भगवान श्रीगणेश आराधना के विशिष्ठ उपयोगी मन्त्र एवं उपाय/टोटके —
श्रीगणेश मन्त्र “ॐ नमो सिद्ध-विनायकाय सर्व-कार्य-कर्त्रे सर्व-विघ्न-प्रशमनाय सर्व-राज्य-वश्य-करणाय सर्व-जन-सर्व-स्त्री-पुरुष-आकर्षणाय श्रीं ॐ स्वाहा।” विधि- नित्य-कर्म से निवृत्त होकर उक्त मन्त्र का निश्चित संख्या में नित्य १ से १० माला ‘जप’ करे। बाद में जब घर से निकले, तब अपने अभीष्ट कार्य का चिन्तन करे। इससे अभीष्ट कार्व सुगमता से पूरे हो जाते हैं।
———————————————-
सिद्धि के लिए श्री गणेश मंत्र ( GANESH MANTRA)—–
श्री गणेश को सभी देवताओं में सबसे पहले प्रसन्न किया जाता है. श्री गणेश विध्न विनाशक है. श्री गणेश जी बुद्धि के देवता है, इनका उपवास रखने से मनोकामना की पूर्ति के साथ साथ बुद्धि का विकास व कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है. श्री गणेश को भोग में लडडू सबसे अधिक प्रिय है. इस चतुर्थी उपवास को करने वाले जन को चन्द्र दर्शन से बचना चाहिए.
ॐ ग्लां ग्लीं ग्लूं गं गणपतये नम : सिद्धिं मे देहि बुद्धिं
प्रकाशय ग्लूं गलीं ग्लां फट् स्वाहा||
विधि :- —-
इस मंत्र का जप करने वाला साधक सफेद वस्त्र धारण कर सफेद रंग के आसन पर बैठकर पूर्ववत् नियम का पालन करते हुए इस मंत्र का सात हजार जप करे| जप के समय दूब, चावल, सफेद चन्दन सूजी का लड्डू आदि रखे तथा जप काल में कपूर की धूप जलाये तो यह मंत्र ,सर्व मंत्रों को सिद्ध करने की ताकत (Power, शक्ति) प्रदान करता है|
————————————————————————————–
श्री गणेश मूल मंत्र (SRI GANESH MOOL MANTRA)———–
ॐ गं गणपतये नमः |
ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः ||
——————————————————————–
विघ्न-विनाशक गणेश मन्त्र—
मन्त्रः- “जो सुमिरत सिधि होइ
गननायक करिबर बदन ।
करउ अनुग्रह सोई
बुद्धिरासी सुभ गुन सदन ।।”
मन्त्र की प्रयोग विधि और लाभ
सर्व-प्रथम गणेशजी को सिन्दूर का चोला चढ़ायें और फिर रक्त-चन्दन की माला पर प्रातःकाल के समय दस माला (..8*10=1080) बार इस मन्त्र का पाठ करें । यह प्रयोग ४० दिन तक करते रहें तो प्रयोग-कर्त्ता के सभी विघ्नों का अन्त होकर गणेशजी का अनुग्रह प्राप्त होता है ।
—————————————————————————
ऋण-हरण श्री गणेश-मन्त्र प्रयोग———-
यह धन-दायी प्रयोग है। यदि प्रयोग नियमित करना हो तो साधक अपने द्वारा निर्धारित वस्त्र में कर सकता है किन्तु, यदि प्रयोग पर्व विशेष मात्र में करना हो, तो पीले रंग के आसन पर पीले वस्त्र धारण कर पीले रंग की माला या पीले सूत में बनी स्फटिक की माला से करे। भगवान् गणेश की पूजा में ‘दूर्वा-अंकुर’ चढ़ाए। यदि हवन करना हो, तो ‘लाक्षा’ एवं‘दूर्वा’ से हवन करे। विनियोग, न्यास, ध्यान कर आवाहन और पूजन करे। ‘पूजन’ के पश्चात् ‘कवच’- पाठ कर ‘स्तोत्र’का पाठ करे।
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीऋण-हरण-कर्तृ-गणपति-मन्त्रस्य सदा-शिव ऋषिः, अनुष्टुप छन्दः, श्रीऋण-हर्ता गणपति देवता, ग्लौं बीजं, गं शक्तिः, गों कीलकं, मम सकल-ऋण-नाशार्थे जपे विनियोगः।
ऋष्यादि-न्यासः- सदा-शिव ऋषये नमः शिरसि, अनुष्टुप छन्दसे नमः मुखे, श्रीऋण-हर्ता गणपति देवतायै नमः हृदि, ग्लौं बीजाय नमः गुह्ये, गं शक्तये नमः पादयो, गों कीलकाय नमः नाभौ, मम सकल-ऋण-नाशार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।
कर-न्यासः- ॐ गणेश अंगुष्ठाभ्यां नमः, ऋण छिन्धि तर्जनीभ्यां नमः, वरेण्यं मध्यमाभ्यां नमः, हुं अनामिकाभ्यां नमः, नमः कनिष्ठिकाभ्यां नमः, फट् कर-तल-कर-पृष्ठाभ्यां नमः।
षडंग-न्यासः- ॐ गणेश हृदयाय नमः, ऋण छिन्धि शिरसे स्वाहा, वरेण्यं शिखायै वषट्, हुं कवचाय हुम्, नमः नेत्र-त्रयाय वौषट्, फट् अस्त्राय फट्।
ध्यानः-
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं, लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं, सिद्धैर्युतं तं प्रणमामि देवम्।।
‘आवाहन’ आदि कर पञ्चोपचारों से अथवा ‘मानसिक पूजन’ करे।
।।कवच-पाठ।।
ॐ आमोदश्च शिरः पातु, प्रमोदश्च शिखोपरि, सम्मोदो भ्रू-युगे पातु, भ्रू-मध्ये च गणाधीपः।
गण-क्रीडश्चक्षुर्युगं, नासायां गण-नायकः, जिह्वायां सुमुखः पातु, ग्रीवायां दुर्म्मुखः।।
विघ्नेशो हृदये पातु, बाहु-युग्मे सदा मम, विघ्न-कर्त्ता च उदरे, विघ्न-हर्त्ता च लिंगके।
गज-वक्त्रो कटि-देशे, एक-दन्तो नितम्बके, लम्बोदरः सदा पातु, गुह्य-देशे ममारुणः।।
व्याल-यज्ञोपवीती मां, पातु पाद-युगे सदा, जापकः सर्वदा पातु, जानु-जंघे गणाधिपः।
हरिद्राः सर्वदा पातु, सर्वांगे गण-नायकः।।
।।स्तोत्र-पाठ।।
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक्, पूजितः फल-सिद्धये। सदैव पार्वती-पुत्रः, ऋण-नाशं करोतु मे।।१
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं-शम्भुना सम्यगर्चितः। हिरण्य-कश्यप्वादीनां, वधार्थे विष्णुनार्चितः।।२
महिषस्य वधे देव्या, गण-नाथः प्रपूजितः। तारकस्य वधात् पूर्वं, कुमारेण प्रपुजितः।।३
भास्करेण गणेशो हि, पूजितश्छवि-सिद्धये। शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं, पूजितो गण-नायकः।
पालनाय च तपसां, विश्वामित्रेण पूजितः।।४
।।फल-श्रुति।।
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं, तीव्र-दारिद्र्य-नाशनम्, एक-वारं पठेन्नित्यं, वर्षमेकं समाहितः।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा, कुबेर-समतां व्रजेत्।।
मन्त्रः- “ॐ गणेश ! ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्” (१५ अक्षर)
उक्त मन्त्र का अन्त में कम-से-कम २१ बार ‘जप करे। २१,००० ‘जप’ से इसका ‘पुरश्चरण’ होता है। वर्ष भर ‘स्तोत्र’ पढ़ने से दारिद्र्य-नाश होता है तथा लक्ष्मी-प्राप्ति होती है।
*********************************************************
ऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र——-
विनियोगः- ॐ अस्य श्रीऋण-मोचन महा-गणपति-स्तोत्र-मन्त्रस्य भगवान् शुक्राचार्य ऋषिः, ऋण-मोचन-गणपतिः देवता, मम-ऋण-मोचनार्थं जपे विनियोगः।
ऋष्यादि-न्यासः- भगवान् शुक्राचार्य ऋषये नमः शिरसि, ऋण-मोचन-गणपति देवतायै नमः हृदि, मम-ऋण-मोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः अञ्जलौ।
।।मूल-स्तोत्र।।
ॐ स्मरामि देव-देवेश ! वक्र-तुणडं महा-बलम्। षडक्षरं कृपा-सिन्धु, नमामि ऋण-मुक्तये।।१
महा-गणपतिं देवं, महा-सत्त्वं महा-बलम्। महा-विघ्न-हरं सौम्यं, नमामि ऋण-मुक्तये।।२
एकाक्षरं एक-दन्तं, एक-ब्रह्म सनातनम्। एकमेवाद्वितीयं च, नमामि ऋण-मुक्तये।।३
शुक्लाम्बरं शुक्ल-वर्णं, शुक्ल-गन्धानुलेपनम्। सर्व-शुक्ल-मयं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।।४
रक्ताम्बरं रक्त-वर्णं, रक्त-गन्धानुलेपनम्। रक्त-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।५
कृष्णाम्बरं कृष्ण-वर्णं, कृष्ण-गन्धानुलेपनम्। कृष्ण-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।६
पीताम्बरं पीत-वर्णं, पीत-गन्धानुलेपनम्। पीत-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।७
नीलाम्बरं नील-वर्णं, नील-गन्धानुलेपनम्। नील-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।८
धूम्राम्बरं धूम्र-वर्णं, धूम्र-गन्धानुलेपनम्। धूम्र-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।९
सर्वाम्बरं सर्व-वर्णं, सर्व-गन्धानुलेपनम्। सर्व-पुष्पै पूज्यमानं, नमामि ऋण-मुक्तये।।१०
भद्र-जातं च रुपं च, पाशांकुश-धरं शुभम्। सर्व-विघ्न-हरं देवं, नमामि ऋण-मुक्तये।।११
।।फल-श्रुति।।
यः पठेत् ऋण-हरं-स्तोत्रं, प्रातः-काले सुधी नरः। षण्मासाभ्यन्तरे चैव, ऋणच्छेदो भविष्यति।।१
जो व्यक्ति उक्त “ऋण-मोचन-स्तोत्र’ का नित्य प्रातः-काल पाठ करता है, उसका छः मास में ऋण-निवारण होता है।
——————————————————————
देनिक विनायक/गणेश पूजा विधि—
ध्यान श्लोक—-
शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम् . प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये ..
षोडशोपचार पूजन—-
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ध्यायामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आवाहयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आसनं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अर्घ्यं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पाद्यं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आचमनीयं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . उप हारं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पंचामृत स्नानं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . वस्त्र युग्मं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . यज्ञोपवीतं धारयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आभरणानि समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . गंधं धारयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अक्षतान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पैः पूजयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . प्रतिष्ठापयामि .
अथ अंग पूजा—-
विनायक (गणेश) के पाँच नाम चुनें और ऐसा कहें : ॐ महा गणपतये नमः . पादौ पूजयामि . ॐ विघ्न राजाय नमः . उदरम् पूजयामि . ॐ एक दन्ताय नमः . बाहुं पूजयामि . ॐ गौरी पुत्राय नमः . हृदयं पूजयामि . ॐ आदि वन्दिताय नमः . शिरः पूजयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अंग पूजां समर्पयामि .
अथ पत्र पूजा—–
विनायक (गणेश) के पाँच नाम चुनें और ऐसा कहें : ॐ महा गणपतये नमः . आम्र पत्रम् समर्पयामि . ॐ विघ्न राजाय नमः . केतकि पत्रम् समर्पयामि . ॐ एक दन्ताय नमः . मन्दार पत्रम् समर्पयामि . ॐ गौरी पुत्राय नमः . सेवन्तिका पत्रं समर्पयामि . ॐ आदि वन्दिताय नमः . कमल पत्रं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पत्र पूजां समर्पयामि .
अथ पुष्प पूजा—
विनायक (गणेश) के पाँच नाम चुनें और ऐसा कहें : ॐ महा गणपतये नमः . जाजी पुष्पं समर्पयामि . ॐ विघ्न राजाय नमः . केतकी पुष्पं समर्पयामि . ॐ एक दन्ताय नमः . मन्दार पुष्पं समर्पयामि . ॐ गौरी पुत्राय नमः . सेवन्तिका पुष्पं समर्पयामि . ॐ आदि वन्दिताय नमः . कमल पुष्पं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्प पूजां समर्पयामि .
नाम पूजा—-
अगर सम्भव हो तो गणेश के 108 नाम जपें :—
ॐ सुमुखाय नमः . एक दन्ताय नमः . कपिलाय नमः . गज कर्णकाय नमः . लम्बोदराय नमः . विकटाय नमः . विघ्न राजाय नमः . विनायकाय नमः . धूम केतवे नमः . गणाध्यक्षाय नमः . भालचन्द्राय नमः . गजाननाय नमः . वक्रतुण्डाय नमः . हेरम्बाय नमः . स्कन्द पूर्वजाय नमः . सिद्धि विनायकाय नमः . श्री महागणपतये नमः . नाम पूजां समर्पयामि .
उत्तर पूजा——-
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . धूपं आघ्रापयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . दीपं दर्शयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . नैवेद्यं निवेदयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . फलाष्टकं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ताम्बूलं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . कर्पूर नीराजनं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . मंगल आरतीं समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पांजलिं समर्पयामि .
यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च .
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिणा पदे पदे ..
प्रदक्षिणा नमस्कारान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . समस्त राजोपचारान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . मंत्र पुष्पं समर्पयामि .
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ .
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ..
प्रार्थनां समर्पयामि
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं .
पूजाविधिं न जानामि क्षमस्व पुरुषोत्तम ..
क्षमापनं समर्पयामि .
विसर्जन पूजा—–
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुनरागमनाय च .
====================================
दैनिक पूजा विधि हिन्दू धर्म की कई उपासना पद्धतियों में से एक है । ये एक दैनिक कर्म है । विभिन्न देवताओं को प्रसन्न करने के लिये कई मन्त्र बताये गये हैं, जो लगभग सभी पुराणों से हैं । वैदिक मन्त्र यज्ञ और हवन के लिये होते हैं ।
पूजा की रीति इस तरह है : पहले कोई भी देवता चुनें, जिसकी पूजा करनी है। फ़िर विधिवत निम्नलिखित मन्त्रों (सभी संस्कृत में हैं) के साथ उसकी पूजा करें । पौराणिक देवताओं के मन्त्र इस प्रकार हैं :
विनायक : ॐ सिद्धि विनायकाय नमः .
सरस्वती : ॐ सरस्वत्यै नमः .
लक्ष्मी : ॐ महा लक्ष्म्यै नमः .
दुर्गा : ॐ दुर्गायै नमः .
महाविष्णु : ॐ श्री विष्णवे नमः . or ॐ नमो नारायणाय .
कृष्ण : ॐ श्री कृष्णाय नमः . or ॐ नमो भगवते वासुदेवाय .
राम : ॐ श्री रामचन्द्राय नमः .
नरसिंह : ॐ श्री नारसिंहाय नमः .
शिव : ॐ शिवाय नमः या ॐ नमः शिवाय .
============================================
भगवान् श्री गणेश की साधनाएँ—–
(१) श्री सिद्ध-विनायक-व्रत—–
‘श्री सिद्ध-विनायक-व्रत’ भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को करे। पहले निम्न-लिखित मन्त्र का १००० या अधिक ‘जप’ करे। यथा-
“सिंहः प्रसेनमवधीत् सिंहो जाम्बवन्ता हतः। सुकुमार कामरोदीस्तव ह्येषः स्यमन्तकः।।”
फिर श्री गणेश जी का षोडशोपचार पूजन कर, २१ मोदकों का नैवेद्य रखे। तब २१ दूर्वा लेकर उन्हें गन्ध-युक्त करे और निम्न नामों से २-२ दूर्वा अक्षत-सहित श्री गणेश जी को अर्पित करे।
१॰ गणाधिपाय नमः, २॰ उमा-पुत्राय नमः, ३॰ अघनाशाय नमः, ४॰ विनायकाय नमः, ५॰ ईश-पुत्राय नमः, ६॰ सर्व-सिद्धि-प्रदाय नमः, ७॰ एक-दन्ताय नमः, ८॰ ईभ-वक्त्राय नम, ९॰ मूषक-वाहनाय नमः तथा १०॰ कुमार-गुरवे नमः। उक्त १० नामों से २-२ दूर्वा तथा ‘गणाधिप नमस्तेऽस्तु उमापुत्राघनाशन । एकदन्तेभवक्त्रेति तथा मूषकवाहन । विनायकेशपुत्रेति सर्वसिद्धिप्रदायक । कुमारगुरवे तुभ्यं पूजयामि प्रयत्नतः।।’ इस मन्त्र से १ (२१ वीं) दूर्वा अर्पित करें।
इसके पश्चात् २१ मोदक लेकर १ गणञ्जय, २ गणपति, ३ हेरम्ब, ४ धरणीधर, ५ महागणाधिपति, ६ यज्ञेश्वर, ७ शीघ्रप्रसाद, ८ अभङ्गसिद्धि, ९ अमृत्म १० मन्त्रज्ञ, ११ किन्नाम, १२ द्विपद, १३ सुमङ्गल, १४ बीज, १५ आशापूरक, १६ वरद, १७ शिव, १८ कश्यप, १९ नन्दन, २० सिद्धिनाथ और २१ ढुण्ढिराज – इन नामोंसे एक – एक मोदक अर्पण करे । उक्त २१ मोदकोंमे १ गणेशजीके लिये छोड़ दे, १० ब्राह्मणोंको दे और दस अपने लिये प्रसाद स्वरुप रखे ।
(२) श्री सिद्धि-विनायक-उपासना—–
पहले उपासना हेतु ‘संकल्प’ करे। फिर ‘श्री-सिद्धि-विनायक श्री गणेश जी का पूजन कर श्रद्धा पूर्वक गुड़, शक्कर, मोदक, खडी शक्कर आदि उन्हें समर्पित करे। बाद में आरती करे व प्रसाद बाँटे। ऐसा करने से पुत्र-पौत्र, धन-सम्पत्ति की शीघ्र ही प्राप्ति होती है। श्रीब्रह्मणस्पति-सहस्त्र-नामों द्वारा उक्त हवि-द्रव्यों से ‘हवन’ भी किया जा सकता है।
(३) सिद्ध गणेशोपासना——-
यह साधना अत्यन्त प्रभावशाली है। पहले रविवार या मंगलवार को आक के पौधे की बड़ी जड़ ले आए। उस पर श्री गणेश जी की प्रतिमा खुदवा ले। फिर पूजन-स्थान में विधि-वत् प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा करे। पहले संकल्प, षोडशोपचार पूजन आदि करे। अन्त में, श्री-सिद्धि-दाता श्री गणेश का आवाहन कर मन्त्र-सिद्धि हेतु प्रार्थना करे और ‘रुद्राक्ष-माला पर मन्त्र का जप शान्त चित्त से प्रारम्भ करे। मन्त्र इस प्रकार है-
“ॐ ग्रीं ग्रूं गणपतये नमः स्वाहा”
नित्य निश्चित समय पर निश्चित स्थान में निश्चित संख्या में जप करे। जप हेतु आसन लाल कम्बल का ले। कुल सवा लाख जप करे। साधना-काल में चटाई या लाल कम्बल पर भूमि-शयन करे। सवा लाख जप के बास पञ्चामृत (दही, दूध, धी, शहद व शक्कर) से होम करे। हवन के पश्चात् गणेश जी की मूर्ति को पवित्र नदी, जलाशय में विसर्जित करे अथवा ऐसे सुर्क्षित स्थान पर रखें, जहाँ कोई छू न सके। नित्य १०८ बार जप करता रहे।
===============================================
भगवान गणेश की आराधना के लिए कुछ विशिष्ट मंत्र——-
भगवान गणेश को दीप दर्शन कराते समय इस मंत्र का उच्चारण करें——–
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया |
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम् |
भक्त्या दीपं प्रयच्छामि देवाय परमात्मने |
त्राहि मां निरयाद् घोरद्दीपज्यो ||
भगवान गणपति को सिन्दूर अर्पण करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए——-
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम् |
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम् ||
भगवान गणेश को नैवेद्य समर्पित करते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए———-
नैवेद्यं गृह्यतां देव भक्तिं मे ह्यचलां कुरू |
ईप्सितं मे वरं देहि परत्र च परां गरतिम् ||
शर्कराखण्डखाद्यानि दधिक्षीरघृतानि च |
आहारं भक्ष्यभोज्यं च नैवेद ||
भगवान गणेश को पुष्प माला इस मंत्र के द्वारा समर्पित करें—-
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो |
मयाहृतानि पुष्पाणि गृह्यन्तां पूजनाय भोः ||
भगवान गणेश को यज्ञोपवीत समर्पण इस मंत्र के साथ करना चाहिए—–
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम् |
उपवीतं मया दत्तं गृहाण परमेश्वर ||
भगवान गजानन श्री गणेश को आसन समर्पण इस मंत्र के साथ करना चाहिए
नि षु सीड गणपते गणेषु त्वामाहुर्विप्रतमं कवीनाम् |
न ऋते त्वत् क्रियते किंचनारे महामर्कं मघवन्चित्रमर्च ||
गणेश पूजा में इस मंत्र के द्वारा भगवान भालचंद्र को प्रणाम करना चाहिए———–
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय |
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ||
सुखकर्ता भगवान श्री गणेश की पूजा करते समय इस मंत्र के द्वारा उनका आवाहन करना चाहिए———-
गणानां त्वा गणपतिं हवामहे प्रियाणां त्वा प्रियपतिं हवामहे |
निधीनां त्वा निधिपतिं हवामहे वसो मम आहमजानि गर्भधमा त्वमजासि गर्भधम् ||
प्रातः काल में इस मंत्र के द्वारा भगवान श्रीगणेश को स्मरण करना चाहिए—–
प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखिलं च वरं ददानम् |
तं तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयोः शिवाय ||
भगवान श्री गणेश का ध्यान मंत्र—-
खर्व स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम |
दंताघातविदारितारिरूधिरैः सिन्दूरशोभाकरं वन्दे शलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम् ||
============================================================================
पारद लक्ष्मी-गणेश और सम्पूर्ण महालक्ष्मी यंत्र आपके जीवन को धन-धान्य एवं खुशहाली से सम्पन्न कर देंगे साथ ही आपकी सफलता के रास्ते से सभी प्रकार की बाधाओँ का अन्त करके आपके सौभाग्य को जगा देंगे। ये सभी मंगलकारी उत्पाद हमारे ही ज्योतिषाचार्यों द्वारा अभिमन्त्रित किए जाते हैं। पराद (पारा) एक दैविक पदार्थ है। पराद से बनाई गई चीजों में बेहद चमत्कारिक गुण होते हैं। पारे से बनीं देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश आपको धन-संपत्ति तथा व्यापार एवं धंधे में सफलता प्रदान करते हैं और आपके जीवन को बाधाओं एवं समस्याओं से मुक्त करते हैं।
पारद गणेश:—–
माना जाता है कि भगवान गणेश प्राणीमात्र के जीवन से बाधाओं को हरते हैं और आपके जीवन के सभी कार्यों में सफलता प्रदान करते हैं इसीलिए तो इन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है। सभी प्रकार के हवन-पूजन एवं पुण्य संस्कारों में विघ्नहर्ता गणेश का ही सर्वप्रथम आहवाहन किया जाता है। इनका पूजन सिद्धि (कार्यों में सफलता) तथा बुद्धि (विलक्ष्णता) की प्राप्ति के लिए किया जाता है। किसी भी प्रकार के शुभ कार्य को करने से पहले गणपति जी की ही पूजा की जाती है। वे विधा, ज्ञान, बुद्धि, साहित्य एवं ललित कलाओँ के भी अधिदेव हैं। भगवान गणेश के पूजन से आपके जीवन में सम्पूर्णता एवं संतुलन की वृद्धि होगी।
गणेश मन्त्र – “ओम श्री गणेशाय नमः ओम” (गणेश पूजन के समय इसी मन्त्र का जाप करें)
पारद लक्ष्मी:——
लक्ष्मी जी हर प्रकार की धन-संपत्ति, समृद्धि एवं खुशहाली की देवी हैं फिर चाहे यह भौतिक हो अथवा अध्यात्मिक। लक्ष्मी जी एक सुन्दर कलम पर विराजमान हैं तथा समृद्धि एवं धन-धान्यता का प्रतीक हैं। अपने जीवन से धन-संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए लक्ष्मी जी का नित्य पूजन करें। यदि आप किसी कानूनी झगड़े अथवा संपत्ति विवाद में उलझे हैं तो पराद लक्ष्मी जी के पूजन से आपको शीघ्र ही इन समस्याओँ से राहत मिलेगी।
लक्ष्मी मन्त्र – “ओम श्री महालक्ष्मेए नमः” अथवा “ओम श्रीन् ह्रीन् श्रीन् कमले कमलाए प्रसीद् प्रसीद् श्रीन् ह्रीन् श्रीन् महालक्ष्मे नमः” (लक्ष्मी पूजन के समय इसी मन्त्र का जाप करें)
=====================================
शत्रु विनाश—–
” ऊँ गं गणपतये वरवरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा ”
यह मन्त्र १०,००० की संख्या में जपने से फायदा देता हैं ” लाख जपने से सिद्ध हो जाता हैं | लाल कपड़े पहन कर लाल चन्दन की माला लेकर उत्तर की ओर मुहं करके जपने से काम बनता हैं
हमारे जीवन में दिन दुनी रात चौगुनी बढती प्रतिस्पर्धा की वजह से हमें कई जगह अनायास ही शत्रुता और विरोध का सामना करना पड़ता हैं |
हालांकि हम शान्ति के पुजारी हैं | लेकिन कुरु क्षेत्र में धर्म संकट आने पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्ध करने की प्रेरणा दी थी | हमें भी , ऑफिस में कॉलेज में व्यापर में बिजनेस और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्पोरेट वार में उलझना ही पड़ता हैं |
ऑफिस —-
श्री गणेश की प्रतिमा के आगे २१ मखाने रख कर उनके आगे २४ बार यह मन्त्र पढकर गणेश जी के आगे हवन कर दें | ऑफिस में आपके प्रतिद्वन्दी धूल चाटते नजर आयेंगे |
कॉलेज —–
अगर आप छात्र हैं तो आपकी भी कभी कभी चाही अनचाही समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा | आपके लिये उचित हैं कि गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी का जल लाकर घर में रखें थोडा सा जल एक कटोरी में निकाल कर गणेश जी के आगे रखें | इस जल से मुंह धोकर आप कॉलेज जायें | आप जिन्दगी की दौड़ में सबसे आगे निकल जायेंगें |
खेल का मैदान –
खिलाड़ियों को भी कड़ी प्रतिस्पर्धा से जूझना पड़ता हैं | खिलाडियों के लिये उचित हैं कि भोज पत्र पर लाल चन्दन और अनार की कलम से यह मन्त्र लिख कर चतुर्दशी के दिन यानि १९ जुलाई को लाल कपड़े में करके या तांबे के ताबीज में भर कर इसे अपनी दाहिनी भुजा में बांध लें |
व्यापार —-
आजकल हर किसी को जबरदस्त बिजनेस राइवलरी का सामना करना पड़ता हैं उसमें सफलता पाने के लिये व्यापारियों को चाहिये कि ७० ग्राम क्त्त्था बाजार से लाकर उसका चुरा करें उसमें घी सिन्दूर , और शहद मिलाकर गणेश की प्रतिमा बनायें इस प्रतिमा पर तीन दिन तक उक्त मन्त्र की एक माला जप करके चतुर्दशी के दिन यानि १९ जुलाई के दिन तांबे के खोल में भरकर यह प्रतिमा अपने बिजनेस ऑफिस के दरवाजे पर भीतर की तरफ लटका दें | आपका व्यवसाय दिन दूना रात चौकुना बढ़ेगा |
लव रिवेलोरी—- –
अपने प्रेमी या प्रेमिका की फोटो पर अपने अंगूठे के बराबर गणेश की प्रतिमा रख कर तीन दिन तक चार माला जप करें | चतुर्दशी के दिन इस फोटो के पैरो से नीचे जमीन पर अपने प्रतिद्वन्दी का नाम लिख कर उसे हाँथ से मिटा दें | आपको प्रेम से प्रति प्रतिद्वन्दिता दूर हो जायेगी |
==================================================
कैसे मनाएं गणपति को ?
मेष – गणेश जी को सफेद तिल के लड्डू चढाएं
वृष – खोए से बने लड्डू चढाएं
मिथुन – मुंग की दाल के लड्डू चढाएं
कर्क – छैने के लड्डू चढाएं
सिंह – गणेश जी को पंजीरी चढाएं
कन्या – पिस्ते की बर्फी चढाएं
तुला – मलाई के लड्डू चढाएं
वृश्चिक – लाल खोए से बने लड्डू चढाएं
धनु – बेसन के लड्डू गणपति को भेंट करें
मकर – काले तिल से बने लड्डू गणेश जी को चढाएं
कुंभ – काले तिल और खोए के लड्डू चढाएं
मीन – चने की दाल से बने लड्डू विध्नहर्ता को चढाएं
=================================================
श्री गणेश चतुर्थी व्रत किस प्रकार करना चाहिये..????
श्री गणेश को चतुर्थी तिथि बेहद प्रिय है, व्रत करने वाले जन को इस तिथि के दिन प्रात: काल में ही स्नान व अन्य क्रियाओं से निवृ्त होना चाहिए. इसके पश्चात उपवास का संकल्प लिया जाता है. संकल लेने के लिये हाथ में जल व दूर्वा लेकर गणपति का ध्यान करते हुए, संकल्प में यह मंत्र बोलना चाहिए—-
“मम सर्वकर्मसिद्धये सिद्धिविनायक पूजनमहं करिष्ये”
इसके पश्चात सोने या तांबे या मिट्टी से बनी प्रतिमा चाहिए. इस प्रतिमा को कलश में जल भरकर, कलश के मुँह पर कोरा कपडा बांधकर, इसके ऊपर प्रतिमा स्थापित की जास्ती है. फिर प्रतिमा पर सिंदूर चढाकर षोडशोपचार से उनका पूजन किया जाता है—–
आरती—श्री गणेश जी की आरती —–
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
लडुअन के भोग लागे, सन्त करें सेवा। जय ..
एकदन्त, दयावन्त, चार भुजाधारी।
मस्तक सिन्दूर सोहे, मूसे की सवारी॥ जय ..
अन्धन को आंख देत, कोढि़न को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥ जय ..
हार चढ़े, पुष्प चढ़े और चढ़े मेवा।
सब काम सिद्ध करें, श्री गणेश देवा॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
विघ्न विनाशक स्वामी, सुख सम्पत्ति देवा॥ जय ..
पार्वती के पुत्र कहावो, शंकर सुत स्वामी।
गजानन्द गणनायक, भक्तन के स्वामी॥ जय ..
ऋद्धि सिद्धि के मालिक मूषक सवारी।
कर जोड़े विनती करते आनन्द उर भारी॥ जय ..
प्रथम आपको पूजत शुभ मंगल दाता।
सिद्धि होय सब कारज, दारिद्र हट जाता॥ जय ..
सुंड सुंडला, इन्द इन्दाला, मस्तक पर चंदा।
कारज सिद्ध करावो, काटो सब फन्दा॥ जय ..
गणपत जी की आरती जो कोई नर गावै।
तब बैकुण्ठ परम पद निश्चय ही पावै॥ जय .
श्री गणेशाय नम:
.1 लड्डुओं का भोग लगायें |. इसमें से 5 लड्डू श्री गणेश जी की प्रतिमा के पास रखकर शेष ब्राह्मणों में बाँट दिये जाते है.
=======================================================
श्री गणेश/विनायक चालीसा—–
॥दोहा॥ जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभ काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता । गौरी ललन विश्वविख्याता ॥
ऋद्घिसिद्घि तव चंवर सुधारे । मूषक वाहन सोहत द्घारे ॥
कहौ जन्म शुभकथा तुम्हारी । अति शुचि पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा ॥
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला । बिना गर्भ धारण, यहि काला ॥
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम, रुप भगवाना ॥
अस कहि अन्तर्धान रुप है । पलना पर बालक स्वरुप है ॥
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो । उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो ॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहाऊ ॥
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा । बोलक सिर उड़ि गयो अकाशा ॥
गिरिजा गिरीं विकल है धरणी । सो दुख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा । शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटि चक्र सो गज शिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे ॥
बुद्घ परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई ॥
चरण मातुपितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
तुम्हरी महिमा बुद्घि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै । अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ॥
॥दोहा॥श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश ॥
सिद्धि के लिए श्री गणेश मंत्र ( GANESH MANTRA)—–कि विधी मे कहा गया है कि कपूर कि धूप जलाये मतलब
जब तक जप चालू है तब तक कपूर जालना है ?
या फिर कपूर जैसी सुगंध वाला कोई धूप होता है और वो जलाना है
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानंद शास्त्री(. )
MOB.–
.09.-..,
0091-.(HARIDWAR),
0091-. .,
———————————-
E-Maii:-
—vastushastri08@gmail.com;
—vastushastri08@hotmail.com;
—dayanandashastri@yahoo.com;
—vastushastri08@rediffmail.com;
—————————————
My Blogs & Websites–
— 1.- https://vinayakvaastutimes.wordpress.com///;;;
— ..- http://vinayakvaastutimes.blogspot.in//;;;;
—..- http:/vaastupragya.blogspot.in/..;;
-4.–http://jyoteeshpragya.blogspot.in/…;;;
इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है..
————————————————-
Postal / Communication Address :—-
FOR HARIDWAR (UTTARAKHAND )—
SWAMI VISHAL CHAITANY ( Pt. DAYANANDA SHASTRI),
c/o MR . KRUSHN GOPAL SAINIE
(MANGLA BANDI KI HAVELI KE SAMNE)
HOUSE NO.–76, RAJGHAT,
KANKHAL, HARIDWAR .
PIN CODE–249408
————————————————
FOR RAJASTHAN ——–
SWAMI VISHAL CHAITANY ( Pt. DAYANANDA SHASTRI),
VINAYAK VASTU ASTRO SHODH SANSTHAN,
NEAR OLD POWER HOUSE, KASERA BAZAR,
JHALRAPATAN CITY (RAJASTHAN) INDIA
PINCODE-326023
my dear .plz. call me just now for further–.
============================================
MOB.–
.09.-090.4.90067.,
0091-.(HARIDWAR),
0091-. .,
———————————-
E-Maii:-
—vastushastri08@gmail.com;
—vastushastri08@hotmail.com;
—dayanandashastri@yahoo.com;
—vastushastri08@rediffmail.com;
—————————————
My Blogs & Websites–
— 1.- https://vinayakvaastutimes.wordpress.com///;;;
— 2.- http://vinayakvaastutimes.blogspot.in//;;;;
—3.- http:/vaastupragya.blogspot.in/..;;
-4.–http://jyoteeshpragya.blogspot.in/…;;;
इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है..
————————————————-
Postal / Communication Address :—-
FOR HARIDWAR (UTTARAKHAND )—
SWAMI VISHAL CHAITANY ( Pt. DAYANANDA SHASTRI),
c/o MR . KRUSHN GOPAL SAINIE
(MANGLA BANDI KI HAVELI KE SAMNE)
HOUSE NO.–76, RAJGHAT,
KANKHAL, HARIDWAR .
PIN CODE–249408
————————————————
FOR RAJASTHAN ——–
SWAMI VISHAL CHAITANY ( Pt. DAYANANDA SHASTRI),
VINAYAK VASTU ASTRO SHODH SANSTHAN,
NEAR OLD POWER HOUSE, KASERA BAZAR,
JHALRAPATAN CITY (RAJASTHAN) INDIA
PINCODE-326023
Namaste
Any body knowing Dhumra vinayaka/Dhumra Ganesha mantra pls wtsp +9. 894.414333