Knowledge of Kul Devta & Kul Devi for Every-Body—कोशल बंसल, देवास (म.प.)
कुल देवता/कुल देवी का चैतन्य ग्यान—कोशल बंसल, देवास (म.प.)
मनुष्य एक समाज-प्रिय प्राणी है । वह जब अपने-अपने परिवार के मंगल कल्याण के लिए साधना, ध्यान, प्रार्थना, पूजा, उपासना के क्षेत्र में प्रवेश करता है तो उस वक्त उसकी प्रार्थना उसके परिवार के कुल देवता/देवी की ओर से स्वीकार की जाती है । वास्तविक रूप से जिन परिवार को कुल देवता/देवी का आशीर्वाद, कृपा प्राप्त होती है उन परिवारों का मंगल कल्याण हो जाता है और उन्हें बिना विघ्न बाधा के सुख, समृद्घि, शांति प्राप्त होती है तथा पूर्व जन्म के पाप (प्रारब्ध) नष्ट होते हैं और आने वाली पीढी भी बिना विघ्न बाधाओं के सफलताओं की ओर अग्रसर होने लगती है । यह लेखक के स्वयं का एवं हजारों भक्तों द्वारा अनुभूत प्रयोग है । आप स्वयं खुद ही विचार मंथन करें कि, इस संसार में ऐसे कौन से धर्म हैं जो सप्ताह में एक दिन निश्चित् समय में अपने एक ईश्वर की प्रार्थना के बल पर हजारों वर्षों से सुखी, समृद्घशाली होकर विश्व में राज्य कर रहे हैं । वर्तमान में भी वे हमसे लगभग ..0 वर्ष आगे हैं । अतः हम सनातन हिन्दुओं को परम पिता परमेश्वर (ऊँ) की अंधविश्वास, पाखंड, आडम्बर रहित सार्वभौम प्रार्थना के क्रियात्मक Gyan की अत्यंत आवश्यकता है
कुल देवता/देवी
संपूर्ण विश्व के प्रत्येक धर्म में यह सर्वमान्य सत्य मान्यता है कि इस समग्र विश्व (ब्रह्माण्ड) का रचियता, संचालक और स्वामी कोई न कोई अदृश्य शक्ति या पराशक्ति है और वही परम पिता परमेश्वर या सर्वोपरि है
प्राचीनकाल से प्रत्येक देश में अनगिनत देवता माने जाते हैं, प्रकृति के प्रत्येक कार्य का स्वामी या संचालक एक देवता होता है । इसी प्रकार प्रत्येक मानव के परिवार का कुल देवता/देवी होते हैं, किन्तु ज्यादातर लोगों को अपने कुल देवता/देवी की जानकारी न होने के कारण जीवन में कई प्रकार के अवरोधों का सामना करना पडता है
प्रत्येक परिवार को अपने कुल देवता/देवी की जानकारी अवश्य होनी चाहिए । अपने कुल देवता/देवी की प्रार्थना (मंत्रॊं सहित) प्रतिदिन निश्चित समय में अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि कुल देवता/देवी को हमारे परिवार के पूर्वज हजारों वर्षों से पूजते चले आ रहे हैं । उनकी सूक्ष्म शक्ति (ऊर्जा) ब्रह्माण्ड में पूर्व से ही स्थापित है, इसी सूक्ष्म शक्ति को प्रार्थना के माध्यम से हमें कई गुणा कर प्राप्त करना चाहिए । इस प्रकार कुल देवता/देवी का छत्र परिवार के सिर पर होने से हमें किसी प्रकार की चिंता नहीं रहती है । अतः सर्वमान्य तथ्य है कि हमें प्रतिदिन कुल देवता/देवी की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए और उनकी सूक्ष्म धनात्मक ऊर्जा प्राप्त करना चाहिए, जिससे हम हमारे परिवार का मंगल कल्याण कर सके
कुल देवता/देवी के संबंध में व्याप्त विसंगतियों का निदान
सामान्यतः प्रत्येक सनातन हिन्दु परिवार में कुल देवता/देवी के नामों के संबंधों में व्याप्त विसंगतियों एवं विवादों का सबसे पहले निदान आवश्य है । जैसे कोई कहता है कि, हमारी कुल देवी ”खजूरी वाली माताजी” हैं, कोई कहता है कि, हमारी कुल देवी ”ईट वाली माताजी” हैं । कोई कहता है कि, हमारी कुल देवी ”कैला देवी” हैं। कोई कहता है ”नैनोद वाली देवी” है । कोई कहता है कि, ”पावागढ वाली देवी” है। कोई कहता है कि, ”बगावद वाली देवी” है । कोई कहता है कि ”मैडता वाली देवी” है । कोई कहता है कि ”जीन वाली देवी” है । कोई कहता है कि ”सती वाली माता” है । इसी प्रकार कुल देवता के संबंध में कोई कहता है कि हमारे कुल देवता ”खेडे वाले देवता” हैं । कोई कहता है कि, ”काले देवता” हैं । कोई कहता है कि ”हिसार वाले देवता” हैं । कोई कहता है कि ”गुडगाँव वाले देवता” हैं । कोई कहता है कि ”सालासर वाले बालाजी” हैं । कोई कहता है कि ”खाटू श्यामजी” हैं । कोई कहता है कि ”खप्पर वाले देवता” हैं
किन्तु वास्तव में खजूरी वाली देवी, ईट वाली देवी, कैला देवी, नैनोद वाली देवी, पावागढ वाली देवी, बगावद वाली देवी, जीन वाली देवी, रानी सती देवी, मैडता वाली देवी तथा खेडे वाले देवता, काले देवता, हिसार वाले देवता, गुडगाँव वाले देवता, सालासर वाले बालाजी, खाटू श्यामजी देवता आदि के उपरोक्त नाम से वेदों, शास्त्रॊं में कोई देवता या देवी नहीं है । यह सिद्घ है कि, जहां परिवार के पूर्वज निवास करते होंगे उस गांव के नाम या जहां देवी/देवता का मंदिर स्थित रहा होगा उसके नाम से देवी/देवता का अपभ्रंश नाम प्रचलित हो गया और हम उसी नाम से उनको पूजते चले आ रहे हैं । अब स्वयं सोचिए कि इन अपभ्रंश (जड) नामों की प्रार्थना करने से हमें कैसे धनात्मक सूक्ष्म ऊर्जा प्राप्त होगी । हमारी कुल देवी/देवता के प्रति की गई प्रार्थना हमेशा निष्फल होती रहती है । वास्तव में कुल देवता/देवी वही रही होगी जिसका शास्त्रॊं में उल्लेख है
इस तथ्य की प्रमाणिकता का आधार :
मुझे इस तथ्य का प्रामाणिक/साईंटिफिक आधार ”श्री माँ बगलामुखी मंदिर, नलखेडा, जिला शाजापुर (म.प्र.) से प्राप्त हुआ । ”नलखेडा में मेरा नायब तहसीलदार के पद पर पदस्थीकरण वर्ष .988 में हुआ । तब इस मंदिर को ”बगावद देवी” के नाम से पुकारा जाता था । मैं जब प्रथम बाद मंदिर के दर्शन हेतु गया तो मैंने पुजारीजी से कहा कि, ”यह तो माँ बगलामुखी” की मूर्ति है । तब उन्होंने कहा कि, यह ”माँ बगलामुखी” की ही मूर्ति है । पुजारी ने बताया कि, इसे बगावद देवी इसलिए कहते हैं कि, जिस ग्राम में मंदिर बना है उसका नाम बगावद है । इसके बाद मैंने माँ की कृपा से इस मंदिर का वेदॊक्त एवं शास्त्रॊक्त नाम ”सर्वसिद्घ श्री बगलामुखी” मंदिर के नाम से प्रचारित किया और ”माँ बगलामुखी” के मंत्र (ओम हलीम ओम) से भक्तों को प्रार्थना करने के लिए प्रेरित किया । इसके प्रभाव से भक्तों ने सूक्ष्म धनात्मक ऊर्जा प्राप्त की है और कर रहे हैं तथा भारतवर्ष विश्व के कोने-कोने से २३ वर्षों में भक्तगण पधारकर अपनी-अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर रहे हैं
कुल देवी/देवता एवं कुलमहापुरुष :
हम जिस परिवार या वंश या घराने में जन्म लेते हैं उस परिवार के बुजुर्गों के हम ऋणी रहते हैं । हमें याद रखना चाहिए कि हम अकेले नहीं हैं, हम एक सुदीर्घ परम्परा की कडी हैं, हमारे पूर्व-पुरुषों (कुल-पुरुष, पितृ-पुरुष एवं कुल महापुरुष) की एक लम्बी श्रृंखला है । ये पूर्वज आज पंच भौतिक देह में नहीं है, किन्तु उनका सूक्ष्म देहधारी शरीर ब्रह्माण्ड में अवश्य विद्यमान है ।
एक ब्रिटिश चिकित्सा साईंटिस्ट डॉ. पनिया और उनके साथियों ने 6. मरीजों का जिनकी दिल के दौरे से मृत्यु हो गई थी और वे पुनः जीवित हो उठे, उनका एक ही सप्ताह में साक्षात्कार लिया । इनमें से कई ने उस काल के रोचक अनुभव बताए कि उस समय भी वे कैसे विचारशील एवं तार्किक रहे हैं और कुछ लोगों के साथ अशरीर चहल कदमी करते हुए डॉक्टर के साथ घूमते रहे, कुछ मरीजों ने शांति अनुभव के साथ अन्य लोक में प्रवेश करने एवं मृत परिजनों से भेंट की और चर्चा भी की ।
इस प्रकार विग्यान भी वर्तमान में सिद्घ करने में लगा है कि, हमारे पूर्वज अशरीर (सूक्ष्म रूप में) ब्रह्माण्ड में विद्यमान है । मृत आत्माएँ सूक्ष्म रूप में ब्रह्माण्ड में विचरण करती रहती है । इन्हें सद्गति दी जाए तो वे ‘प्रेतयोनी” (ऋणात्मक सूक्ष्म ऊर्जा) से पितृयोनी (धनात्मक सूक्ष्म ऊर्जा) में प्रवेश कर हमारे परिवार का मंगल कल्याण करती है।
कुल देवता एवं कुल देवी की प्रार्थना एवं पूजन विधि :
(समय प्रातः 7.00 बजे से 7.30 बजे तक)
सर्वप्रथम तीन यंत्र (ताम्र, चाँदी या सोना)
1. श्री गरुड-यंत्
2. श्री लक्ष्मीनारायण-यं
3. श्री नागपाश-यंत्
इन यंत्रॊं को इस क्रम से र
1. श्री गरुड-यंत्र 2. श्री लक्ष्मीनारायण-यंत्र 3. श्री नागपाश-यंत्र
इनके सामने एक नारियल (पूंछ अपनी तरफ), उस पर कपूर जलावें एवं जब तक नारियल में छेद ना हो जाये उसे चारों पलटते रहें (रोज नहीं बदलना)
निम्न मंत्रॊं का जाप कम से कम 1 बार करें और बोलें हमारे जो भी कुल देवता/देवी हैं, हमारे परिवार की ऋणात्मक ऊर्जा सदा के लिए नष्ट करते हुए धनात्मक ऊर्जा प्रदान करें
1. ओम चैतन्य कुलदेवतायै/कुलदेव्यै जागृत, जागृत, जागृ
2. ओम चैतन्य कुलपुरुषाय
3. ओम ऐं हरीम् श्रीं क्लीं हलीम् आं वं वासुदेवाय ते नमो नमः
द्वारा – गुरुतत्व शिवोम् तीर्थ जी।
Pabla of kuldavi ya davtaa
Hama is ka pataa nhi ha
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Shastri ji…. kya aap kuldevi ya kuldevta ki jankari nikalne ke liye sahayta ya margdarshan kar sakte h. Humare kuldevta koun h iski hume jankari nahi h.
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Mera aap ke charno me pranam baba g. Mara name Ramanand kumar he . Mai thakur pariwar bihar se hu. Mera kuldevi ya devta kon god he mujhe pata nahi please aap hme bata de or puja ke bidhi.mantr ke bidhi bhi batane ke kripa
kre hindi me