रोगों से मुक्ति चाहिए तो करें मंगल प्रदोष व्रत—
आज –.8 जून, मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत है। इस दिन त्रयोदशी व मंगलवार का संयोग है। यह तिथि व वार दोनों ही भगवान शंकर को विशेष प्रिय हैं। सूतजी के अनुसार मंगल प्रदोष व्रत करने से सभी रोगों व ऋणों से मुक्ति मिल जाती है साथ ही सुख-समृद्धि भी प्राप्त होती है। मंगल प्रदोष व्रत के पालन के लिए शास्त्रोक्त विधान इस प्रकार है। किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराना श्रेष्ठ होता है-
– प्रदोष व्रत में बिना जल पीए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
– शाम के समय पुन: स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा करें।
– भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
– आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।
– रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।