.6 जनवरी (गणतंत्र दिवस )पर कुछ रोचक एवं दिलचस्प जानकारियां—–
(लेखक- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, मोब. नंबर –.9669290067 )
प्रति वर्ष 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर उठता है।
हम ख़ुशनसीब हैं कि हम उस भारत माँ की सन्तान हैं जिसे दुनिया के सबसे बड़े गणतन्त्र के रूप में जाना जाता है। पूरी दुनिया इस बात का लोहा मानती है कि इतनी विविधता के बावजूद हमने न सिर्फ गणतंत्र को सहेज कर रखा है बल्कि उसे दिन-प्रतिदिन मज़बूती देते जा रहे हैं। हमें गर्व है कि हर वर्ष हम गणतंत्र दिवस को एक क़ामयाबी के पर्व की तरह मनाते आ रहे हैं। यह जश्न हमें दुनिया के सामने अपने वजूद, हौसले और ताक़त का अहसास कराता है जिसके ज़रिये हम विविधता में एकता के अपने स्वरूप को देखते हैं, विश्व को उसका एहसास कराते हैं और राष्ट्रीय पर्व के माध्यम से अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हैं।
ये मौक़ा है देश की मिट्टी के लिए नये सिरे से संकल्प लेने का। उस मिट्टी के लिए संकल्प लेने का, जिसने हमें जन्म दिया, जीवन दिया और एक मुक़म्मल पहचान दी। हम भारत-भूमि के शुक्रगुज़ार हैं। हम इसकी गोद में पले-बढ़े हैं। अब हमें अपने काम को ईमानदारी और लगन से करके अपने देश की सेवा करनी है। अपने-आप को तो आगे बढ़ाना ही है, साथ ही साथ और ज़रूरतमंदों को भी आगे बढ़ने में मदद करनी है। यही सही अर्थों में देश-सेवा होगी।
अनगिनत महापुरुषों के इस देश को किस तरह आगे बढ़ाना है, ये सोचना भी हमारा फर्ज़ है। उन्होंने हमारे लिए जो सपने देखे थे, उन सपनों को परवान चढ़ाना हमारी ज़िम्मेदारी है। मेहनत और मशक्कत से हर वह काम करना है जो देश के हित के लिए है, जिसमें देश की तरक्की रची-बसी हुई है। गाँव से शहर तक, हाट से मॉल तक विकास की रौनक के सभी देशवासी साझीदार बन सकें, यही हम सब की चाहत होनी चाहिए।
ऐसी अनेक महत्वपूर्ण स्मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। यही वह दिन है जब जनवरी .9.0 में लाहौर ने पंडित जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगे को फहराया था और स्वतंत्र भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की घोषणा की गई थी।
गणतंत्र दिवस हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है, 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआद्य बस तभी से देश गणतंत्र हुआ और उसी उपलक्ष मे गणतंत्र दिवस हर वर्ष मनाया जाता हैद्य
जनवरी 26, 1950 भारतीय इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। भारत का संविधान, इसी दिन अस्तित्व मे आया और भारत वास्तव में एक संप्रभु देश बना। इस दिन भारत एक सम्पूर्ण गणतान्त्रिक देश बन गया. देश अंततरू महात्मा गांधी और कई स्वतंत्रता सेनानियो, जिन्होने अपने देश की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया, उनका सपना एहसास हुआ. जनवरी के 26 वें राष्ट्रीय छुट्टी फैसला सुनाया है और पहचान की गई है और भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया कभी के बाद से.
64 वर्ष पहले 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की।
एक ब्रिटिश उप निवेश से एक सम्प्रभुतापूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना रही। यह लगभग 2 दशक पुरानी यात्रा थी जो 1930 में एक सपने के रूप में संकल्पित की गई और 1950 में इसे साकार किया गया। भारतीय गणतंत्र की इस यात्रा पर एक नजर डालने से हमारे आयोजन और भी अधिक सार्थक हो जाते हैं।
संविधान प्रभावी हुआ—–
जबकि भारत 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्र राष्ट्र बना, इसने स्वतंत्रता की सच्ची भावना का आनन्द 26 जनवरी 1950 को उठाया जब भारतीय संविधान प्रभावी हुआ। इस संविधान से भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनकर स्वयं अपना शासन चलाने का अधिकार मिला। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और इसके बाद राष्ट्रपति का काफिला 5 मील की दूरी पर स्थित इर्विन स्टेडियम पहुंचा जहां उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
तब से ही इस ऐतिहासिक दिवस, 26 जनवरी को पूरे देश में एक त्यौहार की तरह और राष्ट्रीय भावना के साथ मनाया जाता है। इस दिन का अपना अलग महत्व है जब भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इस गणतंत्र दिवस पर महान भारतीय संविधान को पढ़कर देखें जो उदार लोकतंत्र का परिचायक है, जो इसके भण्डार में निहित है
आज गणतंत्र दिवस पूरे देश में बहुत उत्साह और विशेष रूप से राजधानी में एक साथ मनाया जाता है, नई दिल्ली जहां समारोह में देश के राष्ट्रपति के साथ शुरू करते हैं. इस अवसर की शुरुआत हमेशा के बलिदान की पवित्र याद दिलाते हैं जो शहीदों स्वतंत्रता आंदोलन में देश के लिए मर गया, और अपने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सफल युद्धों. तो, आगे आता है के लिए राष्ट्रपति के क्षेत्र में उनके असाधारण साहस के लिए सशस्त्र बलों से लोगों को बहादुरी के पदक और पुरस्कार भी नागरिकों, जो खुद को अलग स्थितियों में उनकी वीरता के विभिन्न कार्यों के विशिष्ट है.
इस अवसर के महत्व पर, हर साल एक भव्य परेड की राजधानी में आयोजित किया, राजघाट से है, विजयपथ साथ. सेना की विभिन्न रेजीमेंटों, नौसेना और वायु सेना मार्च पास्ट अपने सभी सजधज और सरकारी सजावट भी घुड़सवार सेना के घोड़ों में आकर्षक इस अवसर पर वाद सुसज्जित हैं. एन सी सी कैडेटों की क्रीम, में से चुने हुए पूरे देश में विचार के लिए इस समारोह में भाग लेने के सम्मान एक, के रूप में राजधानी में विभिन्न स्कूलों के बच्चों को स्कूल है. वे कई समारोह की तैयारी दिन और कोई कसर नहीं खर्च करते हैं…
परेड देश के विभिन्न राज्यों से शानदार प्रदर्शन के बाद एक तमाशा है. ये चलती प्रदर्शित उन राज्यों में लोगों और संगीत और है कि विशेष रूप से राज्य के प्रत्येक प्रदर्शन के साथ गाने की गतिविधियों के दृश्य चित्रित. हर प्रदर्शन के बाहर विविधता और भारत की संस्कृति की समृद्धि और पूरे शो लाता है इस अवसर पर एक उत्सव हवा बख्शी है. परेड और आगामी जलूस राष्ट्रीय टेलीविजन से प्रसारित होता है और देश के हर कोने में लाखों दर्शकों ने देखा है.
परेड देश के विभिन्न राज्यों से शानदार प्रदर्शन के बाद एक तमाशा है. ये चलती प्रदर्शित उन राज्यों में लोगों और संगीत और है कि विशेष रूप से राज्य के प्रत्येक प्रदर्शन के साथ गाने की गतिविधियों के दृश्य चित्रित. हर प्रदर्शन के बाहर विविधता और भारत की संस्कृति की समृद्धि और पूरे शो लाता है इस अवसर पर एक उत्सव हवा बख्शी है. परेड और आगामी जलूस राष्ट्रीय टेलीविजन( दूरदर्शन के राष्ट्रीय चेनल)से प्रसारित होता है और देश के हर कोने में लाखों दर्शकों के साथ साथ अनेक देशों में देखा जाता हें…
इस दिन लोगों को देशभक्ति के उत्साह पूरे देश को एक साथ लाता है उसे भी जरूरी विविधता में. देश के हर भाग के अवसर में प्रतिनिधित्व किया है, जो गणतंत्र भारत के सभी राष्ट्रीय अवकाश के दिन सबसे लोकप्रिय बनाता है।
————————————————
26 जनवरी (गणतंत्र दिवस )पर विशेष जानकारी—-
(लेखक- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, मोब. नंबर –09669290067 )
’भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को इंडियन स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार 10 बजकर 18 मिनट पर लागू हो गया.
—–गणतंत्र दिवस के मौके पर अशोक चक्र और कीर्ति चक्र जैसे महत्वपूर्ण सम्मान दिए जाते हैं. इसके बाद परेड की मार्च पास्ट होती है.
—–भारतीय संविधान को तैयार करने में सैकड़ों विद्वान जुटे. लिखित संविधान में कई बार संशोधन होने के बाद इसे अपनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा.’
—–26 जनवरी 1950 को डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. इर्विन स्टेडियम में झंडा फहराया गया. यही पहला गणतंत्र दिवस समारोह था. मुख्य अतिथि थे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो.
—-गणतंत्र दिवस मनाने के हालिया तरीका 1955 में शुरू हुआ. इसी साल पहली बार राजपथ पर परेड हुई. राजपथ परेड के पहले चीफ गेस्ट पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे.
—-संविधान बनाने के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया, उसके अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे.
——भारतीय संविधान में संसदीय शासन पद्धति, लोकसभा तथा विधानसभा के प्रति मंत्रिमंडल का सामूहिक उत्तरदायित्व, राष्ट्र के प्रधान के रूप में राष्ट्रपति की औपचारिक स्थिति, संसद एवं विधानमंडलों की प्रक्रिया तथा संसद एवं विधानमंडलों के सदस्यों के विशेषाधिकार एवं उन्मुक्तियां ब्रिटेन के संविधान से ली गई हैं.
—–संविधान में संघ एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन कनाडा के संविधान से लिया गया है.
—-भारतीय संविधान में आपातदृउपबंध व्यवस्था जर्मनी के संविधान की गई है.
——सोवियत संघ के संविधान से मूल कर्तव्य और आस्ट्रेलिया के संविधान से समवर्ती सूची ली गई है. इसलिए ही कुछ विद्वानों ने भारतीय संविधान को ‘‘उधार का थैला’’ भी कहा है.
—–गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर तिरंगा फहराया जाता है. फिर नेशनल एंथम गाया जाता है और 21 तोपों की सलामी होती है.
——1957 में सरकार ने बच्चों के लिए राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार शुरू किया. यह पुरस्कार 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अलग-अलग क्षेत्र में बहादुरी के लिए गणतंत्र दिवस पर दिया जाता है.
—–31 दिसंबर 1929 की मध्यरात्रि को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर में अधिवेशन हुआ. इस अधिवेशन में पहली बार तिरंगा फहराया गया. फैसला किया गया कि हर साल 26 जनवरी का दिन ‘‘पूर्ण स्वराज दिवस’’ के रूप में मनाया जाएगा. इसे भारतीयों का समर्थन मिला और यह दिन अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गया.
—–बहुत कम लोगों को पता है कि 1955 से पहले गणतंत्र दिवस समारोह राजपथ पर आयोजित नहीं होता था. 1954 तक गणतंत्र दिवस समारोह किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित किए गए.
——1961 के गणतंत्र दिवस समारोह की चीफ गेस्ट थी ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ.
— इस वर्ष 2014के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं- जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री शिंजो अबे।.उनके साथ उनकी पत्नी श्रीमती श्रीमती अकी अबे भी रहेंगी..
—–भारतीय संविधान में संघात्मक शासन प्रणाली, मूल अधिकार, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका तथा न्यायिक पुनरूअवलोकन का सिद्धांत और उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका के संविधान से लिया गया है.
—-भारतीय संविधान में गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था फ्रांस के संविधान से प्रेरित है.
—-संविधान में राज्य की नीति के निर्देशक तत्व आयरलैंड के संविधान से लिए गए हैं.
—–395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है.
—-26 जनवरी 1965 को हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया था .
————————————————————————–
गणतंत्र दिवस पर कविता—–
पावन है गणतंत्र यह, करो खूब गुणगान।
भाषण-बरसाकर बनो, वक्ता चतुर सुजान॥
वक्ता चतुर सुजान, देश का गौरव गाओ।
श्रोताओं का मान करो नारे लगवाओ॥
इसी रीति से बनो सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्ति-लाभ का समय सुहाना यह दिन पावन॥
भाई तुमको यदि लगा, जन सेवा का रोग।
प्रजातंत्र की ओट में, राजतंत्र को भोग॥
पावन है गणतंत्र यह, करो खूब गुणगान।
भाषण-बरसाकर बनो, वक्ता चतुर सुजान॥
वक्ता चतुर सुजान, देश का गौरव गाओ।
श्रोताओं का मान करो नारे लगवाओ॥
इसी रीति से बनो सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्ति-लाभ का समय सुहाना यह दिन पावन॥
भाई तुमको यदि लगा, जन सेवा का रोग।
प्रजातंत्र की ओट में, राजतंत्र को भोग॥
स्वार्थ-साधना सधे, भिन्न जब करनी-कथनी॥
बोलो भ्रष्टाचार का, होवे सत्यानाश।
भ्रष्टाचारी को मगर, सदा बिठाओ पास॥
सदा बिठाओ पास, आंच उस पर न आए।
कथनी-करनी भिन्नता, कूटनीति का अंग।
घोलो भाषण में चटक, देश-भक्ति का रंग॥
देश-भक्ति का रंग, उलीचो श्रोताओं पर।
स्वार्थ छिपाओ प्रबल, हृदय में संयम धरकर॥
करे ना कोई भूल, जांच उसकी करवाए॥
करे आपकी मदद, पोल उसकी मत खोलो।
है गणतंत्र महान, प्रेम से जय जय बोलो॥
(लेखक- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, मोब. नंबर –.9669290067 )
प्रति वर्ष 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जब प्रत्येक भारतीय के मन में देश भक्ति की लहर और मातृभूमि के प्रति अपार स्नेह भर उठता है।
हम ख़ुशनसीब हैं कि हम उस भारत माँ की सन्तान हैं जिसे दुनिया के सबसे बड़े गणतन्त्र के रूप में जाना जाता है। पूरी दुनिया इस बात का लोहा मानती है कि इतनी विविधता के बावजूद हमने न सिर्फ गणतंत्र को सहेज कर रखा है बल्कि उसे दिन-प्रतिदिन मज़बूती देते जा रहे हैं। हमें गर्व है कि हर वर्ष हम गणतंत्र दिवस को एक क़ामयाबी के पर्व की तरह मनाते आ रहे हैं। यह जश्न हमें दुनिया के सामने अपने वजूद, हौसले और ताक़त का अहसास कराता है जिसके ज़रिये हम विविधता में एकता के अपने स्वरूप को देखते हैं, विश्व को उसका एहसास कराते हैं और राष्ट्रीय पर्व के माध्यम से अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हैं।
ये मौक़ा है देश की मिट्टी के लिए नये सिरे से संकल्प लेने का। उस मिट्टी के लिए संकल्प लेने का, जिसने हमें जन्म दिया, जीवन दिया और एक मुक़म्मल पहचान दी। हम भारत-भूमि के शुक्रगुज़ार हैं। हम इसकी गोद में पले-बढ़े हैं। अब हमें अपने काम को ईमानदारी और लगन से करके अपने देश की सेवा करनी है। अपने-आप को तो आगे बढ़ाना ही है, साथ ही साथ और ज़रूरतमंदों को भी आगे बढ़ने में मदद करनी है। यही सही अर्थों में देश-सेवा होगी।
अनगिनत महापुरुषों के इस देश को किस तरह आगे बढ़ाना है, ये सोचना भी हमारा फर्ज़ है। उन्होंने हमारे लिए जो सपने देखे थे, उन सपनों को परवान चढ़ाना हमारी ज़िम्मेदारी है। मेहनत और मशक्कत से हर वह काम करना है जो देश के हित के लिए है, जिसमें देश की तरक्की रची-बसी हुई है। गाँव से शहर तक, हाट से मॉल तक विकास की रौनक के सभी देशवासी साझीदार बन सकें, यही हम सब की चाहत होनी चाहिए।
ऐसी अनेक महत्वपूर्ण स्मृतियां हैं जो इस दिन के साथ जुड़ी हुई है। यही वह दिन है जब जनवरी .9.0 में लाहौर ने पंडित जवाहर लाल नेहरु ने तिरंगे को फहराया था और स्वतंत्र भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की घोषणा की गई थी।
गणतंत्र दिवस हर वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है, 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआद्य बस तभी से देश गणतंत्र हुआ और उसी उपलक्ष मे गणतंत्र दिवस हर वर्ष मनाया जाता हैद्य
जनवरी 26, 1950 भारतीय इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। भारत का संविधान, इसी दिन अस्तित्व मे आया और भारत वास्तव में एक संप्रभु देश बना। इस दिन भारत एक सम्पूर्ण गणतान्त्रिक देश बन गया. देश अंततरू महात्मा गांधी और कई स्वतंत्रता सेनानियो, जिन्होने अपने देश की आजादी के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया, उनका सपना एहसास हुआ. जनवरी के 26 वें राष्ट्रीय छुट्टी फैसला सुनाया है और पहचान की गई है और भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया कभी के बाद से.
64 वर्ष पहले 21 तोपों की सलामी के बाद भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने फहरा कर 26 जनवरी 1950 को भारतीय गणतंत्र के ऐतिहासिक जन्म की घोषणा की।
एक ब्रिटिश उप निवेश से एक सम्प्रभुतापूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक राष्ट्र के रूप में भारत का निर्माण एक ऐतिहासिक घटना रही। यह लगभग 2 दशक पुरानी यात्रा थी जो 1930 में एक सपने के रूप में संकल्पित की गई और 1950 में इसे साकार किया गया। भारतीय गणतंत्र की इस यात्रा पर एक नजर डालने से हमारे आयोजन और भी अधिक सार्थक हो जाते हैं।
संविधान प्रभावी हुआ—–
जबकि भारत 15 अगस्त 1947 को एक स्वतंत्र राष्ट्र बना, इसने स्वतंत्रता की सच्ची भावना का आनन्द 26 जनवरी 1950 को उठाया जब भारतीय संविधान प्रभावी हुआ। इस संविधान से भारत के नागरिकों को अपनी सरकार चुनकर स्वयं अपना शासन चलाने का अधिकार मिला। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और इसके बाद राष्ट्रपति का काफिला 5 मील की दूरी पर स्थित इर्विन स्टेडियम पहुंचा जहां उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
तब से ही इस ऐतिहासिक दिवस, 26 जनवरी को पूरे देश में एक त्यौहार की तरह और राष्ट्रीय भावना के साथ मनाया जाता है। इस दिन का अपना अलग महत्व है जब भारतीय संविधान को अपनाया गया था। इस गणतंत्र दिवस पर महान भारतीय संविधान को पढ़कर देखें जो उदार लोकतंत्र का परिचायक है, जो इसके भण्डार में निहित है
आज गणतंत्र दिवस पूरे देश में बहुत उत्साह और विशेष रूप से राजधानी में एक साथ मनाया जाता है, नई दिल्ली जहां समारोह में देश के राष्ट्रपति के साथ शुरू करते हैं. इस अवसर की शुरुआत हमेशा के बलिदान की पवित्र याद दिलाते हैं जो शहीदों स्वतंत्रता आंदोलन में देश के लिए मर गया, और अपने देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सफल युद्धों. तो, आगे आता है के लिए राष्ट्रपति के क्षेत्र में उनके असाधारण साहस के लिए सशस्त्र बलों से लोगों को बहादुरी के पदक और पुरस्कार भी नागरिकों, जो खुद को अलग स्थितियों में उनकी वीरता के विभिन्न कार्यों के विशिष्ट है.
इस अवसर के महत्व पर, हर साल एक भव्य परेड की राजधानी में आयोजित किया, राजघाट से है, विजयपथ साथ. सेना की विभिन्न रेजीमेंटों, नौसेना और वायु सेना मार्च पास्ट अपने सभी सजधज और सरकारी सजावट भी घुड़सवार सेना के घोड़ों में आकर्षक इस अवसर पर वाद सुसज्जित हैं. एन सी सी कैडेटों की क्रीम, में से चुने हुए पूरे देश में विचार के लिए इस समारोह में भाग लेने के सम्मान एक, के रूप में राजधानी में विभिन्न स्कूलों के बच्चों को स्कूल है. वे कई समारोह की तैयारी दिन और कोई कसर नहीं खर्च करते हैं…
परेड देश के विभिन्न राज्यों से शानदार प्रदर्शन के बाद एक तमाशा है. ये चलती प्रदर्शित उन राज्यों में लोगों और संगीत और है कि विशेष रूप से राज्य के प्रत्येक प्रदर्शन के साथ गाने की गतिविधियों के दृश्य चित्रित. हर प्रदर्शन के बाहर विविधता और भारत की संस्कृति की समृद्धि और पूरे शो लाता है इस अवसर पर एक उत्सव हवा बख्शी है. परेड और आगामी जलूस राष्ट्रीय टेलीविजन से प्रसारित होता है और देश के हर कोने में लाखों दर्शकों ने देखा है.
परेड देश के विभिन्न राज्यों से शानदार प्रदर्शन के बाद एक तमाशा है. ये चलती प्रदर्शित उन राज्यों में लोगों और संगीत और है कि विशेष रूप से राज्य के प्रत्येक प्रदर्शन के साथ गाने की गतिविधियों के दृश्य चित्रित. हर प्रदर्शन के बाहर विविधता और भारत की संस्कृति की समृद्धि और पूरे शो लाता है इस अवसर पर एक उत्सव हवा बख्शी है. परेड और आगामी जलूस राष्ट्रीय टेलीविजन( दूरदर्शन के राष्ट्रीय चेनल)से प्रसारित होता है और देश के हर कोने में लाखों दर्शकों के साथ साथ अनेक देशों में देखा जाता हें…
इस दिन लोगों को देशभक्ति के उत्साह पूरे देश को एक साथ लाता है उसे भी जरूरी विविधता में. देश के हर भाग के अवसर में प्रतिनिधित्व किया है, जो गणतंत्र भारत के सभी राष्ट्रीय अवकाश के दिन सबसे लोकप्रिय बनाता है।
————————————————
26 जनवरी (गणतंत्र दिवस )पर विशेष जानकारी—-
(लेखक- पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री, मोब. नंबर –09669290067 )
’भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को इंडियन स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार 10 बजकर 18 मिनट पर लागू हो गया.
—–गणतंत्र दिवस के मौके पर अशोक चक्र और कीर्ति चक्र जैसे महत्वपूर्ण सम्मान दिए जाते हैं. इसके बाद परेड की मार्च पास्ट होती है.
—–भारतीय संविधान को तैयार करने में सैकड़ों विद्वान जुटे. लिखित संविधान में कई बार संशोधन होने के बाद इसे अपनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा.’
—–26 जनवरी 1950 को डॉ.राजेन्द्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाउस के दरबार हाल में भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली. इर्विन स्टेडियम में झंडा फहराया गया. यही पहला गणतंत्र दिवस समारोह था. मुख्य अतिथि थे इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो.
—-गणतंत्र दिवस मनाने के हालिया तरीका 1955 में शुरू हुआ. इसी साल पहली बार राजपथ पर परेड हुई. राजपथ परेड के पहले चीफ गेस्ट पाकिस्तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्मद थे.
—-संविधान बनाने के लिए जिस कमेटी का गठन किया गया, उसके अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे.
——भारतीय संविधान में संसदीय शासन पद्धति, लोकसभा तथा विधानसभा के प्रति मंत्रिमंडल का सामूहिक उत्तरदायित्व, राष्ट्र के प्रधान के रूप में राष्ट्रपति की औपचारिक स्थिति, संसद एवं विधानमंडलों की प्रक्रिया तथा संसद एवं विधानमंडलों के सदस्यों के विशेषाधिकार एवं उन्मुक्तियां ब्रिटेन के संविधान से ली गई हैं.
—–संविधान में संघ एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन कनाडा के संविधान से लिया गया है.
—-भारतीय संविधान में आपातदृउपबंध व्यवस्था जर्मनी के संविधान की गई है.
——सोवियत संघ के संविधान से मूल कर्तव्य और आस्ट्रेलिया के संविधान से समवर्ती सूची ली गई है. इसलिए ही कुछ विद्वानों ने भारतीय संविधान को ‘‘उधार का थैला’’ भी कहा है.
—–गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर तिरंगा फहराया जाता है. फिर नेशनल एंथम गाया जाता है और 21 तोपों की सलामी होती है.
——1957 में सरकार ने बच्चों के लिए राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार शुरू किया. यह पुरस्कार 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अलग-अलग क्षेत्र में बहादुरी के लिए गणतंत्र दिवस पर दिया जाता है.
—–31 दिसंबर 1929 की मध्यरात्रि को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लाहौर में अधिवेशन हुआ. इस अधिवेशन में पहली बार तिरंगा फहराया गया. फैसला किया गया कि हर साल 26 जनवरी का दिन ‘‘पूर्ण स्वराज दिवस’’ के रूप में मनाया जाएगा. इसे भारतीयों का समर्थन मिला और यह दिन अघोषित रूप से भारत का स्वतंत्रता दिवस बन गया.
—–बहुत कम लोगों को पता है कि 1955 से पहले गणतंत्र दिवस समारोह राजपथ पर आयोजित नहीं होता था. 1954 तक गणतंत्र दिवस समारोह किंग्सवे, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित किए गए.
——1961 के गणतंत्र दिवस समारोह की चीफ गेस्ट थी ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ.
— इस वर्ष 2014के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं- जापान के प्रधानमंत्री महामहिम श्री शिंजो अबे।.उनके साथ उनकी पत्नी श्रीमती श्रीमती अकी अबे भी रहेंगी..
—–भारतीय संविधान में संघात्मक शासन प्रणाली, मूल अधिकार, स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका तथा न्यायिक पुनरूअवलोकन का सिद्धांत और उपराष्ट्रपति का पद अमेरिका के संविधान से लिया गया है.
—-भारतीय संविधान में गणतंत्रात्मक शासन व्यवस्था फ्रांस के संविधान से प्रेरित है.
—-संविधान में राज्य की नीति के निर्देशक तत्व आयरलैंड के संविधान से लिए गए हैं.
—–395 अनुच्छेदों और 8 अनुसूचियों के साथ भारतीय संविधान दुनिया में सबसे बड़ा लिखित संविधान है.
—-26 जनवरी 1965 को हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित किया गया था .
————————————————————————–
गणतंत्र दिवस पर कविता—–
पावन है गणतंत्र यह, करो खूब गुणगान।
भाषण-बरसाकर बनो, वक्ता चतुर सुजान॥
वक्ता चतुर सुजान, देश का गौरव गाओ।
श्रोताओं का मान करो नारे लगवाओ॥
इसी रीति से बनो सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्ति-लाभ का समय सुहाना यह दिन पावन॥
भाई तुमको यदि लगा, जन सेवा का रोग।
प्रजातंत्र की ओट में, राजतंत्र को भोग॥
पावन है गणतंत्र यह, करो खूब गुणगान।
भाषण-बरसाकर बनो, वक्ता चतुर सुजान॥
वक्ता चतुर सुजान, देश का गौरव गाओ।
श्रोताओं का मान करो नारे लगवाओ॥
इसी रीति से बनो सुनेता ‘रामसुहावन’।
कीर्ति-लाभ का समय सुहाना यह दिन पावन॥
भाई तुमको यदि लगा, जन सेवा का रोग।
प्रजातंत्र की ओट में, राजतंत्र को भोग॥
स्वार्थ-साधना सधे, भिन्न जब करनी-कथनी॥
बोलो भ्रष्टाचार का, होवे सत्यानाश।
भ्रष्टाचारी को मगर, सदा बिठाओ पास॥
सदा बिठाओ पास, आंच उस पर न आए।
कथनी-करनी भिन्नता, कूटनीति का अंग।
घोलो भाषण में चटक, देश-भक्ति का रंग॥
देश-भक्ति का रंग, उलीचो श्रोताओं पर।
स्वार्थ छिपाओ प्रबल, हृदय में संयम धरकर॥
करे ना कोई भूल, जांच उसकी करवाए॥
करे आपकी मदद, पोल उसकी मत खोलो।
है गणतंत्र महान, प्रेम से जय जय बोलो॥