आइये जाने सपनों का अद्भुत संसार(विज्ञान )….स्वपन और उनके अच्छे -बुरे प्रभाव/ परिणाम —-
( KNOW ABOUT YOU DREAMS..THEIR EFFECTS & RESULTS)
(स्वप्न और उनका फल)——स्वप्न : एक अध्ययन—–

आदि काल से ही मानव मस्तिष्क अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने के प्रयत्नों में सक्रिय है। परंतु जब किसी भी कारण इसकी कुछ अधूरी इच्छाएं पूर्ण नहीं हो पाती (जो कि मस्तिष्क के किसी कोने में जाग्रत अवस्था में रहती है) तो वह स्वप्न का रूप ले लती हैं। 
आधुनिक विज्ञान में पाश्चात्य विचारक सिगमंड फ्रायड ने इस विषय में कहा है कि स्वप्न” मानव की दबी हुई इच्छाओं का प्रकाशन करते हैं जिनको हमने अपनी जाग्रत अवस्था में कभी-कभी विचारा होता है। अर्थात स्वप्न हमारी वो इच्छाएं हैं जो किसी भी प्रकार के भय से जाग्रत्‌ अवस्था में पूर्ण नहीं हो पाती हैं व स्वप्नों में साकार होकर हमें मानसिक संतुष्टि व तृप्ति देती है।

सपने या स्वप्न आते क्यों है? 

इस प्रश्न का कोई ठोस प्रामाणिक उत्तर आज तक खोजा नहीं जा सका है। प्रायः यह माना जाता है कि स्वप्न या सपने आने का एक कारण ÷नींद’ भी हो सकता है। विज्ञान मानता है कि नींद का हमारे मस्तिष्क में होने वाले उन परिवर्तनों से संबंध होता है, जो सीखने और याददाश्त बढ़ाने के साथ-साथ मांस पेशियों को भी आराम पहुंचाने में सहायक होते हैं। इस नींद की ही अवस्था में न्यूरॉन (मस्तिष्क की कोशिकाएं) पुनः सक्रिय हो जाती हैं। 
वैज्ञानिकों ने नींद को दो भागों में बांटा है पहला भाग आर ई एम अर्थात्‌ रैपिड आई मुवमेंट है। (जिसमें अधिकतर सपने आते हैं) इसमें शरीर शिथिल परंतु आंखें तेजी से घूमती रहती हैं और मस्तिष्क जाग्रत अवस्था से भी ज्यादा गतिशील होता है। इस आर ई एम की अवधि १० से २० मिनट की होती है तथा प्रत्येक व्यक्ति एक रात में चार से छह बार आर ई एम नींद लेता है। यह स्थिति नींद आने के लगभग १.३० घंटे अर्थात ९० मिनट बाद आती है। इस आधार पर गणना करें तो रात्रि का अंतिम प्रहर आर ई एम का ही समय होता है (यदि व्यक्ति समान्यतः १० बजे रात सोता है तो ) जिससे सपनों के आने की संभावना बढ़ जाती है। 
सपने बनते कैसे हैं : दिन भर विभिन्न स्रोतों से हमारे मस्तिष्क को स्फुरण (सिगनल) मिलते रहते हैं। प्राथमिकता के आधार पर हमारा मस्तिष्क हमसे पहले उधर ध्यान दिलवाता है जिसे करना अति जरूरी होता है, और जिन स्फुरण संदेशों की आवश्यकता तुरंत नहीं होती उन्हें वह अपने में दर्ज कर लेता है। इसके अलावा प्रतिदिन बहुत सी भावनाओं का भी हम पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। जो भावनाएं हम किसी कारण वश दबा लेते हैं (गुस्सा आदि) वह भी हमारे अवचेतन मस्तिष्क में दर्ज हो जाती हैं। रात को जब शरीर आराम कर रहा होता है मस्तिष्क अपना काम कर रहा होता है। (इस दौरान हमें चेतनावस्था में कोई स्कुरण संकेत भावनाएं आदि नहीं मिल रही होती) उस समय मस्तिष्क दिन भर मिले संकेतों को लेकर सक्रिय होता है जिनसे स्वप्न प्रदर्शित होते हैं। यह वह स्वप्न होते हैं जो मस्तिष्क को दिनभर मिले स्फुरण, भावनाओं को दर्शाते हैं जिन्हें दिनमें हमने किसी कारण वश रोक लिया था। जब तक यह प्रदर्शित नहीं हो पाता तब तक बार-बार नजर आता रहता है तथा इन पर नियंत्रण चाहकर भी नहीं किया जा सकता। 
स्वप्न मनुष्य के लिए बड़े ही आकर्षक लुभावने और रहस्यमय होते है. डरावने और बुरे स्वप्न जहां उसे भयभीत करते है. वहीं दिलचस्प, मनोहारी और अच्छे स्वप्न उसे आत्मविभोर कर देतेहै.

रात्री में सुप्त अवस्था में देखे गए स्वप्नों के स्वप्न जाल में घिरा वह सारादिन एक अजीब सी खुशी का अनुभव करता है.एक अजीब सी ऊर्जा उसके भीतर प्रवाहित होतीरहती है. मनुष्य स्वभाव ही ऐसा है, जो बुरेस्वप्न के फल को भी जानना चाहता है.और अच्छे स्वप्न के फल को भी जानने के लिएउत्सुक रहता है. 

आखिर स्वप्न क्या है, जो सदियों से मनुष्य को अपने शुभ अशुभ संकेतों द्वारा सचेत करता रहा है. असल मेंस्वप्न व्यक्ति के व्यक्तित्व का एक ऐसा “भाग्यसूचक” है. 

जो वह सब कुछ उसको निन्द्रावस्था में बताजाता है. जो उसके जीवन में शुभ अशुभ घटने वाला होता है. ऐसी सूक्ष्म और प्रामाणिकजानकारी मनुष्य को किसी भी पद्धति से नहीं मिल सकती है.

कुछ स्वप्न बड़े ही विचित्र और आश्चर्यजनकहोते है. व्यक्ति उन्हें देख कर अवाक रह जाता है. कि वह स्वप्न में कैसे आसमान मेंउड़ रहा था. कुछ स्वप्न ऐसे भी होते है. 

जो भविष्य में घटने वाली शुभ अशुभ घटनाओंका बोध कराते है. और कुछ स्वप्न बिलकुल ही मानव जीवन की सच्चाइयो से जुड़े होतेहै.


आप अगर रात के प्रथम पहर में कोई स्वप्न देखते हैतो उस स्वप्न का शुभ या अशुभ फल आपको साल भर में मिलने की संभावना रहती है. 

रात केदूसरे पहर में आप कोई स्वप्न देखते है.उसका शुभ या अशुभ फल मिलने का समय आठ महीनेका होता है. 

रात के तीसरे पहर में आप कोई स्वप्न देखते है तो तीन महीने में उसकाशुभ अशुभ फल मिलता है. 

रात के चौथे पहर के स्वप्न के फल प्राप्ति का समय एक माह होता है. और जो स्वप्न सुबह भोर काल में देखे जाते है उसका फल शीघ्र ही आपको मिलजाता है. 

दिन निकलने के बाद देखे जाने वाले स्वप्नों का फल आधे माह के भीतर ही मिलजाते है. जीवनमें बहुत प्रकार के स्वप्न दिखाई देते है और विभिन्न विषयों पर स्वप्न दृश्यमानहोते है, 

उन सभी चयन करना असंभव है फिर भी अधिकतर स्वप्न का फल बताने का प्रयासकिया जा रहा है जो कि शब्दों के क्रमवार से लिखने का प्रयास कर रहा हूँ…..
स्वप्न मनुष्य के लिए बड़े ही आकर्षकलुभावने और रहस्यमय होते है. डरावने और बुरे स्वप्न जहां उसे भयभीत करते है. वहींदिलचस्प, मनोहारी और अच्छे स्वप्न उसे आत्मविभोर करदेते है.

 रात्री में सुप्त अवस्थामें देखे गए स्वप्नों के स्वप्न जाल में घिरा वह सारा दिन एक अजीब सी खुशी काअनुभव करता है.एक अजीब सी ऊर्जा उसके भीतर प्रवाहित होती रहती है. मनुष्य स्वभावही ऐसा है, जो बुरे स्वप्न के फल को भी जानना चाहताहै.और अच्छे स्वप्न के फल को भी जानने के लिए उत्सुक रहता है. 

आखिर स्वप्न क्या है, जो सदियों सेमनुष्य को अपने शुभ अशुभ संकेतों द्वारा सचेत करता रहा है. असल में स्वप्न व्यक्तिके व्यक्तित्व का एक ऐसा “भाग्य सूचक” है. 

जो वह सब कुछ उसको निन्द्रावस्था में बताजाता है. जो उसके जीवन में शुभ अशुभ घटने वाला होता है. ऐसी सूक्ष्म और प्रामाणिकजानकारी मनुष्य को किसी भी पद्धति से नहीं मिल सकती है.

कुछ स्वप्न बड़े ही विचित्र औरआश्चर्यजनक होते है. व्यक्ति उन्हें देख कर अवाक रह जाता है. कि वह स्वप्न मेंकैसे आसमान में उड़ रहा था. कुछ स्वप्न ऐसे भी होते है. 

जो भविष्य में घटने वाली शुभ अशुभघटनाओं का बोध कराते है. और कुछ स्वप्न बिलकुल ही मानव जीवन की सच्चाइयो से जुड़ेहोते है.

हमारे प्राचीनकाल के ग्रंथों में स्वप्न विज्ञान को काफी महत्व दिया गया है। स्वप्न परमात्मा की ओर से होने वाली घटनाओं के पूर्व संकेत होते हैं। स्वप्न का प्रभाव निश्चित रूप से हर मनुष्य पर पड़ता है। 

यदि कोई अच्छा-सा स्वप्न दिखाई दे तो हम खुश होते हैं, किंतु बुरा दिखाई दे तो घबराकर तुरंत ज्योतिषियों के पास पहुँच जाते हैं। स्वप्न तो छोटे-छोटे निरीह बालकों को भी नहीं छोड़ते हैं। वे नींद में कभी हँसते हैं और कभी डर से रोने लगते हैं। 


हमारे प्राचीनकाल के ग्रंथों में स्वप्न विज्ञान को काफी महत्व दिया गया है। स्वप्न परमात्मा की ओर से होने वाली घटनाओं के पूर्व संकेत होते हैं। स्वप्न का प्रभाव निश्चित रूप से हर मनुष्य पर पड़ता है। 

यदि कोई अच्छा-सा स्वप्न दिखाई दे तो हम खुश होते हैं, किंतु बुरा दिखाई दे तो घबराकर तुरंत ज्योतिषियों के पास पहुँच जाते हैं। स्वप्न तो छोटे-छोटे निरीह बालकों को भी नहीं छोड़ते हैं। वे नींद में कभी हँसते हैं और कभी डर से रोने लगते हैं।
इन्सान मे यह गुण है कि वह सपनों को सजाता रहता है या यूँ कहे कि भीतर उठने वाली हमारी भावनाएं ही सपनो का रूप धारण कर लेती हैं । इन उठती भावनाओं पर किसी का नियंत्रण नही होता । हम लाख चाहे,लेकिन जब भी कोई परिस्थिति या समस्या हमारे समक्ष खड़ी होती है,हमारे भीतर भावनाओं का जन्म होनें लगता है । ठीक उसी तरह जैसे कोई झीळ के ठहरे पानी में पत्थर फैंकता है तो पानी के गोल-गोल दायरे बननें लगते हैं । यह दायरे प्रत्येक इन्सान में उस के स्वाभावानुसार होते हैं । इन्हीं दायरों को पकड़ कर हम सभी सपने बुननें लगते हैं ।यह हमारी आखरी साँस तक ऐसे ही चलता रहता है ।

इसी लिए हम सभी सपने दॆखते हैं ।शायद ही ऐसा कोई इंसान हो जिसे रात को सोने के बाद सपनें ना आते होगें । जो लोग यह कहते हैं कि उन्हें सपनें नही आते, या तो वह झूठ बोल रहे होते हैं या फिर उन्हें सुबह उठने के बाद सपना भूल जाता होगा । हो सकता है उन की यादाश्त कमजोर हो । या फिर उनकी नीदं बहुत गहरी होती होगी । जैसे छोटे बच्चों की होती है । उन्हें आप सोते समय अकसर हँसता- रोता हुआ देखते रहे होगें , ऐसी गहरी नीदं मे सोनें वाले भी सपनों को भूल जाते हैं और दावा करते हैं कि उन्हें सपनें नही आते । लेकिन सपनों का दिखना एक स्वाभाविक घटना है । इस लिए यह सभी को आते हैं । 
निद्रा और स्वप्न का चोली-दामन का संबंध है। नींद के बिना सपने नहीं आते हैं। यह धारणा गलत है कि गहरी नींद में सपने नहीं आते हैं। गहरी नींद में भी सपने आते हैं, अलबत्ता कुछ लोगों को ऐसे सपने याद नहीं रहते। सपना सभी देखते हैं कुछ वर्ष पहले यह बात समाचार-पत्रों में आई कि पाश्चात्य शोध ने सिद्ध कर दिया है कि मनुष्य ही नहीं, पशु भी सपने देखते हैं। यह तथ्य हमारे चिंतकों ने सदियों पहले बताया था।

प्रश्नोपनिषद के पांचवें श्लोक में यह स्पष्ट है कि सभी प्राणी स्वप्न देखते हैं। सर्वपश्यतिसर्व:पश्यति मान्यता है कि उपनिषदों का समय लगभग 6 हजार वर्ष पहले का है। दरअसल, मनुष्य या किसी भी प्राणी में शरीर, मन और आत्मा की प्रधानता होती है। मुख्य रूप से स्वप्न मन के विषय हैं। यही कारण है कि मनोविज्ञान विषय के अन्तर्गत उसका अध्ययन किया जाता है। उपनिषद कहते हैं-अत्रैषदेव:स्वप्नेमहिमानमनुभवति।

स्वप्न अक्सर सही होते हैं, कभी-कभी ही यह सच नहीं होता। स्वप्न संबंधी किंवदंतियां लोगों के अनुभवों पर आधारित होती हैं। इसलिए उन्हें अंधविश्वास कह कर गलत नहीं ठहराया जा सकता है। 

क्या है अर्थ? 

स्वप्न देखने के बाद हम उसका कुछ न कुछ अर्थ लगाते हैं। इसके आधार पर स्वप्नों के कुछ प्रकार हैं-निरर्थक सार्थक, भविष्यसूचक,शुभफलदायी,अशुभफलदायी,दैवी, आवश्यकता-पूर्ति-कारक, आनंद देने वाला, भय दर्शाने वाला इत्यादि। निरर्थक स्वप्न ऐसे होते हैं, जो मन के भटकावसे उत्पन्न होते हैं। जागने पर प्राय: हम उसे भूल जाते हैं। जो स्वप्न हमें याद रहते हैं, वे सार्थक कहलाते हैं। ये स्वप्न शुभ फलदायी,अशुभ फलदायी या भविष्य सूचक भी हो सकते हैं। छत्रपति शिवाजी की इष्ट देवी तुलजा भवानी थीं। स्थानीय लोग मानते हैं कि उन्होंने स्वप्न में प्रकट होकर शिवाजी से बीजापुरके सेनापति अफजल से युद्ध करने का आदेश दिया था। जनश्रुतियोंके अनुसार, स्वयं शिव और पार्वती तुलसीदास के स्वप्न में आए। उन दोनों ने उन्हें रामचरितमानस लोक भाषा में लिखने का आदेश दिया।
 गोस्वामी के शब्दों में —–
सपनेहुंसाथिमोपर, जो हर गौरी पसाउ।
तेफुट होइजो कहहीं, सब भाषा मनितिप्रभाउ।
लोक-भाषा अवधि में लिखा गया रामचरितमानस और तुलसी दोनों अमर हो गए।

इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स:—— पाश्चात्य चिंतकों ने भी सपनों का विश्लेषण किया है। इनमें फ्रॉयडका नाम उल्लेखनीय है। उनका इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स बहुत लोकप्रिय हुआ। फ्रॉयडके अनुसार, हम अपनी नींद को तीन अवस्था में बांट सकते हैं-चेतन (कॉन्शस), अचेत (अनकॉन्शस), अर्द्धचेतन (सब कॉन्शस)।अर्द्धचेतन अवस्था में ही हम स्वप्न देखते हैं। उनके अनुसार, स्वप्न में हम सभी उन्हीं इच्छाओं को पूरी होते हुए देखते हैं, जिसे हम अपने मन में दबाए रखते हैं। यह इच्छा किसी लक्ष्य को पाने, यहां तक कि हमारी दमित काम भावना भी हो सकती है। फ्रॉयडका कहना था कि हमें उन स्वप्नों को सच मानने के बजाय उनका विश्लेषण करना चाहिए।स्वप्न के आधार पर फलकथन करने में ज्योतिषियों को आसानी होती है। सपनों में कुछ भी कर सकने की आजादी होती है। चाहे तो मछली को सड़क पर दौड़ा दें या गरूड़ को पानी में तैरते हुए देखें। जब मनुष्य गहरी नींद में होता है तो उसका इलेक्ट्रो एनसेफलोग्राफ (ईईजी) अल्फा तरंगों को स्थिर गति में दिखाता है, जिसमें सामान्य श्वास, नाड़ी धीमी और शरीर का तापमान कम हो जाता है। परंतु स्वप्न अवस्था में गतिशीलता बढ़ जाती है।
 
 हमारे प्राचीनकाल के ग्रंथों में स्वप्न विज्ञान को काफी महत्व दिया गया है। स्वप्न परमात्मा की ओर से होने वाली घटनाओं के पूर्व संकेत होते हैं। स्वप्न का प्रभाव निश्चित रूप से हर मनुष्य पर पड़ता है। यदि कोई अच्छा-सा स्वप्न दिखाई दे तो हम खुश होते हैं।    
शब्द बहुत छोटा है स्वप्न। भौतिक और जगत के अध्यात्म का समन्वय ही स्वप्न है। भौतिक अर्थात जो कुछ आंखों से दिख रहा है, इंद्रियां जिसे अनुभव कर रही हैं और दूसरा आध्यात्मिक अर्थात जो हमें खुली आंखों और स्पर्श से नहीं अनुभूत हो रहा। ये दोनों अवस्थाएं जीवन के दो पहलू हैं। दोनों सत्य है। एक बार एक लकड़हारा रात में सोते समय सपने देखने लगा कि वह बहुत अमीर हो गया है। नींद खुलने पर बहुत प्रसन्न हुआ। उसकी पत्नी रूखा सूखा भोजन देने आई तो वह बोला कि अब हम अमीर हैं, ऐसा खाना नहीं खाता हूं। पत्नी समझ गई कि उसका पति कोई निकृष्ट स्वप्न देख कर जगा है। शाम तक उसने उसे कुछ नहीं दिया जब लकड़हारा भूख से व्याकुल हुआ तो उसे सपने के सत्य-असत्य का ज्ञान हुआ और पुनः वह अपनी वास्तविक स्थिति पर लौट आया। अब प्रश्न यह उठता है कि स्वप्न, सत्य-असत्य कैसे है? कुछ क्षण के लिए सत्य का भान कराता है बाद में असत्य हो जाता है, कभी सत्य हो जाता है। 

ऋषि, महर्षि, आचार्यों ने इस भूमि पर रह कर संसार को असत्य अर्थात स्वप्निल कहा है, स्वप्न के समान। गृहस्थ भी समाज देश में रह कर अपना स्थान मात्र स्मारक, फोटो फ्रेम तक सीमित मान लें, तो यह आध्यात्मिक सत्य है। ईश्वर को देखा नहीं गया है, लेकिन विश्व का हर देश, समाज, संप्रदाय किसी न किसी रूप में इसे स्वीकारता है। अतः यह पूर्ण सत्य है। जगत का सत्य अर्थात स्वप्निल संसार से सपनों का अर्थ निकालने में इसे ÷भ्रम’ कहा जा सकता है। ÷भ्रम’ इस अर्थ में कि अभी इस पर बहुत कुछ आधुनिक विज्ञान से पाने की संभावना बनती है। 

हर मनुष्य की दो अवस्थाएं होती हैं, पहला जाग्रत या अनिंद्रित, दूसरी पूर्ण निंद्रा में अर्थात सुषुप्त। इसमें पुनः दो बार संधि काल आता है पहला जब सोने जाते हैं -पूर्ण निंद्रा में जाने से पहले और दूसरा, सोकर उठने से कुछ काल पहले का समय होता है। जाग्रत और पूर्ण निद्रावस्था के बीच के समय प्रायः स्वप्न आते हैं। एक विचार से नींद में दिखने वाला सब कुछ असत्य होता है, तो दूसरी विचारधारा में स्वप्न, पूर्व का घटित सत्य होता है। आगे इस पर विचार करेंगे कि प्रायः दिखने वाले स्वप्नों के क्या कारण हो सकते हैं ? भौतिक शरीर नहीं रहने पर, मन बुद्धि और मस्तिष्क के विचारों का, क्या शव के साथ दहन-दफन हो जाता है? कदापि किसी भी उर्जा का क्षय नहीं होता, रूपांतरण होता है। यह सर्वसत्य तथा वैज्ञानिक, मनीषियों की विवेचना है। जन्म-जन्मांतर में ये संस्कारिक रूप में आते हैं। वैसे सुषुप्त अवस्था में, मन बुद्धि और मस्तिष्क का ज्ञान भंडारपूर्ण सुषुप्त नहीं होता। निद्रा देवी अर्थात नींद कैसे आती है और कहां चली जाती है। इसे कौन नियंत्रित करता है ? वह ÷मन’ है। शांत भाव से सोचते हैं कि सोना है और धीरे धीरे सो जाते हैं। अगर मन में यह बात बैठी है कि प्रातःकाल अमुक समय उठना है तो नींद गायब भी, समय पर हो जाती है। जैसे बंद मोबाइल, कंप्यूटर जब भी चालू करेंगे, वह समय ठीक ही बताएगा। अर्थात उसमें कुछ बंद अवस्था में भी चल रहा है। मानव शरीर एक विलक्षण यंत्र है इसमें वैदिक ज्ञान से लेकर अकल्पनीय कार्य क्षमता का समावेश है। भगवान की इस रचना के लिए श्रीगीता का एक श्लोक है – न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत्‌। 
कार्यते ह्यवशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः॥


श्रीगीता के इस श्लोक का यह भाव है कि सुषुप्त अवस्था में भी मन द्वारा मस्तिष्क के संचित ज्ञान भंडार से कुछ न कुछ कार्य होता रहता है। सुषुप्त अवस्था में भी क्षण मात्र को कोई भी प्राकृतिक गुण-धर्म से अलग नहीं होता। प्रथम प्रकृति ही ईश्वर है। वह सदा साथ रहता है, मानव शरीर से शीर्ष पर, अर्थात सबसे ऊपर जो हमारा मस्तिष्क है। दिमाग की थोड़ी सी चूक उसे प्रगति से दूर्गति तक पहुंचा देती है। मस्तिष्क का संचालक ÷मन’ है, हमारी सोच है। कल्याणकारी सोच अच्छे सपनों को जन्म देती है, निकृष्ट सोच सदा बुरे सपनों को संजोता है। मनोवैज्ञानिक भी यही कहते हैं कि स्वप्न मन की उपज है। 

मनुष्य मस्तिष्क में असंख्य तंतुओं का जाल या संग्रहालय है। जागृत अवस्था में मन से उसे संचालन करते हैं फिर भी बहुत से मस्तिष्क रूपी कंप्यूटर खोलने और बंद करने में दिन भर की बाधाएं आती रहती हैं। मस्तिष्क की व्यवस्था जब विधिवत्‌ बंद नहीं होती तो दिमाग बोझिल होकर निंद्रा में, कार्य करने पर स्वप्नों का निर्माण करता है। जब जगते हैं तो उनका अपुष्ट स्वरूप ध्यान आता है, फिर विचार करते हैं कि यह शुभ फल देगा या अशुभ। स्वप्न का अर्थ हमेशा निरर्थक नहीं होता, क्योंकि पूर्वजन्म की मनोदशा और ज्ञान संस्कार पुनः आगे के जन्मों में परिलक्षित होते हैं। बाह्य चेतना जन्य बोध, वर्तमान चेतना के बोध को भले ही अस्वीकार करे, लेकिन सच्चा ज्ञान एवं घटित कार्य कलाप अंतरात्मा में निहित होते हैं। मन से मस्तिष्क के ज्ञान का उदय, दिवा या रात्रि स्वप्न होते हैं। 

बार-बार एक ही तरह के स्वप्न को देखने वाले कई लोग एक ही प्रकार की उपलब्धि पाते हैं तो स्वप्न विचारक मनीषी इसे तालिका के रूप में प्रस्तुत करते हैं। बहुत ही प्राचीन काल से यह धारणा चली आ रही है और प्रायः यह सत्य के करीब है। स्वर्ण, आभूषण, रत्न आदि की प्राप्ति का स्वप्न, आने वाले समय में इसका क्षय दर्शाते हैं। वैसे ही मल मूत्र और अशुद्धियों से युक्त वातावरण के सपने से सम्मान पाना तथा शुभ वातावरण में समय व्यतीत होना लिखा है। लेकिन मरे हुए पशु और सूखे ताल का दृश्य इसका विपरीत बोध नहीं कराता, बल्कि आने वाले समय में विभिषीका को दर्शाता है। स्वप्न में सूर्य, चंद्र, मंदिर और भगवान स्वरूपों के दर्शन अति शुभ लिखे गए हैं। ऐसी तालिकाएं प्रायः पंचांगों में विद्वान ज्योतिषाचार्यों ने दे रखी हैं। ज्योतिषीय विवेचना में चंद्र को मन का कारक कहा गया है। अतः मन ही सपनों का जनक कहा जा सकता है। जिस जातक के लग्न में कमजोर ग्रह, दूषित चंद्र या दृष्टिगत शत्रु ग्रह होते हैं, वे जातक आसन के कमजोर माने जाते हैं। ऐसे लोगों को स्वप्न ज्यादा दिखते हैं तथा नजर दोष, डर, भय के ज्यादा शिकार होते हैं। मनोवैज्ञानिक भी इसके उपचार में यथासाध्य दिमागी रोग का इलाज करते हैं। ज्योतिष संभावनाओं और पूर्व सूचनाओं का संपूर्ण विज्ञान है। दिवा स्वप्न हो या रात्रि स्वप्न, डरावने सपने हों या निरर्थक स्वप्न, इन सबों से छूटकारा पाने का एक मंत्र, जो प्रख्यात आचार्यों द्वारा प्रतिपादित है यहां दिया जा रहा है – 
मंगलम्‌ भगवान विष्णु मंगलम्‌ गरुड़ोध्वजः। 
मंगलम्‌ पुण्डरीकाक्ष मंगलायस्तनोहरिः। 
यः स्मरेत्‌ पुण्डिरीकाक्षं सः बाह्याभ्यन्तरः शुचिः’॥ 
बुरे सपनों को दूर करने हेतु जातक या उसके माता पिता को श्रद्धा से पूजा-पाठ के समय इसका जप करना चाहिए। नियमित रूप से इष्ट/गुरु के सम्मुख इस मंत्र की प्रार्थना का प्रभाव देखा जा सकता है। कुछ ही दिनों में भय उत्पन्न करने वाले एवं निकृष्ट सपनों का निश्चित परिमार्जन होता देखा गया है। साथ ही साथ आनेवाले समय में देवी-देवताओं की आकृतियों का आभास होने लगता है। आंखें बंद कर पूजा करने वाले भी देवताओं की आकृति का स्मरण करते हैं, वैसे ही स्वप्नों में भी इनकी आकृति अतिशुभ है। जीवन के होते हुए भी मृत्यु सत्य है, वैसे ही जगत के स्वप्निल होते हुए भी स्वप्न का अस्तित्व है, चाहे वे इस जीवन के हों या जन्म जन्मांतरण के। अंतरात्मा का ज्ञान एक मूर्त सत्य है, यह पूर्ण श्रद्धा उदित करती है और यही इसका आधार है।  

साँस तेज, नाड़ी तेज और तापमान भी अधिक रहता है। यह अवस्था प्रायः रात में 4-5 बार आती है। इस अवस्था में शरीर के अंग गतिमान होते हैं। नाड़ी बढ़ी हुई और मस्तिष्क जागृति वाली स्थिति का प्रकार दर्शाता है। 

सपने देखना मानव जीवन की एक आवश्यक आवश्यकता है। सपने देखने में कमी होने का मतलब है आप में प्रोटीन की कमी है या फिर आप पर्सनॉलिटी डिसऑर्डर के शिकार हैं। 

—–साँप- भारतीय परंपरा में मदमस्त साँप को देखने का अर्थ है, कुंडली का जागृत होना तथा आंतरिक प्रेरणा एवं बाहरी सजग दृष्टिकोण के बीच संघर्ष के रहते सपनों में हिलते सर्प दिखाई देते हैं। 
—– पक्षी- पक्षी आत्मा या वासनाओं से मुक्ति का प्रतीक होता है। स्वप्न में पक्षी किस अवस्था में दिखता है उसी से आत्मा की स्थिति का अनुमान लगाया जाता है।
—– उड़ना- यह आत्मविश्वास या स्वतंत्रता एवं मोक्ष का दर्शन है। आधुनिक विचारधारा इसे असाधारण क्षमता के प्रतीक के रूप में देखती है।
—-घोड़े- घोड़े का दिखना स्वस्थ होने का सूचक है। यह परोक्ष दर्शन की क्षमता सुझाता है। कुछ लोग इसका संबंध प्रजनन से जोड़ते हैं।

कुछ स्वप्न और उनका प्रभाव—–
—– यदि स्वप्न में व्यक्ति खुद को पर्वत पर चढ़ता पाए, तो उसे एक दिन सफलता निश्चित मिलती है। 
——- उल्लू दिखाई दे, तो यह रोग अथवा शोक का सूचक माना जाता है।
  यदि कोई बुरा स्वप्न दिखाई दे, तो नींद खुलते ही गायत्री मंत्र पढ़कर पानी पी लेना चाहिए। उसी समय हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए और फिर नहीं सोना चाहिए।      
————– कबूतर दिखाई दे तो यह शुभ समाचार का सूचक है। 
—– व्यक्ति खुद को रोटी बनाता देखे, तो यह रोग का सूचक है। 
—- भंडारा कराते देखने पर व्यक्ति का जीवन धनधान्य से पूर्ण रहेगा। 
—– दिन में दिखे स्वप्न निष्फल होते हैं। 
—— सपनों में मनुष्य की रुचि हमेशा से ही है। हमारे वेदों-पुराणों में भी सपनों के बारे में जिक्र किया गया है। यदि कोई बुरा स्वप्न दिखाई दे, तो नींद खुलते ही गायत्री मंत्र पढ़कर पानी पी लेना चाहिए। उसी समय हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए और फिर नहीं सोना चाहिए।
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शुभाशुभ स्वप्नों के पुराणोक्त फल—-

जागृतावस्था में देखे, सुने एवं अनुभूत प्रसंगों की पुनरावृत्ति, सुषुप्तावस्था में मनुष्य को किसी न किसी रूप में एवं कभी-कभी बिना किसी तारतम्य के, शुभ और अशुभ स्वप्न के रूप में, दिग्दर्शित होती है, जिससे स्वप्न दृष्टा स्वप्न में ही आह्‌लादित, भयभीत और विस्मित होता है।  
ज्ञानिक, या चिकित्सकीय दृष्टि से मानसिक उद्विग्नता, पाचन विकार, थकान, चिंता एवं आह्‌लाद के आधिक्य पर भी स्वप्न आधारित होते हैं। बहरहाल, शुभ स्वप्नों से शुभ कार्यों के अधिकाधिक प्रयास से कार्यसिद्धि में संलग्न होने का संकेत मिलता है और अशुभ स्वप्नों में आगामी संभावित दुखद स्थिति के प्रति सचेत रहने की नसीहत लेना विद्वानों द्वारा श्रेयष्कर बताया गया है। तदनुसार – 

लक्षण स्वप्न शुभाशुभ, कह्यो, मत्स्य भगवान।
शुभ प्रयासरत, अशुभ से होंहि सचेत सुजान॥ 

श्री मत्स्य पुराण के २४२ वें अध्याय में बताया गया है कि सतयुग में जब भगवान अनंत जगदीश्वर ने मत्स्यावतार लिया था, तो मनु महाराज ने उनसे मनुष्य द्वारा देखे गये शुभाशुभ स्वप्न फल का वृत्तांत बताने का आग्रह किया था। 

मनु महराज ने, अपनी जिज्ञासा शांत करने हेतु, मत्स्य भगवान से पूछा कि हे भगवान! यात्रा, या अनुष्ठान के पूर्व, या वैसे भी सामान्यतया जो अनेक प्रकार के स्वप्न मनुष्य को समय-समय पर दिखायी देते हैं, उनके शुभाशुभ फल क्या होते हैं, बताने की कृपा करें, यथा- 

स्वप्नाख्यानं कथं देव गमने प्रत्युपस्थिते। दृश्यंते विविधाकाराः कशं तेषां फलं भवेत्‌॥ 
मत्स्य भगवान ने स्वप्नों के फलीभूत होने की अवधि के विषय में बताते हुये कहा : 
कल्कस्नानं तिलैर्होमो ब्राह्मणानां च पूजनम्‌। स्तुतिश्च वासुदेवस्य तथा तस्यैव पूजनम्‌॥६॥ 
नागेंद्रमोक्षश्रवणं ज्ञेयं दुःस्वप्नाशनम्‌। स्वप्नास्तु प्रथमे यामे संवस्तरविपाकिनः॥७॥ 
षड्भिर्भासैर्द्वितीये तु त्रिभिर्मासैस्तृतीयके। चतुर्थे मासमात्रेण पश्यतो नात्र संशयः॥८॥ 
अरुणोदयवेलायां दशाहेन फलं भवेत्‌। एकस्यां यदि वा रात्रौशुभंवा यदि वाशुभम्‌॥९। 
पश्र्चाद् दृषृस्तु यस्तत्र तस्य पाकं विनिर्दिशेत्‌। तस्माच्छोभनके स्वप्ने पश्र्चात्‌ स्वप्नोनशस्यते॥२०॥ 

अर्थात, रात्रि के प्रथम प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल एक संवत्सर में अवश्य मिलता है। दूसरे प्रहर में देखे गये स्वप्न का फल ६ माह में प्राप्त होता है। तीसरे पहर में देखे गये स्वप्न का फल ३ माह में प्राप्त होता है। चौथे पहर में जो स्वप्न दिखायी देता है, उसका फल . माह में निश्चित ही प्राप्त होता है। अरुणोदय, अर्थात सूर्योदय की बेला में देखे गये स्वप्न का फल १० दिन में प्राप्त होता है। यदि एक ही रात में शुभ स्वप्न और दुःस्वप्न दोनों ही देखे जाएं, तो उनमें बाद वाला स्वप्न ही फलदायी माना जाना चाहिए, अर्थात्‌ बाद वाले स्वप्न फल के आधार पर मार्गदर्शन करना चाहिए। क्योंकि बाद वाला स्वप्न फलीभूत होता है, अतः यदि रात्रि में शुभ स्वप्न दिखायी दे, तो उसके बाद सोना नहीं चाहिए। 

शैलप्रासादनागाश्र्ववृषभारोहणं हितम्‌। द्रुमाणां श्वेतपुष्पाणां गमने च तथा द्विज॥२॥ 
द्रुमतृणारवो नाभौ तथैव बहुबाहुता। तथैव बहुशीर्षत्वं फलितोद्भव एवं च॥२२॥ 
सुशुक्लमाल्यधारित्वं सुशुक्लांबरधारिता। चंद्रार्कताराग्रहणं परिमार्जनमेव च॥२३॥ 
सक्रध्वजालिंग्नं च तदुच्छ्रायक्रिया तथा। भूंयंबुधीनां ग्रसनं शत्रुणां च वधक्रिया॥२४॥ 

अर्थात, शुभ स्वप्नों के फल बताते हुए श्री मत्स्य भगवान ने मनु महाराज को बताया कि पर्वत, राजप्रासाद, हाथी, घोड़ा, बैल आदि पर आरोहण हितकारी होता है तथा जिन वृक्षों के पुष्प श्वेत, या शुभ हों, उनपर चढ़ना शुभकारी है। नाभि में वृक्ष एवं घास-फूस उगना तथा अपने शरीर में बहुत सी भुजाएं देखना, या अनेक शिर, या मस्तक देखना, फलों को दान करते देखना, उद्भिजों के दर्शन, सुंदर, शुभ अर्थात्‌ श्वेत माला धारण करना, श्वेत वस्त्र पहनना, चंद्रमा, सूर्य और ताराओं को हाथ से पकड़ना, या उनके परिमार्जन का स्वप्न दिखायी देना, इंद्र धनुष को हृदय से लगाना, या उसे ऊपर उठाने का स्वप्न दिखायी देना और पृथ्वी, या समुद्र को निगल लेना एवं शत्रुओं का वध करना, ऐसे स्वप्न देखना सर्वथा शुभ होता है। इसके अतिरिक्त भी जो स्वप्न शुभ होते हैं, वे निम्न हैं : 

जयो विवादे द्यूते व संग्रामे च तथा द्विज। भक्षणं चार्द्रमांसानां मत्स्यानां पायसस्य च॥२५॥ 
दर्शनं रुधिरस्यापि स्नानं वा रुधिरेण च। सुरारुधिरमद्यानां पानं क्षीरस्य चाथ वा॥२६॥ 
अन्त्रैर्वा वेषृनं भूमौ निर्मलं गगनं तथा। मुखेन दोहनं शस्तं महिषीणां तथा गवाम्‌॥२७॥ 
सिंहीनां हस्तिनीनां च वडवानां तथैव च। प्रसादो देवविप्रेभ्यो गुरुभ्यश्र्च तथा शुभः॥२८॥ 

मत्स्य भगवान ने, मनु महाराज से उक्त तारतम्य में स्वप्नों के शुभ फलों की चर्चा करते हुए, बताया कि स्वप्न में संग्राम, वाद-विवाद में विजय, जुए के खेल में जीतना, कच्चा मांस खाना, मछली खाना, खून दिखाई देना, या रुधिर से नहाते हुए दिखाई देना, सुरापान, रक्तपान, अथवा दुग्धपान, अपनी आंतों से पृथ्वी को बांधते हुए देखना, निर्मल नभ देखना, भैंस, गाय, सिंहनी, हथिनी, या घोड़ी के थन में मुंह लगा कर दूध पीना, देवता, गुरु और ब्राह्मण को प्रसन्न देखना सभी शुभ फलदायी एवं शुभ सूचक होते हैं। मत्स्य भगवान ने और भी शुभ स्वप्नों की चर्चा करते हुए मनु महाराज को बताया : 

अंभसा त्वभिषेकस्तु गवां श्रृग्सुतेन वा। चंद्राद् भ्रष्टेना वाराज४ाशेयोसज्यप्रदो हि सः॥२९॥ 
राज्याभिषेकश्र्च तथा छेदनं शिरसस्तथा। मरणं चह्निदाहश्र्च वह्निदाहो गृहादिषु॥३०। 
लब्धिश्र्च राज्यलिग्नां तंत्रीवाद्याभिवादनम्‌। तथोदकानां तरणं तथा विषमलड़घनम्‌॥३१॥ 
हस्तिनीवडवानां च गवां च प्रसवों गृहे। आरोहणमथाश्र्वानां रोदनं च तथा शुभम्‌॥३२। 
वरस्रीणां तथा लाभस्तथालिग्नमेव च। निगडैर्बंधनं धन्यं तथा विष्ठानुलेपनम्‌॥३२॥ 
जीवतां भूमिपालानां सुह्‌दामपि दर्शनम्‌। दर्शनं देवतानां च विमलानां तथांभसाम्‌॥३४॥ 
शुभांयथैतानि नरस्तु हष्ट्वा प्राप्नोत्ययत्वाद् ध्रुवमर्थलाभम्‌। 
स्वप्नानि वै धर्मभृतां वरिष्ठ व्याधेर्विमोक्षं च तथातुरोऽपि॥३५॥ 

और भी अधिक शुभ स्वप्नों के फल मनु महाराज को बताते हुए श्री मत्स्य भगवान ने कहा कि राजन ! गौवों के सींग से स्रवित जल, या चंद्रमा से गिरते हुए जल से स्नान का स्वप्न सर्वथा शुभ एवं राज्य की प्राप्ति कराने वाला होता है। राज्यारोहण का स्वप्न, मस्तक कटने का स्वप्न, अपनी मृत्यु, प्रज्ज्वलित अग्नि देखना, घर में लगी आग का स्वप्न देखना, राज्य चिह्नों की प्राप्ति, वीणा वादन, या श्रवण, जल में तैरना, दुरूह स्थानों को पार करना, घर में हस्तिनी, घोड़ी तथा गौ का प्रसव देखना, घोड़े की सवारी करते देखना, स्वयं को रोते देखना आदि स्वप्न शुभ और मंगल शकुन के द्योतक होते हैं। इसके अतिरिक्त सुंदरियों की प्राप्ति तथा उनका आलिंगन, जंजीर में स्वयं को बंधा देखना, शरीर में मल का लेप देखना, जो राजा मौजूद हैं, उन्हें स्वप्न में देखना, मित्रों को स्वप्न में देखना, देवताओं का दर्शन, निर्मल जल देखने के स्वप्न भी सर्वथा शुभकारी होते हैं, जिससे बिना प्रयास के धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है तथा रुग्ण व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है। अशुभ स्वप्नों एवं उनके फलों के विषय में श्री मत्स्य भगवान मनु महाराज को बताते हुए कहते हैं : 

इदानीं कथयिष्यामि निमित्तं स्वप्नदर्शने। नाभिं विनान्यगात्रेषु तृणवृक्षसमुरवः॥२। 
चूर्णनं मूध्निं कांस्यानां मुण्डनं नग्नता तथा। मलिनांबरधारित्त्वमभ्यग्ः पटदिग्धता॥३॥ 
उच्चात्‌ प्रपतनं चैव दोलारोहणमेव च। अर्जनं पटलोहानां हयानामपि मारणम्‌॥४॥ 
रक्तपुष्पद्रुमाणां च मंडलस्य तथैव च। वराहर्क्षखरोष्ट्राणां तथा चारोहणक्रिया॥५॥ 
भक्षणं पक्षिमत्स्यानां तैलस्य कृसरस्य च। नर्तनं हसनं चैव विवाहो गीतमेव च॥६॥ 
तंत्रीवाद्यविहीनानां वाद्यानामभिवादनम्‌। स्रोतोऽवगाहगमनं स्नानं गोमयवारिणा॥७॥ 
पटोदकेन च तथा महीतोयेन चाप्यथ। मातुः प्रवेशा जठरे चितारोहणमेव च॥८॥ 
शक्रध्वजाभिपतनं पतनं शशिसूर्ययोः। दिव्यांतरिक्षभौमानामुत्पातानां च दर्शनम्‌॥९॥ 

अर्थात, मत्स्य भगवान ने विभिन्न स्वप्नों के अशुभ फलों की ओर इंगित करते हुए मनु महाराज से कहा कि हे राजन! स्वप्न में नाभि के अतिरिक्त, शरीर के अन्य अंगों में घास, फूस, पेड़-पौधे उगे हुए देखना, सिर पर कांसे को कुटता देखना, मुंडन देखना, अपने को नग्न देखना, स्वयं को मैले कपड़े पहने हुए देखना, तेल लगाना, कीचड़ में धंसना, या कीचड़ लिपटा देखना, ऊंचे स्थान से गिरना, झूला झूलना, कीचड़ और लोहा आदि एकत्रित करना, घोड़ों को मारना, लाल फूलों के पेड़ पर चढ़ना, या लाल पुष्पों के पेड़ों का मंडल, सूअर, भालू, गधे और ऊंटों की सवारी करना, पक्षियों का भोजन करना, मछली, तेल और खिचड़ी खाना, नृत्य करना, हंसना, विवाह एवं गाना-बजाना देखना, बीणा के अलावा अन्य वाद्यों को बजाना, जल स्रोत में नहाने जाना, गोबर लगा कर जल स्नान, कीचड़युक्त उथले जल में नहाना, माता के उदर में प्रवेश करना, चिता पर चढ़ना, इंद्र पताका का गिरना, चंद्रमा एवं सूर्य को गिरते देखना, अंतरिक्ष में उल्का पिंडों के उत्पात आदि स्वप्न में देखना सर्वथा अशुभ है। 

देवद्विजातिभूपालगुरूणं क्रोध एवं च। आलिग्नं कुमारीणां पुरुषाणां च मैथुनम्‌॥१०॥ 
हानिश्चैव स्वगात्राणां विरेकवमनक्रिया। दक्षिणाशाभिगमनंव्याधिनाभिभवस्तथा॥११॥ 
फलापहानिश्र्च तथा पुष्पहानिस्तथैव च। गृहाणां चैव पातश्च गृहसम्मार्जनं तथा॥२॥ 
क्रीड़ा पिशाचक्रव्याद्वानरर्क्षनररैपि। परादभिभवश्चैव तस्मांच व्यसनारवः॥३॥ 
काषायवस्रधारित्वं तद्वत्‌ स्त्रीक्रीडनं तथा। स्नेहपानवगाहौ च रक्तमाल्यानुलेपनम्‌॥४॥ 
एवमादीनि चान्यानि दुःस्वप्नानि विनिर्दिशेत्‌। एषा। संकथनं धन्यं भूयः प्रस्वापनं तथा॥५॥ 

अर्थात, श्री मत्स्य भगवान्‌, स्वप्नों के अशुभ फलों के विषय में मनु महाराज को बताते हुए पुनः कहते हैं कि देवता! राजा और गुरुजनों को क्रोध करते देखना, स्वप्न में कुमारी कन्याओं का आलिंगन करना, पुरुषों का मैथुन करना, अपने शरीर का नाश, कै-दस्त करते स्वयं को देखना, स्वप्न में दक्षिण दिशा की यात्रा करना, अपने को किसी व्याधि से ग्रस्त देखना, फलों और पुष्पों को नष्ट होते देखना, घरों को गिरते देखना, घरों में लिपाई, पुताई, सफाई होते देखना, पिशाच, मांसाहारी पशुओं, बानर, भालू एवं मनुष्यों के साथ क्रीड़ा करना, शत्रु से पराजित होना, या शत्रु की ओर से प्रस्तुत किसी विपत्ति से ग्रस्त होना, स्वयं को मलिन वस्त्र स्वयं पहने देखना, या वैसे ही वस्त्र पहने स्त्री के साथ क्रीड़ा करना, तेल पीना, या तेल से स्नान करना, लाल पुष्प, या लाल चंदन धारण करने का स्वप्न देखना आदि सब दुःस्वप्न हैं। ऐसे दुःस्वप्नों को देखने के बाद तुरंत सो जाने से, या अन्य लोगों को ऐसे दुःस्वप्न बता देने से उनका दुष्प्रभाव कम हो जाता है। 
दुःस्वप्नों के दुष्प्रभाव के शमन का उपाय बताते हुये मत्स्य भगवान मनु महाराज से कहते है : 
कलकस्नानं तिलैर्होमो ब्रह्मणानां च पूजनम्‌। स्तुतिश्च वासुदेवस्य तथातस्यैव पूजनम्‌॥ 
नागेंद्रमोक्ष श्रवणं ज्ञेयं दुःस्वप्नाशनम्‌॥ 
अर्थात, ऐसे दुःस्वप्न देखने पर कल्क स्नान करना चाहिए, तिल की समिधा से हवन कर के ब्राह्मणों का पूजन, सत्कार करना चाहिए। भगवान वासुदेव की स्तुति (पूजन द्वादश अक्षरमंत्र ÷ त्त् नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप) करनी चाहिए और गजेंद्र मोक्ष कथा का पाठ, या श्रवण करना चाहिए। इनसे दुःस्वप्नों के दुष्प्रभाव का शमन होता है। 
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लेकिन हमें सपने आते क्यूँ हैं ? 

इस बारे में सभी स्वप्न विचारकों के अपने-अपने मत है । कुछ विचारक मानते हैं कि सपनॊं का दिखना इस बात का प्रमाण है कि आप के भीतर कुछ ऐसा है जो दबाया गया है । वहीं सपना बन कर दिखाई देता है । हम कुछ ऐसे कार्य जो समाज के भय से या अपनी पहुँच से बाहर होने के कारण नही कर पाते, वही भावनाएं हमारे अचेतन मन में चले जाती हैं और अवसर पाते ही सपनों के रूप में हमे दिखाई देती हैं । यह स्वाभाविक सपनों की पहली स्थिति होती है ।
एक दूसरा कारण जो सपनों के आने का है,वह है किसी रोग का होना। प्राचीन आचार्य इसे रोगी की “स्वप्न-परिक्षा” करना कहते थे । 
हम जब भी बिमार पड़ते हैं तो मानसिक व शरीरिक पीड़ा के कारण हमारी नीदं या तो कम हो जाती है या फिर झँपकियों का रूप ले लेती है । ऐसे में हम बहुत विचित्र-विचित्र सपने देखते हैं । कई बार ऐसा भी होता है कि बहुत डरावनें सपने आने लगते हैं । जिस कारण रात को कई-कई बार हमारी नीदं खुल जाती है और फिर भय के कारण हमे सहज अवस्था मे आने में काफी समय लग जाता है ।

इस बारे में प्राचीन आयुर्वेदाचार्यों का मानना है कि रोगी अवस्था मे आने वाले सपनें अकसर रोग की स्थिति की ओर संकेत करते हैं । वे आचार्य रोगी के देखे गए सपनों के आधार पर रोग की जटिलता या सहजता का विचार करने में समर्थ थे । वह इन का संम्बध , उन रोगीयों की मानसिक दशाओ की खोज का विषय मानते थे और उसी के परिणाम स्वरूप जो निष्कर्ष निकलते थे , उसी के अनुसार अपनी चिकित्सा का प्रयोग उस रोग का निदान करने मे करते थे । उन आचार्यों के स्वप्न विचार करने के कुछ उदाहरण देखें-

१.यदि रोगी सिर मुंडाएं ,लाल या काले वस्त्र धारण किए किसी स्त्री या पुरूश को सपने में देखता है या अंग भंग व्यक्ति को देखता है तो रोगी की दशा अच्छी नही है ।

२. यदि रोगी सपने मे किसी ऊँचे स्थान से गिरे या पानी में डूबे या गिर जाए तो समझे कि रोगी का रोग अभी और बड़ सकता है।

३. यदि सपने में ऊठ,शेर या किसी जंगली जानवर की सवारी करे या उस से भयभीत हो तो समझे कि रोगी अभी किसी और रोग से भी ग्र्स्त हो सकता है।

४. यदि रोगी सपने मे किसी ब्राह्मण,देवता राजा गाय,याचक या मित्र को देखे तो समझे कि रोगी जल्दी ही ठीक हो जाएगा ।

५.यदि कोई सपने मे उड़ता है तो इस का अभिप्राय यह लगाया जाता है कि रोगी या सपना देखने वाला चिन्ताओं से मुक्त हो गया है ।

६.यदि सपने मे कोई मास या अपनी प्राकृति के विरूध भोजन करता है तो ऐसा निरोगी व्यक्ति भी रोगी हो सकता है ।

७,यदि कोई सपने में साँप देखता है तो ऐसा व्यक्ति आने वाले समय मे परेशानी में पड़ सकता है ।या फिर मनौती आदि के पूरा ना करने पर ऐसे सपनें आ सकते हैं।

ऊपर दिए गए उदाहरणों के बारे मे एक बात कहना चाहूँगा कि इन सपनों के फल अलग- अलग ग्रंथों मे कई बार परस्पर मेल नही खाते । लेकिन यहाँ जो उदाहरण दिए गए हैं वे अधिकतर मेल खाते हुए हो,इस बात को ध्यान मे रख कर ही दिए हैं।

ऐसे अनेकों सपनों के मापक विचारों का संग्रह हमारे प्राचीन आयुर्वेदाचार्यों ने जन कल्याण की भावना से प्रेरित हो , हमारे लिए रख छोड़ा है । यह अलग तथ्य है कि आज उन पर लोग विश्वास कम ही करते हैं ।

यहाँ सपनों के आने का तीसरा कारण भी है ।वह है सपनों के जरीए भविष्य-दर्शन करना ।

हम मे से बहुत से ऐसे व्यक्ति भी होगें जिन्होंने सपनें मे अपने जीवन मे घटने वाली घटनाओं को, पहले ही देख लिया होगा । ऐसा कई बार देखने मे आता है कि हम कोई सपना देखते हैं और कुछ समय बाद वही सपना साकार हो कर हमारे सामने घटित हो जाता है । यदि ऐसे व्यक्ति जो इस तरह के सपने अकसर देखते रहते हैं और उन्हें पहले बता देते हैं , ऐसे व्यक्ति को लोग स्वप्न द्रष्टा कहते हैं ।

हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी कई जगह ऐसे सपने देखनें का जिक्र भी आया है , जैसे तृजटा नामक राक्षसी का उस समय सपना देखना,जब सीता माता रावण की कैद मे थी और वह सपनें मे एक बड़े वानर द्वारा लंका को जलाए जाने की बात अपनी साथियों को बताती है । यह भी एक सपने मे भविष्य-दर्शन करना ही है । 

कहा जाता है कि ईसा मसीह सपनों को पढना जानते थे । वह अकसर लोगो द्वारा देखे सपनों की सांकेतिक भाषा को सही -सही बता देते थे । जो सदैव सत्य होते थे ।

आज की प्रचलित सम्मोहन विधा भी भावनाऒं को प्रभावित कर,व्यक्ति को सपने की अवस्था मे ले जाकर, रोगी की मानसिक रोग का निदान करने में प्रयोग आती है । वास्तव मे इस विधा का संम्बध भी सपनों से ही है । इस मे भावनाओं द्वारा रोगी को कत्रिम नीदं की अवस्था मे ले जाया जाता है ।

कई बार ऐसा होता है कि हम जहाँ सो रहे होते है, वहाँ आप-पास जो घटित हो रहा होता है वही हमारे सपने में जुड़ जाता है । या जैसे कभी हमे लघुशंका की तलब लग रही होती है तो हम सपने भी जगह ढूंढते रहते हैं। हमारा सपना उसी से संबंधित हो जाता

स्वप्न की प्रक्रिया और फलादेश——
स्वप्न मुख्यतः ÷स्वप्न निद्रा’ की अवस्था में आते हैं। सुषुप्ति अवस्था में देखे गये स्वप्न प्रायः सुबह तक याद नहीं रहते। यह आवश्यक नहीं कि स्वप्न में देखा गया सब कुछ अर्थपूर्ण हो। मानस और चिकित्सा शास्त्रियों के अनुसार जो व्यक्ति अनावश्यक इच्छाओं, चंचल भावनाओं, उच्च आकांक्षाओं और भूत-भविष्य की चिंता से अपने को मुक्त रखते हैं, वही गहरी निद्रा ले पाते हैं। गहरी निद्रा स्वस्थ जीवन के लिए परम आवश्यक है। 

दू धर्म शास्त्रों-अथर्ववेद, योगसूत्र, पुराण, उपनिषदों इत्यादि में स्वप्नों का आध्यात्मिक विश्लेशण मिलता है, जिसके अनुसार स्वप्न की क्रिया मनुष्य की आत्मा से जुड़ी है और आत्मा परमात्मा से। मन की कल्पना शक्ति असीम है। महर्षि वेदव्यास ÷ब्रह्मसूत्र’ में बताते हैं कि मस्तिष्क में पिछले जन्मों का ज्ञान सुषुप्त अवस्था में रहता है। शुद्ध आचरण वाले धार्मिक और शांत चित्त व्यक्ति के सपने, दैविक संदेशवाहक होने के कारण, सत्य होते हैं। परंतु चिंताग्रस्त, या रोगी व्यक्ति का मन अशांत होने के कारण उसके स्वप्न निष्फल होते हैं। स्वप्न भावी जीवन यात्रा से जुड़े शुभ और अशुभ प्रसंग, यहां तककि विपत्ति, बीमारी और मृत्यु की पूर्व सूचना देते हैं। 
गौतम बुद्ध के जन्म से कुछ दिन पहले उनकी माता रानी माया ने स्वप्न में एक सूर्य सा चमकीला, ६ दांतों वाला सफेद हाथी देखा था, जिसका अर्थ राज्य के मनीषियों ने एक उच्च कोटि के जगत प्रसिद्ध राजकुमार के जन्म का सूचक बताया, जो सत्य हुआ। 
पाश्चात्य देशों में स्वप्न पर शोध कार्य सर्वप्रथम शारीरिक और फिर मानसिक स्तर पर किया गया। उन्नीसवीं शताब्दी के अंत में चिकित्सकों के मतानुसार अप्रिय स्वप्नों का कारण अस्वस्थता, सोते समय सांस लेने में कठिनाई और मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होना था। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार तलाक, नौकरी छूटना, व्यापार में घाटा, या परिवार में किसी सदस्य की अचानक मृत्यु के कारण उत्पन्न मानसिक तनाव बार-बार आने वाले स्वप्नों में परिलक्षित होते हैं। 
पाश्चात्य शोध के अनुसार जाग्रत अवस्था में सांसारिक वस्तुओं और घटनाओं का मानव मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिससे अनेक विचारों और इच्छाओं का जन्म होता है। जो प्रसंग मन में अपूर्ण रहते हैं, वे निद्रा की अवस्था में, व्यवस्थित या अव्यवस्थित रूप में, अभिव्यक्त होते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सिगमंड फ्रॉयड ने अपनी पुस्तक ÷थ्योरी ऑफ ड्रीम्स’ में बताया कि मनुष्य की इच्छाएं (मुख्यतः काम वासनाएं) जो समाज के भय से जाग्रत अवस्था में पूर्ण नहीं हो पातीं, वे स्वप्न में चरितार्थ हो कर व्यक्ति को मानसिक तृप्ति देती हैं और उसको तनावमुक्त और संतुलित रहने में सहायता करती हैं। परंतु यह सिद्धांत अंधे व्यक्ति द्वारा देखे गये स्वप्नों को समझाने में असमर्थ था। कुछ समय बाद फ्रॉयड ने अपने विचारों में परिवर्तन किया। 
ड्रीम टेलीपैथी’ के लेखक डा. स्टैनली के अनुसार स्वप्नों की पुनरावृत्ति का संबंध वर्तमान में होने वाली समस्याओं और घबराहट से ही नहीं, अपितु अतीत से भी हो सकता है। बचपन में घटी कोई भयानक घटना का मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ने से उससे संबंधित स्वप्न अधिक दिखाई देते हैं। 
स्वप्न की प्रक्रिया पर प्रकाश डालते हुए डा. स्टैनली ने बताया कि मनुष्य का मस्तिष्क छोटी-छोटी घटनाओं एवं जानकारियों को संगठित रूप दे कर एक ऐसे निष्कर्ष (स्वप्न) पर पहुंचता है, जो कभी-कभी बहुत सही होता है। रोम के सम्राट जूलियस सीज+र की पत्नी ने उनकी हत्या की पिछली रात सपने में देखा था कि वह अपने बाल बिखेरे पति का लहूलुहान शरीर उठाये फिर रही है। उसने सीज+र को सीनेट जाने से मना किया, पर वह नहीं माना और सीनेट पहुंचने पर ब्रूटस ने उसकी हत्या कर दी। इसी प्रकार अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने अपनी हत्या को कुछ दिन पहले स्वप्न में देखा था। 
पाश्चात्य शोधकर्ता अब भारतीय विचारधारा से सहमत हो रहे हैं। फ्रॉयड ने नये अनुभवों के आधार पर अगली पुस्तक ÷इंटरप्रटेशन ऑंफ ड्रीम्‌स’ में स्वीकार किया कि स्वप्न कभी-कभी मनुष्य की दबी इच्छाओं और मन की उड़ान से बहुत आगे की सूचना देने में सक्षम होते हैं। डॉ. हैवलॉक एलाईस अपनी पुस्तक ÷दि वर्ल्ड ऑफ ड्रीम्‌स’ में मानते हैं कि स्वप्न में सुषुप्त मस्तिष्क और ÷एकस्ट्रा सेंसरी परसेप्शन’ की बड़ी भूमिका होती है। 
बुच सोसाईटी फॉर साईकिक रिसर्च’ हॉलैंड, के शोधकार्य ने यह प्रमाणित किया है कि कुछ स्वप्न भविष्य की घटनाओं की सही-सही पूर्वसूचना देते हैं। प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक डॉ. हैफनर मोर्स के अनुसार सतत प्रयत्न द्वारा सुषुप्त मस्तिष्क को जगा कर सपनों द्वारा ÷दिव्य दृष्टि’ प्राप्त की जा सकती है। 
अत्यंत वृद्ध और काले शरीर वाली स्त्री का नाच देखना, अथवा नंगधडंग फकीर को नाचते, हंसते, अपनी ओर क्रूर दृष्टिपात करते देखना, काले वस्त्र पहने, हाथ में लौह का डंडा लिये किसी को देखना मृत्यु के सूचक होते हैं।     
    
सपनों के शुभ-फल स्वप्न विषय शुभ फल स्वच्छ आकाश ऐश्वर्य वृद्धि आम का वृक्ष संतान प्राप्ति अपमान चिंताएं दूर होना अपनी मृत्यु आयु वृद्धि खड़ी फसल धन प्राप्ति अर्थी देखना रोग मुक्ति इमारत बनना धन लाभ, उन्नति हाथी, गाय, मोर धन लाभ, समृद्धि मधुमक्खी देखना लाभ ऊंचाई पर चढ़ना उन्नति कब्रिस्तान प्रतिष्ठा में वृद्धि काला नाग राज्य से सम्मान गंगा दर्शन सुखी जीवन किला देखना तरक्की होगी घोड़े पर चढ़+ना पदोन्नति छिपकली देखना अचानक धन लाभ डर कर भागना कष्ट से छुटकारा डोली देखना इच्छा पूरी होना तारे देखना मनोरथ पूरा होना तलवार देखना शत्रु पर विजय देवी-देवता खुशी की प्राप्ति धन एवं रत्न संतान सुख नाखून काटना रोग तथा दुख से मुक्ति न्यायालय झगड़े में सफलता मिठाई खाना मान-सम्मान हरा-भरा जंगल खुशी मिलेगी परीक्षा में असफल होना सफलता पत्र आना शुभ सूचक लहराता झंडा विजय की प्राप्ति भोजनयुक्त थाल शुभ सूचक तांबे का सिक्का मिलना धनदायक भोजन पकाना शुभ समाचार माला जपना भाग्योदय सीधी सड़क पर चलना सफलता खुला दरवाजा देखना नया काम बनना कौआ उड़ाना मुसीबत से छुटकारा सपनों के अशुभ फल स्वप्न विषय अशुभ फल अग्नि देखना पित्त संबंधी रोग अग्नि उठाना परेशानी होगी अपनी शादी संकट आना अतिथि आना आकस्मिक विपत्ति अंधेरा देखना दुख मिलेगा आंधी-तूफान मुसीबत में फंसना उल्लू देखना रोग-शोक होगा उल्टा लटकना अपमान होना कटा सिर देखना चिंता, परेशानी कुत्ते का काटना शत्रु भय घोड़े से गिरना परेशानी चोर देखना धन हानि जेब कटना धन हानि झाड़ू देखना नुकसान होना डूबते देखना अनिष्ट सूचक दीवार गिरना धन हानि नल देखना चिंता नंगा देखना कष्ट प्राप्ति ऊंचाई से गिरना हानि होना बंदूक देखना संकट आना बिल्ली देखना लड़ाई होना भाषण देना वाद-विवाद कौआ दर्शन अशुभ सूचक ताला लगा होना कार्य रुकना भोजनरहित थाली अशुभ सूचक खराब सड़क पर चलना परेशानी आना  

कुछ शब्दों के अनुसार उनके स्वप्न फल —-

अ——
अखरोट देखना – भरपुर भोजन मिले तथा धन वृद्धि हो
अनाज देखना -चिंता मिले
अनार खाना (मीठा ) – धन मिले
अजनबी मिलना – अनिष्ट कीपूर्व सूचना
अजवैन खाना – स्वस्थ्य लाभ
अध्यापक देखना – सफलता मिले
अँधेरा देखना – विपत्ति आये
अँधा देखना – कार्य मेंरूकावट आये
अप्सरा देखना – धन और मानसम्मान की प्राप्ति
अर्थी देखना – धन लाभ हो
अमरुद खाना – धन मिले
अनानास खाना – पहले परेशानीफिर राहत मिले
अदरक खाना – मान सम्मान बढे
अनार के पत्ते खाना – शादी शीघ्र हो
अमलतास के फूल – पीलिया या कोढ़का रोग होना
अरहर देखना – शुभ
अरहर खाना – पेट में दर्द
अरबी देखना – सर दर्द या पेटदर्द
अलमारी बंद देखना – धन प्राप्ति हो
अलमारी खुली देखना – धन हानि हो
अंगूर खाना – स्वस्थ्य लाभ
अंग रक्षक देखना – चोट लगने काखतरा
अपने को आकाश में उड़ते देखना – सफलता प्राप्तहो
अपने पर दूसरौ का हमला देखना – लम्बी उम्र
अंग कटे देखना – स्वास्थ्य लाभ
अंग दान करना – उज्जवल भविष्य , पुरस्कार
अंगुली काटना – परिवार मेंकलेश
अंगूठा चूसना – पारवारिकसम्पति में विवाद
अन्तेस्ति देखना – परिवार मेंमांगलिक कार्य
अस्थि देखना – संकट टलना
अंजन देखना – नेत्र रोग
अपने आप को अकेला देखना – लम्बी यात्रा
अख़बार पढ़ना, खरीदना – वाद विवाद
अचार खाना , बनाना – सिर दर्द, पेट दर्द
अट्हास करना – दुखद समाचारमिले
अध्यक्ष बनना – मान हानि
अध्यन करना -असफलता मिले
अपहरण देखना – लम्बी उम्र
अभिमान करना – अपमानित होना
अध्र्चन्द्र देखना – औरत से सहयोगमिले
अमावस्या होना – दुःख संकट सेछुटकारा
अगरबत्ती देखना – धार्मिकअनुष्ठान हो
अगरबत्ती जलती देखना – दुर्घटना हो
अगरबत्ती अर्पित करना – शुभ
अपठनीय अक्षर पढना – दुखद समाचारमिले
अंगीठी जलती देखना – अशुभ
अंगीठी बुझी देखना – शुभ
अजीब वस्तु देखना – प्रियजन के आनेकी सूचना
अजगर देखना – शुभ
अस्त्र देखना – संकट से रक्षा
अंगारों पर चलना – शारीरिक कष्ट
अंक देखना सम – अशुभ
अंक देखना विषम – शुभ
अस्त्र से स्वयं को कटा देखना – शीघ्र कष्टमिले
अपने दांत गिरते देखना – बंधू बांधव कोकष्ट हो
आंसू देखना – परिवार मेंमंगल कार्य हो
आवाज सुनना – अछा समय आनेवाला है
आंधी देखना – संकट सेछुटकारा
आंधी में गिरना – सफलता मिलेगी
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आ—-
आइना देखना –इच्छा पूरण हो , अछा दोस्तमिले
आइना में अपना मुहं देखना – नौकरी मेंपरेशानी , पत्नी में परेशानी
आसमान देखना – ऊचा पदप्राप्त हो
आसमान में स्वयं को देखना – अच्छीयात्रा का संकेत
आसमान में स्वयं को गिरते देखना – व्यापारमें हानि
आग देखना – गलत तरीकेसे धन की प्राप्ति हो
आग जला कर भोजन बनाना – धन लाभ , नौकरी मेंतरक्की
आग से कपडा जलना – अनेक दुखमिले , आँखों का रोग
आजाद होते देखना – अनेकचिन्ताओ से मुक्ति
आलू देखना – भरपूर भोजनमिले
आंवला देखना – मनोकामनापूर्ण न होना
आंवला खाते देखना – मनोकामनापूर्ण होना
आरू देखना – प्रसनता कीप्राप्ति
आक देखना – शारारिककष्ट
आम खाते देखना – धन औरसंतान का सुख
आलिंगन देखना पुरुष का औरत से – काम सुख कीप्राप्ति
आलिंगन देखना औरत का पुरुष से – पति सेबेवफाई की सूचना
आलिंगन देखना पुरुष का पुरुष से- शत्रुताबढ़ना
आलिंगन देखना औरत का औरत से – धनप्राप्ति का संकेत
आत्महत्या करना या देखना – लम्बी आयु
आवारागर्दी करना – धन लाभ होनौकरी मिले
आँचल देखना – प्रतियोगितामें विजय
आँचल से आंसू पोछना – अछा समयआने वाला है
आँचल में मुँह छिपाना – मान समानकी प्राप्ति
आरा चलता हुआ देखना – संकट शीघ्रसमाप्त होगे
आरा रूका हुआ देखना- नए संकट आने का संकेत
आवेदन करना या लिखना – लम्बी यात्राहो
आश्रम देखना – व्यापारमें घाटा
आट्टा देखना – कार्य पूराहो
आइसक्रीम खाना – सुख शांतिमिले
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इ—–
इमली खाते देखना – औरत के लिए शुभ ,पुरुष के लिए अशुभ
इडली साम्भर खाते देखना – सभी से सहयोगमिले
इष्ट देव की मूर्ति चोरी होना – मृत्युतुल्यकष्ट आये
इश्तहार पढना – धोखा मिले, चोरी हो
इत्र लगाना – अछे फल कीप्राप्ति, मान सम्मान बढेगा
इमारत देखना – मान सम्मान बढे, धन लाभ हो
ईंट देखना – कष्ट मिलेगा
इंजन चलता देखना – यात्रा हो , शत्रु सेसावधान
इन्द्रधनुष देखना – संकट बढे , धन हानि हो
इक्का देखना हुकम का – दुःख व् निराशामिले
इक्का देखना ईंट का -कष्टकारक स्तिथि
इक्का देखना पान का -पारवारिक क्लेश
इक्का देखना चिड़ी का – गृह क्लेश ,अतिथि आने कीसूचना
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ल——————
लंगर खाना या देखना -धन वृद्धि हो ,व्यवसाय में तेजी आये
लंगूर देखना -शुभ समाचार मिले
लंगोटी देखना -आर्थिक कठिनाईया बढे
लकीर खींचना -गृह कलेश बढे , अनावश्यक झगडे हो
लटकना या लटकते हुए देखना -सोचा हुआ काम शीघ्र बने , आर्थिक समृद्धि बढे
लड़का गोद में देखना (अपना) – धन वृद्धि हो , व्यवसाय में तेजी आये
लड़का गोद में देखना (अनजान) – परेशानी बढे ,घर में कलेश हो
लड़ना – विद्रोहियों के साथ – देश तथा समाज में अशांति फैले
लगाम देखना -मान सम्मान बढे , धन वृद्धि हो
लक्ष्मी का चित्र देखना -धन तथा सुख सौभाग्य की वृद्धि हो
लहसुन देखना – धन वृद्धि हो परन्तु अन्न व् सब्जी के व्यापार में हानि हो
लक्कड़ बाघ देखना – नयी मुसीबतें आने का संकेत
लपटें देखना (आग की ) – परिवार में शान्ति बढे , झगडा ख़तम हो
लाल आँखे देखना – शुभ फल की प्राप्ति
लालटेन जलना – चलते हुए काम में रोड़ा अटके
लालटेन बुझाना – अनेक समस्या स्वयं निपट जाये
लाट या मीनार देखना -आयु वृद्धि हो , सुख शान्ति बढे
लाठी देखना -सुख शांति में वृद्धि हो ,अच्छे सहयोगी मिले
लाल टीका देखना -सत्संग से लाभ हो, कामो में सफलता मिले
लाल वस्त्र दिखाई देना – धन नाश हो ,खतरा बढे
लाल आकाश में देखना -लडाई झगडा व् आतंक में वृद्धि ,धन तथा देश की हानि हो
लिबास (अपने कपडे)सफ़ेद देखना – सुख , शान्ति तथा समृद्धि में वृद्धि हो
लिबास हरा देखना – धन दौलत बढे , स्वस्थ्य अच्चा हो
लिबास पीला देखना -स्वस्थ्य में खराबी आये ,चोरी हो
लिबास मैला देखना -धन हानि हो ,खराब समय आने वाला है
लिफाफा खोलना -समाज में मानहानि हो , गुप्त बात सामने आये
लोहा देखना – काफी मेहनत करने के बाद सफलता मिले
लोहार देखना – मान सम्मान बढे , शत्रुओं पर विजय प्राप्त हो
लोबिया खाना – धन तथा व्यवसाय में वृद्धि हो
लौकी देखना या खाना -शुभ समाचार मिले , धन वृद्धि हो ,नौकरी में पदोंनिती हो
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उ—–
उजाड़ देखना –दूर स्थान की यात्रा हो
उस्तरा प्रयोग करना – यात्रा मेंधन लाभ हो
उपवन देखना – बीमारी कीपूर्व सूचना
उदघाटन देखना – अशुभ संकेत
उदास देखना – शुभ समाचारमिले
उधार लेना या देना – धन लाभ कासंकेत
स्वयं को उड़ते देखना – गंभीरदुर्घटना की पूर्व सूचना
उछलते देखना -दुखद समाचार मिलने का संकेत
उल्लू देखना -दुखों का संकेत
उबासी लेना – दुःख मिले
उल्टे कपडे पहनना – अपमान हो
उजाला देखना – भविष्य मेंसफलता का संकेत
उजले कपडे देखना -इज्जत बढे , विवाह हो
उठना और गिरना – संघर्षबढेगा
उलझे बाल या धागे देखना – परेशानियाबढेगी
उस्तरा देखना – धन हानि , चोरी का भय
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ऊ——-
ऊंघना – धन हानि , चोरी का भय
ऊंचाई पर अपने को देखना – अपमानित होना
ऊन देखना – धन लाभ हो
ऊंचे पहाड़ देखना – काफी मेहनत केबाद कार्य सिद्ध होना
ऊंचे वृक्ष देखना – मनोकामना पूरीहोने में समय लगना
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औ—
औषधी देखना –गलत संगति देखना
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ऐ—————–
ऐनक लगते देखना – विद्या मिले, ख़ुशी इज्जत मिले
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ट—–
टंकी खाली देखना –शुभ लक्षण
टंकी भरी देखना – अशुभ घटनाका संकेत
टाई सफेद देखना – अशुभ
टाई रंगीन देखना – शुभ
टेलेफोन करना – मित्रो कीसंख्या में वृद्धि
टोकरी खाली देखना – शुभ लक्षण
टोकरी भरी देखना – अशुभ घटनाका संकेत
टोपी उतारना – मान सम्मानबढे
टोपी सिर पर रखना – अपमान हो
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ठ—–
ठण्ड में ठिठुरना –सुख मिले
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च——
चलता पहिया देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
चप्पल पहनना – यात्रा पर जाना
चक्की देखना – मान सम्मान बढेगा
चमडा देखना – दुःख हो
चबूतरा देखना -मान सम्मान बढेगा
चट्टान देखना (काली ) – शुभ
चट्टान देखना (सफेद ) – अशुभ
चपत मारना – धन हानि हो
चपत खाना – शुभ फल की प्राप्ति
चरबी देखना – आग लगने का संकेत
चलना जमीन पर -नया रोजगार मिले
चलना पानी पर – कारोबार में हानि
चलना आसमान पर – बीमारी आने का संकेत
चन्द्र ग्रहण देखना – सभी कार्य बिगडे
चमगादर उड़ता देखना – लम्बी यात्रा हो
चमगादर लटका देखना – अशुभ संकेत
चम्मच देखना – नजदीकी व्यक्ति धोखा दे
चप्पल देखना – यात्रा पर जाना
चटनी खाना – दुखो में वृद्धि
चरखा चलाना – मशीनरी खराब हो
चश्मा खोना – चोरी के संकेत
चांदी के बर्तन में दूध पीना – संम्पत्ति में वृद्धि हो
चारपाई देखना – हानि हो
चादर शरीर पर लपेटना -गृह क्लेश बढे
चादर मैली देखना – धन लाभ हो
चादर समेट कर रखना – चोरी होने का संकेत
चंचल आँखे देखना – बीमारी आने की सूचना
चांदी का सामान देखना – गृह क्लेश बढे
चोकलेट खाना -अच्छा समय आने वाला है
चाय देखना – धन वृद्धि हो
चावल देखना – कठिनाई से धन मिले
चाकू देखना – अंत में विजय
चित्र देखना – पुराने मित्र से मिलन हो
चिडिया देखना – मेहमान आने का संकेत
चींटी देखना – धन लाभ हो
चींटिया बहुत अधिक देखना – परेशानी आये
चील देखना – बदनामी हो
चींटी मारना – तुंरत सफलता मिले
चुम्बन लेना – आर्थिक समृधि हो
चुम्बन देना – मित्रता बढे
चुटकी काटना – परिवार में कलेश
चुंगी देना – चलते काम में रूकावट
चुंगी लेना – आर्थिक लाभ
चुडैल देखना -धन हानि हो
चूहा देखना -औरत से धोखा
चूहा फंसा देखना – शरीर को कष्ट
चूहा चूहे दानी से निकलते देखना – कष्ट से मुक्ति
चूहा मरा देखना – धन लाभ
चूहा मारना – धन हानि
चूडिया तोड़ना – पति दीर्घायु हो (औरत के लिए )
चूल्हा देखना – उत्तम भोजन प्राप्त हो
चूरन खाना – बीमारी में लाभ
चेचक निकलना – धन की प्राप्ति
चोर पकड़ना – धन आने की सूचना
चोटी पर स्वयं को देखना – हानि हो
चोराहा देखना – यात्रा में सफलता
चौकीदार देखना – अचानक धन आये
चौथ का चाँद देखना – बहुत अशुभ
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ड—–
डंडा देखना –दुश्मन से सावधान रहे
डफली बजाना – घर मेंउत्सव की सूचना
डाक खाना देखना – बुरासमाचार मिले
डाकिया देखना – शुभ सूचनामिले
डॉक्टर देखना – निराशामिले
डाकू देखना – धन वृद्धिहो
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त——
तरबूज देखना –धन लाभ
तराजू देखना – कार्यनिष्पक्ष पूर्ण हो
तबला बजाना – जीवनसुखपूर्वक गुजरे
तकिया देखना – मान सम्मानबढे
तलवार देखना – शत्रु परविजय
तपस्वी देखना -मन शांत हो
तला पकवान खाना – शुभ समाचारमिले
तलाक देना – धन वृद्धिहो
तमाचा मारना -शत्रु पर विजय
तराजू में तुलना – भयंकरबीमारी हो
तवा खाली देखना – अशुभ लक्षण
तवे पर रोटी सेकना – संपत्तिबढे
तहखाना देखना या उसमे प्रवेश करना – तीर्थयात्रा पर जाने का संकेत
ताम्बा देखना – सरकार सेलाभ मिले
तालाब में तैरना – स्वस्थ्य लाभ
ताला देखना -चलते काम में रूकावट
ताली देखना – बिगडे कामबनेगे
तांगा देखना – सुख मिले, सवारी कालाभ हो
ताबीज बांधना – काम मेंहानि हो
ताबीज़ देखना – शुभ समय काआगमन
ताश देखना – मित्र अथवापडोसी से लडाई हो
तारा देखना – अशुभ
तितली देखना – विवाह होया प्रेमिका मिले
तितली उड़ कर दूर जाना – दांपत्यजीवन में क्लेश हो
तिल देखना – कारोबारमें लाभ
तिराहा देखना – लडाई झगडाहो
त्रिशूल देखना – अच्छामार्ग दर्शन मिले
त्रिमूर्ति देखना – सरकारीनौकरी मिले
तितली पकड़ना – नई संतानहो
तिजोरी बंद करना – धन वृद्धिहो
तिजोरी टूटती देखना – कारोबारमें बढोतरी
तिलक करना – व्यापारबढे
तूफान देखना या उसमे फँसना – संकट सेछुटकारा मिले
तेल या तेली देखना – समस्या बढे
तोलना –महंगाई बढे
तोप देखना -शत्रु पर विजय
तोता देखना – ख़ुशी मिले
तोंद बढ़ी देखना – पेट मेंपरेशानी हो
तोलिया देखना – स्वस्थ्यलाभ हो
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थ—–
थप्पर खाना –कार्य में सफलता
थप्पर मारना – झगडे मेंफँसना
थक जाना – कार्य मेंसफलता मिले
थर थर कंपना -मान सम्मान बढे
थाली भरी देखना – अशुभ
थाली खाली देखना – सफलता मिले
थूकना –मान सम्मान बढे
थैली भरी देखना – जमीनजायदाद में वृद्धि
थैली खाली देखना – जमीनजायदाद में झगडा हो

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ध————–
धमाका सुनना –कष्ट बढे
धतूरा खाना – संकट सेबचना
धनिया हरा देखना – यात्रा परजाना पढ़े
धनुष देखना – सभी कर्मोमें सफलता मिले
धब्बे देखना – शुभ संकेत
धरोहर लाना या देखना – व्यापारमें हानि हों
धार्मिक आयोजना देखना – शुभ संकेत
धागा देखना – कार्य मेंवृद्धि हों
धुरी देखना – मान सम्मानमें वृद्धि हों
धुआ देखना – कष्ट बढे , परेशानीमें फंसना पढ़े
धुंध देखना – शुभ समाचारमिले
धुन सुनना – परेशानीबढे
धूमधाम देखना – परेशानीबढे
धूल देखना – यात्रा हों
धोबी देखना – काम मेंसफलता मिले
धोती देखना – यात्रा परजाना पड़े
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म—–
मछर देखना – अपमानित होना पड़े
मछली देखना – गृहस्थी का सुख मिले
मखी देखना – धन हानि हो
मकडी देखना – बहुत अधिक मेहनत करनी पड़े
मकान बनते देखना – मान सम्मान में वृद्धि हो
मलाई खाना – धन वृद्धि हो
मंदिर या मस्जिद देखना – खुशहाली बढे
मंदिर में पुजारी देखना – गृह कलेश बढे
मर जाना – धन वृद्धि हो
मखमल पर बैठना – लम्बी बीमारी आये
मगरमच देखना – शुभ समाचार मिले
मंत्री देखना – मान सम्मान में वृद्धि हो
माला ( पूजा वाली ) शुभ समय आने का संकेत
माला फूलों की पहनाना- मान सम्मान में वृद्धि हो
मातम करना – खुशहाली बढे
माली देखना – घर में समृधि बढे
मिर्च खाना – काम में सफलता मिले
मिर्गी से पीड़ित होना या देखना – बुद्दि तेज हो
मिठाई खाना या बाँटना – बिगडे काम बने
मीट खाना – मनोकामना पूरण हो
मुर्दा उठा कर ले जाते देखना – बिना कमाया माल मिले
मुर्दे को जिन्दा देखना – चिंता दूर हो
मुर्दा शारीर से आवाज़ आना – बना काम बिगड़ जाना
मुर्दों का समूह देखना – गलत सोसाइटी में काम करना पड़े
मुर्दे को नहलाना – धन वृद्धि हो
मुर्दे को कुछ देना – शुभ समाचार
मुर्दे के साथ खाना -अच्छा समय आये
मुर्गा देखना -विदेश व्यापार बढे
मुर्गी देखना -गृहस्थी का सुख मिले
मोहर लगाना – धन वृद्धि हो
मुरझाये फूल देखना – संतान को कष्ट हो
मुंडन कराना या होते देखना -गृहस्थी का तनाव दूर हो
मुहर्रम देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
मूंगा पहनना या देखना – कारोबार में उन्नत्ति हो
मूंग मसूर या मोठ देखना – अनेक परेशानी हो
मोची देखना -यात्रा लाभदायक हो
मोम देखना – झगडे या विवाद में समझोता हो
मोर नाचते देखना – शुभ समाचार मिले
मोर मोरनी देखना – दांपत्य सुख में वृद्धि हो
मोजा पहनना – पति पत्नी में प्रेम बड़े
मोमबत्ती देखना – विवाह हो
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व—–
वकील देखना – कठिनाई बढे , झगडा हो
वजीफा पाना -काम में असफलता मिले , धनहानि हो
वरमाला देखना या डालना -घर में कलेश हो मित्र से लडाई हो
वसीयत करना -भूमि सम्बन्धी विवाद हो , घर में तनाव बढे
वायदा करना – झूठ बोलने की आदत पढ़े
वाह वाह करके हसना -मान सम्मान का ध्यान रखे , शत्रु बदनाम करेंगे
वार्निश करना (घर की वस्तुओं पर)- परिवार पर संकट आये, स्वस्थ्य खराब हो
वाष्प उड़ते देखना – धनहानि हो , दुर्घटना तथा शारीरिक कष्ट हो
विदाई समारोह में भाग लेना – व्यापार में तेजी आये , धन वृद्धि हो
विमान देखना – धन हानि हो
विस्फोट देखना या सुनना – नया कारोबार शुरू हो , बड़े व्यक्तियों से मुलाकात हो
वीणा बजाना (स्वयं द्वारा) – धन धान्य तथा समृद्धि प्राप्त हो
वीणा बजाना – शोक समारोह में शामिल होना पड़े , (दूसरो द्वारा)मानसिक कष्ट हो
वृद्धा देखना – अशुभ समाचार मिले
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द—–
दरवाजा बंद देखना – चिंता बढे
दही देखना -धन लाभ हो
दलिया खाना या देखना – स्वस्थ्य कुछ समय के लिए ख़राब हो
दरार देखना – घर में फूट
दलदल देखना – काम में आलस्य हो
दरवाजा खोलना – नया कार्य शुरू हो
दरवाजा गिरना – अशुभ संकेत
दक्षिणा लेना या देना – व्यापार में घाटा
दमकल चलाना – धन वृद्धि हो
दर्पण देखना – मानसिक अशांति
दस्ताना पहनना – शुभ समाचार
दहेज़ लेना या देना – चोरी की सम्भावना
दरजी को काम करते देखना – कोर्ट से छुटकारा
दवा खाना या खिलाना – अच्छा मित्र मिले
दवा गिरना – बीमारी दूर हो
दांत टूटना – शुभ
दांत में दर्द देखना -नया कार्य शुरू हो
दाडी देखना – मानसिक परेशानी हो
दादा या दादी देखना जो मृत हो – मान सम्मान बढे
दान लेना – धन वृद्धि हो
दान देना – धन हानि हो
दाह क्रिया देखना – सोचा हुआ कार्य बनने के संकेत
दातुन करना -कष्ट मिटे
दाना डालना पक्षियो को – व्यापार में लाभ हो
दाग देखना – चोरी हो
दामाद देखना -पुत्री को कष्ट हो
दाल कपड़ो पर गिरना -शुभ लक्षण
दाल पीना – कार्य में रूकावट
दाढ़ी सफेद देखना – काम में रूकावट
दाढ़ी काली देखना – धन वृद्धि हो
दियासिलाई जलाना – दुश्मनी बढे
दीपक बुझा देना – नया कार्य शुरू हो
दीपक जलाना – अशुभ समाचार मिले
दीवाली देखना – व्यापार में घाटा हो
दीपक देखना – मान सम्मान बढे
दुल्हन देखना – सुख मिले
दुकान करना – मान सम्मान बढे
दुकान बेचना – मानहानि हो
दुकान खरीदना – धन का लाभ होना
दुकान बंद होना – कष्टों में वृद्धि हो
दुपट्टा देखना – स्वस्थ्य में सुधार हों
दूल्हा /दुल्हन बनना – मानहानि हों
दूल्हा /दुल्हन बारात सहित देखना -बीमारी आये
दूरबीन देखना – मान सम्मान में हानि हों
दूध देखना – आर्थिक लाभ मिले
दुकान पर बैठना – प्रतिष्ट बढे,धन लाभ हों
देवता से मंत्र प्राप्त होना – नए कार्य में सफलता
देवी देवता देखना – सुख संपत्ति की वृद्धि होना
दोना देखना – धन संपत्ति प्राप्त होना
दोमुहा सांप देखना – दुर्घटना हों, मित्र द्वारा विश्वासघात मिले
दौड़ना – कार्य में असफलता हों
देवी देवता देखना – कृष्ण – प्रेम संबंधो में वृद्धि
देवी देवता देखना – राम – सफलता मिले
देवी देवता देखना – शिव – मानसिक शांति बढे
देवी देवता देखना – विष्णु – सफलता मिले
देवी देवता देखना – ब्रह्मा – अच्छा समय आने वाला है
देवी देवता देखना – हनुमान -शत्रु का नाश हो
देवी देवता देखना – दुर्गा – रोग दूर हो
देवी देवता देखना – सीता – पहले कष्ट मिले फिर समृधि हो
देवी देवता देखना – राधा – शारीरिक सुख मिले
देवी देवता देखना – लक्ष्मी – धन धन्य की प्राप्ति हो
देवी देवता देखना – सरस्वती -भविष्य सुखद हो
देवी देवता देखना – पार्वती – सफलता मिले
देवी देवता देखना – नारद -दूर से शुभ समाचार मिले..
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क—-
कब्र खोदना – धन पाए , मकान बनाये
कत्ल करना स्वयं का – अच्छा सपना है , बुरे काम से बचे
कद अपना छोटा देखना – अपमान सहना , परेशानी उठाना
कद अपना बड़ा देखना – भारी संकट आना
कसम खाते देखना – संतान का दुःख भोगना
कलम देखना – विद्या धन की प्राप्ति
कर्जा देना – खुशहाली आये
कर्जा लेना – व्यापार में हानि
कला कृतिया देखना – मान समान बढे
कपूर देखना – व्यापार में लाभ
कबाडी देखना – अच्छे दिनों की शुरूआत
कबूतर देखना – प्रेमिका से मिलना
कबूतरों का झुंड – शुभ समाचार मिले
कमल का फूल – ज्ञान की प्राप्ति
कपास देखना – सुख समृधि हो
कंगन देखना – अपमान हो
कदू देखना – पेट दर्द
कन्या देखना – धन वृद्धि हो
कफन देखना – लम्बी उम्र
कली देखना – स्वास्थ्य खराब हो
कछुआ देखना – शुभ समाचार मिले
कलश देखना – सफलता
कम्बल देखना – बीमारी आये
कपडा धोना – पहले रूकावट , फिर लाभ
कटा सिर देखना – शर्मिंदगी उठानी पड़ेगी
कब्रिस्तान देखना – निराशा हो
कंघी देखना – चोट लगना , दांत या कान में दर्द
कसरत – बीमारी आने की सूचना
काली आँखे देखना – व्यापार में लाभ
काला रंग देखना – शुभ फल
काजू खाना – नया व्यापार शुरू हो
कान देखना – शुभ समाचार
कान साफ करना – अच्छी बातो का ज्ञान
काउंटर देखना – लेने देने में लाभ हो
कारखाना देखना – दुर्घटना में फसने की सूचना
काली बिल्ली देखना – लाभ हो
कुंडल पहने देखना – संकट हो
कुबडा देखना – कार्य में विघ्न
कुमकुम देखना – कार्य में सफलता
कुल्हाडी देखना – परिश्रम अधिक, लाभ कम
कुत्ता भोंकना – लोगो द्वारा मजाक उड़ना
कुत्ता झपटे – शत्रु की हार
कुर्सी खाली देखना – नौकरी मिले
कूड़े का ढेर देखना – कठिनाई के बाद धन मिले
किला देखना – ख़ुशी प्राप्त हो
कील देखना / ठोकना – परिवार में बटवारा हो
केश संवारना – तीर्थ यात्रा
केला खाना / देखना – ख़ुशी हो
केक देखना – अच्छी वस्तु मिले
कैमरा देखना – अपने भेद छिपा कर रखे
कोढ़ी देखना – धन का लाभ
कोहरा – संकट समाप्त हो
कोठी देखना – दुःख मिले
कोयल देखना / सुनना – शुभ समाचार
कोया देखना – शुभ संकेत
किसी ऊंचे स्थान से कूदना – असफलता
नर कंकाल देखना – उम्र बढने का संकेत
जप करना – विजय
कद लम्बा देखना – मृत्युतुल्य कष्ट हो
कद घटना – अपमान हो
कटोरा देखना – बनते काम बिगढ़ना
कनस्तर खाली देखना – शुभ
कनस्तर भरा देखना – अशुभ
कमंडल देखना – परिवार के किसी सदस्य से वियोग
करवा चौथ – औरत देखे तो आजीवन सधवा, पुरुष देखे तो धन धान्य संपूरण
कागज कोरा – शुभ
कागज लिखा देखना – अशुभ
सफेद कुरता देखना – शुभ
अन्य रंग का कुरता देखना – अशुभ
कुर्सी पर स्वयं को बैठे देखना – नया पद, पदोनती
कुर्सी पर अन्य को बैठे देखना – अपमान
कब्र खोदना – मकान का निर्माण करना
कपूर देखना – व्यापार नौकरी में लाभ
कबूतर देखना – प्रेमिका से मिलन
कपडा बेचते देखना – व्यापार में लाभ
कपडे पर खून के दाग – व्यर्थ बदनामी
कछुआ देखना – धन आशा से अधिक मिलना
कमल ककडी देखना – सात्विक भोजन में आनंद, ख़ुशी मिले
कपास देखना – सुख, समृधि घर आये
करी खाना – विधवा से विवाह, विधुर से विवाह
कृपाण – धरम कार्य पूर्ण होने की सूचना
कान देखना – शुभ समाचार
कान कट जाना – अपनों से वियोग
काला कुत्ता देखना – कार्य मे सफलता
काउंटर देखना – लेन देन में लाभ
काली बिल्ली देखना – शुभ समाचार
पीली बिल्ली देखना – अशुभ समाचार
काना व्यक्ति देखना – अनकूल समय नहीं
कीडा देखना – शक्ति का प्रतीक
कुम्हार देखना – शुभ समाचार
केतली देखना – दांपत्य जीवन में शांति हो
केला देखना या खाना – शुभ समाचार
कैंची – अकारण किसी से वाद- विवाद होना
कोठी देखना – दुःख मिले
कोयला देखना – प्रेम के जाल में फँस कर दुःख पाए
कुरान- सुख शांति की भावना बढे 
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र—–
रजाई ओड़ना – धन मिले
रजाई नई बनवाना – स्थान परिवर्तन हो
रजाई फटी पुरानी देखना – शुभ कार्य के लिए निमंत्रण हो
रस्सी लपेटना – सफलता मिले
रथ देखना -यात्रा करनी पड़े
रसभरी खाना – विवाह हो
रसगुल्ला खाना – धन वृद्धि हो
रद्दी देखना – रुका हुआ धन मिले
रंग करना – सम्बंधित वास्तु की हानि हो
रक्षा करना – मान सम्मान में वृद्धि हो
रफू करना – नई वस्त्रो या आभूषनो की प्राप्ति हो
रक्षा बंधन देखना – धन वृद्धि हो
रसोई घर गन्दा देखना – अच्छा भोजन मिले
रसोई घर स्वछ देखना -धन का संकट आये
रास्ता देखना (साफ) -तरक्की मिले
रास्ता देखना (टेड़ा मेडा ) परेशानी हो
राख देखना – धन नाश हो
रॉकेट देखना – धन संपत्ति में वृद्धि हो
रात देखना -परेशानी आये
राइ देखना – काम में रूकावट आये
राक्षश देखना – संकट आये
रामलीला देखना – सुख सौभाग्य में वृद्धि
रिश्वत लेना – सावधान रहे
रिवाल्वर चलाना – शत्रुता समाप्त हो
रिक्शा देखना या उसमे बैठना – प्रसन्त्ता बढे
रेलवे स्टेशन देखना -लाभदायक यात्रा हो
रेल देखना – कष्ट दायक यात्रा हो
रेडियो बजता देखना – प्रगति में रूकावट हो
रेफ्रिजिरटर देखना – आर्थिक लाभ हो
रेगिस्तान देखना – धन सम्पदा में वृद्धि
रोजा रखना – आर्थिक संकट आने का संकेत
रोना – मान सम्मान में वृद्धि हो
रोशनदान से देखना – विदेश से धन की प्राप्ति हो
रोटी खाना या पकाना – बीमारी आने का संकेत
रोटी बाँटना – धन लाभ हो
रोटी फैंकना या गिरी हुई देखना – देश में मन न लगे , विदेश की यात्रा शीघ्र हो
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स्याही देखना – सरकार से सम्मान मिले
स्टोव जलाना – भोजन अच्छा मिले
संडास देखना – धन वृद्धि हो
संगीत देखना या सुनना – कष्ट बढे
संदूक देखना – पत्नी सेवा करे , अचानक धन मिले
सगाई देखना या उसमे शामिल होना –
सजा पाना – संकटों से छुटकारा मिलाना
सट्टा खेलना – धोखा होने का संकेत
सलाद खाते देखना – धन वृद्धि हो
सर्कस देखना – बहुत मेहनत करनी पड़े
सलाई देखना – मान सम्मान बढे
सरसों का साग खाना – बीमारी दूर हो
सरसों देखना – व्यापार में लाभ हो
ससुर देखना – शुभ समाचार मिले
सर कटा देखना – विदेश यात्रा हो
सर फटा देखना – कारोबार में हानि हो
सर मुंडाना – गृह कलेश में वृद्धि हो
सर के बाल झड़ते देखना – क़र्ज़ से मुक्ति मिले
ससुराल जाना – गृह कलेश में वृद्धि हो
समुद्र पार करना – उनत्ति मिले
साइकिल देखना -सफलता मिले
साइकिल चलाना – काम में तरक्की मिले
साइन बोर्ड देखना – व्यापार में लाभ हो
सावन देखना – जीवन में ख़ुशी मिले
साडी देखना – विवाह हो , दाम्पत्य जीवन में सुख मिले
सारस देखना – धन वृद्धि हो
साला या साली देखना – दाम्पत्य जीवन में सुख हो , मेहमान आये , धनवृद्धि हो
सागर सूखता देखना -बीमारी आये , अकाल पड़े
सारंगी बजाना – अपयश मिले , धन हानि हो
साग देखना – अचानक विवाद हो , सावधान रहे
साबुन देखना – स्वस्थ्य लाभ हो , बीमारी दूर हो
सांप मारना या पकड़ना – दुश्मन पर विजय हो , अचानक धन मिले
सांप से डर जाना -नजदीकी मित्र से विश्वासघात मिले
सांप से बातें करना -शत्रु से लाभ मिले
सांप नेवले की लडाई देखना – कोर्ट कचेहरी जाना पड़े
सांप के दांत देखना -नजदीकी रिश्तेदार हानि पहुंचाएंगे
सांप छत्त से गिरना – घर में बीमारी आये तथा कोर्ट कचहरी में हानि हो
सांप का मांस देखना या खाना – अपार धन आये परन्तु घर में धन रुके नहीं
सिपाही देखना – कानून के विपरीत काम कारनेका संकेत
सिनेमा देखना – समय व्यर्थ में नष्ट हो
सिगरेट पीते देखना -व्यर्थ में धन बर्बाद हो
सिलाई मशीन देखना – पति पत्नी में झगडा हो
सिलाई करना – बिगडा काम बन जाये
सियार देखना -धन हानि हो , बीमारी आये
सिन्दूर देखना – दुर्घटना की सम्भावना
सिन्दूर देवता पर चडाना – मनोकामना पूर्ण हो
सीताफल देखना -कुछ समय के बाद गरीबी दूर होगी
सीता जी को देखना -मान सम्मान बढे
सीमा पार करना -विदेश व्यापार में लाभ हो
सिप्पी देखना – उसे देखने पर हानि , उठाने पर लाभ
सीना चौडा होना – लोकप्रियता में वृद्धि हो
सीड़ी पर चढ़ना – काम में असफलता मिले
सुनहार देखना – साथी से धोखा मिले
सुटली कमर में बंधना -गरीबी आये , संघर्ष करना पढ़े
सुम्भा देखना (लोहे का)- कार्य में सफलता मिले , विवाह हो
सुदर्शन चक्र देखना – बईमानी का दंड शीघ्र मिले
सुपारी देखना -विवाह शीघ्र हो , मित्रों की संख्या में वृद्धि हो
सुनहरी रंग देखना – रुका हुआ धन मिले
सुरंग देखना या सुरंग में प्रवेश करना – नया कार्य आरंभ हो
सूई देखना – एक देखने पर सुख तथा अनेक देखने पर कष्ट में वृद्धि हो
सुलगती आग देखना – शोक समाचार मिले
सुन्दर स्त्री देखना – मान सम्मान में हानि हो
सुनहरी धूप देखना – सरकार से धन लाभ हो , मान सम्मान बढे
सुराही देखना – गृहस्थी में तनाव हो , पति या पत्नी का चरित्र ख़राब हो , रोग दूर हो
सुगंध महसूस करना – चमड़ी की बीमारी आये
सुनसान जगह देखना – बलवृद्धि हो
सूद लेते देखना – मुफ्त का धन मिले
सूद देते देखना -धन नाश हो , गरीबी आये
सूली पर चढ़ना – चिन्ताओ से मुक्ति हो , शुभ समाचार मिले
सूर्य देखना – धन संपत्ति तथा मान सम्मान बढे
सूर्य की तरह अपना चेहरा चमकता देखना – पुरस्कार मिले , मान सम्मान बढे
सूअर देखना – बुरे कामों में फँसना पड़े , बुरे लोगों से दोस्ती हो तथा मानहानि हो
सूअर का दूध पीना – चरित्र खराब हो , जेल जाना पढ़े
सूरजमुखी का फूल देखना – संकट आने की सूचना
सूर्य चन्द्र आदि का विनाश देखना – मृत्यु तुल्य कष्ट मिले
सेम की फली देखना – धन हानि हो परन्तु अच्छा भोजन मिले
सेब का फल देखना – दुःख व् सुख में बराबर वृद्धि हो
सेंध लगाना – प्रिये वस्तु गुम होना
सेवा करना – मेहनत का फल मिलेगा
सेवा करवाना – स्वस्थ्य खराब होने के लक्षण है
सेहरा बंधना – दाम्पत्य जीवन में कलेश की संभावना
सैनिक देखना – साहस में वृद्धि हो
सोंठ खाना – धन हानि हो , स्वस्थ्य में सुधार हो
सोना देखना – परिवार में बीमारी बढे , धन हानि हो
सोना मिलना – धन वृद्धि हो
सोना दुसरे को देना – अपनी मुर्खता से दूसरों को लाभ पहुंचाना
सोना लुटाना – परेशानिया बढे , अपमान सहना पढ़े
सोना गिरवी रखना – बईमानी करे और अपमान हो
सोते हुए शेर को देखना – निडरता से कार्य करे , सफलता मिलेगी
सोलह श्रृंगार देखना -स्वस्थ्य खराब होने का संकेत
स्वप्न में मानिक रत्न देखना – शक्ति तथा अधिकारों में वृद्धि
स्वप्न में मोती रत्न देखना – मानसिक शांति मिले
स्वप्न में मूंगा रत्न देखना – शत्रु पर विजय मिले
स्वप्न में पन्ना रत्न देखना – व्यवसाय में वृद्धि हो
स्वप्न में पुखराज रत्न देखना -वैर विरोध की भावना बढे
स्वप्न में हीरा रत्न देखना – आर्थिक प्रगति हो
स्वप्न में नीलम रत्न देखना – उन्नत्ति हो
स्वप्न में गोमेद रत्न देखना – समस्या अचानक आये
स्वप्न में लहसुनिया रत्न देखना – मान सम्मान बढे
स्वप्न में फेरोज़ा रत्न देखना – व्यवसाय में वृद्धि
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श्र——
श्रंगार करना – प्रेम प्रसंगों में वृद्धि हो
श्रंगार दान टूटना – दांपत्य जीवन में सुख व् सफलता मिले
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ड—–
डंडा देखना – दुश्मन से सावधान रहे
डफली बजाना – घर में उत्सव की सूचना
डाक खाना देखना – बुरा समाचार मिले
डाकिया देखना – शुभ सूचना मिले
डॉक्टर देखना – निराशा मिले
डाकू देखना – धन वृद्धि हो
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स्वप्न का बहुत बड़ा विज्ञान है। यह जीवन-दिशा को बदलने वाला, नीरस को सरस बनाने वाला होता है। यदि हम स्वप्न के प्रतीकों क ो समझ सकें, उसकी सांकेतिक भाषा को जान सकें तो स्वप्न में बहुत लाभान्वित हो सकते हैं। सचमुच यह गूढ़ विद्या है। स्वप्न अच्छा हो या बुरा, यदि सही जानकारी होती है तो अनिष्ट से बचा जा सकता है और इष्ट को संपादित किया जा सकता है।
स्वप्न के अनेक प्रकार होते हैं। काल के आधार पर भी उनका विभाजन होता है। कुछ स्वप्न दिन में आते हैं और कुछ रात में। कुछ रात के पहले प्रहर में और कुछ दूसरे-तीसरे और चौथे प्रहर में। कौन-सा कल्याणकारी होता है और कौन सा अकल्याणकारी – इसे सब नहीं जानते। स्वप्न शास्त्र के भी अपने नियम हैं। एक नियम है कि कल्याणकारी स्वप्न आने के बाद तत्काल उठकर ईश्वर जाप में लग जाना चाहिए। पुन: नींद नहीं लेनी चाहिए। जो पुन: सो जाते हैं, उनके स्वप्न का इष्ट परिणाम नष्ट हो जाता है। दिन में लिये जाने वाले स्वप्न को दिवास्वप्न कहते हैं। इनमें भी कल्पना होती है। ये यथार्थ भी होते हैं। 
स्वप्न के विषय में हमारी जानकारी बहुत ही कम है। यदि पूरी जानकारी हो तो उससे पूरा लाभ उठाया जा सकता है। स्वास्थ्य, संपदा, व्यापार, आध्यात्म विकास आदि के साथ स्वप्न जुड़े हुये होते हैं। एक विदेशी लेखक की टांगेें टूट गयी। उसने स्वप्न में देखा कि एक फरिश्ता आया है, उसकी टांगे ठीक कर रहा है। प्रात: वह उठा, देखा कि उसकी टांगे ठीक हैं। वह चल-फिर सकता है। 
अध्यात्म-विद्या ने वस्तु की नश्वरशीलता को दिखाने के लिए स्वप्न की उपमा दी गयी है। जैसे स्वप्न की चीजें नश्वर होती हैं, स्वप्न नश्वर होता है, वैसे ही संसार के सभी पदार्थ नश्वर हैं। एक भिखारी ने स्वप्न देखा कि वह राजा बन गया है। उसके महल हैं, रानियां हैं, हाथी-घोड़े हैं और वह ठाट-बाट से रह रहा है। इतने में ही एक कुत्ता आता है और सिरहाने रखे भिक्षापात्र को चाटने लगता है। भिक्षापात्र फूट जाता है। उसके स्वप्न का राजसी ठाट-बाट भी चुक जाता है। यह है संसार की नश्वरता। 
स्वप्न के देवता पर, ज्योतिषी और स्वप्न पर पूरा भरोसा करना खतरे से खाली नहीं होता। कुछ लोग कहते हैं कि मुझे स्वप्न में देवता ने ऐसा कहा है। वह उसके अनुसार काम करता है और फंस जाता है। इसमें एक बात और है कि स्वप्न की भाषा को समझना बहुत कठिन होता है। उसमें दिखता कुछ है और उसका अर्थ कुछ और ही होता है। इसीलिए ये सारी गड़बड़ियां होती हैं।
जैन आगमों में तीर्थंकर, चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव की माताएं गर्भावस्था से पूर्व स्वप्न देखती हैं। वे स्वप्न वस्तुपरक होते हैं। उनमें कलश, छत्र, सरोवर, माला आदि-आदि देखे जाते हैं। उनका अर्थ भिन्न-भिन्न होता है। ये सारे प्रतीक हैं। इन प्रतीकों का सही अर्थ जानना सहज नहीं होता। सभी तीर्थंकरों के प्रतीक चिह्न हैं। किसी का मृग, किसी का शेर, किसी का छत्र और किसी का सर्प। ये सब प्रतीक हैं।
स्वप्न भी प्रतीकात्मक होते हैं। दिन में जो घटनाएं घटती हैं, उनके स्वप्न भी आते हैं। यह पुनरावृत्ति होती है। चेतन मन में जो बात रही, वह अचेतन मन के द्वारा प्रकट हो जाती है। कुछ बातों का पूर्वाभास भी होता है। जो घटना भविष्य में घटित होने वाली है, उसको पहले ही जान लिया जाता है। यह है पूर्वाभास। यह बहुत सही होता है। अध्यात्म के लोगों ने इस संसार को दो-तीन उपमाओं में उपमित किया है – स्वप्न, इंद्रजाल और मृगमरीचिका। संसार स्वप्न – जैसा है। संसार इंद्रजाल के समान है। संसार मृगमरीचिका के समान है। भारतीय साहित्य में स्वप्न की बहुत चर्चा प्राप्त है। भारतीय विद्या की अनेक शाखाओं में स्वप्न के विषय में बहुत लिखा गया है। अष्टांगनिमित्त शास्त्र का अंग है – स्वप्नशास्त्र। भारत के लोग स्वप्न में बहुत विश्वास करते रहे हैं। ढाई-तीन हजार वर्ष पुराने साहित्य में स्वप्न-पाठकों का विस्तार से उल्लेख प्राप्त है। स्वप्न-पाठक स्वप्न को सुनकर उसका फल बताते थे। उनका फल-निरूपण अक्षरश: सही होता था। स्त्रियों को गर्भावस्था में स्वप्न आने की बात मिलती है। वे स्वप्न-पाठकों से उस स्वप्नों का फलाफल जान लेती थी। जैन साहित्य, बौद्ध साहित्य में स्वप्न की घटनाएं प्रचुरता से प्राप्त हैं। 
नींद और स्वप्न का संबंध है। प्रत्येक व्यक्ति स्वप्न देखता है। वह उसे याद रख सके या नहीं, विश्लेषण कर सके या नहीं, यह दूसरी बात है। 
विज्ञान की अनेक खोजों के साथ स्वप्न की बात जुड़ी हुई है। वैज्ञानिक को पूरा समाधान नहीं मिल रहा था,। स्वप्न ने उसकी गुत्थी सुलझा दी। सिलाई मशीन की खोज हुई। पूरा समाधान नहीं मिला। स्वप्न में समाधान मिल गया। मनोविज्ञान का पूरा एक विभाग ‘स्वप्न-विज्ञान’ से जुड़ा हुआ है। विशेषावश्यक भाष्य में बताया गया है कि संस्कारों के कारण स्वप्न आते हैं। मनोविज्ञान मानता है कि दमित इच्छाएं, अवचेतन मन की इच्छाएं, स्वप्न में प्रकट होती हैं। दिन में चेतन मन काम करता है। चेतन में बुद्धि है, तर्क है, काट-छांट करने की शक्ति है। वह दिन में कार्यरत रहता है। जब आदमी सो जाता है तब वह निष्क्रिय हो जाता है और अवचेतन मन सक्रिय हो जाता है।
स्वप्न श्रुत, दृष्ट या अनुभूत घटना का ही आता है। अश्रुत, अदृष्ट या अननुभूत घटना का कभी स्वप्न नहीं आता। कुछ लोग कहते हैं – हमें ऐसा स्वप्न आया जिसका दृश्य न श्रुत था, न दृष्ट था और न अनुभूत था। यह बात अन्यथा भी नहीं है। इसका भी पुष्ट कारण है। हमारी स्मृति केवल इस मस्तिष्क की स्मृति नहीं है, इससे परे की स्मृति है, पुर्वजन्म के संस्कारों की स्मृति है। इन संस्कारों की परतें हमारे मस्तिष्क में है। संभव है आज का मस्तिष्क-विज्ञानी इसे न जान पाया हो। अभी मस्तिष्क के अनेक रहस्य अज्ञात हैं। हजारों-हजारों वैज्ञानिक मस्तिष्क के अध्ययन में संलग्न हैं, पर आज भी वह रहस्य बना हुआ है। 
1. स्वप्न मे कोई देवता दिखाई दे तो लाभ के साथ-साथ सफलता मिलती है। 
.. स्वप्न में कोई व्यक्ति गौमाता के दर्शन करता है यह अत्यन्त शुभ होता है। उस व्यक्ति को यश, वैभव एवं परिवार वृद्घि का लाभ मिलता 
है। 
.. स्वप्न में गाय का दूध दोहना धन प्राçप्त का सूचक है। 
4. सफेद घोडे का दिखाई देना-सुन्दर भाग्य के साथ-साथ धन की प्राप्ति कराता है। 
5. स्वप्न में चूहों का दिखाई देना उत्तम भाग्य का प्रतीक माना जाता है जो धन प्रदायक है। 
6. स्वप्न में नीलकण्ठ या सारस दिखता है उसे राज सम्मान के साथ-साथ धन लाभ भी होता है। 
7. स्वप्न में क्रोंच पक्षी दिखने पर अनायास धन प्राçप्त होती है। 
8. यदि मरी हुई चिç़डया दिखाई दे तो अनायास ही धन लाभ होता है। 
9. स्वप्न में तोते को खाता हुआ देखना प्रचूर मात्रा में धनप्राçप्त माना जाता है। 
1.. स्वप्न में यदि घोंघा दिखाई दे तो व्यक्ति के वेतन में वृद्घि तथा व्यापार में लाभ होता है। 
11. स्वप्न में सफेद चीटियाँ धन लाभ कराती हंै। 
12. स्वप्न में काले बिच्छू का दिखना धन दिलवाता है। 
13. स्वप्न में नेवले का दिखाई देना स्वर्णाभूषण की प्राçप्त करवाता है।
14. मधुमक्खी का छत्ता देखना शुभ शकुन है जो धन प्रदायक है। 
15. सर्प को फन उठाये हुये स्वप्न में देखना धन प्राçप्त का सूचक होता है। 
16. सर्प यदि बिल में जाता या आता हुआ दिखाई दे तो यह अनायास धन प्राçप्त का सूचक होता है। 
17. स्वप्न में आम का बाग देखना या बाग में घूमना अनायास धन की प्राçप्त करवाता है। 
18. स्वप्न में कदम्ब के वृक्ष को देखना बहुत ही शुभ होता है जो व्यक्ति को धन-दौलत निरोगी काया मान सम्मान एवं राजसम्मान की प्राçप्त करवाता है। 
19. यदि हाथ की छोटी अंगुली में अंगूठी पहनें तो अनायास ही धन की प्राçप्त। 
20. स्वप्न में कानों में कुण्डल धारण करना शुभ शकुन होता है जो धन प्राçप्त कराता है। 
21. स्वप्न में नर्तकी नृत्य करती दिखाई दें तो यह धन प्रदायक है। 
22. सफेद चूडियां देखना धन आगमन का सूचक है। 
23. स्वप्न से कुमुद-कुमुदनी को देखना धनदायक होता है। 
24. स्वप्न में किसान को देखना धन लाभ कराता है। 
25. स्वप्न में गौ, हाथी, अश्व, महल, पर्वत और वृक्ष पर चढ़ना भोजन करना तथा रोना धन प्रदायक कहा गया है। 
26. स्वप्न में युद्घ में घायल शरीर दिखाई दें तो धनदायक। 

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