शाबर मन्त्रों के भावार्थ —-
ओम वक्रतुण्डाय हूं—
जब स्थिति आपके नियंत्रण से बाहर हो या लोग आपके बारे में नकारात्मक विचार रखते हों या आप हताश और निराश हों तो इस मंत्र का जाप करें। इससे लाभ मिलेगा यानी तुरंत प्रसाद मिलेगा।
इन मंत्रों को जपने से तमाम तरह की बाधाओं और बुरी शक्ति‍यों से मुक्ति‍ मि‍लती है। इन मंत्रों से सकारात्‍मक ऊर्जा प्रवाहि‍त होती है और आशीर्वाद स्‍वरूप सफलता, समृद्धि‍, बुद्धि‍ और ज्ञान हासि‍ल होता है।
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ओम क्षिप्र प्रसादायनमः
किसी भी तरह की आशंका, संकट,निगेटिव इनर्जी होगी तो आप इस मंत्र के जरिए उसे दूर सकते हैं। सारी बाधाओं से पार पा सकते हैं। इस मंत्र से तुरंत आशीर्वाद मिलता है।
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ओम सुमुखायनमः
इस मंत्र का अर्थ है कि मुख ही नहीं, आपकी भावना, आपका मस्तिष्क, आपका मन और आत्मा सुंदर होना चाहिए। उनमें आने वाले भाव और इच्छाएँ सुंदर हों। इसलिए भीतरी सुंदरता होगी तो वह मुख पर प्रकट होगी और आप जो कहेंगे, वह सुंदर होगा, प्रेरणास्पद होगा।
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ओम विघ्ननाशायनमः
जिंदगी और करियर में तमाम तरह की बाधाएँ आती हैं। इस मंत्र का लगातार जाप करने से आप, आपकी बॉडी और कॉस्मोस की रुकी ऊर्जा बह निकलती है और आप पूरी कुशलता और कार्यक्षमता के साथ अपने लक्ष्यों को हासिल कर लेते हैं।
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ओम विनायकाय नमः
इस मंत्र के जाप से आप अपने कॉलेज, क्लास, ऑफिस या वर्क प्लेस पर शिखर पर पहुँच सकते हैं यानी वह पोजिशन हासिल कर सकते हैं, जहाँ सब कुछ आपके नियंत्रण में होता है यानी शीर्ष पर। विनायक का अर्थ है सब कुछ आपके नियंत्रण में है।
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ओम गं गणपतये नमः
इस मंत्र की सहायता से आप सुप्रीम नॉलेज और शांति से गहरे जुड़ सकते हैं। बिना किसी रुकावट के आप सफलता पा सकते हैं।
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ओम श्रीगणेशायनमः
यह मंत्र एक सकारात्मक और शुभ शुरुआत के लिए उपयोगी है। आपका चाहे कोई प्रोजेक्ट हो, रिसर्च पेपर हो या करियर या फिर कोई अन्य काम, इस मंत्र के जाप से आप सफलता अर्जित कर सकते हैं।
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वासुदेव का अर्थ है प्राण। मेरे प्राणों की रक्षा करें। मैंने अपना मन आपको अर्पित कर दिया है। ब्रह्मनिष्ठा ऐसी अव्वल होनी चाहिए कि अन्य विषयों में मन ही न हो। मनुष्य विषयों में आनंद खोजता है किंतु मिलता नहीं क्योंकि वहाँ सुख है ही नहीं। जिसे हम सुख मानते हैं वह है सुखाभास।
प्रभु के भजन में वज्र के समान अचल निष्ठा रखें। मानव शरीर की प्राप्ति भोगोपभोग के लिए नहीं अपितु इसकी प्राप्ति तो भगवत्‌ भजन द्वारा प्रभु के प्राप्ति के लिए है। शरीर के नाशवान होने पर भी मनुष्य जन्म दुर्लभ है। कारण कि मनुष्य जन्म इच्छित वस्तु दे सकता है। इस अनित्य और नाशवान शरीर से नित्य वस्तु भगवान की प्राप्ति हो सकती है।
यह मानव शरीर बड़ा ही कीमती है। कई बार जन्म-मरण की पीड़ा सहता हुआ जीव इस शरीर में आया है और सब पशु-पक्षी वाले शरीरों में भोग ही भोग सकता है। प्रभु प्राप्ति के लिए कर्म नहीं कर सकता
ईश्वरनित्य है, शरीर अनित्य किंतु इसी अनित्य से ही नित्य की प्राप्ति हो सकती है। अतः मानव देह की बड़ी महिमा है। जब तक यह शरीर रूपी गृह स्वस्थ है, जब तक वृद्धावस्था का आक्रमण नहीं हो पाया है।
जब तक इन्द्रियों की शक्ति क्षीण नहीं हुई है, आयुष्य का क्षय भी नहीं हुआ है समझदार व्यक्ति को चाहिए कि तब तक वह अपने आत्मकल्याण का प्रयत्न कर ले।
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हे नाथ का अर्थ है आप नाथ हैं और मैं आपका सेवक।
नारायण का अर्थ है मैं नर हूँ, आप नारायण हैं।
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यदि मानव शुभ संकल्प करे तो वह नर से नारायण बन सकता है। भगवान नारायण को जो प्राण अर्पित करता है और प्रति श्वास नारायण मंत्र का जाप करता है उसे पाप कभी छूता नहीं। प्रत्येक कार्य में ईश्वर से संबंध बनाए रखें।
‘श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेव’ यह महामंत्र है। अर्थ के ज्ञान सहित इस मंत्र का जाप करें।
श्रीकृष्ण का अर्थ है मन को आकर्षित करने वाले।
गोविन्द का अर्थ है इन्द्रियों के रक्षक भगवान्‌।
हरे का अर्थ है दुःखहर्ता।
मुरारे का अर्थ है मुर नामक राक्षस के विजेता।
हे नाथ का अर्थ है आप नाथ हैं और मैं आपका सेवक।
नारायण का अर्थ है मैं नर हूँ, आप नारायण हैं।

1 COMMENT

  1. PLEASE HELP ME SWAMI JI.
    Everything in my life has gone wrong and is not getting right. Money, health, family, name&fame, relationships, business, employment all lost.
    What can I do regain the lost glorious life back?

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