जानिए जींद और जिन का भेद—

स्वामी “आनंद” शिव मेहता–.99.60770.0…..।।

जींद —-यह इस्लामी कामी पिशाच हे । यह स्त्रियों को अ शरीर रूप में अपनी वासना का साधन बनाता हे और महिला को पति सुख से वंचित करता हे ।

जिन —-यह नंगा होता हे । जिसको यह आत्मा लगती चिपकती हे।। वह व्यक्ति नंगधडंग होकर विचरण करता रहता हे । अधिकतर तो यह नपुंसक ही होते हे किन्तु शारीरिक रूप से अक्षम होने पर भी मन की वासना जाग्रत होने पर यह महिलाओ को अदृश्य रूप से अपना वासना का शिकार बनाते हे ।।
मुर्ख महिला धर्मानु शरण की स्थिति जान बड़ी प्रसन्न होती हे ।। कुछ समय में उसका पारीवारीक जीवन समाप्त।।
इनके सामने कभी आना नही चाहिए
यह जिन एक ही रात में अनेको स्त्रियों को जिनको इन्होने देखा हे रात्रि में वासना का शिकार बनाते हे और उन्हें प्रभावित करते हे ।।
मुर्ख महिला इसको कृपा मन बैठती हे
उस नंगे की सेवा में लग जाती हे ।।
यह अक बीमारी ही हे यदि हे तो और यह ठीक हो जाती हे , मामूली तंत्र से ।।
इनके असर के कारण अनेको महिलाये गृहस्थी त्याग कर चली जाती हे ।।
अनेको पुरुषो को भी यह चिपकते हे उन पुरुषो को यह अपनी ही तरह नपुंसक बना देते हे और वह पुरुष भी परिवार छोड़ देता हे ।।
यह पत्नी से नपुंसकता के कारण दूर भागते हे ।। नतीजा परिवार नष्ट।। यह भी एक बीमारी ही हे ठीक हो जाती हे।। पत्नी का कर्तव्य हे अपने परिवार को बचाना हैं।।
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टोटके या उपाय जो सामान्य हे

आपकी तकलीफ का यह स्थाई हल नही हे ।कर्मकांड शांति ही होना आवश्यक हे ।।

टीवी पर नेट और पत्र पत्रिका के कुछ उपाय—-
आज नारीयल फेकना,, कल कुत्ते को रोटी देना ।।
आज चावल, कल चने की डाल, आज शहद, कल रुमाल रखना ,आज पेन रखना ,कल संतरे की गोली खाना ।।
यह उपाय सिर्फ मन बहलाते हे हल नही देते ।।।
टीवी पर उस व्यापारी ज्योतिष को कुछ न कुछ तो,बताना ही हे, रोज बताना हे,दिन भर बताना हे ।।
आपका कहना होगा महीनो से उपाय कर रहे कुछ नही होता ।
आप उपाय नही, मन को बहलाते हे ।।प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर जाइये।।
धर्म के व्यापारी लोगो ने अपने घर में बड़ी बड़ी अनेको प्रतिमाये घर में रखकर उसको धाम का नाम दिया हे ।।क्या लाभ मिलेगा ।एक कमरे को कुछ भी नाम दे दो
यह व्यापार हे ।। जेसा चलन होता हे वेसा ही नाम से धाम बनाते हे।।

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