अपशकुन क्या है?अपशकुन के प्रभाव एवं अपशकुन के उपाय…क्या अपशकुन से डरना चाहिये?…
अपशकुन कैसे बने शुभ शकुन, उपायों द्वारा ???
हिंदू धर्म शास्त्रों में कई ऐसे संकेत बताये गए हैं जिसके द्वारा आप इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि आपको मनोवांछित कार्य में सफलता मिलेगी या नहीं। इन संकेतों को शकुन-अपशकुन कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार आप जब भी किसी खास कार्य के लिए जा रहे होते हैं ठीक उसी समय कई प्रकार की घटनाएं घटती हैं। इन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। छोटी-छोटी शुभ-अशुभ घटनाएं ही शकुन या अपशकुन होती हैं। हालांकि काफी लोग इन बातों को कोरा अंधविश्वास ही मानते हैं लेकिन कई लोग इन बातों पर विश्वास भी करते हैं।
कुछ लक्षणों को देखते ही व्यक्ति के मन में आशंका उत्पन्न हो जाती है कि उसका कार्य पूर्ण नहीं होगा। कार्य की अपूर्णता को दद्गने वाले ऐसे ही कुछ लक्षणों को हम अपशकुन मान लेते हैं।
शकुन का मतलब होता है लक्षण या संदेश। जबकि अपशकु न का अर्थ है बुरा या अशुभ लक्षण। कुछ लक्षणों को देखते ही व्यक्ति के मन में आशंका उत्पन्न हो जाती है कि उसका कार्य पूर्ण नहीं होगा। किसी कार्य में रुकावट या अधूरेपन को दिखाने वाले ऐसे ही कुछ लक्षणों या संकेतों को हम अपशकुन मान लेते हैं। पृकृति ने पशु-पक्षियों को इंसान से कम बुद्धि दी है। किन्तु साथ ही ईश्वर ने जीव जन्तुओं को कुछ ऐसी क्षमताओं से नवाजा है, जो कि इंसान के पास भी नहीं है। भूकंप आने से पहले कई सारे पशु-पक्षियों को इसका पूर्वाभास हो जाता है। वर्षा का पूर्व ज्ञान, सूखा पडऩे, बाड़ आने, तूफान आने या अन्य किसी प्राकृतिक आपदा की जानकारी वैज्ञानिकों से पहले इन प्रकृति पुत्रों को मिल जाती है। इसी आधार पर घटनाओं को देखकर शुभ-अशुभ का अंदाजा लगाने की परंपरा प्रांरभ हुई
अपशकुनों के बारे में हमारे ग्रंथों में काफी कुछ लिखा गया है।
यहां कुछ कुछ वस्तुओं, विभिन्न जीव-जंतुओं, पक्षियों आदि से जुड़े कुछ अपशकुनो पर चर्चा/विचार करेंगे—-
नए घर में पुराना झाड़ू ले जाना अशुभ होता है।
उलटा झाडू रखना अपद्गाकुन माना जाता है। अंधेरा होने के बाद घर में झाड़ू लगाना अशुभ होता है। इससे घर में दरिद्रता आती है। झाड़ू पर पैर रखना अशुभमाना जाता है। इसका अर्थ घर की लक्ष्मी को ठोकर मारना है।
यदि कोई छोटा बच्चा अचानक झाड़ू लगाने लगे तो अनचाहे मेहमान घर में आते हैं। किसी के बाहर जाते ही तुरंत झाड़ू लगाना अशुभ होता है। दूध का बिखर जाना अशुभहोता है।
बच्चों का दूध पीते ही घर से बाहर जाना अपशकुन माना जाता है।
स्वप्न में दूध दिखाई देना अशुभ माना जाता है। इस स्वप्न से स्त्री संतानवती होती है।
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अब जानिए पशुओं का अपशकुन/अशुभ प्रभाव—–
किसी कार्य या यात्रा पर जाते समय कुत्ता बैठा हुआ हो और वह आप को देख कर चौंके, तो विघ्न हो।
किसी कार्य पर जाते समय घर से बाहर कुत्ता शरीर खुजलाता हुआ दिखाई दे तो कार्य में असफलता मिलेगी या बाधा उपस्थित होगी।
यदि आपका पालतू कुत्ता आप के वाहन के भीतर बार-बार भौंके तो कोई अनहोनी घटना अथवा वाहन दुर्घटना हो सकती है। यदि कीचड़ से सना और कानों को फड़फड़ाता हुआ दिखाई दे तो यह संकट उत्पन्न होने का संकेत है।
आपस में लड़ते हुए कुत्ते दिख जाएं तो व्यक्ति का किसी से झगड़ा हो सकता है। शाम के समय एक से अधिक कुत्ते पूर्व की ओर अभिमुख होकर क्रंदन करें तो उस नगर या गांव में भयंकर संकट उपस्थित होता है।
यदि कुत्ता मकान की दीवार खोदे तो चोर भय होता है।
यदि कुत्ता घर के व्यक्ति से लिपटे अथवा अकारण भौंके तो बंधन का भय उत्पन्न करता है।
चारपाई के ऊपर चढ़ कर अकारण भौंके तो चारपाई के स्वामी को बाधाओं तथा संकटों का सामना करना पड़ता है।
कुत्ते का जलती हुई लकड़ी लेकर सामने आना मृत्यु भय अथवा भयानक कष्ट का सूचक है।
पद्गाओं के बांधने के स्थान को खोदे तो पद्गा चोरी होने का योग बने। कहीं जाते समय कुत्ता श्मद्गान में अथवा पत्थर पर पेदगाब करता दिखे तो यात्रा कष्टमय हो सकती है, इसलिए यात्रा रद्द कर देनी चाहिए।
गृहस्वामी के यात्रा पर जाते समय यदि कुत्ता उससे लाड़ करे तो यात्रा अद्गाभ हो सकती है।
बिल्ली दूध पी जाए तो अपद्गाकुन होता है।
यदि काली बिल्ली रास्ता काट जाए तो अपद्गाकुन होता है। व्यक्ति का काम नहीं बनता, उसे कुछ कदम पीछे हटकर आगे बढ़ना चाहिए।
यदि सोते समय अचानक बिल्ली शरीर पर गिर पड़े तो अपद्गाकुन होता है। बिल्ली का रोना, लड़ना व छींकना भी अपद्गाकुन है।
जाते समय बिल्लियां आपस में लड़ाई करती मिलें तथा घुर-घुर शब्द कर रही हों तो यह किसी अपद्गाकुन का संकेत है। जाते समय बिल्ली रास्ता काट दे तो यात्रा पर नहीं जाना चाहिए।
गाएं अभक्ष्य भक्षण करें और अपने बछड़े को भी स्नेह करना बंद कर दें तो ऐसे घर में गर्भक्षय की आद्गांका रहती है। पैरों से भूमि खोदने वाली और दीन-हीन अथवा भयभीत दिखने वाली गाएं घर में भय की द्योतक होती हैं।
गाय जाते समय पीछे बोलती सुनाई दे तो यात्रा में क्लेद्गाकारी होती है। घोड़ा दायां पैर पसारता दिखे तो क्लेद्गा होता है। ऊंट बाईं तरफ बोलता हो तो क्लेद्गाकारी माना जाता है।
हाथी बाएं पैर से धरती खोदता या अकेला खड़ा मिले तो उस तरफ यात्रा नहीं करनी चाहिए। ऐसे में यात्रा करने पर प्राण घातक हमला होने की संभावना रहती है।
प्रातः काल बाईं तरफ यात्रा पर जाते समय कोई हिरण दिखे और वह माथा न हिलाए, मूत्र और मल करे अथवा छींके तो यात्रा नहीं करनी चाहिए। जाते समय पीठ पीछे या सामने गधा बोले तो बाहर न जाएं।
पक्षियों का अपद्गाकुन सारस बाईं तरफ मिले तो अशुभ फल की प्राप्ति होती है। सूखे पेड़ या सूखे पहाड़ पर तोता बोलता नजर आए तो भय तथा सम्मुख बोलता दिखाई दे तो बंधन दोष होता है। मैना सम्मुख बोले तो कलह और दाईं तरफ बोले तो अशुभ हो।
बत्तख जमीन पर बाईं तरफ बोलती हो तो अशुभफल मिले। बगुला भयभीत होकर उड़ता दिखाई दे तो यात्रा में भय उत्पन्न हो। यात्रा के समय चिड़ियों का झुंड भयभीत होकर उड़ता दिखाई दे तो भय उत्पन्न हो।
घुग्घू/उल्लू बाईं तरफ बोलता हो तो भय उत्पन्न हो। अगर पीठ पीछे या पिछवाड़े बोलता हो तो भय और अधिक बोलता हो तो शत्रु ज्यादा होते हैं। धरती पर बोलता दिखाई दे तो स्त्री की और अगर तीन दिन तक किसी के घर के ऊपर बोलता दिखाई दे तो घर के किसी सदस्य की मृत्यु होती है।
कबूतर दाईं तरफ मिले तो भाई अथवा परिजनों को कष्ट होता है। लड़ाई करता मोर दाईं तरफ शरीर पर आकर गिरे तो अशुभ माना जाता है। लड़ाई करता मोर दाईं तरफ शरीर पर आकर गिरे तो अशुभ माना जाता है।
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शकुन-अपशकुन: जानिए छींक आने के क्या फायदे हैं और क्या नुकसान होते हें..???
हमारे समाज में कई मान्यताएं प्राचीन समय में चली आ रही हैं इन्हें शकुन व अपशकुन से जोड़कर देखा जाता है। घर से निकलते समय छींक आना अपशकुन माना जाता है। छींक से जुड़ी ऐसी अनेक मान्यताएं हमारे समाज में प्रचलित हैं। चिकित्सा विज्ञान के नजरिए से छींक आना एक सामान्य मानवीय प्रक्रिया है जबकि हमारे समाज में छींक को शकुन-अपशकुन से जोड़कर देखा जाता है। अलग-अलग जाति तथा धर्म में छींक आने को लेकर कई धारणाएं मानी जाती हैं।
——यदि घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है तो कार्य में बाधा आती है। अगर एक से अधिक बार छींकता है तो कार्य सरलता से संपन्न हो जाता है।
—–यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रथम प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है तो उसे अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं। दूसरे प्रहर में सुनता है तो देह कष्ट, तीसरे प्रहर में सुनता है तो दूसरे के द्वारा स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति और चौथे प्रहर में सुनता है तो किसी मित्र से मिलना होता है।
—–शकुन शास्त्र के अनुसार किसी प्रवासी(कोई मित्र या रिश्तेदार) के जाते समय कोई उसके बाईं ओर छींकता है तो यह अशुभ संकेत है। अगर जरुरी न हो तो ऐसी यात्रा टाल देनी चाहिए।
——कोई वस्तु क्रय करते समय यदि छींक आ जाए तो खरीदी गई वस्तु से लाभ होता है। सोने से पूर्व और जागने के तुरंत बाद छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है।
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अपशकुन कैसे बने शुभ शकुन.उपायों द्वारा ???
वैदिक शास्रों के आधार पर मान्यता रही है कि अनिष्ट अपशकुन देखने पर व्यक्ति को शारीरिक, आर्थिक, मानसिक हृस का सामान करना पड़ता है। शकुन-अपशकुन प्राचीन काल से मानव को अपने मोह पाश में बांधे हुए हैं, लेकिन यह बात बहुत कम लोग जाते हैं कि अपशकुन/शकुन व्यक्ति के सुयोग, दुर्योग की सूचना ही नहीं देते अपितु अचानक धन प्राप्ति की भी सूचना देते हैं।
अतः शास्र अपशकुन के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए वैदिक उपाय, पाठ, जप, मंत्र आदि द्वारा सलाह देते हैं। फलस्वरूप अशुभ प्रभाव समाप्त करने के चमत्कारिक लाभ देखे गए हैं।
प्रस्तुत उपाय अशुभ को शुभ में बदलने की क्षमता रखते हैं—-
अगर काले पक्षी के अपशकुन से प्रभावित हो रहे हों, तो अपने इष्ट का या राशि के अधिपति देवता या मंत्र का जाप करना चाहिए और फटे हुए वस्र एवं तिल के तेल का दान या धर्म स्थान में देने से लाभ होगा।
पल्ली पतन के दुष्प्रभाव से निपटने के लिए किसी भी धर्म स्थान में जाकर किसी भी देवी/देवता पर प्रसाद चढ़ाकर बांट दें मुक्ति मिलेगी।
छींक के दुष्प्रभाव को समात करने के लिए ॐ राम रामोति शांति-शांति जाप करते हुए चुटकी बजाएं तो छींक के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलेगी अथवा पुनः घर वापस आकर एक गिलास शीतल जल का सेवन करें अथवा अपनी चरण पादुका को अदल-बदल पुनः धारण करें, तो छींक के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
अशुभ स्वप्न के प्रभाव को समाप्त करने हेतु महामृत्युञ्जय का जप/ विष्णु सहस्र नाम का पाठ करना चाहिए।
मंत्र : ॐ हौं जूं स ॐ भूर्भुव स्वःॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् बन्धानान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वर्भुव भूः ॐ सः जूं हौं ॐ॥
सर्प के कारण अगर अशुभ स्थिति प्राप्त हो रही हो तो जय राजा जन्मेजय का जप .. बार कर लें तो सर्प के अपशकुन दूर हो जाते हैं।
मार्ग में किसी प्रकार के विघ्न का सामना करना पड़ रहा हो, तो मार्ग में गंधक का चूर्ण तथा हरताल छिड़क लें, मार्ग की सारी परेशानियां निष्प्रभावी हो जाती हैं।
महान उत्पात से आतंकित मनुष्य को चाहिए कि गाय का मूत्र, विष, गंधक को मिलाकर गाय के उपले में जलाए तत्पश्चात् जले हुए चूर्ण को घर में छिड़के तो आतंक समाप्त हो जाता है और चारों ओर खुशहाली छा जाती है।
प्रातःकाल उठकर धरती को स्पर्श कर और प्रत्येक इष्ट का स्मरण कर धरती पर चरण रखें, तो संपूर्ण दिन अच्छा गुजरेगा।
मल त्याग दिन में उत्तर दिशा की तरफ बैठकर करें और रात्रि में दक्षिण की दिशा की तरफ मल त्याग करें, तो अपशकुन के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
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छिपकली से जुड़े शकुन-अपशकुन—-
आपने अपने घर में ज्यादातर छिपकली को छत या दीवार से गिरते हुए जरुर देखा होगा| छिपकली के गिरने से भी कई शकुन और अपशकुन जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया है कि छिपकली जब गिरती है तब ध्यान देना चाहिए कि वह किस दिशा में गिरी है? कहां गिरी है? यदि किसी व्यक्ति के शरीर पर गिरी है तो किस अंग पर गिरी है? ऐसे तमाम बातों से आने वाले कल में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं का संकेत प्राप्त किया जा सकता है।
आपको बता दें कि जब छिपकली किसी पुरुष के सीधे हाथ की ओर गिरती है तो इसे शुभ माना जाता है जबकि बाएं हाथ की ओर छिपकली गिरने पर अशुभ माना जाता है। वहीँ अगर स्त्रियों की बात करें तो स्त्रियों के अगर बाईं ओर छिपकली गिरती है तो वह शुभ मानी जरी है अगर वह दाईं ओर गिरे तो समझो स्त्रियों के लिये अशुभ है|
छिपकली गिरने या गिरगिट चढ़ने पर करे यह आसान उपाय-
जब कभी शरीर पर छिपकली गिर जाती है या गिरगिट चढ़ जाता है तो अपशकुन निवारणार्थ हेतु सर्वप्रथम स्नान कर यह मंत्र अवश्य जपें :
‘ॐ नमः शांते प्रशांते ॐ,हीं हीं सर्व क्रोध प्रशमनी स्वाहा।’
यह मंत्र जप 1.8 बार या 21 बार पढ़ें। उक्त मंत्र लाभप्रद है एवं अशुभ प्रभाव को क्षीण करते हैं और मंगल होता है।
अगर सुबह को कोई मरा हुआ साप दिखाई दे तो
Mere upar chipkali attack karti h, what its mean