क्या बात हें..!!! भिखारी और भिखमंगे ..!!!
एक महान आश्चर्य :
लोकल ट्रेन से उतरते
ही किसी ने सिगरेट जलाने के लिए
एक साहब से माचिस
माँगी तभी किसी भिखारी ने
उनकी तरफ हाथ बढ़ाया
उन्होंने कहा-“भीख माँगते शर्म नहीं आती?”
भिखारी बोला-
“माचिस माँगते आपको आयी थी क्या”??
बाबूजी! माँगना देश का करेक्टर है
“विशाल” जो जितनी सफाई से माँगे
उतना ही बड़ा एक्टर है
ये भिखारियों का देश है
लीजिए! भिखारियों की लिस्ट पेश है
“विशाल” धंधा माँगने वाला भिखारी
चंदा माँगने वाला
दाद माँगने वाला
औलाद माँगने वाला
दहेज माँगने वाला
नोट माँगने वाला
और तो और
“विशाल” वोट माँगने वाला
हमने काम माँगा
तो लोग कहते हैं चोर है
भीख माँगी तो कहते हैं
कामचोर है
“विशाल” उनसे कुछ नहीं कहते
जो एक वोट के लिए
दर-दर नाक रगड़ते हैं
घिस जाने पर रबर की ख़रीद लाते हैं
और उपदेशों की पोथियाँ खोलकर
महंत बन जाते हैं।
“विशाल” लोग तो एक बिल्ला से परेशान हैं
यहाँ सैकड़ों बिल्ले
खरगोश की खाल में
देश के हर कोने में विराजमान हैं।
“विशाल” हम भिखारी ही सही
मगर राजनीति समझते हैं
रही अख़बार पढ़ने की बात
तो अच्छे-अच्छे लोग
माँग कर पढ़ते हैं
समाचार तो समाचार
लोग-बाग पड़ोसी से
अचार तक माँग लाते हैं
रहा विचार!
तो वह बेचारा
“विशाल” महँगाई के मरघट में
मुर्दे की तरह दफ़न हो गयाहै।
समाजवाद का झंडा
“विशाल” हमारे लिए क़फ़न हो गया है
सत्य बहुत कड़वा होता है
कभी झोपड़ियों में झांककरदेखिए
लोग किस तरह जी रहे हैं
कूड़ा खा रहे हैं
और बदबू पी रहे हैं
उनका फोटो खींचकर
“विशाल” फिल्म वाले लाखों कमाते हैं
झोपड़ी की बात करते हैं
मगर जुहू में बँगला बनवाते हैं।
हमने कहा”फिल्म वालों से
तुम्हारा क्या झगड़ा है?”
वो बोला-
“आपके सामने भिखारी नहीं
“विशाल” भूतपूर्व प्रोड्यूसर खड़ाहै
बाप का बीस लाख फूँक कर
हाथ में कटोरा पकड़ा है!”
हमने पाँच रुपए उसके
हाथ में रखते हुए कहा-
“हम भी फिल्मों में ट्राई कर रहे हैं
भाई!”
वह बोला,”आपकी रक्षा करें दुर्गा माई
आपके लिए दुआ करूँगा
लग गई तो ठीक…
वरना “विशाल”आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर
दस आपके हाथ पर धर दूँगा!………
ही किसी ने सिगरेट जलाने के लिए
एक साहब से माचिस
माँगी तभी किसी भिखारी ने
उनकी तरफ हाथ बढ़ाया
उन्होंने कहा-“भीख माँगते शर्म नहीं आती?”
भिखारी बोला-
“माचिस माँगते आपको आयी थी क्या”??
बाबूजी! माँगना देश का करेक्टर है
“विशाल” जो जितनी सफाई से माँगे
उतना ही बड़ा एक्टर है
ये भिखारियों का देश है
लीजिए! भिखारियों की लिस्ट पेश है
“विशाल” धंधा माँगने वाला भिखारी
चंदा माँगने वाला
दाद माँगने वाला
औलाद माँगने वाला
दहेज माँगने वाला
नोट माँगने वाला
और तो और
“विशाल” वोट माँगने वाला
हमने काम माँगा
तो लोग कहते हैं चोर है
भीख माँगी तो कहते हैं
कामचोर है
“विशाल” उनसे कुछ नहीं कहते
जो एक वोट के लिए
दर-दर नाक रगड़ते हैं
घिस जाने पर रबर की ख़रीद लाते हैं
और उपदेशों की पोथियाँ खोलकर
महंत बन जाते हैं।
“विशाल” लोग तो एक बिल्ला से परेशान हैं
यहाँ सैकड़ों बिल्ले
खरगोश की खाल में
देश के हर कोने में विराजमान हैं।
“विशाल” हम भिखारी ही सही
मगर राजनीति समझते हैं
रही अख़बार पढ़ने की बात
तो अच्छे-अच्छे लोग
माँग कर पढ़ते हैं
समाचार तो समाचार
लोग-बाग पड़ोसी से
अचार तक माँग लाते हैं
रहा विचार!
तो वह बेचारा
“विशाल” महँगाई के मरघट में
मुर्दे की तरह दफ़न हो गयाहै।
समाजवाद का झंडा
“विशाल” हमारे लिए क़फ़न हो गया है
सत्य बहुत कड़वा होता है
कभी झोपड़ियों में झांककरदेखिए
लोग किस तरह जी रहे हैं
कूड़ा खा रहे हैं
और बदबू पी रहे हैं
उनका फोटो खींचकर
“विशाल” फिल्म वाले लाखों कमाते हैं
झोपड़ी की बात करते हैं
मगर जुहू में बँगला बनवाते हैं।
हमने कहा”फिल्म वालों से
तुम्हारा क्या झगड़ा है?”
वो बोला-
“आपके सामने भिखारी नहीं
“विशाल” भूतपूर्व प्रोड्यूसर खड़ाहै
बाप का बीस लाख फूँक कर
हाथ में कटोरा पकड़ा है!”
हमने पाँच रुपए उसके
हाथ में रखते हुए कहा-
“हम भी फिल्मों में ट्राई कर रहे हैं
भाई!”
वह बोला,”आपकी रक्षा करें दुर्गा माई
आपके लिए दुआ करूँगा
लग गई तो ठीक…
वरना “विशाल”आपके पाँच में अपने पाँच मिला कर
दस आपके हाथ पर धर दूँगा!………
आप का अपना —
—-पंडित दयानन्द शास्त्री”विशाल”
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