धड़कन की तरह एक दिन मेरे दिल में आ जाओ
ख्वाबो में तो आते हो कभी दिल में भी आ जाओ
एक उम्र हुई तुम बिन बिखरा सा रहा हूँ मैं
बस सूखे पत्तों सा उड़ता ही रहा हूँ मैं
चुपके से कभी आकर तुम मुझको सजा जाओ
ख्वाबो में तो आते हो कभी दिल में भी आ जाओ
कभी तन्हाई दिन में, कहीं रात कटी तनहा
भरी भीड़ में लोगों की मैं चलता रहा तनहा
महफ़िल से लिए अब तुम मेरे घर में आ जाओ
ख्वाबो में तो आते हो कभी दिल में भी आ जाओ
बरसे ना जहाँ बादल मैं वो जलता रेत रहा
जो जला उमर सारी मैं वो झुलसा खेत रहा
ये खुश्क जमीं दिल की कभी आ के भिगो जाओ
ख्वाबो में तो आते हो कभी दिल में भी आ जाओ
एक छोड़ के खुद को ही क्या क्या ना जिया मैंने
ये ज़हर कजाओं का हर रोज पिया मैंने
मुझे जियो कभी दो पल, तुम जीना सिखा जाओ
ख्वाबो में तो आते हो कभी दिल में भी आ जाओ
धड़कन की तरह एक दिन मेरे दिल में आ जाओ
ख्वाबो में तो आते हो कभी दिल में भी आ जाओ