यहां दिए गए फोटो और गालों को देखकर जानिए किसी भी व्यक्ति के चरित्र की छिपी हुई बातें
जिन लोगों के गालों का रंग सफेद होता है वे अक्सर अस्वस्थ रहते हैं। ऐसे लोगा किसी न किसी बीमारी से त्रस्त रहते हैं। निराशा रहती है और वे आलसी भी हो सकते हैं। इन लोगों में अनिश्चितता की भावना अधिक होती है। हर कार्य को अपने ही ढंग से करते हैं।
जिन लोगों के गालों का रंग लाल है वे लोग थोड़े गुस्से वाले होते हैं। छोटी-छोटी बातों में ही इन्हें क्रोध आ जाता है। ये लोग साहसी, युद्धप्रिय व उत्तेजित व्यक्तित्व के होते हैं। ये लोग किसी भी कार्य को बहुत अच्छे ढंग से पूर्ण करते हैं।
जिन लोगों के गालों का रंग गुलाबी दिखाई देता है वे लोग संतुलित मानसिकता के होते हैं। किसी भी परिस्थिति में खुद को बहुत अच्छे से सेट कर लेते हैं। हर कार्य को करने की इनकी एक विशेष शैली होती है। इन लोगों को जीवन में कई उपलब्धियां हासिल होती हैं।
गालों का रंग पीला होना: अस्वस्थता का प्रतीक है जो जीवन शक्ति को क्षीण कर देता है। ऐसे जातक उत्साहहीन व सदैव भयभीत रहने वाले होते हैं।
भरे हुए गाल- ऐसे जातक जिनके गाल अधिक भरे हुए होते हैं वे स्थूल शरीर वाले, भोगी, समृद्ध तथा विलासी होते हैं। उनका मानसिक विकास शरीर के अपेक्षा कम होता है।
सुखे गाल- असंतुलित आहार, मानसिक चिंता एवं द्वेष प्रवृत्ति वाले जातकों के गाल बैठे हुए होते हैं ऐसे जातक क्रोधी, चिड़चिड़े व असफल होते हैं।
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– यदि किसी व्यक्ति के हाथों में शनि पर्वत मतलब मीडिल फिंगर के नीचे वाले भाग पर क्रास का निशान हो एवं इसके साथ ही मस्तिष्क रेखा भी साफ-सुथरी और पुष्ट हो तो व्यक्ति को पूर्वाभास होता है।
– यदि किसी व्यक्ति की हथेली के गुरु पर्वत यानी इन्डेक्स फिंगर के नीचे वाले भाग पर त्रिभुज या चर्तुभुज बना हुआ दिखाई देता है तो ऐसे इंसान को भी भविष्य के संकेत दिखाई देते हैं।
– हथेली के शनि पर्वत यानी मीडिल फिंगर के नीचे वाले भाग पर त्रिभुज या चर्तुभुज का चिन्ह बना हो तो व्यक्ति को पूर्वाभास होता है।
– जिन लोगों की हथेली का शनि पर्वत पुष्ट हो एवं इसके साथ ही सूर्य रेखा (रिंग फिंगर यानी अनामिका अंगुली के नीचे वाले भाग पर होती है सूर्य रेखा) अर्थात रिंग फिंगर के क्षेत्र से निकलने वाली रेखा मस्तिष्क रेखा से जुड़ जाए तो ऐसे लोगों को भी आने वाले समय का आभास हो जाता है।
– यदि हथेली के चन्द्र पर्वत यानि अंगूठे के दूसरी ओर वाले भाग पर त्रिभुज या चतुर्भुज हो तो उन लोगों को भी पूर्वाभास होता है।
जिन लोगों के हाथों में ऐसे चिन्ह होते हैं उन लोगों के पास विशेष शक्ति होती है। जब वे इन शक्तियों को पहचानने लगते हैं, उन्हें पूर्वाभास होने लगता है। कई बार ग्रहों की स्थिति बदलने के बाद ये चिन्ह मिट जाते है तब यह शक्तियां भी नहीं रहती हैं। इसके साथ ही हथेली की अन्य दशाओं से भी यहां बताए गए प्रभाव बदल भी सकते हैं।
हमारी जैसी सोच रहती है उसी के अनुरूप हाथों की रेखाओं बदलाव होते रहते हैं। सामान्यत: हमारे हाथों की कई छोटी-छोटी रेखाएं बदलती रहती हैं परंतु कुछ खास रेखाओं में बड़े परिवर्तन नहीं होते हैं। इन महत्वपूर्ण रेखाओं में जीवन रेखा, भाग्य रेखा, हृदय रेखा, मणिबंध, सूर्य रेखा और विवाह रेखा शामिल है।
हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार विवाह रेखा से किसी व्यक्ति भी व्यक्ति के विवाह और प्रेम प्रसंग पर विचार किया जाता है।
फोटो में देखिए विवाह रेखा के प्रभाव क्या-क्या रहते हैं…
कहां होती है विवाह रेखा- विवाह रेखा लिटिल फिंगर (सबसे छोटी अंगुली) के नीचे वाले भाग में होती है। कुछ लोगों के हाथ में एक विवाह रेखा होती है तो कुछ लोगों के हाथों में एक से अधिक। सबसे छोटी अंगुली के नीचे वाले क्षेत्र को बुध पर्वत कहते हैं। बुध पर्वत के अंत में कुछ आड़ी गहरी रेखाएं होती हैं। यह विवाह रेखाएं कहलाती है।
ऐसा माना जाता है कि जिन विवाह रेखाओं की संख्या होती है उस व्यक्ति के उतने ही प्रेम प्रसंग हो सकते हैं। यदि यह रेखा टूटी हो या कटी हुई हो विवाह विच्छेद की संभावना होती है। साथ ही यह रेखा आपका वैवाहिक जीवन कैसा रहेगा यह भी बताती है। यदि रेखाएं नीचे की ओर गई हुई हों तो दांम्पत्य जीवन में आपको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
यदि बुध पर्वत से आई हुई कोई रेखा विवाह रेखा को काट दे तो उस व्यक्ति का वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा होता है।
यदि विवाह रेखा रिंग फिंगर (अनामिका) के नीचे सूर्य रेखा तक गई हो तो उस व्यक्ति का विवाह किसी विशिष्ट व्यक्ति से होता है।
विवाह रेखा पर विचार करते समय शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे वाला भाग शुक्र पर्व कहलाता है। इसका क्षेत्र जीवन रेखा तक होता है।) पर भी विचार करना चाहिए।
यहां तस्वीरों में देखिए ऐसे संकेत…
कुछ लोगों के पास ऐसी शक्तियां जन्म से ही रहती हैं, जिनसे उन्हें भूतकाल और वर्तमान के साथ ही भविष्य में होने वाली कई घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है। ऐसे लोगों की छठी इंद्री यानि सिक्स्थ सेंस एक्टिव रहता है। हस्तरेखा के अनुसार कुछ ऐसे चिन्ह बताए गए हैं जो व्यक्ति को आने वाले कल की जानकारी देते हैं। यहां तस्वीरों में देखिए ऐसे संकेत…कुछ लोगों के पास ऐसी शक्तियां जन्म से ही रहती हैं, जिनसे उन्हें भूतकाल और वर्तमान के साथ ही भविष्य में होने वाली कई घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है। ऐसे लोगों की छठी इंद्री यानि सिक्स्थ सेंस एक्टिव रहता है। हस्तरेखा के अनुसार कुछ ऐसे चिन्ह बताए गए हैं जो व्यक्ति को आने वाले कल की जानकारी देते हैं। यहां तस्वीरों में देखिए ऐसे संकेत…
– यदि किसी व्यक्ति के हाथों में शनि पर्वत मतलब मीडिल फिंगर के नीचे वाले भाग पर क्रास का निशान हो एवं इसके साथ ही मस्तिष्क रेखा भी साफ-सुथरी और पुष्ट हो तो व्यक्ति को पूर्वाभास होता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में कई विधाएं बताई गई हैं, जिनसे हम भविष्य जान सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार हमारे हाथों की, पैरों की और माथे की रेखाओं का विशेष महत्व है। इन्हें पढ़कर, समझकर हमारा भूत-भविष्य और वर्तमान मालूम किया जा सकता है।
यहां दिए गए फोटो में देखिए कौन-कौन सी रेखाएं होती हैं माथे पर
भौंहों के स्थान से लेकर सिर के बाल तक तथा दाएं कनपटी से लेकर बाएं कनपटी तक के स्थान को ललाट (माथा) कहते हैं।
ललाट स्थान पर कुछ मुख्य रेखाएं होती हैं। ज्योतिष के विद्वानों के अनुसार रेखाओं के गुणधर्म तथा ललाट पर उनकी स्थिति के अनुसार उन्हें क्रमश: शनि, गुरु, मंगल, बुध, चंद्र तथा सूर्य रेखा नामों से पहचाना जाता है।
इन रेखाओं के आधार पर व्यक्ति का भविष्य निर्भर करता है। मस्तस्क की रेखाओं में सबसे पहले होती है शनि रेखा। सामान्यत: सभी मस्तक पर यह रेखाएं दिखाई नहीं देती। इनका अध्ययन बहुत सावधानी से करना होता है। शनि रेखा काफी कम लोगों के सिर पर रहती है। शनि रेखा हमारे माथे के सबसे ऊपर रहती है। यह रेखा बताती है कि व्यक्ति कितना एकांतप्रिय है या गंभीर है। अच्छी शनि रेखा वाला व्यक्ति रहस्यमयी स्वभाव का होता है। साथ ही वह अहंकारी भी होता है। ऐसे व्यक्ति सफल जादूगर, ज्योतिर्विद व तांत्रिक भी हो सकते हैं।
बृहस्पति रेखा- शनि रेखा से नीचे गुरु रेखा होती है। यदि ललाट पर बड़ी व स्पष्ट गुरु रेखा हो तो जातक आत्मविश्वासी, साहसी, अध्ययनशील तथा महत्वकांक्षी होता है।
मंगल रेखा- गुरु रेखा के नीचे मंगल रेखा होती है। यदि सपाट ललाट पर मंगल रेखा हो तो ऐसे जातक साहसी, स्वाभिमानी, वीर, दूरदर्शी, विवेकी व रचनात्मक प्रवृत्ति का होता है।
बुध रेखा- यह रेखा ललाट के मध्य में होती है। यह रेखा शुभ गुणों से युक्त हो तो जातक में तीव्र स्मरण शक्ति, मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण, बुद्धिमान एवं पारखी प्रकृति का होता है।
भविष्य या स्वभाव जानने के लिए सभी रेखाओं का सही अध्ययन करना काफी जरूरी होती है अन्यथा सटीक जानकारी प्राप्त कर पाना संभव नहीं है। सभी रेखाओं का अपना अलग प्रभाव होता है और सभी रेखाएं एक-दूसरे के प्रभाव का बढ़ाती और घटाती भी हैं।
शुक्र रेखा- यह रेखा बुध रेखा से नीचे होती है। यह रेखा पुष्ट हो तो जातक में स्फूर्ति, आशा, उत्साह, स्वछंदप्रियता, उच्च जीवनीशक्ति आदि गुण होते हैं।
सूर्य रेखा- यह रेखा सीधी आंख की भौंह के ऊपर होती है। सूर्य रेखा समृद्ध हो तो ऐसे जातक अच्छे गणितज्ञ, यांत्रिक सम्पादक, शासक या नेता हो सकते हैं।
चंद्र रेखा- बाएं नेत्र की भौंह के ऊपर यह रेखा होती है। यह रेखा उन्नत हो तो जातक कलाप्रेमी, विकसित बुद्धि, भावुक, संवेदनशील तथा आध्यात्मप्रि होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के चरित्र का अध्ययन मात्र अंगूठे से ही किया जा सकता है। अंगूठे की बनावट और उसके लक्षण से व्यक्ति के मन की स्थिति का तुरंत पता चल जाता है।
जानिए आपके अंगूठे में छिपे संकेत…
– यदि कोई व्यक्ति अधिकांश समय अपने हाथों के अंगूठों को अंगुलियों से दबाकर कर रखता है तो वह डरपोक प्रवृत्ति का इंसान होता है। ऐसा करने वाले व्यक्ति में आत्म विश्वास की कमी होती है। वह हर कार्य डरते-डरते करता है।
– अच्छा, सुंदर और आकर्षक अंगूठे वाला व्यक्ति बुद्धिमान और चतुर होता है।
– छोटे, बेडोल, मोटे अंगूठे वाला व्यक्ति असभ्य, दूसरों का निरादर करने वाला, क्रूर स्वभाव का होता है।
– जिस व्यक्ति का अंगूठा लंबा और हथेली के साथ अच्छे से जुड़ा हुआ हो वह व्यक्ति सर्वगुण संपन्न होता है।
– अधिक छोटे अंगूठे वाले व्यक्ति निर्बल होते हैं और उनकी कार्य क्षमता भी बहुत कम होती है।
– जिन व्यक्तियों के अंगूठे लचीले होते हैं आसानी से पीछे की ओर मुड़ जाते हैं वे लोग कल्पनाशील होते हैं। अधिक खर्चीले होते हैं।
– अंगूठा तीन भागों में विभक्त रहता है। प्रथम ऊपर वाला भाग यदि अधिक लंबा हो तो व्यक्ति अच्छी इच्छा शक्ति वाला होता है। वह किसी पर निर्भर नहीं होता।
– अंगूठा का मध्य भाग यदि लंबा हो तो व्यक्ति अच्छी तर्क शक्ति वाला और बुद्धिमान होता है।
– अंगूठे का अंतिम भाग हो शुक्र पर्वत (शुक्र पर्वत का लेख पूर्व में प्रकाशित किया जा चुका है) के पास वाला भाग लंबा हो तो व्यक्ति अति कामुक होता है।
इन बातों के साथ ही ध्यान रखना चाहिए कि हाथ की पूर्ण बनावट का सही अध्ययन करने पर ही सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। अत: हाथ की बनावट के आधार पर यहां बताए गए स्वभाव में भिन्नता भी हो सकती है।
आप कितने अमीर हैं… या कितने भाग्यशाली हैं… या सफलता के किस शिखर तक आप पहुंचेंगे… इन प्रश्नों के उत्तर भी आपके हाथों की लकीरों में लिखा है। वैसे तो काफी कुछ भाग्य रेखा पर निर्भर करता है परंतु सूर्य रेखा भी भाग्य रेखा के साथ अच्छी स्थिति में हो तो वह व्यक्ति सफलता के नए आयाम स्थापित करता है।
यहां दिए गए फोटो में देखिए
– सूर्य रेखा से जुड़ी खास जानकारियां
– देखिए आपके हाथों की सूर्य रेखा क्या बोलती है?
– कहां होती है सूर्य रेखा?
– यदि सूर्य रेखा चंद्र क्षेत्र से शुरू हो तो वह व्यक्ति सफलता अन्य लोगों की मदद से प्राप्त करता है। साथ ही मस्तिष्क रेखा चंद्र क्षेत्र की ओर झुकी हो तो व्यक्ति लेखन के क्षेत्र में नाम और पैसा कमाता है।
– यह रेखा हथेली के प्रारंभ से जितनी दूरी से शुरू होती है व्यक्ति को यश और मान-सम्मान उतनी ही अधिक आयु के बाद प्राप्त होता है।
– यह रेखा एकदम स्पष्ट हो तो व्यक्ति काफी संवेदनशील होता है।
– सूर्य रेखा वाला व्यक्ति प्रसन्नचित और उत्साही होता है।
हस्तरेखा की सभी रेखाओं के आधार पर ही सही भविष्य देखा जा सकता है। अत: सभी रेखाओं और हथेली की बनावट देखकर ही सूर्य रेखा का सही-सही प्रभाव मालुम किया जा सकता है।
– सूर्य क्षेत्र (अनामिका उंगली के नीचे का क्षेत्र) पर अधिक रेखाएं हो तो व्यक्ति कलाप्रिय होता है और कई योजनाएं बनाता है पर सभी योजनाओं पर ठीक से कार्य नहीं कर पाता।
– सूर्य रेखा ना होने पर व्यक्ति बहुत मेहनत करता है परंतु उसे यश प्राप्त नहीं हो पाता और ऐसा व्यक्ति हमेशा अपेक्षित सम्मान के लिए तरसता रहता है।
कहां होती हैं सूर्य रेखा? हस्तरेखा ज्योतिष शस्त्र के अनुसार सूर्य रेखा व्यक्ति के यश, गौरव, मान-सम्मान, प्रसिद्धि को दर्शाती है। यह रेखा सभी के हाथों में नहीं होती। सूर्य रेखा जीवन रेखा या भाग्य रेखा या चंद्र क्षेत्र या मस्तिष्क रेखा या मंगल क्षेत्र (हथेली के मध्य क्षेत्र को मंगल क्षेत्र कहते हैं) से शुरू होकर अनामिका (रिंग फिंगर) तक जाती है। यह रेखा जिसके हाथ में होती है वह व्यक्ति कलाप्रेमी होता है और खूब यश और मान-सम्मान प्राप्त करता है।
– यदि यह रेखा भाग्य रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति राजा के समान सुख प्राप्त करता है।
– यदि सूर्य रेखा जीवन रेखा से प्रारंभ हो तो व्यक्ति सुदंरता की पूजा करने वाला होता है। अन्य रेखाएं दोष रहित हो तो व्यक्ति कला के क्षेत्र में यश प्राप्त करता है।
सामान्यत: सभी जानना चाहते हैं कि आने वाले कल में क्या होने वाला है और इस जिज्ञासा की शांति के लिए ज्योतिष सर्वश्रेष्ठ उपाय है। ज्योतिष के माध्यम से भविष्य में होने वाली घटनाओं की संभावित जानकारी प्राप्त हो जाती है। जीवन में व्यक्ति को कब क्या मिलेगा, ज्योतिष बता देता है। भविष्य जानने के लिए ज्योतिष में कई विधाएं बताई गई हैं, इनमें से एक है हस्तरेखा ज्योतिष।
हस्तरेखा ज्योतिष में हाथों की रेखाओं से भविष्य देखा जाता है। ये रेखाएं भूत-भविष्य और वर्तमान का सटिक चित्रण कर सकती हैं। वैसे तो हाथों में कई रेखाएं होती हैं और इस सभी का अलग-अलग महत्व होता है। किसी भी व्यक्ति को विवाह के बाद संतान के विषय में जानने की इच्छा रहती है। इस इच्छा की पूर्ति के लिए हम अपने हाथों में संतान रेखा को ध्यान से देखें तो काफी कुछ जानकारी प्राप्त हो सकती है। यहां दिए गए फोटो से जानिए हाथों में संतान रेखाएं कहां होती हैं-
यदि ये य रेखाएं टूटी हुई या कटी हुई तो इसका मतलब यही है संतान पर कुछ बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
विवाह रेखा आड़ी होती हैं जबकि संतान रेखा खड़ी होती हैं। यहां जितनी रेखाएं होती हैं व्यक्ति को उतनी ही संतान प्राप्ति के योग होते हैं।
जिन लोगों की हथेली में संतान रेखाएं लहरदार हो या इन रेखाओं पर कोई बिंदू या द्विप हो तो उनकी संतान दोषयुक्त हो सकती है।
यदि संतान रेखा एकदम साफ, स्पष्ट और सीधी हों तो संतान सर्वगुण संपन्न रहती है। ऐसी रेखा वाले लोगों की संतान माता-पिता का सम्मान करने वाली होती है।
किसी व्यक्ति की संतान रेखा भद्दी, अस्पष्ट हो तो संतान दुखदायी रहती है। जिन लोगों के हाथों में ऐसी संतान रेखा होती है उन्हें संतान से काफी कष्ट मिलता है।
यदि संतान रेखा के अंत में कोई द्विप जैसा निशान हो तो संतान रोगी होने की संभावनाएं अधिक रहती हैं।
यदि संतान रेखा विवाह रेखा को काटती हुई दिखाई देती है तो संतान आचरणहीन, माता-पिता को कष्ट देने वाली होती है। ऐसे योग बनते हैं।
यदि ये रेखाएं गहरी हों तो पुत्र प्राप्ति के योग बनते हैं और रेखाएं सामान्य या हल्की हों तो पुत्री के योग बनते हैं।
कहां होती हैं संतान रेखा- हथेली में सबसे छोटी अंगुली के नीचे बुध पर्वत होता है। बुध पर्वत पर ही हथेली के अंत में विवाह रेखा रहती हैं। विवाह रेखा (विवाह रेखा से संबंधित जानकारी पूर्व में प्रकाशित की जा चुकी है।) के पास ही खड़ी रेखाएं दिखाई देती हैं जिन्हें संतान रेखा कहा जाता है।
हस्तरेखा ज्योतिष की गणना काफी सटिक मानी जाती है। हाथों की रेखाओं के अध्ययन से किसी भी व्यक्ति के भूत-भविष्य और वर्तमान की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। हथेली में तीन महत्वपूर्ण रेखाएं बताईं गईं हैं, इनमें से जीवन रेखा आपके जीवन के विषय में काफी कुछ बता देती है।
जीवन रेखा गुरु पर्वत (इंडेक्स फिंगर के नीचे के भाग को गुरु पर्वत कहते हैं।) के नीचे हथेली के प्रारंभ से शुरू होती है। जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र (अंगूठे के नीचे का भाग) को घेरते हुए मणिबंध की ओर जाती है।
फोटो में देखिए और जानिए क्या-क्या बताती है जीवन रेखा…
– लंबी, गहरी, पतली, बिना टूट-फूट की क्रास-चिह्न रहित तथा दोष-हीन जीवन रेखा व्यक्ति के लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य को दर्शाती है।
– जीवन रेखा पर वर्ग चिह्न व्यक्ति के जीवन की रक्षा करते हैं। जबकि अन्य चिह्न रोग का सूचक होते हैं।
– यदि जीवन रेखा कटी हुई या टूटी हुई हो तो वह व्यक्ति के अल्पायु होने को दर्शाती है।
– आयु के संबंध में जीवन रेखा के साथ स्वास्थ्य रेखा, हृदय रेखा, मस्तिस्क रेखा और अन्य छोटी-छोटी रेखाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए।
– यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है।
– यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य अधिक अंतर हो तो व्यक्ति बिना सोच-विचार के कार्य करने वाला होता है।
– यदि जीवन रेखा दोनों हाथों में टूटी हुई हो तो वह व्यक्ति की असमय मृत्यु को दर्शाती है। परंतु यदि एक हाथ में जीवन रेखा टूटी हो तो वह व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
– यदि जीवन रेखा, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा तीनों प्रारंभ में मिली हुई हो तो व्यक्ति भाग्यहीन, दुर्बल और परेशानियों से घिरा होता है।
– यदि जीवन रेखा को कई छोटी-छोटी रेखाएं काटती हुई नीचे की ओर जाती हो तो व्यक्ति के जीवन में परेशानियों को दर्शाती हैं। यदि इस तरह की रेखाएं ऊपर की ओर जा रही हो तो व्यक्ति को सफलताएं प्राप्त होती है।
– यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होता है।
– यदि जीवन रेखा अंत में दो भागों में विभाजित हो गई हो तो व्यक्ति की मृत्यु जन्म स्थान से दूर होती है।
किसी भी व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य को जानने के लिए हस्तरेखा ज्योतिष सटीक उपाय है। हाथों की रेखाएं और पर्वत क्षेत्र बता देते हैं कि आने वाले कल में क्या होने वाला है और व्यक्ति का स्वभाव कैसा है और वह सोचता क्या है?
हथेली में शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे वाले भाग को शुक्र पर्वत कहते हैं। इसका क्षेत्र जीवन रेखा तक होता है।) देखकर मालुम किया जा सकता है कि व्यक्ति का चरित्र कैसा है?
यदि बुध पर्वत (सबसे छोटी वाली अंगुली के नीचे वाला भाग बुध पर्वत कहलाता है।) उभरा हुआ हो और मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा पास-पास हो तो ऐसे लोग दुष्ट प्रवृत्ति के हो सकते हैं।
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में चंद्र पर्वत (शुक्र पर्वत के दूसरी ओर हथेली का अंतिम भाग चंद्र पर्वत कहलाता है।) अधिक उभरा हुआ हो और अंगूठा छोटा तथा अंगुलियां लंबी हों तो यह भी अशुभ संकेत माने जाते हैं।
यदि किसी की हथेली में शुक्र पर्वत से चलकर कोई रेखा बुध पर्वत तक पहुंच गई हो तो यह भी अशुभ स्थिति मानी जाती है।
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में शुक्र अतिविकसित हो तो ऐसे लोग बुरे चरित्र के हो सकते हैं। अन्य पर्वतों से बहुत अधिक विकसित शुक्र पर्वत अच्छा नहीं माना जाता है।
अंगूठे के सबसे ऊपर वाले पहले भाग पर यदि कोई नक्षत्र का चिह्न बना हुआ है तो यह भी अशुभ माना जाता है।
यदि किसी व्यक्ति की हथेली में शुक्र पर्वत पर जाली जैसे के निशान बने हुए हैं तो यह भी अच्छे नहीं माने जाते हैं। सामान्यत: ऐसे लोग अच्छे चरित्र वाले नहीं होते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तिल भी हमारे स्वभाव और भविष्य को प्रभावित करते हैं। शरीर के अलग-अलग अंगों पर तिल होना अलग-अलग प्रभाव देता है। ऐसा माना जाता है कि पुरुषों के लिए दाएं अंग पर तिल होना शुभ है और बाएं अंग पर तिल होना अशुभ। जबकि स्त्रियों के लिए बाएं अंग पर तिल होना शुभ है तो दाएं अंग पर तिल होना अशुभ माना जाता है।
जिन लोगों के हाथों पर तिल होते हैं वे चतुर होते हैं। गुरु पर्वत यानि इंडेक्स फिंगर के नीचे वाले भाग पर तिल हो तो व्यक्ति धार्मिक हो सकता है। दायीं हथेली पर तिल हो तो व्यक्ति बलवान होता है। कुछ परिस्थितियों में दायीं हथेली का तिल व्यक्ति को धनवान भी बनाता है। बायीं हथेली पर तिल हो तो व्यक्ति खर्चीला तथा कंजूस हो सकता है।
तर्जनी यानि इंडेक्स फिंगर पर तिल:जिसकी तर्जनी पर तिल हो, वह विद्यावान, गुणवान और धनवान किंतु शत्रुओं से पीडि़त होता है।
अनामिका या रिंग फिंगर पर तिल:जिसकी अनामिका पर तिल हो तो वह ज्ञानी, यशस्वी, धनी और पराक्रमी होता है।
कनिष्ठका या लिटिल फिंगर पर तिल:कनिष्ठका पर तिल हो तो वह व्यक्ति संपत्तिवान होता है, किंतु उसका जीवन दुखमय होता है।
अंगूठे या थम्ब पर तिल: अंगूठे पर तिल हो तो व्यक्ति कार्यकुशल, व्यवहार कुशल तथा न्यायप्रिय होता है।
मध्यमा या मीडिल फिंगर पर तिल:मध्यमा पर तिल उत्तम फलदायी होता है। व्यक्ति सुखी होता है। उसका जीवन शांतिपूर्ण होता है।
जीवन रेखा ही हमारी आयु, बीमारी और जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को बताती है। जीवन रेखा से किसी भी व्यक्ति के व्यवहार, आचार-विचार की सही-सही जानकारी प्राप्त हो सकती है। हस्तरेखा में सबसे महत्वपूर्ण रेखा जीवन रेखा मानी गई है। जीवन रेखा गुरु पर्वत (इंडेक्स फिंगर के नीचे के भाग को गुरु पर्वत कहते हैं।) के नीचे हथेली के प्रारंभ से शुरू होती है। जीवन रेखा शुक्र क्षेत्र (अंगूठे के नीचे का भाग) को घेरते हुए मणिबंध की ओर जाती है।
– लंबी, गहरी, पतली, बिना टूट-फूट की क्रास-चिह्न रहित तथा दोष-हीन जीवन रेखा व्यक्ति के लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य को दर्शाती है।
– यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है।
– यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य अधिक अंतर हो तो व्यक्ति बिना सोच-विचार के कार्य करने वाला होता है।
– यदि जीवन रेखा दोनों हाथों में टूटी हुई हो तो वह व्यक्ति की असमय मृत्यु को दर्शाती है। परंतु यदि एक हाथ में जीवन रेखा टूटी हो तो वह व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
– यदि जीवन रेखा, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा तीनों प्रारंभ में मिली हुई हो तो व्यक्ति भाग्यहीन, दुर्बल और परेशानियों से घिरा होता है।