आइये जनि की क्या होता हें नजर दोष/नजर लगाना..?? (NAJAR DOSH,NAJAR LAGANA) ,इसके प्रभाव(लाभ-हानि) तथा इसे दूर करने के उपाय/टोटके…
नजर लगना एक बहुत बड़ा दोष माना जाता है | जब कभी कोई व्यक्ति किसी की उन्नति वा भाग्य को देखकर ईर्ष्या करता है वा ईर्ष्या के वशीभूत कुछ गलत कह दे तो उसे नज़र लग सकती है |
कई बार देखा गया है की नज़र के कारण अच्छा बाला व्यवसाय अचानक रुक जाता है नहीं तो अनेक प्रकार की परेशानिया आती रहती है जेसे बच्चे या बड़े दोनों को ही नज़र लग सकती है जिससे वह बीमार पड़ जाते है यदि आप भी इन में से किसी भी परेशानी का सामना कर रहे है तो आप घर बेठे ही अपना उपचार कर सकते है |
जिस प्रकार किसी व्यक्ति की राशि एवं नक्षत्र के स्वामी निर्बल होने पर वह नजर दोष के प्रभाव में आ जाता है, उसी प्रकार यदि किसी व्यक्ति की राशि एवं नक्षत्र स्वामी क्रूर ग्रह बली हो तथा पापी ग्रहों का प्रभाव हो, तो व्यक्ति की वाणी, दृष्टि एवं मनोभावों में ईष्र्या उत्पन्न होती है।
अक्सर सुनने में आता है कि किसी ने किसी दूसरे पर टोना कर दिया है, जिससे उसका कोई भी काम ठीक नहीं होता और दुर्भाग्य बार-बार आड़े आ जाता है। इसी प्रकार कभी हम महसूस करते हैं कि पूरी मेहनत के पश्चात भी हमें कार्य में सफलता नहीं मिल रही – कारण कि किसी ने हमारे व्यवसाय को बांध दिया है। बंधन के फलस्वरूप या तो व्यवसाय नहीं होता या फिर व्यवसाय होते हुए भी अंततः हानि ही हाथ आती है। यहां तक कि इस प्रकार का माहौल बन जाता है कि हमें वह व्यवसाय छोड़ना ही पड़ जाता है। कभी किसी व्यक्ति का स्वास्थ्य ऐसे बिगड़ जाता है कि सभी दवाइयां निष्प्रभावी हो जाती हैं। ऐसा अक्सर किसी भूत-प्रेत या चुड़ैल की बाधा साथ लग जाने से होता है। यह बाधा किसी के द्वारा कराई गई होती है या अंजाने में राह में या हमारे किसी कर्म के कारण लग जाती है। मनुष्य को पूर्व जन्म के ऋणानुबंध या श्राप आदि भी अनेक प्रकार से कष्टदायी होते हैं जिनका उपाय करने से उनसे मुक्ति मिल सकती है।
यदि वह किसी को टोक दे या किसी सुंदर वस्तु, भवन, वाहन या मशीनरी को लगातार देखता रहे या मन ही मन ईष्र्या करे, तो उस व्यक्ति या वस्तु को नजर दोष लग जाता है।नजर दोष से प्रायः कईं व्यक्ति परेशान रहते हैं। इससे बचाव के अनेक कारगर उपाय हैं, जिन्हें अपनाकर पीड़ित व्यक्ति को दोष से मुक्ति दिलाई जा सकती है।
नजर लग जाना कोई बीमारी नहीं , बल्कि उपरी हवाओ के समान ही एक ऐसी समस्या है जिसका मेडिकल और हकीम डॉक्टरो के पास कोई इलाज नहीं | नजर की काट टोटके और गंडे तावीज ही हैं , कोई भी दवा बुरी नजर से ग्रस्त बालक को ठीक नहीं कर पाती | सबसे बड़ी बात तो यह हैं कि दुसरो की ही नहीं , स्वयं माता पिता तक की नजर बालको को अक्सर ही लग जाती हैं | जब आपका बालक बुरी नज़र का शिकार हो जाए, तब इधर – उधर भटकने की बजाय इन टोनों – टोटकों को स्वयं ही कर लीजिए | कुदृष्टी के शिकार बालक को स्वस्थ करने में रामबाण औषधि का कार्य करते हैं ये टोने – टोटके और गंडे तावीज |
रामायण में भी वर्णन हें नजर दोष/प्रभाव का–
सीता से विवाह के लिए जब श्री राम जी की बरात प्रस्थान करती है, तो सारे शकुन स्वतः होने लगते हैं जो एक शुभ कार्य का पूर्व संदेश देते हैं।
छेमकरी कह छेम बिसेषी। स्यामा बाम सुतरु पर देखी॥
सनमुख आयउ दधि अरु मीना। कर पुस्तक दुइ बिप्र प्रबीना॥
मंगलमय कल्यानमय अभिमत फल दातार।
जनु सब साचे होन हित भए सगुन एक बार॥
क्षेमकरी (सफेद सिर वाली चील) विशेष रूप से क्षेम (कल्याण) कह रही है।
श्यामा बायीं ओर सुंदर पेड़ पर दिखाई पड़ी।
दही, मछली और हाथ में पुस्तक लिए हुए दो विद्वान् ब्राह्मण सामने आए। सभी मंगलमय, कल्याणमय और मनोवांछित फल देने वाले शकुन मानो सच्चे होने के लिए एक ही साथ हो गए।
इसी प्रकार रावण के युद्ध हेतु प्रस्थान के समय सारे अपशकुन होने लगते हैं।
अति गर्ब गनइ न सगुन असगुन स्रवहिं आयुध हाथ ते।
भट गिरत रथ ते बाजि गज चिक्करत भाजहिं साथ ते॥
गोमाय गीध कराल खर रव स्वान बोलहिं अति घने।
जनु कालदूत उलूक बोलहिं बचन परम भयावने॥
अत्यंत गर्व के कारण रावण शकुन-अशकुन का विचार नहीं करता। हथियार हाथों से गिर रहे हैं। योद्धा रथ से गिर पड़ते हैं। घोड़े, हाथी साथ छोड़कर चिंघाड़ते हुए भाग जाते हैं। स्यार, गिद्ध, कौए और गधे शब्द कर रहे हैं। बहुत अधिक कुत्ते बोल रहे हैं।
उल्लू ऐसे अत्यंत भयानक शब्द कर रहे हैं, मानो मृत्यु का संदेशा सुना रहे हों।
प्रकृति में कुछ भी अचानक घटित नहीं होता, किसी बड़ी घटना से पूर्व शकुन-अपशकुन के रूप में अनेक घटनाएं क्रमबद्ध ढंग से घटित होती हैं। यदि इन पर गंभीरता से ध्यान कर लिया जाए, तो किसी बड़ी दुर्घटना से बचाव किया जा सकता है।
यदि आपके साथ ऐसा हो रहा हें समझ ले की आप को नजर लग गयी हें..???
नजर दोष के प्रभाव/करक..??
आज भी नजर दोष पति पत्नी की अनबन दुकान घर मे लगी नजर आदि के काम आता है। जो लोग शमशानी स्थानो के आसपास रहते है या जो महिलाये अधिकतर पर्दे मे रहती है,या जो लोग किसी न किसी कारण से मशहूर हो गये होते है,उन लोगो के लिये शैतानी आंख अनदेखे हथियार की तरह से मारने के काम आती है,महिलाओ मे सिरदर्द की बीमारी हो जाना,उल्टी आदि होने लगना,अनाप सनाप बकने लगना,
किसी को कुछ भी कहने लग जाना,अगर बच्चे को दूध पिलाने वाली महिलाये है तो उनके दूध का अचानक सूखने लग जाना,भूख नही लगना,हमेशा बुरे बुरे ख्याल आते रहना,
कामुकता का अधिक पैदा हो जाना,जननांग को खुजलाने की आदत लग जाना,योनि का हमेशा गीला रहना,बाथरूम मे अधिक समय का लगना,बाल खुल्ले रखने की आदत बन जाना,किसी न किसी अंग का लगातार फ़डकते रहना,
अचानक रोने का मन करना,कभी अचानक बिना बात के ही हंसी आजाना,किसी के गिरने पडने पर मजा आना,ऊंचे स्थान पर जाने के बाद नीचे कूद जाने का मन करना,खतरे से खेलने के लिये मन मे उतावलापन होना,
अपने ही रखवालो को अपने से दूर करने के लिये कठोर बात करने लग जाना,लडने झगडने की आदत बन जाना,भोजन मे अधिक खटाई का प्रयोग करने लग जाना,छाछ आदि की पीने की इच्छा रखना,घर की महिलाओ से अकारण ही बैर भाव पाल लेना,
अपनी सन्तान का ख्याल नही रखना,दूसरो की बातो मे समय को निकालना,नाखून चबाते रहना आदि बाते देखने को मिलती है। इसी प्रकार से दुकानदारी के चलते चलते अचानक बन्द हो जाना,ग्राहक का आना लेकिन कुछ समय बाद उसका मन बदल जाना और बिना कुछ खरीदे वापस चले जाना,खुद की दुकान से सस्ता सामान नही खरीदना अगल बगल वाली दुकान से महंगा सामान खरीद कर ले जाना,दुकान के सामने किसी न किसी प्रकार से गंदगी का होना,कुत्तो का अधिक आना जाना लग जाना,दुकान या व्यवसाय स्थान के गेट पर कुत्तो का पेशाब करने लग जाना,वाहन पर कुत्तों का पेशाब करने लग जाना,
घर के अन्दर काली बिल्ली का रात को आना,छत पर बिल्लिया आपस में लडने लग जाना,अचानक बुखार का आना और अचानक ही उतर भी जाना,
किसी अच्छे काम को शुरु करते ही किसी न किसी प्रकार की बाधा का आजाना कुछ नही तो टेलीफ़ोन का ही बजने लग जाना और जब तक उसे उठाओ बन्द हो जाना,
गलत नम्बर का बार बार आना,किसी महत्वपूर्ण बात को करने के समय किसी बेकार के व्यक्ति का आजाना और बात का पूरा नही हो पाना,किसी बडे सौदे के समय मे या तो अधिकारी का नही आना या खुद के परिवार की कोई दिक्कत का पैदा हो जाना,
सोने वाले बिस्तर पर लाल या काली चींटियों का घूमने लग जाना,ओढने बिछाने वाले कपडो मे अजीब सी बदबू का आना शुरु हो जाना,त्वचा मे बिना किसी कारण के खुजलाहट होने लगना आदि बाते देखने को मिलती है
क्या उपाय करें व्यापार स्थल (ऑफिस/दुकान)को नज़र से बचाने हेतु उपाय..???
नज़र जहा लग जाती है वहा असफलता ही प्राप्त होती रहती है जेसे कोई व्यापारिक प्रतिदुन्दी दूसरो को का नुकसान पहुचने के लिए कोई न कोई नुकसान पहुचने के लिए किसी की दुकान पर या व्यापारिक स्थल पर कोई टोटका कर देते है या उस पर नज़र लगाने का प्रयास करते है | उनके इस प्रयास से बचने के लिए शनिवार के दिन काले घोड़े की एक नाल लेकर उसे गंगाजल से शुद्ध करे और सिंदूर लगाये और फिर “ॐ हुं हनुमंते नमः” का जाप करते हुए वह नाल ‘U आकार में लगा दे अपने व्यापारिक या दुकान के मुख्य दुवार पर लगा दे इस मंत्र को एक माला यानि १०८ बार जापना है और इस मंत्र को रोज अपने कार्य स्थल पर एक माला जापना है आपको खुद ही अपने कार्य में प्रगति दिखेगी और आपका काम बानने लगेगे |
यदि आपके घर पर दोष है तो यही कार्य आप अपने घर पर भी कर सकते है |
क्या उपाय/टोटके करें यदि किसी व्यक्ति को नज़र लगी हो..???
कहते हैं कि नजरदोष या अन्य कोई व्याधा लग जाने पर आंख की निचली पलक भारी हो जाती है मानो वह सूज गई हो। प्रभावित व्यक्ति का कोई भी काम करने का मन नहीं करता। इससे मुक्ति के लिए अनेक प्रकार के उपाय सुझाए गए हैं, जिन्हें अपनाने से वर्णित कष्टों का निवारण हो सकता है।
—-जो व्यक्ति नज़र दोष से पीड़ित है उसके लिए किसी भी शनिवार या मगलवार को राइ,लाल मिर्च,नमक एव चोराहे की मिटी लेकर उसे पीड़ित व्यक्ति के सिर के ऊपर से सात बार घुमाये वा इस दोरान मोन रहे और कोई टोके नहीं इस समस्त सामग्री को आत्ग में ड़ाल दे |
—-नज़र लगे व्यक्ति के सिर के ऊपर से दूध तीन बार उतारकर कुते को पीला दे ऐसा करने से नज़र उतर जाती है |
नज़र लगे व्यक्ति को प्रतिदिन हनुमान आराधना करनी चाहिए |
—नजर दोष से बच्चों को बचाने के लिये लाल रंग का धागा बच्चे के गले में होना जरूरी है,क्योंकि प्रोफ़ेसर डुन्डेज की थ्योरी के अनुसार बच्चों के अन्दर सूखापन पैदा करने और बच्चे के जीवन रक्षक तरलता को सोखने के लिये नजर दोष यानी शैतानी-आंख का बहुत बडी भूमिका बनती है। उन्होने एक बहुत बडा तथ्य लिखा है कि शैतानीं आंख का शिकंजा मछलियों पर नहीं पडता है,अगर घर के अन्दर मछलियां रखीं जावें,या बच्चों के नाम मछली के नामों से सम्बन्धित रखे जावें,अथवा उनके गले में मछली को पकडने वाले कांटे का छल्ला बनाकर डाला जावे,अथवा जल से सम्बन्धित कोई चीज बच्चे के पास रहे जैसे कौडी शंख से बनी वस्तु सीप से पिलाया जाने वाला दूध,मोती आदि। इसके बाद इन वस्तुओं को जेविस लोग जब सूर्य मीन राशि में होता तब पहिनना उत्तम मानते है,इसके अलावा वे जिन्हे नजर अधिक लगती है उन्हे मीन के ही सूर्य के समय में एक छोटे से सिक्के पर जो चांदी का बना होता है,उस पर उस बच्चे या व्यक्ति का नाम सिक्के के नीचे वाले हिस्से पर -लिखवाकर भी पहिनाते हैं।
—-घर के बुजुर्ग व्यक्ति का जूता लेकर पीड़ित व्यक्ति के सिर से सात बार उतारे जुटे के टेल पर थूक लगाकर जमीन पर जोर से पटके जूता घुमाते समय “ॐ रां रहावे नमः” का जाप करते रहे |
—–नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति को अपने कक्ष के द्वार पर तीन चमत्कारिक गुटिकाएं लाल धागे में पिरोकर लटका देनी चाहिए। इन्हें ऐसे स्थान पर लटकाना चाहिए कि कक्ष में प्रवेश करते समय बाहरी व्यक्ति की दृष्टि उन पर अवश्य पड़े। नजर या तंत्र का प्रयोग किया गया हो, तो गुटिकाएं चटक जाती हैं या फट कर स्वयं गिर जाती हैं। ऐसा होने पर दूसरी गुटिकाएं फिर से लटकाएं। इससे व्यक्ति की बहुत सुरक्षा होती है। कार दुर्घटना आदि से बचाव के लिए भी ये गुटिकाएं कार में लगाकर यह प्रयोग कर सकते हैं।
——जिन व्यक्तियों को अक्सर नजर लगती रहती हो, उन्हें कभी भी सफेद मिठाई खाकर घर से बाहर नहीं जाना चाहिए। यदि कोई ऐसी स्थिति हो कि अचानक जाना ही पड़ जाए तो तुलसी के पांच पत्ते जल से सेवन कर लें। सेवन करते वक्त मन ही मन श्री विष्णु, श्री विष्णु बोलते रहें। निर्माणाधीन भवन को नजर नहीं लगे, इसके लिए भवन के बाहर की दीवार पर राक्षस का मुखौटा लगा दें। गृहस्वामी का फटा हुआ जूता (काला) भी घर के सम्मुख बाहर की चारदीवारी पर लटका देना चाहिए।
——सुंदर बागवानी भी नजर दोष से नहीं बच पाती। ऐसी स्थिति में एक तुलसी का पौधा लगाना चाहिए। सुंदर पौधों की जड़ के समीप काले रंग की कौड़ी रखनी चाहिए। ग्यारह पौधों के समीप एक-एक कौड़ी अवश्य रखनी चाहिए। महीने में दो तीन बार घर में कपूर अवश्य जलाएं। यह प्रयोग बहुत प्रभावशाली है।
—–बार-बार धन हानि एवं चोरी की घटनाएं होती हों तो तिजोरी में दो कौड़ियां लाल वस्त्र में बांधकर शुक्रवार को रखें। जो व्यक्ति आपसे ईष्र्या करता हो, उसके सामने कुछ खाना पीना नहीं चाहिए अन्यथा खाना हजम नहीं होगा व स्वास्थ्य खराब हो जाएगा।
—-नजर दोष से बचाव का सबसे कारगर उपाय हनुमान जी की पूजा आराधना है। शनिवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर उनके कंधों का सिंदूर लाकर नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति के माथे पर लगा दें- दोष दूर हो जाएगा। साथ ही हनुमान बाण का पाठ करें- बहुत प्रभावी उपाय है। हनुमान जी के शरीर का सिंदूर, एक लाल मिर्च, लोहे की एक बड़ी कील और काले उड़द के थोड़े से दाने को सफेद वस्त्र में काले धागे से बांधंे, और फिर पोटली को बच्चे के पालने के ऊपर बांध दें। न तो किसी की नज़र लगेगी, न ही पिशाच बाधा सताएगी। हनुमान जी की पूर्ण कृपा बनी रहेगी।
—-जिन्हें संतान नहीं होती है या जो पुत्र के इच्छुक हैं वे पुखराज धारण करें।
—–इतवार या रवि पुष्य योग में तुलसी पत्र, काली मिर्च 8-8, इनको सहदेई की जड़ मिलाकर तीनों को पीसकर ताबीज में भरकर दाहिनी भुजा में मंगलवार के दिन बांधने पर बाधा से छुटकारा मिल जाता है।
—–नजर दोष से बचाव का सबसे कारगर उपाय हनुमान जी की पूजा आराधना है। शनिवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर उनके कंधों का सिंदूर लाकर नजर दोष से पीड़ित व्यक्ति के माथे पर लगा दें- दोष दूर हो जाएगा। साथ ही हनुमान बाण का पाठ करें- बहुत प्रभावी उपाय है। हनुमान जी के शरीर का सिंदूर, एक लाल मिर्च, लोहे की एक बड़ी कील और काले उड़द के थोड़े से दाने को सफेद वस्त्र में काले धागे से बांधंे, और फिर पोटली को बच्चे के पालने के ऊपर बांध दें। न तो किसी की नज़र लगेगी, न ही पिशाच बाधा सताएगी। हनुमान जी की पूर्ण कृपा बनी रहेगी। भोजन को यदि नजर लग जाए तो उसका प्रत्येक पदार्थ थोड़ा-थोड़ा लेकर एक पत्ते पर रखें और उस पर गुलाल बिखेरें। मन ही मन श्री बजरंगबली बोलते रहें। फिर उसे रास्ते में कहीं रख आएं और फिर आकर सभी के साथ अराम से भोजन करें।
——महिलाओं के अन्दर शैतानीं आंख बहुत अधिक प्रभावित होती है,इस बात को जेविस लोग भी मानते है,उनका कहना है कि प्रत्येक सुन्दर महिला को अपनी सुन्दरता बनाये रखने के लिये अपने शरीर को सफ़ेद या काले कपडे से छुपाकर रखना चाहिये,जो महिलायें अपनी हठधर्मी से अपने शरीर का प्रदर्शन करतीं है उनके जीवन में कोई बडी सफ़लता नहीं मिलती है,वे जीवन के किसी न किसी क्षेत्र से कट जातीं है,या तो उनके अन्दर चरित्रहीनता आजाती है अथवा वे अपनी संतान को भटकता हुआ छोड कर अन्य पति के पास चलीं जातीं है,अथवा उनका सुह्रदय बदल कर कठोरता में बदल जाता है और जीवन के सभी आयामों में वे केवल धन की ही चाहत रखतीं है। जेविस लोगों ने गर्म प्रदेशों में रहने वाली महिलाओं के लिये नियम बनाये थे कि वे अगर शरीर को खुला भी रखना चाहतीं है तो माथे पर लाल रंग की बिन्दी या गले में लाल या काले रंग का धागा अवश्य डालकर रखा करें।
——- बच्चों को मोती चांद का लॉकेट एवं नजरबंद (काले-सफेद मोती) का ब्रेसलेट या करधनी धारण कराएं।
– पारद लॉकेट सभी बाधाओं को दूर करने में सक्षम है।
– नजर दोष निवारक यंत्र एवं नवदुर्गा यंत्र साथ रखें।
– पंचमुखी हनुमान का लॉकेट धारण करें या घर में अथवा व्यवसाय स्थल पर स्थापित करें।
– काले हकीक की माला पर क्क हं हनुमते नमः मंत्र का नियमित रूप से जप करें।
– मोर पंख से या सरसों के तेल की बत्ती से उतारा करें।
– नीबू को सिर से उतारकर चार टुकड़ों में काटकर चौराहे पर चारों दिशाओं में फेंक दें। यदि कोई नजर लगी हो या टोटका किया गया हो तो दोष दूर हो जाता है।
– नजर दोष से प्रभावित व्यक्ति के ऊपर चारों ओर से फिटकरी का टुकड़ा घुमाकर चूल्हे में डालने से नजर दोष समाप्त होता है।
– प्रवेश द्वार पर घोड़े का नाल लगाने से आगंतुकों की नजर नहीं लगती।
– नमक, राई और लाल मिर्च अंगारे पर डालकर रोगी के ऊपर ग्यारह बार घुमाने से नजर दोष मिटता है।
– सोते समय सिर के नीचे चाकू रखने से डरावने स्वप्न नहीं आते।
– थोड़ी सी साबुत फिटकरी लेकर नजर लगी दूकान पर से .. बार उसारें। फिर किसी चौराहे पर जाकर उसे उत्तर दिशा में फेंककर पीछे देखें बिना लौट जाएं। दूकान पर लगी नजर दूर हो जाएगी।
– थोड़ी सी राई, नमक, आटा और सात सुखी लाल मिर्च लेकर नजर दोष सक पिडि़त व्यक्ति के सिर पर से सात-बार घुमाकर आग में डाल दें। नजरदोष होने से मिर्च जलने पर गन्ध नहीं आएगी।
– घर के निकट वृक्ष की जड़ में शाम को थोड़ा सा कच्चा दूध डाल दें। फिर गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। नजरदोष दूर हो जाएगा।
– मंगलवार को हनुमान मन्दिर जाकर हनुमान जी के कन्धे का सिंदूर लाकर लगाने से बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाता है।
– पुराने कपड़े की सात चिंदियों लेकर सिर पर से .1 बार उसारकर आग में जलाने से बच्चे को लगी नजर समाप्त हो जाती है।
– पीली कौड़ी में छेद करके बच्चे को पहनाने से उसे नजर नहीं लगती है।
– नए मकान की चौखट पर काले धागे द्वारा पीली कौड़ी बांधने से उस पर बुरी नजर नहीं लगती है।
– हनुमान चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेत आदि व्याधाएं भाग जाती हैं।
– यदि ऐसा महसूस होता हो कि किसी ने आपका घर या व्यवसाय बांध दिया है, तो चार कीलें घर के अंदर चारों दिशाओं में ठोंक दें, बंधन से मुक्ति मिलेगी।
—- प्रतिदिन या फिर प्रति मंगलवार को सात साबुत हरी मिर्च और एक नीबू को धागे में बांधकर व्यवसाय स्थल पर बांध देने से कारोबार में उन्नति होती है।
—-भूत प्रेत भगाने के लिए यह धूमनी घर में दें। सांप की केंचुली को पीसकर उसमें वच, हींग तथा सूखी नीम की पत्तियों के मिश्रण को गाय के ऊपले पर डालकर लोहवान, गूगल का भी मिश्रण मिलाकर घर में मंगलवार से मिट्टी के सकोरे पर रखकर घर में इस धूमनी को घुमाएं। ऐसा करने से भूत-प्रेत व अन्य सभी बाधाएं दूर हो जाएंगी काले धतूरे की जड़ को इतवार के दिन बाजू में बांधकर पहनने से बाधा हट जाती है।
—-मुण्डी-गोखरु और बिनौला सम भाग लेकर तथा गोमूत्र में पीसकर जो ब्रह्म-राक्षस से ग्रस्त है, उसे सुंघा दें, तो ब्रह्म राक्षस का दोष मिट जाता है।
—–मदिरापान छुड़ाने हेतु कटैला उपरत्न की माला धारण करें। इससे मन में शुद्ध विचार आने लगते हैं।
—–जिन्हें भूत-प्रेत अथवा खराब स्वप्न दिखाई देते हैं, वह हाथ की उंगली में लहसुनियां धारण करें। इससे ऐसे स्वप्न तथा विकार दूर हो जाते हैं।
—-जो मानसिक रूप से परेशान हैं तथा पागलपन की अवस्था में आ जाते हंै, उसे हाथ की उंगली में मोती की अंगूठी पहना देने से लाभ होता है।
– जब कोई ग्राहक दुकान पर आए, तो कोई एक धागा तोड़कर अपनी सीट के नीचे दबाकर रखें, ग्राहक निश्चित रूप से खरीददारी करेगा। ग्राहक चला जाए, तो धागा निकालकर फेंक दें।
– घर या व्यवसाय स्थल के प्रवेश द्वार पर मयूर का चित्र लगाने से नजर नहीं लगती।
—-जिस स्त्री या पुरुष पर आपको संदेह हो कि उसकी नजर बच्चे को लगी हैं , तो उसका हाथ बच्चे के सिर पर फिकवा दें | नजर उतर जाएगी |
—-गाय के ताज़ा गोबर का दीपक बनाकर, उसमे छोटा सा गुड का एक टुकड़ा और सरसों का तेल डालकर घर के प्रमुख द्वार की देहलीज़ के मध्य जलाकर नजर लगे या बच्चे को दिखाकर दीपक की ज्योति को किसी चमड़े की चप्पल से बुझा दें | इससे नजर उतर जाएगी |
—-रविवार के दिन बच्चे के सिर से तीन बार दूध उतारकर मिट्टी के पात्र में भर दे और कुत्ते को पिला दें |
ऊपर वर्णित सभी दोषों का प्रभाव मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों पर अधिक पड़ता है। कुंडली में नीचस्थ चंद्र या राहु व शनि से ग्रस्त चंद्र होने पर व्यक्ति मानसिक रूप से कमजोर होता है और उस पर उक्त दोषों का प्रभाव अधिक पड़ता है। शिव व हनुमत आराधना और चंद्रमणि धारण करने से मानसिक बल प्राप्त होता है और दोषों से मुक्ति मिलती है।
——यह हनुमान मंत्र मिटाए बुरी नजर या दोष का भय-संशय…..
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आज के जमाने की दौड़ती-भागती जिंदगी में आगे निकलने की चाह में हो रही प्रतियोगिता और परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारियों के चलते इंसान न चाहकर भी जाने-अनजाने में ईर्ष्या या द्वेष के कारण अपने बोल या व्यवहार से दूसरों को पीड़ा और नुकसान पहुंचाता है। व्यावहारिक जीवन में यह बातें कहीं न कहीं हमारे लिए भी कष्टों का कारण बनती है, वहीं धार्मिक दृष्टि से भी हम अदृश्य दोष के भागी बनते हैं।
ऐसे ही अदृष्य दोषों में नजर लगना, बददुआएं भी मानी जाती हैं, जिनसे मानवीय मन में भय-संशय घर कर जाती हैं। जीवन में बाधा बनने वाली ऐसी से रक्षा करने के लिए बल, बुद्धि और विद्या के दाता संकटमोचक हनुमान की उपासना का महत्व बताया गया है। जिसके लिए हनुमान गायत्री मंत्र बहुत ही अचूक माना गया है –
ॐ अंजनीसुताय विद्महे,
वायुपुत्राय धीमहि,
तन्नो मारुति: प्रयोचदयात्।।
मंगलवार या हर रोज श्री हनुमान का लाल आसन पर बैठ लाल पूजा सामग्रियों लाल चंदन, अक्षत, फूल अर्पित कर धूप व दीप लगाकर इस मंत्र से यथासंभव एक माला यानी 1.8 बार उच्चारण आपको अनचाहे संकट, विपत्ति, आपदाओं से बचाता ही है, साथ ही शत्रु बाधा, भय और रोग से भी बचाव करता है।
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जानिए की क्या नजर लगना सिर्फ मन की भ्रांति नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक क्रिया है..???
विज्ञान के अनुसार शरीर में विद्युत तरंगें होती है। इन विद्युत तरंगों से किसी प्रकार से बाधित होने पर शरीर लकवे का शिकार हो जाता है अत: शरीर की विद्युतीय तरंगता से नजर लगने का सीधा संबंध है। बड़ों की तुलना में बच्चों को अधिक नजर लगती है क्योंकि बच्चों का शरीर कोमल होता है तथा उनके शरीर में विद्युतीय क्षमता बड़ों की तुलना में कम होती है। यदि कोई बच्चों को एकटक देखता रहता है तो उसकी नजरों की ऊर्जा बच्चे की ऊर्जा को प्रभावित करती है जिसके कारण बच्चा अनमना या बीमार हो जाता है। कई बार देखा गया है की नज़र के कारण अच्छा बाला व्यवसाय अचानक रुक जाता है नहीं तो अनेक प्रकार की परेशानिया आती रहती है जेसे बच्चे या बड़े दोनों को ही नज़र लग सकती है जिससे वह बीमार पड़ जाते है भारतीय समाज में नजर लगना और लगाना एक बहु प्रचलित शब्द है। लगभग प्रत्येक परिवार में नजर दोष निवारण के उपाय किये जाते हैं। घरेलु महिलाओं का मानना है कि बच्चों को नजर अधिक लगती है। बच्चा यदि दूध पीना बंद कर दे तो भी यही कहा जाता है कि भला चंगा था, अचानक नजर लग गई। लेकिन क्या नजर सिर्फ बच्चों को ही लगती है? नहीं। यदि ऐसा ही हो तो फिर लोग ऐसा क्यों कहते हैं कि मेरे काम धंधे को नजर लग गई। नया कपड़ा, जेवर आदि कट-फट जाएँ, तो भी यही कहा जाता है कि किसी की नजर लग गई। हम सबकी कभी न कभी मुट्ठी भर नमक, तेल की बत्ती या डंडी वाली सूखी लाल मिर्च से नानी-दादी या माँ ने नजर जरूर उतारी होगी। ट्रकों के पीछे “बुरी नजर वाले तेरा मुँह काला” पढ़ने को मिल ही जाता है। नजर की कोई स्पष्ट परिभाषा तो नहीं है परंतु अनुभव के आधार पर कहा जा सकता है कि बुरी भावना या ईष्र्या की भावना से यदि कोई हमें या हमारी किसी सुन्दर वस्तु को देखता है तो स्वास्थ्य या उस वस्तु से संबंधित कष्ट होता है इसे ही नजर लगना कहते हैं। नजर सम्मोहन का नकारात्मक स्वरूप है।
प्राय नजर से बचने के लिए काला धागा पहनाने या काला टीका या काजल लगाने की परंपरा रही है। स्पष्ट है कि काला रंग नजर लगाने वाले की एकाग्रता को भंग कर देता है। तिलक लगाने और मंगल-सूत्र पहनने स्फटिक बनाने के पीछे यही भावना है। इसका भी वैज्ञानिक कारण है। विज्ञान भी यह मानता है कि काला रंग ऊष्मा का अवशोषक है। अत जब बच्चे को काला टीका या काला धागा बांधा जाता है तो वह किसी भी प्रकार की ऊष्मा बुरी नजर को बच्चों में प्रवेश नहीं करने देता तथा स्वयं ही अवशोषित कर लेता है। इसी वजह से बच्चों को नजर नहीं लगती।