आइये जाने ..मानसिक अवसाद/टेंशन/डिप्रेशन के ज्योतिषीय कारण एवं उपाय——–
आधुनिक भागदौड के इस जीवन में कभी न कभी हर व्यक्ति डिप्रेशन अर्थात अवसाद का शिकार हो ही जाता है। डिप्रेशन आज इतना आम हो चुका है कि लोग इसे बीमारी के तौर पर नहीं लेते और नजरअंदाज कर देते हैं। किन्तु ऎसा करने का परिणाम कभी कभी बहुत ही बुरा हो सकता है।काम की भागदौड़ में कई बार इंसान डिप्रेशन का शिकार हो जाता है यानी वह मानसिक अवसाद में आ जाता है। ऐसा होना आम बात है लेकिन कई बार डिप्रेशन इतना अधिक बड़ जाता है कि वह कुछ समय के लिए अपनी सुध-बुध खो बैठता है। कुछ लोग डिप्रेशन के कारण पागलपन का शिकार भी हो जाते हैं।
आज अवसाद (डिप्रेशन) शब्द से लगभग सभी लोग परिचित हैं, और साथ ही एक बड़ी संख्या में लोग इसका शिकार भी हैं। अवसाद, हताशा, उदासी गहरी निराशा और इनसे सम्बंधित रोग चिकित्सीय जगत में मेजर डिप्रेशन (Major depression), डिस्थाइमिया (Dysthymia), बायपोलर डिसऑर्डर या मेनिक डिप्रेशन (Bipolar disorder or manic depression), पोस्टपार्टम डिप्रेशन (Postpartum depression), सीज़नल अफेक्टिव डिसऑर्डर (Seasonal affective disorder), आदि नामों से जाने जाते हैं। वैसे हर किसी के जीवन में ऐसे पल आते हैं, जब उसका मन बहुत उदास होता है। इसलिए शायद हर एक को लगता है कि हम गहरी निराशा के विषय में सब कुछ जानते हैं। परन्तु ऐसा नहीं है। कुछ के लिए तो यह निराशावादी स्थिति एक लंबे समय के लिए बनी रहती है; जिंदगी में अचानक, बिना किसी विशेष कारण के निराशा के काले बादल छा जाते हैं और लाख प्रयासों के बाद भी वे बादल छंटने का नाम नहीं लेते। अंततः हिम्मत जवाब दे जाती है और बिलकुल समझ में नहीं आता कि ऐसा क्यों हो रहा है। इन परिस्थितियों में जीवन बोझ समान लगने लगता है और निराशा की भावना से पूरा शरीर दर्द से कराह उठता है। कुछ का तो बाद में बिस्तर से उठ पाना भी लगभग असंभव सा हो जाता है। इसलिए प्रारंभिक अवस्था में ही इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि वह व्यक्ति हद से ज्यादा उदासी में न डूब जाये। समय रहते लक्षणों को पहचान कर किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से तुरंत परामर्श लेना चाहिए व तदनुसार इलाज करवाना चाहिए। डिप्रेशन के प्रकारानुसार एलोपैथी चिकित्सा प्रणाली में अवसादरोधी दवाओं (Antidepressant medications), साइकोथेरेपी (Psychotherapies), विद्युत-आक्षेपी थेरेपी (Electroconvulsive therapy) आदि माध्यमों से चिकित्सा की जाती है। डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवा लेने, दिनचर्या में बदलाव लाने, खानपान में फेरबदल करने तथा व्यायाम आदि से अच्छे परिणाम मिलते हैं। ध्यान रहे, डॉक्टर से पीना पूछे दवाइयाँ बंद करने के बुरे परिणाम हो सकते हैं तथा व्यक्ति की बीमारी और अधिक गंभीर हो सकती है।
डिप्रेशन मानसिक लक्षणों के अतिरिक्त शारीरिक लक्षण भी प्रकट करता है,जिनमे दिल की धडकन में तेजी, कमजोरी, आलस और शिरोव्यथा (सिर दर्द) सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त इस रोग से ग्रसित व्यक्ति का मन किसी काम में नहीं लगता,स्वभाव में चिडचिडापन आने लगता है,उदासी रहने लगती है और वह शारीरिक स्तर पर भी थका-थका सा अनुभव करता है। वैसे तो यह बीमारी किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को कभी भी हो सकती है,किन्तु अनुभव सिद्ध है कि बहुधा इस रोग से पीडित किशोरावस्था के जातक तथा स्त्रियां अधिक होती हैं…….कारण,कि इस रोग का केद्रबिन्दु मन हैं ओर मन भावुक व्यक्ति को अपनी चपेट में जल्दी लेता है। जैसा कि आप सब लोग जानते ही हैं कि स्त्रियों को सृ्ष्टि नें पुरूषों की तुलना में अधिक भावनात्मक बनाया है(परन्तु आधुनिक परिवेश में देखा जाए तो इसका भी अपवाद है,इसी समाज में आपको ऎसी भी स्त्रियां देखने को मिल जाएंगी जो कि निर्दयता में हिंसक जीवों को भी पीछे छोड दें) दूसरा,किशोरावस्था के जातक इस रोग की चपेट में अधिक आते हैं, क्यों कि उनका मन अपने आगामी भविष्य के अकल्पनीय स्वपन संजोने लगता है। स्वपनों की असीमित उडान के पश्चात जब यथार्थ के ठोस धरातल से उनका सामना होता है तो मन अवसादग्रस्त होने लगता है।
यह तो थी चर्चा निराशा, अवसाद, डिप्रेशन आदि के लक्षणों एवं उनके चिकित्सीय निदान की। यद्यपि अध्यात्मशास्त्र शारीरिक चिकित्सा का शास्त्र नहीं है, तदपि देखा गया है कि अध्यात्मशास्त्रज्ञों एवं साधक वर्ग में मनोदैहिक (Psychosomatic) और मानसिक (Psychic) रोगों की मात्रा लगभग नगण्य होती है। अधिकांश मनोदैहिक एवं मानसिक रोग मन से सम्बंधित विकारों तथा कुछ अन्य आध्यात्मिक कारणों से होते हैं; गंभीर मानसिक रोग तो बहुधा आध्यात्मिक कारणों से ही होते हैं। परन्तु उचित साधना से उपजी संतुलित मनःस्थिति एवं आध्यात्मिक बलिष्ठता के कारण साधक वर्ग इन सब से बचा रहता है। साधक वर्ग से तात्पर्य यहाँ ऐसे वर्ग से है जो वेदान्त व भगवत्गीता आदि में उल्लेखित तथा स्वामी विवेकानंद, श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार और पं. श्रीराम शर्मा आचार्य सरीखे वर्तमानकाल के विद्वानों द्वारा बताई गयी आत्मा, परमात्मा, कर्म, कर्मफल, पुनर्जन्म, संचित, प्रारब्ध, मोक्ष जैसे शब्दों की व्याख्या पर पूर्ण विश्वास करता है एवं पूर्ण आस्था के साथ जीवन के प्रत्येक प्रसंग को इन सिद्धांतों के साथ जोड़कर देखता व करता है।
पुरूषों की तुलना में महिलाएं डिप्रेशन से अधिक प्रभावित होती हैं। कुछ शोधकर्ता ऐसा मानते हैं कि डिप्रेशन से वो महिलाएं प्रभावित होती हैं जिनका कोई इतिहास होता है जैसे कि वो पहले कभी सेक्सुअली एब्यूज़ हुई हों या फिर उन्हें किसी प्रकार की इकानामिक परेशानी हुई हो।कई दूसरी बीमारियों की तरह डिप्रेशन भी एक अनुवांशिक बीमारी है। डिप्रेशन की एवरेज एज .. वर्ष से उपर होती हैं। कुछ फिज़ीशियन ऐसा मानते हैं कि ड्रिप्रेशन दिमाग में मौजूद कैंमिकल्स में हुई गड़बड़ी से होता है इसलिए वो एण्टी डिप्रेसेंट दवाएं देते हैं … लेकिन अभी तक ऐसा कोई टेस्ट सामने नहीं आया है, जिसकी मदद से इन कैमिकल्स का लेवल पता किया जा सके। इस बात का भी कोई प्रमाण नहीं मिला है कि मूड बदलने से जीवन के अनुभव बदलते हैं या इन अनुभवों से मूड बदलता है।डिप्रेशन शारीरिक परेशानियों से भी जुड़ा होता है जैसे फिज़िकल ट्रामा या हार्मोन में होने वाला बदलाव। डिप्रेशन के मरीज़ को अपना शारीरिक टेस्ट भी करा लेना चाहिए।
यद्यपि अध्यात्म व इसके सिद्धांतों को तर्क से सिद्ध करने का प्रयास एक निम्न श्रेणी की धृष्टता ही है, फिर भी कहूँगा कि सच्चे आध्यात्मिक सिद्धांतों में कुछ भी ऐसा दुविधापूर्ण नहीं जो वर्तमान विज्ञान की कसौटी पर खरा न उतरता हो, सब कुछ स्पष्ट एवं तर्कपूर्ण है। जैसे ऊर्जा की अक्षुण्णता का सिद्धांत और किसी क्रिया के फलस्वरूप तदनुसार प्रतिक्रिया का सिद्धांत, ये दो वैज्ञानिक सिद्धांत ही आत्मा के अमरत्व सम्बन्धी तथा कर्मफल एवं प्रारब्ध के निर्माण सम्बन्धी आध्यात्मिक सिद्धांतों की पुष्टि हेतु पर्याप्त हैं। इन्हीं दो सिद्धांतों को भली-भांति आत्मसात् कर साधक वर्ग शुद्ध मानसिकता व कर्मों के प्रति सदैव एवं स्वतः सचेत रहता है, यथार्थ में रहता है। उसे यह अच्छी तरह से ज्ञात होता है कि प्रारब्ध कोई शून्य से टपकी वस्तु नहीं, अपितु उसी के द्वारा किये गए कर्मों (क्रिया) के फलस्वरूप उपजा प्रतिक्रियात्मक कोष है, अतः उसका रुझान अनवरत योग्य कर्म के प्रति ही रहता है। कर्म करते हुए शारीरिक रूप से थक जाने पर या असफलता के क्षणों में भी निराशा उस पर हावी नहीं होती। उसे आत्मा रूपी अक्षुण्ण ऊर्जा का भी ठीक से ज्ञान होता है और इससे सम्बंधित भौतिक तत्वों का भी। इस ब्लॉग के अन्य लेखों में इस सम्बन्ध में विस्तार से खोजा जा सकता है। उपरोक्त सभी कारणों से साधक वर्ग प्रत्येक स्थिति में शांत, आनंदित एवं संतोषी रहता है और अवसाद या डिप्रेशन जैसी मानसिक व्याधि का शिकार नहीं बनता।
अवसाद का मतलब होता है कुण्ठा, तनाव, आत्महत्या की इच्छा होना। अवसाद यानी डिप्रेशन मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक है, इसका असर स्‍वास्‍थ्‍य पर भी पड़ता है और व्यक्ति के मन में अजीब-अजीब से ख्या‍ल घर करने लगते हैं। वह चीजों से डरने और घबराने लगता है। आइए जानें कैसे खतरनाक है अवसाद..कई बार मन अवसाद ग्रस्त होता है और अपने आप ठीक हो जाता है |लेकिन कई बार अवसाद मन में कहीं गहरे तक बैठ जाता है |
अवसाद का कारक चंद्रमा —-
नींद न आना, नींद आये तो ज्यादा आये,रात को सोते हुए उठ कर चलना,आलस्य,आंख के देले की बीमारिया , कफ्ह,सर्दी के कारन बुखार,भूख न लगना,पीलिया,खून खराबी,जल से डर लगना,चित की थकावट ,किसी काम में मन न लगना,महिलाओ सम्बन्धी,इस्त्रियो का मासिक धरम का नियमत न होना,अनीमिया,आदि!
डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगों का केन्द्रबिन्दु मन है। मन जो कि शरीर का बहुत ही सूक्ष्म अव्यव होता है,लेकिन आन्तरिक एवं बाह्य सभी प्रकार की क्रियायों को यही प्रभावित करता है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार अवसाद(डिप्रेशन)मूल रूप से मस्तिष्क में रसायनिक स्त्राव के असंतुलन के कारण होता है,किन्तु वैदिक ज्योतिष अनुसार इस रोग का दाता, मन को संचालित करने वाला ग्रह चन्द्रमा तथा व्यक्ति की जन्मकुंडली में चतुर्थ भाव के स्वामी को माना जाता है। चंद्र के प्रत्यक्ष प्रभावों से तो आप सभी भलीभान्ती परिचित हैं। पृथ्वी के सबसे नजदीक होने से व्यक्ति के मन को सर्वाधिक प्रभावित यही ग्रह करता है,क्योंकि ज्योतिष में चंद्रमा का पूर्ण सम्बंध हमारे मानसिक क्रियाकलापों से है। अगर चंद्रमा या चतुर्थेश(Lord of 4th house) नीच राशी में स्थित हो, अथवा षष्ठेश(Lord of 6th house)के साथ युति हो,या फिर राहू या केतु के साथ युति होकर कुंडली में ग्रहण योग निर्मित हो रहा हो तो इस रोग की उत्पति होती है। इसके अतिरिक्त द्वादशेश(Lord of .2th house) का चतुर्थ भाव में स्थित होना भी व्यक्ति के मानसिक असंतुलन का द्योतक है।अवसाद से मुक्ति के लिए सबसे पहले तो पीडित व्यक्ति का वातावरण परिवर्तित कर देना चाहिए,लेकिन यह समझ लेना भी गलत होगा कि सिर्फ वातावरण के परिवर्तन से रोग मुक्ति संभव है। इसके अतिरिक्त उसके आत्मविश्वास को जगाने का प्रयास करते रहना चाहिए, साथ ही कुछ महत्वपूर्ण सुझाव तथा उपाए भी इसके निवारणार्थ यहां दिए जा रहे हैं
अवसाद (डिप्रेशन से प्रभावित लोगों के आम लक्षण)के निम्न लक्षण दिखायी देते हैं —
–दुःख का लगातार अनुभव
—लगातार उर्जा में कमी
–नींद में कठिनाई
–भूख में कमी
–वजन का घटना
—सिरदर्द का रहना लगातार
—अपच कब्ज रहना
—बात बात पर रोना और आत्महत्या की इच्छा होना |
—अवसाद के चलते व्यक्ति का न सिर्फ मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य बल्कि शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य भी बिगड़ने लगता है।
—-अवसाद में रहते हुए व्यक्ति की आत्महत्या की इच्छा प्रबल होने लगती है।
——व्यक्ति के मन में हीनभावना होना, कुण्ठा पनपना, अपने को दूसरों से कम आंकना, तनाव लेना सभी अवसाद के लक्षण है।
——व्यक्ति अवसाद के कारण अपने काम पर सही तरह से फोकस नहीं कर पाता।
—–कुछ समय पहले के आंकड़ो पर गौर करें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया के ज्यादातर बड़े शहरों में डिप्रेशन की समस्या का बहुत तेजी से विस्तार हुआ है। भारत जैसे विकासशील देशों में 10 पुरुषों में से एक व 5 महिलाओं में से एक अपनी जिंदगी के किसी न किसी पड़ाव पर डिप्रेशन का शिकार बनते हैं…
—–कोई व्यक्ति अवसाद से ग्रसित रहता है तो उसे डिमेंशिया होने की आशंका अधिक बढ़ जाती है।
—–अवसाद से हृदय और मस्तिष्क को भी भारी खतरा उत्पन्न हो सकता है।
—-अवसाद और मधुमेह से पीड़ित लोगों में दिल से जुड़ी बीमारियां, अंधापन और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां होने की आशंका बनी रहती है।
—-डिप्रेशन से हार्ट डिज़ीज जैसे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
—-इम्यून सिस्टम पर अतिरिक्त असर पड़ता है।
—-मानसिक बीमारी से हृदय संबंधी बीमारी के चलते मौत का खतरा 75 साल की उम्र तक दो गुना अधिक होता है।
—–अवसाद से व्यक्ति किसी पर जल्दी से भरोसा नहीं कर पाता।
—-वह अधिक गुस्सेवाला और चिड़चिड़ा हो जाता है।
डिप्रेशन के कुछ ऐसे लक्षण जिनमें प्रोफेशनल ट्रीटमेंट की तुरन्त आवश्यकता होती है:—
मरने या आत्महत्या की कोशिश करना। यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है, ऐसी स्थिति में प्रोफेशनल थेरेपिस्ट से सम्पर्क करना बहुत ज़रूरी हो जाता है।
जब डिप्रेशन के लक्षण लम्बे समय तक दिखें।
आपके काम करने की शक्ति दिन पर दिन क्षिण होती जा रही है।
आप दुनिया से कटते जा रहे हैं।
डिप्रेशन का इलाज सम्भव है। इस बीमारी में व्यक्ति का शारीरिक से ज़्यादा मानसिक रूप से स्वस्थ होना ज़रूरी होता है। ऐसी स्थिति में ऐसा मित्र बनायें जो आपकी बातों को समझ सके और अकेले कम से कम रहने की कोशिश करें।
इसके दुष्प्रभाव—-
—–हृदय जन्य बीमारीयाँ
——अस्थमा का दौरा आना
—–त्वचा की बीमारी होना
——शरीर मे खून की कमी हो जाना
—–चश्मा लगना
—–और भी जाने कई सारी बीमारीयाँ।
अब यह किसी एक वर्ग को हो यह जरुरी नही है। पढने वाले बच्चे परीक्षा के डर से , या नम्बर कम आने के डर से इस अवस्था में आ जाते हैं .महिलायें पुरूष कोई भी किस समय इस का शिकार हो जाए कौन जाने|अवसाद रोगियों के लिए प्राकतिक चिकित्सा ,रेकी , ऊर्जा चिकित्सा आशा की किरण है |
यदि आप डिप्रेशन से बचना चाहते हैं तो यह उपाय करें-
—– रोगी को चांदी के पात्र (गिलास आदि) में जल,शर्बत इत्यादि शीतल पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
—- सोमवार तथा पूर्णिमा की रात्री को चावल,दूध,मिश्री,चंदन लकडी,चीनी,खीर,सफेद वस्त्र,चांदी इत्यादि वस्तुओं का दान करना चाहिए।
—- आशावादी बनें। प्रत्येक स्थिति में आशावादी दृ्ष्टिकोण अपनाऎं। अपनी असफलताओं को नहीं वरन सफलताओं को याद करें।
—-हरे रंग का परित्याग करें।
—-चाँदी में मंडवाकर गले में द्विमुखी रूद्राक्ष धारण करें, साथ ही नित्य प्रात: कच्चे दूध में सफेद चन्दन घिसकर मस्तक पर उसका तिलक करें।
—– कभी भी खाली न बैठे क्यों कि अगर आप खाली बैठेंगे तो मन को अपनी उडान भरने का समय मिलेगा,जिससे भांती भांती के कुविचार उत्पन होने लगेंगे।
—- हो सके तो बेहतर मनोंरंजक साहित्य पढें,सिद्ध पुरूषों के प्रवचन सुनें,व्यायाम-योग-ध्यान साधना इत्यादि विधियों को अपनाऎं।
उपरोक्त उपायों एवं सुझावों को अपनाएं तथा अपने घर परिवार,समाज के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करें,दूसरों की खुशियों में अपने लिए खुशियां ढूंढने का प्रयास करें……….जिससे आपका जीवन भी खुशियों से महके उठे।
—प्रतिदिन सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर तुलसी के पौधे की 11 परिक्रमा करें और घी का दीपक जलाएं। तुलसी के पौधे को जल चढ़ाएं। यही प्रक्रिया शाम को समय भी करें। ऐसा करने से मानसिक अवसाद कम होगा। तुलसी का माला धारण करें तो और भी बेहतर लाभ मिलेगा।
—समय समय पर आत्म विश्लेषण करते रहें।
—-मेडिटेशन जरूर करें।
—–अंगूठे और पहली उंगली यानी इंडैक्स फिंगर के पोरों को आपस में जोडऩे पर ज्ञान मुद्रा बनती है। इस मुद्रा को रोज दस मिनट करने से मस्तिष्क की दुर्बलता समाप्त हो जाती है। साधना में मन लगता है। ध्यान एकाग्रचित होता है। इस मुद्रा के साथ यदि मंत्र का जाप किया जाय तो वह सिद्ध होता है। परमानन्द की प्राप्ति होती है। इसी मुद्रा के साथ तो ऋषियों मनीषियों तपस्वियों ने परम ज्ञान को प्राप्त किया था।
लाभ- मानसिक क्षमता बढ़ती है।
– इस मुद्रा को करने से पागलपन, अनेक प्रकार के मनोरोग दूर होते हैं।
– चिड़चिड़ापन, गुस्सा, चंचलता, लम्पटता, अस्थिरता, चिंता से मुक्ति मिलती है।
– भय, घबराहट, व्याकुलता, अनिद्रा रोग, डिप्रेशन आदि से छुटकारा मिलता है।
– याददाश्त व एकाग्रता में वृद्धि होती है।

23 COMMENTS

  1. Hamesha logo ke beech hote
    hue bhi akela rah jata hu.
    log mujh se bahut nafrat karte hai.
    jisse tention bani rahti hai

  2. Hamesha logo ke beech hote
    hue bhi akela rah jata hu.
    log mujh se bahut nafrat karte hai.
    jisse tention bani rahti hai
    D OB .9/11/198.
    time 9:45am
    place muzaffarnagar (up)

    • आदरणीय महोदय/ महोदया …
      आपका आभार सहित धन्यवाद…
      आपका स्वागत…वंदन…अभिनन्दन…
      आपके प्रश्न/ सुझाव हेतु…
      मान्यवर, मेरी सलाह/ मार्गदर्शन/ परामर्श सेवाएं सशुल्क उपलब्ध हैं..(निशुल्क नहीं).
      आप अधिक जानकारी के लिए मुझे फोन पर संपर्क कर सकते हे..
      धन्यवाद…प्रतीक्षारत…
      पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,
      इंद्रा नगर, उज्जैन (मध्यप्रदेश),
      मोब.–.9669.90067 एवं 090.9390067 …

      • sir mera name vinod yadav hai main . year se parsan hoon mughe samagh main nahi aaraha main kya karu chalte samye mughe chakar jaysa hota hai aaisa lagta hai pura body hilte rahata kamjori bhi lagata hai kya karu

        • आपके प्रश्न का समय मिलने पर में स्वयं उत्तेर देने का प्रयास करूँगा…
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  3. Kya karoo mujhe kuchh bhi samajh nahi aata aisha lagta hai ki mai es duniya me akela sa hu aatm hatya karne ka bhi man karta hai par mai apne man ko samjha leta hun hamesha dukhi udash se rahta hun rat ko nind nahi aati hai na din ko kya karu kya na karu kuchh bhi samajh nahi aata hai mera aatm vishvas kamjor pad jata hai jab dusre log aate hai aur so jate hai unko turant nind aa jati hai par mujhe kyo nahi aati ye sochte mujhe aur bhi nid nahi aati mera sir sabhi taraf se dard karne lagta hai koi bhi nirnay nahi le paa raha hun

  4. आप एक अच्‍छे सायकेटिस्‍ट से दवाई लें और प्रतिदिन योगा करें, प्राणायाम करें, ध्‍यान करें । धर्म के रास्‍ते चलते हुये केवल परमात्‍मा का ध्‍यान करें । एक ही स्‍थान पर लंबे समय तक न बैठें । तकलीफ में भी प्रतिदिन के कार्यों को कोशिश करके पूरा करते रहें । नींद के लिये डॉक्‍टर से पूछकर इपीट्रिल एम डी ..5 आधी गोली रोज रात को लेकर सो सकते हैं । खूब व्‍यायाम करें । अपने आप को रोज खूब थकायें । फल फ्रूट खाते रहें । खूब पानी बार बार पियें । बीच बीच में चाय भी ले सकते हैं । इसके अलावा जो भी कार्य करने में रूचिकर लगता हो करते रहें । ग्रह दशा किसी ज्‍योतिषी को बता दें और ज्‍योतिष के हिसाब से भी उपाय करें । समय आने पर यह बीमारी खुद ब खुद चली जाती है । एंगजायटी के समय गहरी गहरी सांस लें ।

    • Mera ek dost h Jo kafi time se mera bhut accha dost h magar ab usko m dekh raha Hu or jaan pa rahahu k uskaa Kisi bhi chiz me man nahi lag raha h or wo mujhse bhi baat karna pasnd nahi krta.. Ghar me akela rehnaa chahta Hu bus na Milne ka man naa bat karne ka man hota h uska.. Kya kare

  5. apne man mo bas mai karna shiko kya pata god ne apko isi work ke liye bheja ho or ek baat hamesha yaad rakhe ki sabhi ko marna hai to phir ham babjaha kyo tention lain hamesa khus rhe kyoki life dowara nhi milegi

  6. apne man KO bas mai karna shiko kya pata god ne apko isi work ke liye bheja ho or ek baat hamesha yaad rakhe ki sabhi ko marna hai to phir ham babjaha kyo tention lain hamesa khus rhe kyoki life dowara nhi milegi

  7. सर मेरा नाम जितेन्द्र ढिलोड है मे मुंबई से हूँ सर मैं हमेशा अपने ही खयालों मे रहता मुझे अकेला पन अछा लगता है सोचने पर मेरी सोच घबराहट मे बदल जाती है और मुझे आजीब सा डर लगता है फिर मेरा डर और बढ़ने लगता है दिल की धडकने तेज हो जाती है मेरी नजर के सामने मुझे सब अजीब लगता हैं

    • कैसा होगा आपका जीवन साथी? घर कब तक बनेगा? नौकरी कब लगेगी? संतान प्राप्ति कब तक?, प्रेम विवाह होगा या नहीं? अपने बारे में ज्योतिषीय जानकारी चाहने वाले सभी जातक/जातिका …मुझे अपनी जन्म तिथि,..जन्म स्थान, जन्म समय.ओर गोत्र आदि के साथ साथ अभी तक/ पूर्व में किये गए उपाय..जेसे–पूजा पाठ,.कोनसा रत्न/जेम्स पहना..इत्यादि की पूर्ण जानकारी देते हुए समस या ईमेल कर देवे.. समय मिलने पर में स्वयं उन्हें उत्तेर देने का प्रयास करूँगा… यह सुविधा सशुल्क हें… आप चाहे तो मुझसे फेसबुक./ऑरकुट पर भी संपर्क/ बातचीत कर सकते हे.. —-पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री मेरा कोंटेक्ट नंबर हे—- MOB.—- —-.09.-09669.90067(MADHYAPRADESH), —–0091-090.9390067(MADHYAPRADESH), ————————————————— मेरा ईमेल एड्रेस हे..—- – vastushastri08@gmail.com, –vastushastri08@hotmail.com; ————————————————— Consultation Fee— सलाह/परामर्श शुल्क— For Kundali-2100/- for 1 Person…….. For Kundali-5100/- for a Family….. For Vastu 11000/-(1000 squre feet) + extra-travling,boarding/food..etc… For Palm Reading/ Hastrekha–2500/- —————————————— (A )MY BANK a/c. No. FOR- PUNJAB NATIONAL BANK- 4190000100154180 OF JHALRAPATAN (RA.). BRANCH IFSC CODE—PUNB0419000;;; MIRC CODE—325024002 ====================================== (B )MY BANK a/c. No. FOR- BANK OF BARODA- a/c. NO. IS- 29960100003683 OF JHALRAPATAN (RA.). BRANCH IFSC CODE—BARBOJHALRA;;; MIRC CODE—326012101 ————————————————————- Pt. DAYANAND SHASTRI, LIG- 2/217, INDRA NAGAR ( NEAR TEMPO STAND), AGAR ROAD, UJJAIN –M.P.–456006 –

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      आप चाहे तो मुझसे फेसबुक./ट्विटर/गूगल प्लस/लिंक्डइन पर भी संपर्क/ बातचीत कर सकते हे..
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  8. Are you interested in making the results of actual happenings and predicted one’s by the knowledge of karlpearson coefficient and ranking methods as mathematics is show actual probability of occurrence of any type of conditions
    Please think about it

  9. Predicted time of event and actual time of event and constellation between them are very much helpful to determined the highest level of success according to science theories and we got our situations by using planetary positions by planets based software
    I hope it will save lot of time and we go to mars within next few decades

  10. ये रेट कार्ड लेकर घूमने से अच्छा है के किसी किसी की निशुल्क मदद कर दिया करें कम से कम कोई तो अपने जीवन को चैन जी पाएगा

  11. माफ कीजिए अाप की ईमेल हमारे लिए किसी भी प्रकार से मदद गार साबित नहीं हुई

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