हमारी तरफ से मकर संक्रांति पर एक कबिता—-
सूरज ने मकर राशि में प्रवेश कर
मकर संक्रांति के आने का दिया संदेश
ईंटों के जंगल में आज बहुत याद आया अपना देश.
गन्ने के रस के उबाल से फैलती हर तरफ
सोंधी सोंधी वो गुड़ की महँक
कुटे जाते हुए तिलों का संगीत
साथ देते बेसुरे कण्ठों का सुरीला गीत.
गंगा स्नान और खिचड़ी का स्वाद,
रंगीन पतंगों से भरा आकाश
और जोश भरी “वो काटा” की गूँज
सर्दियों को अलविदा कहने की धूम.
अब तो बस तुम्हारा साथ ही त्यौहार जैसा लगता है
तुम्हारी आँखों की चमक दीवाली जैसी
और प्यार के रंगों में होली दिखती है
तुम्हारे गालों के गुड़ में सना तिल
जब तुम्हारे होठों की मिठास में घुलता है
वही दिन मकर संक्रांति का होता है!!
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आपका अपना—पंडित दयानन्द शास्त्री
मोबाईल-. (राजस्थान)
–.9 (दिल्ली )

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