जय माता की–जय माँ दुर्गा देवी—— —
श्रीश्री विन्ध्यनिवासिनी…..
श्री श्री वनदुर्गा हैं दुर्गतिनाशिनी…..
श्री श्री विन्ध्यनिवासिनी : SHRI SHRI VINDHY NIVAASINI—-
विन्ध्यस्थाम विन्ध्यनिलयाम विंध्यपर्वतवासिनीम
योगिनीम योगजननीम चंदिकाम प्रणमामि अहम्
VINDHYACHAL IS A SHAKTI-PEETH IN THE DISTRICT MIRZAPUR OF UTTAR PRADESH…IT IS A PLACE WHERE MAA GANGA TOUCHES VINDHY MOUNTAIN ..THIS IS THE MOST REVERED ONE IN ALL ..8 SHAKTI-PEETHS OF BHAARAT.
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प्रयाग एवं काशी के मध्य विंध्याचल नामक तीर्थ है जहां माँ विंध्यवासिनी निवास करती हैं ..
श्री गंगा जी के तट पर स्थित यह महातीर्थ शास्त्रों के द्वारा सभी शक्तिपीठों में प्रधान घोषित किया गया है.
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श्री दुर्गासप्तशती में माँ भगवती ने कहा है —
नन्दगोपगृहेजाता यशोदागर्भसंभवा
ततस्तौ नाशयिश्यामि विंध्याचलनिवासिनी
यह महातीर्थ भारत के उन ५१ शक्तिपीठों प्रथम और अंतिम शक्तिपीठ है जो गंगातट पर स्थित है.—–
निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचन्ड मुण्डखण्डिनी।वने रणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी।।
त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धराविधात हारिणी।गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी।।
दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी।वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी।।
लसत्सुलोल लोचनम् लतासनम्वरम् प्रदम्।कपाल-शूल धारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी।।
कराब्जदानदाधराम्, शिवाशिवाम् प्रदायिनी।वरा-वराननाम् शुभम् भजामि विन्ध्यवासिनी।।
कपीन्द्न जामिनीप्रदम्, त्रिधा स्वरूप धारिणी।जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी।।
विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी।महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी।।
पुरन्दरादि सेविताम्, पुरादिवंशखण्डिताम्‌।विशुद्ध बुद्धिकारिणीम्, भजामि विन्ध्यवासिनी।।

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