जय हो लक्ष्मी माता की—-
सौवर्णाम्बुज मध्यगां त्रिनयनां सौदामिनीसन्निभां ..
स्वर्ण-कमल के आसन पर स्वर्णिम-आभामय माँ की देह.
पद्मासन में हैं प्रसन्न, स्वर्णिम-सुगंध से पूरित गेह.
शंख-चक्र-वर-अभय सुशोभित चार भुजाओं में अभिराम.
मेरा मस्तक ऐसी माँ के श्री चरणों में नत , अविराम.