..–क्या करें क्या न करें ?उपाय/टोटके–प्रभाव—
पद्मा पुराण के अनुसार श्राद्ध द्वारा प्रसन्न हुए पितृ गण मनुष्यों को पुत्र, धन, विद्या, आयु, आरोग्य, लौकिक सुख, मोक्ष तथा स्वर्ग आदि प्रदान करते है।
0.–क्या करें क्या न करें ?
जो मनुष्य गौओ के खुर से उड़ी हुई धूलि को सिर पर धारण करता है, वह मानो तीर्थ के जल में स्नान कर लेता है और सभी पापों से छुटकारा पा जाता है।
0.–क्या करें क्या न करें ?
जो मनुष्य गौमाता की सेवा करता है, उसे गौमाता अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती है। वह गौभक्त मनुष्य पुत्र, धन, विद्या, सुख आदि जिस वास्तु की इच्छा करता है, वह सब उसे प्राप्त हो जाती है।
04–क्या करें क्या न करें ?,
शालग्राम, तुलसी और शंख – इन तीनों को एक साथ रखने से भगवान बहुत प्रसन्न होते है।
05–क्या करें क्या न करें ?,
दीपक, शिवलिंग, शालग्राम, मणि, देवप्रतिमा, शंख, मोती, माणिक्य, हीरा, स्वर्ण, तुलसी, रुद्राक्ष, पुष्पमाला, जपमाला, पुस्तक, यज्ञोपवित, चंदन, यन्त्र, फूल, कपूर, गोरोचन, इन वस्तुओं को भूमि पर रखने से महान पाप लगता है।
06–क्या करें क्या न करें ?,
पद्म पुराण के अनुसार जो स्त्री अपने पति की सेवा करती है और उसके मन के अनुकूल चलती है, वह अपने पति के पुण्य का आधा भाग प्राप्त कर लेती है।
07–क्या करें क्या न करें ?,
पूर्व की तरफ़ सिर करके सोने से विद्या प्राप्त होती है। दक्षिण की तरफ़ सिर करके सोने से धन तथा आयु की वृद्धि होती है। पश्चिम की तरफ़ सिर करके सोने से प्रबल चिंता होती है। उत्तर की तरफ़ सिर करके सोने से हानि तथा आयु क्षीण होती है।
08–क्या करें क्या न करें ?,
सदा पूर्व या दक्षिण की तरफ़ सिर करके सोना चाहिए। उत्तर या पश्चिम की तरफ़ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है तथा शरीर में रोग उत्त्पन्न होते है।
09–क्या करें क्या न करें ?,
जो मनुष्य प्रतिदिन स्नान करके गौ का स्पर्श करता है, वह सब पापों से मुक्त हो जाता है।
10–क्या करें, क्या न करें ?
सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है उतने वर्षों तक नरक में वास करता है। फिर वह उदर रोग से पीड़ित मनुष्य होता है। फिर काना और दंतहीन होता है।
11–क्या करें, क्या न करें ?
भोजन सदा पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए।
12–नौकरी के लिए
एक बड़ा सा नींबू लेकर उसके चार बराबर टुकड़े कर ले। दिन या शाम के समय चौराहे पर जाकर नींबू के चारों टुकडों को चारों दिशाओं में फ़ेंक देवे। और बिना पीछे देखे वापस घर आ जावें । इस प्रयोग को लगातार सात दिन तक करें। शीघ्र लाभ होगा।
13–क्या करें क्या न करें ?
जो मनुष्य गौओ के खुर से उड़ी हुई धूलि को सिर पर धारण करता है, वह मानो तीर्थ के जल में स्नान कर लेता है और सभी पापों से छुटकारा पा जाता है।
14–क्या करें क्या न करें ?
जो मनुष्य गौमाता की सेवा करता है, उसे गौमाता अत्यन्त दुर्लभ वर प्रदान करती है। वह गौभक्त मनुष्य पुत्र, धन, विद्या, सुख आदि जिस वास्तु की इच्छा करता है, वह सब उसे प्राप्त हो जाती है।
15–धन प्राप्ति हेतु प्रयोग
अचानक धन लाभ के लिए माता लक्ष्मी के मन्दिर में सुगन्धित धूपबत्ती गुलाब की अगरबत्ती का दान करना चाहिए। शुक्रवार के दिन यह प्रयोग किया जाए तो शीघ्र सफलता की आशा है।
16–लक्ष्मी प्राप्ति की सरल साधनाये
कहा जाता है की प्रत्येक पूर्णिमा को प्रातः काल पीपल के वृक्ष पर माँ लक्ष्मी का आगमन होता है। अतः आर्थिक स्थिरता हेतु यदि साधक प्रत्येक पूर्णिमा के दिन पीपल वृक्ष के समीप जाकर माँ लक्ष्मी की उपासना करें तो उनकी कृपा प्राप्ति में कोई संदेह नही है।
17–लक्ष्मी प्राप्ति की सरल साधनाये
प्रत्येक ब्रहस्पतिवार को केले के पौधे पर जल अर्पित कर श्रद्धा पूर्वक घी का दीपक जलाये तथा शनिवार को पीपल के पेड़ पर गुड, दूध, मिश्रित मीठा जल तथा तेल का दीपक प्रज्वलित करने से उत्तरोतर लाभ प्राप्त होने लगता है। यथासंभव नित्य ही पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करना चाहिए।
18–पुण्य व स्वास्थय प्रदाता आंवला
पद्मा पुराण के एक प्रसंग में भगवान् शंकर कार्तिकेय से कहते हैं : ” बेटा ! आंवले का फल परम पवित्र है। यह भगवान् विष्णु को प्रसन्न करनेवाला एवं शुभ माना गया है।
आंवला खाने से आयु बढती है।
इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगा कर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर एश्वर्य की प्राप्ति होती है।
जिस घर में आंवला सदा मौजूद रहता है, वहां दैत्य और राक्षश कभी नही आते।
जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आंवले का रस प्रयोग कर स्नानं करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। आंवले के दर्शन, स्पर्श तथा नाम उच्चारण से भगवान् विष्णु संतुष्ट हो कर अनुकूल हो जाते हैं। अतः अपने घर में आंवला अवश्य रखना चाहिए।
जो भगवान् विष्णु को आंवले का बना मुरब्बा एवं नैवेध्य अर्पण करता है, उस पर वे बहुत संतुष्ट होते हैं।
आंवले का सेवन करने वाले मनुष्यों की उत्तम गति होती है।
रविवार, विशेषतः सप्तमी को आंवले का फल त्याग देना चाहिए।
शुक्रवार, प्रतिपदा, सस्ठी, नवमी, अमावस्या और संक्रांति को आंवले का सेवन नही करना चाहिए।
19–दक्षिणावर्ती शंख
वेद पुराणों के अनुसार समुन्द्र मंथन के समय दक्षिणावर्ती शंख की उत्पत्ति हुई जिसे भगवान विष्णु ने स्वयं अपने दाहिने हाथ में धारण कर रखा है। यह हर प्रकार की सुख सम्पति का दाता है। इसका मिलना बहुत ही दुर्लभ है। जिस घर में यह शंख होता है उस घर में अटूट लक्ष्मी निवास करती है। दक्षिणावर्ती शंख से सूर्य को जल देने से मानसिक, शारीरिक, और पारिवारिक कष्ट दूर होते है तथा मान सम्मान में वृद्धि होती है। इसे पूजा स्थान पर रखकर पूजा करने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
20–लक्ष्मी प्राप्ति की सरल साधनाये
प्रत्येक ब्रहस्पतिवार को केले के पौधे पर जल अर्पित कर श्रद्धा पूर्वक घी का दीपक जलाये तथा शनिवार को पीपल के पेड़ पर गुड, दूध, मिश्रित मीठा जल तथा तेल का दीपक प्रज्वलित करने से उत्तरोतर लाभ प्राप्त होने लगता है। यथासंभव नित्य ही पीपल के वृक्ष पर जल अर्पित करना चाहिए।
21–क्या करें क्या न करें ?,
शालग्राम, तुलसी और शंख – इन तीनों को एक साथ रखने से भगवान बहुत प्रसन्न होते है।