के आगे लक्ष्मी, मध्य मे सरस्वती एवं मूल में ब्रह्म का निवास है। इसलिए हाथ देखने से पुण्य प्राप्त होता है एवं सुबह उठने के पश्चात सर्वप्रथम करतल के दर्शन करने से पुण्य फल मिलता है।
हाथों की उंगुलियां सरलता से मिलने पर जिसके हाथ में छिद्र नहीं रहता तो वह वह व्यक्ति अत्यंत भाग्यवान एवं सुखी होता है। छिद्रवान हाथ दरिद्रता का उपकारक है। तर्जनी एवं मध्यमा के मध्य में छेद न हो तो बाल्य अवस्था में सुखी होता है। मध्यमा एवं अनामिका में मध्य में छेद न हो तो युवावस्था में सुखी तथा अनामिका एवं कनिष्ठिका के मध्य छेद न होने पर वृदवस्था मे सुखी होता है।
हाथ की हथेली के रंग लाल होने पर व्यक्ति धनी होता है। पीत वर्ण होने पर धन की कमी होती है। यदि कराग्र भाग नीलवर्ण हो तो मध्यसेवी एवं दुखी जातक होता है। जिसके हाथ का मध्य भाग उन्नत हो तो वह परोपकारी होता है। करतल का मध्य भाग निम्न होने पर व्यक्ति पितृ धन से हीन होता है।
हाथ की हथेली में स्थित विभिन्न चिन्ह एवं उनके फल…
षट्कोण – जिसके हाथ में षटकोण का चिन्ह हो वह धनी एवं भूमिपति होता है।
शंख – शंख चिन्ह हथेली पर होने पर व्यक्ति समुद्र पर की यात्राएं करता है। विदेश गमन के व्यापार से धन कमाता है। धार्मिक विचारों वाला होता है।
स्वास्तिक – स्वास्तिक चिन्ह वाला व्यक्ति धनी, प्रतिष्ठित, धार्मिक यात्राएं करने वाला एवं वैभव सम्पन्न होता है।
त्रिकोण – भूमिपति, धनी एवं प्रतिष्ठित होता है।
छत्र – जिसके हाथ में छत्र का चिन्ह होता है वह राजा या राजा के समान होता है।
पद्म – धार्मिक, विजयी, राजा या राज वैभव सम्पन्न एवं शाक्तिशाली होता है।
चक्र – जिसके हाथ में चक्र के चिन्ह हो वह धनवान, वैभवशाली, सुंदर एवं ऐश्वर्यशाली होता है।
मछली – जिसके हाथ में दो मछलियों के चिन्ह हों, वह यज्ञकर्ता होता है।
कलश -जिसके हाथ में कलश का चिन्ह हो वह धर्म स्थानों की यात्रा करने वाला, विजयी एवं देव मंदिर का निर्माता होता है।
तलवार – जिसके हाथ में तलवार का चिन्ह हो वह भाग्यवान एवं राजाओं से सम्मानित होता है।
ध्वज – जिसके हाथ में ध्वज का निशान हो वह धार्मिक, कुलदीपक, यशस्वी एवं प्रतापी होता है।
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हाथों की आड़ी-तिरछी रेखाएं, व्यक्तित्व और स्वास्थ्य——
मनुष्य के मस्तिष्क में भविष्य जानने का कौतुहल आदिकाल से बना रहा है। भविष्य की गुत्थी सुलझाने के उसने लाखों-लाख जतन किए। कहीं उसे आशा की किरण नजर आई तो कहीं वह निराश नजर आया। पर उसने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। अपने हाथों की लकीरें उसे सबसे ज्यादा रहस्यमय नजर आईं। उसने इन आड़ी-टेढ़ी लकीरों को अपने भविष्य का ताना-बाना माना और इसके सहारे अपने आने वाले कल को देखने की कोशिश की। ऋषियों-मनीषियों ने इसे सामुद्रिक शास्त्र का नाम दिया, जो कालांतर में हस्त रेखा ज्ञान या विज्ञान के नाम से ज्यादा प्रचलित हुआ। आइए अध्ययन करते हैं हाथों की इन्हीं लकीरों के कुछ मायनों का।
– जिनका बुध उन्नत, सुडौल और उच्च का होता है उनका सेंस ऑफ ह्यूमर बहुत अच्छा होता है तथा उनकी वाणि आकर्षक व वक्तव्य क्षमता प्रभावशाली होती है।
– जिसका बृहस्पति पर्वत सुडौल, उन्नत व विस्तृत तथा तर्जनी उंगली अधिक लंबी हो और उंगलियों का तृतीय पर्व अन्य पर्व से ज्यादा उन्नत व पुष्ट हो, ऐसे लोग थोड़े या ज्यादा शक्ति संपन्न व प्रभावशाली होने के साथ खाने-पीने के शोकीन होते हैं। यदि हथेली में लालिमा अधिक हो तो ऐसे लोग मदिरापान के शौकीन होते हैं।
-हाथ की लकीरें यदि ज्यादा गहरी हों तो ये जीवन मं थोड़े या ज्यादा संघर्ष की ओर इशारा करती हैं। बहुत मोटी या गहरी रेखाएं शुभ नहीं मानी जातीं। इसी प्रकार हल्की और टूटी-फूटी लकीरें श्रेष्ठ नहीं होतीं।
– यदि जीवनरेखा अन्य रेखाओं से ज्यादा महीन व पतली हो तो ऐसे लोग स्वयं का जीवन संघर्ष से भरा समझते हैं और सदैव चिंतित रहते हैं। यदि जीवनरेखा पर कोई गड्ढा, निशान, द्वीप, क्रॉस या टूटन हो तो यह स्वास्थ्य को लेकर शुभ संकेत नहीं है। ऐसे लोगों को बड़ा जोखिम नहीं लेना चाहिए, क्योंकि ये लोग काल्पनिक आशंका से सदैव भयभीत रहते हैं।
– बहुत गहरी व मोटी जीवनरेखा भी स्वास्थ्य या आत्मविश्वास के लिए अच्छी नहीं होती। ऐसे लोग स्वयं को बहुत स्वस्थ महसूस नहीं करते। इनमें आत्मविश्वास की बेहद कमी होती है। ये लोग भाग्य को ज्यादा जिम्मेदार समझते हैं। इनमें उत्साह और स्फूर्ति की कमी होती है।
हस्तरेखा व रोग——-
– कोई रेखा जीवनरेखा को काटते हुए सूर्य पर्वत के नीचे हृदय रेखा पर रुके और वहां हृदय रेखा कटी हुई हो या उस पर बिंदु या द्वीप हो तो यह हृदय रोग का कारक है।
– कोई रेखा जीवनरेखा को काटते हुए चंद्र पर्वत के ऊपरी भाग पर रुके तो आंतों के रोग हो सकते हैं।
– यदि कोई रेखा जीवनरेखा को काटती हुई चंद्र क्षेत्र के मध्य भाग में रुके तो इससे गठिया या वायुजनित रोग हो सकते हैं।
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आपकी हथेली का रंग और आपका भविष्य—–
हस्तरेखा विज्ञान में जहां रेखाओं और चिन्हों के साथ हाथ व नाखून के प्रकार महत्वपूर्ण होते हैं वहीं हथेलियों के रंगों की भी भविष्य कथन में बड़ी भूमिका होती है।
हस्त रेखा
ग्रथों में स्पष्ट वर्णन है…
‘धनी पाणितले रक्ते नीले मद्यं पिवेन्नरः।
आग्रायागमनः पीते कहमले धनवर्जितः।’
अर्थात् समृद्ध व धनी व्यक्ति की हथेली का रंग ‘रक्त वर्ण’यानी लाल होता है। नीले रंग की हथेली वाले मद्य प्रेमी यानी शराबी होते हैं। कहमले यानि मटमैले रंग की हथेली वाले लोग सामान्यतः धनहीन होते हैं।
हस्त संजीवन नामक ग्रंथ में भी लाल रंग की हथेली को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
‘करतलैर्देव शार्दूल लक्ष्माभैरीश्वराः स्मृताः।
अगम्यागामीनः पीतैरक्षैनिर्धनता स्मृताः।
अपेयपानं कुर्वन्ति नील कृष्णैस्तभैव च।’
अर्थात् हथेली का रंग लाल होना व्यक्ति के ऐश्वर्यशाली होने का प्रतीक है। चमकीला व चिकना हस्त धनी होने का संकेत है। आभाहीन व शुष्क हस्त दरिद्रता का कारक है। नीला व काला हाथ शराबी तथा पीत हस्त व्यभिचारी होने के लक्षण हैं।
हथेली का रंग व उसके प्रकार
लाल रंगः इस रंग की हथेली वाले लोग जीवन में समस्त ऐश्वर्य को भोगते हैं। इन्हें नाना प्रकार के सुख और आनंद प्राप्त होते हैं। ये लोग प्रचुर धन के स्वामी होते हैं। स्वभाव से ये भावुक और क्रोधी होते हैं। ये लोग वैचारिक रूप से अस्थिर होते हैं।
गहरा गुलाबीः इस तरह की हथेली वाले सामान्यतः धनी होते हैं। ये लोग क्रोधी व तुनक मिजाज भी होते हैं। इनकी बुद्धि स्थिर नहीं होती। ये जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और जल्दी नाराज भी हो जाते हैं। इनके विचार, सोच, पसंद, नापसंद सब कुछ परिवर्तनशील होते हैं। इन्हें मध्य आयु तक हाई ब्लड प्रेशर की समस्या घेर लेती है।
हल्का गुलाबीः ये लोग उत्तम मानवीय गुणों से संपन्न, धनी व ऐश्वर्यशाली होते हैं। इनके अंदर गजब का उत्साह पाया जाता है। धैर्य इनमें कूट-कूट कर भरा होता है। दया, क्षमा और प्रेम इनके स्वभाव का मूल आधार है। ये लोग आशावादी व प्रसन्नचित्त होते हैं। ये लोग कला एवं प्रकृति प्रेमी होते हैं।
पीलाः ये लोग दृढ़ विचारों वाले नहीं होते। मानसिक रूप से परेशान व निराशावादी होते हैं। स्वभाव में मधुरता की कमी होती है। इन्हें पैरों के रोगों से कष्ट प्राप्त होता है। आलस्य के कारण प्रगति नहीं कर पाते। इनके जीवन में संघर्ष होता है।
बैगनी या नीलाः नीले या बैगनी रंग की हथेली वाले निराशावादी होते हैं। इनके जीवन में संघर्ष की अधिकता होती है। ये लोग एकान्त वाली होते हैं। इन्हें रक्त विकार से कष्ट प्राप्त होता है। मद्यपान सहित अन्य व्यसनों की ओर लगाव होने कार्यक्षमता व प्रतिभा नष्ट होने लगती है। ये लोग समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी से दूर रहते हैं। स्वभाव से ये लोग रूखे व चिड़चिड़े होते हैं।
मटमैला रंगः काले, भूरे या मटमैले रंग की हथेली वाले लोग कर्मठ नहीं होते। ये लोग बेहद रहस्यवादी होते हैं। बातचीत में असत्य तथ्यों का सहारा लेते हैं। पुरुषार्थ की कमी होती है। इनका व्यक्तित्व निस्तेज होता है। स्वास्थ्य की समस्याओं से घिरे रहते हैं ये लोग। इनके चेहरे पर उदासी का भआव होता है। धन की कमी बनी रहती है। इन्हें रक्त व कफ संबंधी समस्याएं प्राप्त होती हैं।
निस्तेज सफेदः सफेद हथेली के लोग उत्साहहीन व एकांत प्रिय होते हैं। मानसिक शक्ति की कमी होती है। ये लोग बहुत कर्मठ नहीं होते।
चमकदार सफेदः चमत्कारी श्वेत हथेली वाले लोग अलौकिक शक्तियों के स्वामी होते हैं। इन्हें पराशक्ति का ज्ञान होता है। विचारों से ये बेहद संतुलित होते हैं। इनकी विचारधारा आध्यात्मिक होती है। ये लोग शांति के दूत होते हैं। ये लोग स्वस्थ रहते हैं।
हथेली के रंगों का परीक्षण करने से पहले हाथ का स्पर्श नहीं करना चाहिए अन्यथा हाथ के घर्षण से, स्पर्श से, व्यायाम से, कठिन श्रम से हथेली का रंग क्षणिक रूप से बदल जाता है। इससे भविष्य कथन में व्यवधान उत्पन्न होता है या भविष्यकथन प्रभावित हो सकता है। अतः जब व्यक्ति स्वस्थ हो, आराम से बैठा हो, तनाव में न हो तभी रंगों का परीक्षण सत्य भविष्य का संकेत दे सकेगा।
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देखें अपने हाथों की रेखाएं, जानें कैसा रहेगा जीवनचक्र..????——-
हस्त रेखाः हस्त रेखा विज्ञान को सामुद्रिक शास्त्र भी कहते हैं। इस पद्धति में हथेलियों की बनावट उंगलियों के आकार-प्रकार के साथ हथेलियों पर उभरी रेखाओं के आधार पर भविष्य का विश्लेषण किया जाता है।
मुख्य रेखाएं: इस पद्धति में यूं तो हथेलियों की समस्त रेखाओं का व्यापक व सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाता है। पर कुछ मुख्य रेखाएं इस प्रकार हैं-
जीवन रेखाः यह रेखा हस्तरेखा विज्ञान या सामुद्रिक शास्त्र में बेहद अहम लकीर मानी जाती है क्योंकि इसी से आयु, उपलब्धियां जीवन, मृत्यु, संकट, दुर्घटना का पता लगाया जाता है। यह रेखा अंगूठे और तर्जनी के मध्य से निकलती हुई हथेली के निचले भाग यानि मणि बंध तक आती है। एक स्वस्थ लकीर जहां अच्छे जीवन का संकेत देती है, वहीं टूटी फूटी रेखा, कटी रेखा, अधूरी रेखा या रेखा पर गोल चक्कर का निशान (यानी द्वीप) शुभ संकेत नहीं है।
मस्तिष्क रेखाः जीवन रेखा के साथ मस्तिष्क रेखा भी निकलती है। ये कभी सीधी तो कभी नीचे की तरफ जाती है। कभी-कभी यह रेखा जीवन रेखा के साथ न निकलकर कुछ ऊपर से प्रकट होती है। इस रेखा से मानसिक क्षमता, बुद्धि, योग्यता, मानसिक स्तर, वैचारिक क्षमता इत्यादि का आंकलन होता है। यह रेखा जितनी निर्दोष होती है, उतनी श्रेष्ठ मानी जाती है। आधी अधूरी रेखा मानसिक क्षमता में कमी की ओर इशारा करती है। कुछ नीचे झुकी रेखा भावुकता प्रदान कर कला, संगीत व साहित्य में रूचि को प्रकट करती है।
ह्रदय रेखाः छोटी उंगली के नीचे से आरंभ होकर तर्जनी उंगली की तरफ बढ़ने वाली रेखा ह्रदय रेखा कहलाती है। यह रेखा आंतरिक क्षमता, संवेदनशीलता, स्वभाव, गुण, अवगुण इत्यादि की ओर इशारा करती है। नीचे झुकी हुई रेखा अंतर्मुखी, साहित्य-संगीत प्रिय व कला रसिक बनाती है। ऊपर की ओर जाती रेखा, बहिर्मुखी, तकनीकी विद्या का जानकार व दिमाग से कार्य करने की क्षमता को प्रकट करती है।
भाग्य रेखाः मणि बंध यानि हथेली के नीचे से निकलकर जो रेखा मध्यमा उंगली के निकट जाती है, वह फेट लाइन यानी भाग्य रेखा कहलाती है। स्पष्ट भाग्य रेखा वाले लोग भाग्यशाली होते हैं। हथेली के नीचे से निकलने वाली रेखा पारिवारिक समर्थन से भाग्योदय की ओर इशारा करती है। वहीं, चंद्र पर्वत से निकलने वाली रेखा हमारे सेल्फ फेट होने की कहानी कहती है।
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क्या बताती है कौन-सी उंगली और हथेली के पर्वत?
हाथ में चार उंगलियां होती हैं तथा प्रत्येक उंगली किसी एक ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।
· तर्जनी उंगली – गुरु
· मध्यमा – शनि
· अनामिका – सूर्य
· कनिस्ठिका – बुध
तर्जनी उंगली—-
यह उंगली व्यक्ति की महत्वाकांक्षा, अहम एवं नेतृत्व की क्षमता को दर्शाती है। इस उंगली से व्यक्ति के भाग्य एवं कार्य क्षेत्र के बारे मे जानकारी मिलती है। तर्जनी उंगली की सामान्य लंबाई मध्यमा के ऊपरी भाग के मध्य तक होती है। यदि यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है तो व्यक्ति में नेतृत्व की क्षमता बहुत होती है। इसके विपरीत इसके छोटे होने पर व्यक्ति सामान्यत: दूसरों के मार्गदर्शन में ही कार्य करता है या वह अकेले की कार्य करना पसंद करता है तथा स्वयं का ही कुछ कार्य करता है। इस उंगली का लंबा होने पर व्यक्ति का गुरु प्रबल होता है।
यदि तर्जनी उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो, तो व्यक्ति में लापरवाही और तानाशाही बढ़ जाती है। जब यह छोटी हो तो व्यक्ति में ये विशेषताएं लुप्त होती हैं। यदि यह उंगली विकृत है तो व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और पाखंडी होता है।
जब तर्जनी उंगली का पहला खंड लंबा हो तो व्यक्ति राजनीति, धर्म, और शिक्षण क्षेत्रों में कुशल होते हैं। यदि उंगली का दूसरा खंड लंबा हो तो व्यक्ति व्यापारी होता है और उंगली का तीसरा खंड लंबा हो तो ऐसे व्यक्ति विभिन्न प्रकार के व्यंजन के शौकीन होते हैं।
गुरु पर्वत तर्जनी उंगली से नीचे होता है। पूर्ण विकसित गुरु पर्वत वाले व्यक्ति लोक नेतृत्व की आकांक्षा, नीति से पूर्ण एवं स्वाभिमानी होते हैं। ऐसे व्यक्ति शासन एवं नेतृत्व में कुशल होते हैं। विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाता है। यह लोग धन से अधिक अपने ओहदे को महत्व देते हैं। ऐसे लोग अच्छे सलाहकार होते हैं। यह लोग कानून के दायरे में रह कर कार्य करते हैं। ऐसे लोग अनेक तरह के व्यंजन खाने के शौकीन होते हैं और अपने परिवार से मोह करते हैं।
अधिक विकसित गुरु पर्वत व्यक्ति को अहंकारी, दिखावटी, क्रूर और इर्ष्यालु बनाता है। ऐसे लोग अधिक खर्चीले होते हैं।
यदि गुरु पर्वत अर्द्धविकसित हो तो व्यक्ति में गुरु संबंधित बुनियादी प्रवृत्ति विकसित नहीं होती है।
मध्यमा उंगली—–
इस उंगली को शनि की उंगली भी कहा जाता है तथा यह व्यक्ति की सचाई, ईमानदारी एवं अनुशासन को दर्शाती है। यदि यह उंगली सामान्य लंबाई की होती है यानि अन्य उंगलियों से लंबी परंतु बहुत अधिक लंबी नहीं तो व्यक्ति जिम्मेदार एवं गंभीर व्यक्तित्व का धनी होता है एवं महत्वाकांक्षी होता है। यदि यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो तो वह व्यक्ति अकेले में रहना पसंद करता है। तथा वह व्यक्ति किसी गलत कार्य मे भी फंस सकता है। जिस व्यक्ति कि मध्यमा उंगली छोटी होती है वह व्यक्ति लापरवाह एवं आलसी होता है।
यदि शनि की उंगली का प्रथम खंड लंबा हो तो व्यक्ति का झुकाव धार्मिक ग्रंथ और रहस्यवादी कला के अध्ययन की ओर होता है। यदि मध्यमा का द्वितीय खंड लंबा हो तो व्यक्ति का व्यवसाय संपत्ति संबंधी, रसायन, जीवाश्म ईंधन या लोहा मशीनरी से संबंधित होता है, जब तीसरा खंड लंबा हो तो दर्शाता है कि व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और दुराचार में युक्त रहता है।
शनि पर्वत मध्यमा उंगली से नीचे होता है। शनि पर्वत दार्शनिक विचारों को दर्शाता है। शनि पर्वत पूर्ण विकसित होने पर व्यक्ति ज्ञानी, गंभीर एवं विचार शील होता है। वह सोच-विचार कर कुछ कार्य आरंभ करता है एवं उसकी इंद्रियां उसके नियंत्रण में रहतीं हैं।
अनामिका——
इस उंगली को अपोलो रिंग या सूर्य कि उंगली कहा जाता है। यह उंगली व्यक्ति की प्रसिद्धि की इच्छा, बुद्धिमत्ता एवं रचनात्मक क्षमता को दर्शाती है। यदि यह उंगली तर्जनी उंगली से अधिक लंबी हो तो यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है। इस प्रकार के व्यक्तियों मे जोखिम उठाने की अद्भुत क्षमता होती है। ये रचनात्मक क्षमता के धनी होते हैं। इनका संबंध फैशन या फिल्म क्षेत्र से भी हो सकता है। जिनकी अनामिका उंगली तर्जनी से छोटी होती है वे अपनी स्थिति से संतुष्ट होते हैं तथा उनमें अधिक नाम एवं प्रसिद्धि की इच्छा नहीं होती है। तर्जनी उंगली से छोटी अनामिका उंगली बहुत कम हाथों में पाई जाती है।
सूर्य पर्वत अनामिका उंगली के नीचे होता है। सूर्य पर्वत उन्नत हो तो सफलता का प्रतीक होता है। ऐसे व्यक्ति यश एवं प्रतिष्ठा से संतृप्त होते हैं। परिश्रम एवं कुशाग्र बुद्धि से जीवन मे सफलता प्राप्त करते हैं। ऐसे व्यक्ति भौतिक एवं व्यसायिक क्षेत्रों मे सफल होते हैं। वह धार्मिक होता है परंतु धर्मांध नहीं होता है। वह अपनी योग्यता एवं अयोग्यता को भली भांति जानता है। शीघ्र क्रोध करता है एवं शीघ्र ही शांत भी हो जाता है।
कनिष्ठिका—–
इस उंगली को बुध की उंगली कहा जाता है। इस उंगली के माध्यम से व्यक्ति की वाकपटुता, ज्ञान, बुद्धि एवं चातुर्य का पता चलता है। यदि इस उंगली की ऊंचाई अनामिका उंगली के प्रथम भाग का जहां अंत होता है वहां तक होती है तो इसकी लंबाई सामान्य है इससे छोटी होने पर यह सामान्य से छोटी मानी जाएगी। जिस व्यक्ति की कनिष्टिका सामान्य से छोटी होती है उनमें अभिव्यक्ति की क्षमता की कमी होती है तथा वे हीन भावना का शिकार होते हैं। उन्हें अपनी भावनाओं एवं शब्दों पर नियंत्रण नहीं होता है। उनके व्यवहार मे बचपना होता है तथा जब यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी होती है तब व्यक्ति की अभिव्यक्ति की क्षमता अद्भुत होती है। उनका आई क्यू सामान्य से अधिक होता है तथा वे अच्छे लेखक एवं वक्ता साबित होते हैं। कनिष्ठिका उंगली का निचला भाग मोटा होने पर व्यक्ति विलासिता पूर्ण एवं आरामदायक जीवन जीना पसंद करता है।
बुध पर्वत कनिष्ठिका के नीचे होता है। बुध पर्वत पूर्ण उन्नत होने पर व्यक्ति प्रखर बुद्धि, गंभीर विचार, आकर्षक भाषण एवं लेखन शैली का धनी होता है। ऐसे व्यक्ति व्यवसाय एवं विज्ञान क्षेत्रों मे सफल होते हैं। ऐसा व्यक्ति प्रत्येक शक्तिशाली कार्य क्षेत्र मे विजयी होता है। नानाविध कार्य वह कुशलता पूर्वक सम्पन्न करता है।
हाथ का अंगूठा—–
हाथ का अंगूठा किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। हाथ का अंगूठा व्यक्ति की इच्छा शक्ति एवं जीवन शक्ति दर्शाता है। हाथ के अंगूठे के मुख्यतः दो भाग होते हैं। प्रथम भाग इच्छा शक्ति एवं द्वितीय भाग उस व्यक्ति की तर्क क्षमता दिखाता है। अंगूठे का द्वितीय भाग प्रथम भाग से बड़ा होना चाहिए क्योंकि कोई भी निर्णय तर्क से लिया जाना ही उचित होता है। हाथ का अंगूठा बिलकुल सीधा हो तो वह व्यक्ति कठोर एवं जिद्दी होता है। ऐसे व्यक्तियों पर विश्वास किया जा सकता है परंतु इनका स्वभाव जिद्दी होने से इनके अधिक मित्र नहीं बन सकते हैं। अत्यधिक लचीले अंगूठे वाले व्यक्ति खर्चीले होते हैं एवं इन पर आसानी से विश्वास नहीं किया जा सकता है। स्वभाव में लचीलापन होने से इनके बहुत मित्र होते हैं परंतु ये किसी ज़िम्मेदारी का कार्य अधिक कार्य कुशलता से करने में समर्थ नहीं होते हैं क्योंकि इन का किसी एक निर्णय पर डटा रहना बहुत कठिन होता है।
यदि हाथ का अंगूठा केवल 60 डिग्री का कोण खुलते समय बनाता है तो वह व्यक्ति समझदार एवं कार्यकुशल होता है। यदि 90 डिग्री का कोण बनाता है तो व्यक्ति अपने कार्य में जोखिम उठाने की क्षमता रखता है परंतु सदैव विवेकपूर्ण निर्णय लेता है। यदि हाथ का अंगूठा 90 डिग्री से .20 डिग्री तक खुलता है तो व्यक्ति बिना सोचे-समझे अत्यधिक जोखिम उठा सकता है। जिस व्यक्ति का अंगूठा कटि के आकार को होता है वह तर्क-वितर्क में निपुण होता है परंतु शारीरिक रूप से कुछ कमजोर हो सकता है।
अंगूठे का अग्र भाग यदि कोनिकल हो तो व्यक्ति बुद्धिमान एवं रचनात्मक क्षमता से परिपूर्ण होता है। ऊपर से चौड़ा अंगूठा होने पर व्यक्ति जिद्दी होता है। अंगूठे का अग्र भाग यदि चौकोर हो तो व्यक्ति कानून का ज्ञाता होता है तथा वास्तविकता को ध्यान मे रख कर निर्णय लेता है।
यदि हम अंगूठे को अलग कर दे तो चार उंगलियों के कुल बारह भाग होते हैं। ये बारह भाग बारह राशियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। तर्जनी उंगली के ऊपरी भाग से गिनती आरंभ करने पर मेष राशि तर्जनी उंगली के प्रथम भाग , वृष राशि तर्जनी उंगली के मध्य भाग एवं मिथुन राशि तर्जनी उंगली के निम्न भाग पर आएगी। इसी प्रकार कर्क राशि मध्यमा के प्रथम भाग, सिंह राशि मध्य भाग एवं कन्या राशि निम्न भाग पर आएगी। अनामिका के प्रथम भाग पर तुला राशि, मध्य भाग पर वृश्चिक एवं अंतिम भाग पर धनु राशि होगी एवं कनिष्ठिका के प्रथम भाग पर मकर राशि, मध्य भाग पर कुम्भ एवं अंतिम भाग पर मीन राशि होगी।
इसी प्रकार हथेली मे सात पर्वत होते हैं। ये सात पर्वत सात ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हाथ का बढ़ा हुआ मास पिंड करतल पर पर्वत के स्वरूप को धारण करता है। करतल पर पूर्ण विकसित पर्वत व्यक्ति के उच्च चरित्र निर्माण मे सहायक होते हैं। अधोगत पर्वत व्यक्ति के उच्च गुणों को संकुचित करता है।
मंगल पर्वत——
मंगल पर्वत के दो स्थान हैं। पहला स्थान जीवन रेखा के ऊपरी स्थान के नीचे एवं दूसरा इसके विपरीत हृदय रेखा एवं मस्तिष्क रेखा के बीच में स्थित है। पहला स्थान शारीरिक अवस्था तथा दूसरा स्थान मानसिक अवस्था का द्योतक है। साहस, बल एवं शक्ति आदि का आकलन प्रथम पर्वत से होता है। यदि मंगल का प्रथम क्षेत्र सुंदर एवं उन्नत हो तो व्यक्ति सेना में या इसी प्रकार के उच्च पद पर आसीन होता है। वह एक सफल अधिकारी सिद्ध होता है। दूसरे पर्वत से व्यक्ति के धैर्य, शौर्य, संयम, क्षमा आदि गुणों का पाता चलता है। पहला पर्वत शारीरिक क्षमता एवं दूसरा पर्वत मानसिक क्षमताओं को दर्शाता है। विकसित मंगल पर्वत वाले व्यक्तिओं के व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली होता है। ये लोग जल्दबाजी में निर्णय लेने और आक्रामक स्वभाव वाले होते हैं। मंगल ग्रह अगर विकसित हो तो लोग अक्सर आर्मी या सशस्त्र बल के साथ जुड़े होते हैं। ऐसे लोग अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ संकल्प रहते हैं। इनका सबसे बड़ा दोष इनमें आवेग और आत्म नियंत्रण की कमी है। ऐसे व्यक्तियों को आत्म -नियंत्रण का अभ्यास करना चाहिए और सभी प्रकार की मदिरा और उत्तेजक पदार्थों से दूर रहना चाहिए। यदि मंगल पर्वत अधिक विकसित है तो व्यक्ति मे मंगल संबंधित विशेषताएं बढ़ती हैं। ऐसे लोग अत्यंत शक्तिशाली बन जाते हैं और अपनी शक्ति के द्वारा वह कमजोरों का शोषण करते हैं। अक्सर ऐसे लोग समाज विरोधी गतिविधियों जैसे चोरी, डकैती, लूट आदि मे शामिल होकर अत्यंत क्रूर बन जाते हैं। कम विकसित मंगल पर्वत व्यक्ति को कायर बनाता है। लेकिन वह बहादुर होने का दावा करता है। जब अवसर की मांग और समय आता है, तो वह अपने कदम वापस ले लेता है।
चन्द्र पर्वत——
चन्द्र पर्वत हाथ में बुध पर्वत के नीचे चन्द्र पर्वत स्थित होता है। चन्द्र पर्वत पूर्णतः उन्नत होने पर व्यक्ति बहुत गुणवान एवं कल्पनाशील होते हैं। कल्पना के द्वारा ही वे अपनी प्रतिभा को नई दिशा देते हैं। ये लोग संगीत, काव्य, वस्तु, ललितकला आदि मे प्रवीण होते हैं। ऐसे लोग विपरीत परिस्थिति को भी अनुकूल बनाने का सामर्थ्य रखते हैं। पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को कला प्रेमी बनाता है। ऐसे लोग कलाकार, संगीतकार, लेखक बनते हैं। ऐसे व्यक्ति मजबूत कल्पनाशक्ति के गुणी होते हैं। यह लोग अति रुमानी होते हैं लेकिन अपनी इच्छाओं के प्रति आदर्शवादी होते हैं। शुक्र पर्वत की तरह इनमें भावुकता या कामुकता वाला स्वभाव नहीं होता है।
पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को भावनाओं में बहने वाला और किसी को उदास न देखने वाला होता है। प्रायः यह लोग वास्तविकता से परे कल्पना प्रधान और अच्छे लेखक और कलाकार होते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में ऐसे लोग उन्मादी और तर्कहीन व्यवहार करते हैं। इसके अतिरिक्त ये निर्णय लेने में अधिक समय लेने वाले और अत्यधिक महत्वाकांक्षी होते हैं।
अति विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को आलसी और सनकी बनाता है। ऐसे व्यक्ति कल्पना से पूर्ण और वास्तविकता से दूर रहते हैं। कभी कभी, यह एक हल्के रूप में विकसित हो कर एक प्रकार का पागलपन भी हो सकता है।
यदि चंद्र पर्वत अविकसित है, तो व्यक्ति मे अच्छी कल्पना का अभाव, दूरदर्शिता का अभाव, नए और रचनात्मक विचारों का अभाव रहता है, यह लोग क्रूर और स्वार्थी होते हैं।
शुक्र पर्वत——
शुक्र पर्वत समान्यतः उच्च गुणों का बोधक है। इससे स्वास्थय, सौन्दर्य,प्रेम,दया,सहानुभूति आदि मनोभावों का ज्ञान होता है। इस पर्वत का अत्यधिक उन्नत होने पर व्यक्ति विलासी, कमी और व्यभिचारी भी हो सकता है।
हथेली पर अंगूठे के आधार पर स्थित पर्वत, शुक्र पर्वत कहलाता है। यह अनुग्रह, आकर्षण, वासना और सौंदर्य की उपस्थिति या अनुपस्थिति को दर्शाता है। यह प्रेम और साहचर्य की इच्छा और सौंदर्य की हर रूप में पूजा करने को भी दर्शाता है। अति विकसित शुक्र पर्वत लोगों को सुन्दर और विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षित करता है। मित्रों का साथ इन्हें बहुत पसंद होता है। अच्छा कपड़ों एवं अच्छा खाने के शौकीन होते हैं। स्वभाव से स्पष्टवादी होते हैं। पूर्ण विकसित शुक्र पर्वत चुंबकीय व्यक्तित्व के धनी बनाता है ऐसे व्यक्ति विपरीत सेक्स के बीच लोकप्रिय होते हैं। ये लोग जिज्ञासु प्रवृत्ति के होते हैं लेकिन जब यह किसी से प्यार करते हैं तो उनके प्रति पूर्णतः समर्पित होते हैं।
हाथ पर अति विकसित शुक्र पर्वत व्यक्ति में इंद्रिय सुख की इच्छा प्रबल कर देता है। ऐसे लोग प्रेम संबंधों में स्वार्थी होते हैं और सदैव शारीरिक सुख की इच्छा रखते हैं। इसके विपरीत कम विकसित शुक्र पर्वत व्यक्ति को सुस्त एवं कठोर बनाता है। सौन्दर्य एवं भौतिकता के प्रति इनमे कम आकर्षण होता है।
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हाथ की उंगलियां और आपकी पर्सनैलिटी——-
हाथ की उंगलियां एवं हथेली में स्थित विभिन्न ग्रहों के पर्वत व्यक्ति के विचारों एवं भावनाओं को दर्शाते हैं। मनुष्य के विचार एवं भावनाएं सत्व, राजस एवं तमस गुणों का मिश्रण होते हैं। सत्व गुण की मुख्य विशेषता ज्ञान एवं सहनशीलता है। अन्य विशेषताएं करुणा, विश्वास, प्रेम, आत्म-नियंत्रण, समझ, शुद्धता धैर्य, और स्मृति हैं। राजस की मुख्य विशेषता गतिविधि एवं प्रवृत्ति है। अन्य विशेषताएं महत्वाकांक्षा, गतिशीलता, बेचैनी, जल्दबाजी, क्रोध, ईर्ष्या, लालच, और जुनून है। तमोगुण की मुख्य विशेषता है जड़ता या मूढ़ता। अन्य विशेषताएं सोच या व्यवहार, लापरवाही, आलस, भुलक्कड़पन, हिंसा और आपराधिक विचार हैं।
मनुष्य के विचारों में किस गुण की प्रधानता है इसका निर्धारण उस मनुष्य की हाथ के हथेलियों मे स्थित विभिन्न ग्रहों के पर्वत एवं उंगलियों को देखकर किया जा सकता है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार हाथ की हथेली को मुख्यतः तीन भागों मे विभाजित किया जाता है। ये तीन भाग सत्व, राजस एवं तमस गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हथेली के अग्र भाग मे स्थित गुरु, शनि, सूर्य एवं बुध के पर्वत जो कि क्रमशः तर्जनी, मध्यमा, अनामिका एवं कनीष्टिका उंगलियों के ठीक नीचे स्थित होते हैं। मनुष्य के सात्विक गुणों को दर्शाते है। मंगल का उच्च पर्वत एवं मंगल का निम्न पर्वत जो हथेली के मध्य भाग में स्थित होते हैं राजसिक तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं। शुक्र एवं चंद्रमा के पर्वत हथेली के निचले भाग मे स्थित होते हैं। ये मनुष्य के तामसिक गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिस ग्रह का पर्वत जितना उभरा हुआ होगा व्यक्ति में उस ग्रह से संबन्धित गुण उतने ही अधिक होंगे।
हाथ की उंगलियों में सत्व, राजस एवं तमस गुण क्रमश उंगली के ऊर्ध्व, मध्य एवं निम्न भाग दर्शाते हैं। उंगलियों के ये भाग अंग्रेजी में फैलैंगक्स के नाम से जाने जाते हैं। व्यक्ति थ की हथेलियों एवं उंगलियां को देखकर उसके व्यक्तित्व, आचार, विचार एवं व्यवहार के बारे में बहुत कुछ पता लगाया जा सकता है।
उंगलियों का निचला भाग जो कि हथेली से जुड़ा हुआ होता है व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं को दर्शाता है। यह भाग व्यक्ति के भौतिक, आर्थिक स्तर, उसके खान-पान, रहन-सहन, सामाजिक स्तर आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं। उंगली के इस भाग से शरीर एवं बुद्धि के सामंजस्य का अध्ययन किया जाता है। उंगलियों का मध्य भाग व्यक्ति की व्यावहारिकता एवं उसके आस-पास के वातावरण से उसके सामंजस्य का आभास होता है। उंगली के इस भाग से व्यक्ति के कार्य क्षेत्र एवं व्यवसाय के बारे में भी जानकारी मिलती है। उंगलियों के ऊर्ध्व भाग से व्यक्ति की नियमबद्धता, दूरदर्शिता, कार्यकुशलता, सदाचरण एवं नैतिक मूल्यों का पता चलता है।
जिन व्यक्तियों की उंगलियों के तीनों भाग बराबर होते हैं उनका व्यक्तित्व आमतौर पर संतुलित होता है। जब एक व्यक्ति की उंगलियों के ऊर्ध्व एवं मध्य भाग बराबर होते हैं तब उस व्यक्ति की संकल्प शक्ति एवं निर्णय लेने की क्षमता मे सामंजस्य होता है। यदि ऊर्ध्व भाग अन्य दो भागों से बड़ा होता है तो संकल्प शक्ति की कमी का कारण व्यक्ति अपनी इच्छाओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति में कमी पाता है। संकल्प शक्ति की कमी के कारण सही निर्णय लेने की क्षमता भी प्रभावित होती है एवं व्यक्ति अपनी इच्छाओं तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए सही निर्णय नहीं ले पाता है।
यदि उंगलियों का मध्य भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा है तो व्यक्ति की तार्किक क्षमता एवं बौद्धिक क्षमता प्रबल होती है। परंतु उसकी संकल्प शक्ति एवं कार्य के प्रति एकाग्रता मे कमी कारण सफलता मिलने मे देरी हो सकती है। ऐसे व्यक्ति दूसरों की सफलता देखकर ईर्ष्या की भावना से भी ग्रस्त हो सकते हैं। क्योंकि बुद्दिमत्ता में अन्य व्यक्तियों से कम न होने पर भी वे उनके जीतने सफल नहीं होते हैं। परंतु इसका प्रमुख कारण यह है कि उनकी संकल्प शक्ति एवं इच्छा शक्ति मे कमी है और इसे केवल मेहनत एवं कठिन परिश्रम से ही जीता जा सकता है।
यदि उंगलियों का निम्न भाग अन्य दो भागों से अधिक लंबा होता है तो आप विवेक पूर्ण एवं परिस्थिति के अनुसार निर्णय लेने में समर्थ हैं। ऐसे व्यक्ति भावुक प्रकृति के होते हैं। वे अपना समय, पैसा एवं सलाह जरूरतमंदों के लिए खर्च करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। इसके लिए यदि उन्हे आलोचना भी सहनी पड़े तो वे उसके लिए तैयार रहते हैं।
हाथ की उंगलियों की स्थिति जिस व्यक्ति की पूर्ण रूप से व्यस्थित होती है वे व्यक्ति जीवन में बहुत सफल होते हैं। लंबी एवं पतली उंगलियों वाले व्यक्ति भावुक होते हैं जबकि मोटी उंगलियों वाले व्यक्ति मेहनती होते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां कोण के आकार की होती हैं वे अत्यधिक संवदेनशील होते हैं तथा अपनी वेषभूषा एवं सौन्दर्य का विशेष ध्यान रखते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां ऊपर से नुकीली होती हैं वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं तथा इनकी कल्पना शक्ति अद्भुत होती है। स्वभाव से ये नम्र होते हैं।
जिन व्यक्तियों की उंगलिया ऊपर से चौकोर होती हैं वे व्यावहारिक,तर्कसंगत एवं नम्र होते हैं। ये परम्पराओं एवं रूढ़िवादिता में विश्वास रखते हैं। जिनकी उंगलियां स्पैचुल के आकार की होती हैं वे व्यक्ति साहसी, यथार्थवादी एवं घूमने के शौकीन होते हैं। ये कार्य करने के शौकीन होते है एवं अनेक विषयों के ज्ञाता होते हैं। इस तरह के व्यक्ति वैज्ञानिक, इंजिनियर या कार्य कुशल तकनीशियन होते हैं।
जिन व्यक्तियों की उंगलियां सीधी होती हैं वे व्यक्ति ईमानदार, शालीन एवं न्यायसंगत होते हैं। जीवन में अच्छी तरक्की करते हैं। जिन व्यक्तियों की उंगलियां गांठदार होती हैं वे बहुत व्यावहारिक एवं अच्छे नियोजक होते है। वे स्पष्टवक्ता होते है। लंबी उंगलियों वाले व्यक्ति शिक्षा में रुचि रखते हैं एवं अच्छे विश्लेषक होते हैं।
जिस हाथ में उंगलियों की स्थिति अव्यवस्थित होती है विशेष तौर पर जब कनिस्ठिका उंगली जो कि बुध की उंगली के नाम से जानी जाती है बहुत छोटी होती है तब व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी पाई जाती है।
उंगलियों की आकृति धनुषाकार होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व संतुलित होता है तथा वह व्यक्ति बहुत विचारशील होता है।
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हस्तरेखा से जानिए किस क्षेत्र में मिलेगी सफलता—–
आज जैसे-जैसे वैज्ञानिक विकास हो रहे हैं, वैसे-वैसे समाज में नई-नई सुविधाओं एवं क्षेत्रों का सूत्रपात हो रहा है। इससे कामों का वर्गीकरण इस प्रकार हो रहा कि किसी प्रॉडक्ट का एक हिस्सा कहीं बन रहा है तो दूसरा कहीं और। फिर सबकी असेंबलिंग कहीं और हो रही है! इसी कारण एक ही रोजगार कई-कई शाखाओं में बंट गया है। जैसे जैसे विज्ञान ने तरक्की की है रोजगार की बढ़ती शाखाओं के कारण उसका चयन करना एक कठिन प्रक्रिया होती जा रही है।
हस्त रेखा शास्त्र द्वारा भी रोजगार चयन में सहायता प्राप्त हो जाती है। किन्तु सर्वप्रथम यह जान लेना आवश्यक है कि आप किस क्षेत्र में सफल हो सकते हैं।
यदि अंगुलियों के पहले पोरे सबल एवं लम्बे हैं तो आप में सीखने की ललक अच्छी है। यानी आप उच्चा शिक्षा ग्रहण करने में सफल हो जाएंगे। यदि अगुंलियों के दूसरे पोरे लम्बे और सबल हैं तो आप प्रैक्ट्रिकल फील्ड में चल जाएंगे। अर्थात् आप के अंदर देखकर सीखने की क्षमता है। इसके विपरीत यदि तीसरा पोरा ज्यादा सबल है तो आपका उत्पादन, व्यापार या व्यवसाय के क्षेत्र में जाना ज्यादा उचित होगा।
सर्वप्रथम यह तय कर लेना जरूरी है कि भाग्य किस ग्रह द्वारा संचालित है यानी हाथ में कौनसा पर्वत क्षेत्र ज्यादा प्रभावी है। उसके स्वामी द्वारा ही उसका जीवन ज्यादा प्रभावित रहता है।
उसे संक्षिप्त रूप में हम इस प्रकार जान सकते हैं:
1. बृहस्पति: राजनीति, सेना या सामाजिक संगठनों में उच्च पद, अध्ययन-अध्यापन, सलाहकार, कर/आर्थिक विभाग, कानून एवं धर्म क्षेत्र।
2. शनि: तंत्र, धर्म, जासूसी, रसायन, भौतिकी, गणित, मशीनरी, कृषि, पशुपालन, तेल, अनगढ़ कलाकृतियां इत्यादि।
.. सूर्य: कला, साहित्य, प्रशासन संबंधी।
4. बुध: इनडोर गेम्स, बोलने से जुड़े व्यवसाय, मार्केटिंग, विज्ञान, व्यापार, वकालत, चिकित्सा क्षेत्र, बैंक आदि।
5. मंगल: साहसी कार्य, अन्वेषण खोज, खिलाड़ी, पर्वतरोहण, खतरों से भरे कार्य, सैनिक, पुलिस, जंगल या वन क्षेत्र इत्यादि।
6. चन्द्र: कला, काव्य, जलीय व्यवसाय, तैराक, तरल वस्तुएं।
7. शुक्र: कला, संगीत, चित्रकारी या गंधर्व कलाएं, नाटक इत्यादि, महिला विभाग, कम्प्यूटर, हस्तशिल्प, पयर्टन आदि।

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