नाग पंचमी (“कालसर्प योग शान्ति महोत्सव”) —
Nag Panchami( An Occasion to Pacify Kalsarp Yoga)—
नाग पंचमी श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. यह श्रद्धा व विश्वास का पर्व है. इस दिन नागों को धारण करने वाले भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना करने का विशेष विधान है.
नाग पंचमी की विशेषता
Importance of Nag Panchami
शास्त्रों के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है. श्रवण मास में नाग पंचमी होने के कारण इस मास में धरती खोदने का कार्य नहीं किया जाता है. श्रवण मास के विषय मेम यह मान्यता है कि इस माह में भूमि में हल नहीं चलाना चाहिए, नीवं नहीं खोदनी चाहिए. इस अवधि में भूमि के अंदर नाग देवता का विश्राम कर रहे होते है. भूमि के खोदने से नाग देव को कष्ट होने की संभावना रहती है.
नाग पंचमी के उपवास की विधि
Method of Fasting on Nag Panchami
देश के कई भागों में श्रावण मास की कृ्ष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को भी नाग पंचमी मनाई जाती है. नाग पंचमी में व्रत उपवास करने से नाग देवता प्रसन्न होते है. इस व्रत में पूरे दिन उपवास रख कर सूर्य अस्त होने के बाद नाग देवता की पूजा के लिये प्रसाद में खीर मनाई जाती है. खीर का भोग सबसे पहले नाग देवता को लगाया जाता है.
अथवा भगवान शिव को भोग लगाया जाता है. इसके बाद इस खीर को प्रसाद के रुप में सभी लोग ग्रहण करते है. इस उपवास में नम व तली हुई चीजों को ग्रहण करना वर्जित माना जाता है. उपवास रखने वाले व्यक्ति को उपवास के नियमों का पालन करना चाहिए.
दक्षिण भारत में नाग पंचमी का रुप
Nag Panchami South India
भारत के दक्षिण क्षेत्रों में श्रवण शुक्ल पक्ष की नाग पंचमी में शुद्ध तेल से स्नान किया जाता है. वहां अविवाहित कन्याएं इस दिन उपवास करती है. और मनोवांछित जीवनसाथी पाने की कामना करती है.
नाग पंचमी में बासी भोजन ग्रहण करने का विधान
System of Consuming Stale Food on Nag Panchami
नाग पंचमी के दिन मात्र पूजा में प्रयोग होने वाला भोजन ही तैयार किया जाता है. बाकि भोजन एक दिन पहले ही बनाया जाता है. परिवार के जो सदस्य उपवास नहीं कर रहे हे. उन्हें बासी भोजन ही ग्रहण करने के लिये दिया जाता है. वैसे ताजे भोजन में खीर, चावल -सैवईयां इस दिन लोग घरों में बनाते है.
मुख्य द्वार पर नाग देवता की आकृ्ति पूजा
Worshiping Nag at the Main Entrance
नाग पंचमी के दिन उपवासक अपने घर की दहलीज के दोनों और गोबर से पांच सिर वाले नाग की आकृति बनाते है. गोबर न मिलने पर गेरु का प्रयोग भी किया जा सकता है. इसके बाद दुध, दुर्वा, कुशा, गंध, फूल, अक्षत, लड्डूओं से नाग देवता की पूजा कि जाती है. तथा नाग स्त्रोत या निम्न मंत्र का जाप किया जाता है.
” ऊँ कुरुकुल्ये हुँ फट स्वाहा”
इस मंत्र की तीन माला जप करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं. नाग देवता को चंदन की सुगंध विशेष प्रिय होती है. इसलिये पूजा में चंदन का प्रयोग करना चाहिए. इस दिन की पूजा में सफेद कमल का प्रयोग किया जाता है. उपरोक्त मंत्र का जाप करने से “कालसर्प योग’ के अशुभ प्रभाव में कमी आती है यानी कालसर्प योग की शान्ति होती है.
मनसा देवी को प्रसन्न करना
Making Goddess Mansa Happy
उतरी भारत में श्रवण मास की नाग पंचमी के दिन मनसा देवी की पूजा करने का विधान भी है. देवी मनसा को नागों की देवी माना गया है. इसलिये बंगाल, उडिसा और अन्य क्षेत्रों में मनसा देवी के दर्शन व उपासना का कार्य किया जाता है.

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