इस तरह की लापरवाही बन सकती हें परेशानी-

(महिलाएं कैसे बचें बुरी नजर/आत्माओं से..)
आजकल लोग अपने फर्ज/कर्तव्य से विमुख हो रहे हें ,पूजा पथ,धर्म कर्म भूल ही गए हें..
कहते हें जब किसी भी देश/राष्ट्र को बर्बाद करना हो तो सर्वप्रथम उसकी संस्कृति को बिगाड़ दो..हमारे देश में भी वर्तमान में कुछ ऐसे हो रहा प्रतीत होता हें…
हमारे घरों में मोजूद देशी  एवं  विदेशी  टेलीविजन  चेनलों  एवं  इंटरनेट  ने  अपना  ऐसा    कुचक्र / कुप्रभाव  का  जाल  फेलाया  हें की हमारी युवा पीढ़ी/वर्ग हे साथ-साथ हमारी घरों की गृहणिया(माताएं-बहने) भी इस कुचक्र का शिकार हो गयी हें नहीं चाहते हुए..उन्हें तो पता ही नहीं हें की वे क्या और क्यूँ कर रही हें अनजाने में..!!! इन टलीविजन चेनलों जो कुठाराघात हमारी भारतीय संस्कृति पर किया हें ..उसने  हम सभी को बर्बादी के कगार लाकर खड़ा कर दिया हें …जो अभी वेसे तो नजर  नहीं आ रहा हें किन्तु उसके दुष्प्रभाव  /बुरे परिणाम अस्तित्व  में नजर  आने लगे हें..
आम आदमी को समझ नहीं आ रहा हें की वह क्या करें??किधर जाएँ???इस पाश्चात्य सभ्यता का नंगा नाच आजकल हर गली,मोहल्ला,गाँव,शहर एवं घर-घर में देखने को मिल रहा हें..ये खतरे की घंटी केवल नजर आ रही हे सुनाई नहीं दे रही??? इसका सबसे अधिक कुप्रभाव हुआ हें विशेषकर नारी/स्त्रियों/महिलाओ पर..केसे..??? आइये जाने—
खानपान बदल गया हें..बातचीत-संस्कार बदल गए हें,,,कपडे तन ढंकने के लिए नहीं अपितु अंग प्रदर्शन की वस्तु बन गए हें…??क्या यह वाही भारतीय संस्कृति हें..जिसका हम बार बार बखान करते हें..??? कदापि नहीं!!!!
इस पश्चिमी सभ्यता का प्रथम प्रभाव तो सभी घरों में जो नजर आता हें वह यह हें की शाम को सात बजे से ग्यारह बजे (०७ -११प.म.)तक उन घरों की दिनचर्या बदल गयी हें..उन घरों की स्तरीय/महिलाएं अपनी-अपनी  पसंद के सीरियल/धारावाहिक देखने में मस्त-व्यस्त हो जाती हें…न तो परिवार को समय पर खाना खिला पति हें और न ही बच्चों को समय देकर पढाई करवा पति हें..आज कल  तो तलक/विवाद भी इन्ही टेलीविजन धारावाही कोण के कारन बढ़ रहें हें..पत्नी/बहु को सबसे पहले  अपने सीरियल देखना हें बाकि कम जाएँ भाद में..!!! कितनी धुखाद/हस्य्दप्रद स्थिति बन गयी हें हमारे घरों की!!!! भगवन भला करें???
लेकिन ये नहीं भूलिए की आप चाहे जितना एडवांस/आधुनिक बन जाएँ…लड़कियां  ,लड़कों की तरह काम कर लेवें,उनके जेसे कपडे पहन लेवें ..किन्तु क्या वे नो माह के गर्भ धारण को पांच माह का कर सकती हें..???
कभी नहीं !!!क्यों की गर्भधारण  का आधार हमारे सोरमंडल के नो ग्रह हें..इनमें से हरेक ग्रह का प्रतिनिधित्व एक माह करता हें..
आजकल फेल रही अराजकता ,बलत्कार,भ्रष्टाचार, के साथ साथ टेलीविजन देखकर बढ़ रहे अपराध जेसे बहु पति-बही पत्नी,अवेध सम्बन्ध,तलाक,मारपीट..जेसी घटनाओ  का आधार   क्या हें??
ऐसा तब होता हें जब मनुष्य के ग्रह बुरे/ख़राब होते हें…किन्तु आज हमें इन बुरी आदतों एवं कारणों पर गंभीर  विचार-चिंतन की जरुरत हें..क्या नहीं हें???
आइये जाने इसके मुख्य कारण/कारक—
( विशेषकर ध्यान देवें स्त्रियाँ/महिलाएं/माताएं-बहाने)—-
आप इन बातों का यदि रखेंगी ध्यान तो हमेश बुरी नजर/आत्माओ से बची रहेंगी….
मेरी पिछली  पोस्ट  /लेख के बाद अनेक लोगों की जिज्ञासा थी की बुरी नजर/उपरी बाधा/शक्ति/परेशानी स्त्रियों/महिलाओं पर ही क्यों प्रभाव दिखाती हें???
इसका कारण यह हें हे की महिलाओ/स्त्रियों पर मायावी जिम्मेदारी बहुत अधिक होती हें ..और भी कई कारण हे,,किन्तु लेख लम्बा हो जायेगा…अगली बार लिखूंगा/चर्चा करेंगे…..
.. .—- विवाह के सुअवसरों पर काले एवं सफ़ेद वस्त्र/साड़ी/सलवार सूट कदापि  ना पहने.
0. .—-अपने अंतर वस्त्र(अन्डर गारमेंट्स) कभी भी किसी दुसरे को पहनने के लए नहीं देवें तथ इनका विशेष ध्यान/संभल रखें..
0. .—अपने बालों में कंघी  करके  बाल तथा  काटने के बाद अपने नाख़ून कही पर भी नहीं फेंकें..
04 .—महिलाएं/स्त्रियाँ अमावस्या/शनिवार को अपने बाल खुले नहीं रखे…खुले बालों पर बुरी नजर/उपरी बाधाएं जल्दी आती/लगती हें…संभव हो हो तो इन दिनों काले -नीले वस्त्र भी नहीं पहने..अब कई समझदार सवाल कर सकतें हें की   क्यों??? तो ..उनसे पूछिये जो इस परेशानी से गुजरे ( दोचार हुए) उनके घर वालों से पूछिये की क्या और केसा होता हें उनका हाल चाल उस समय???
05 .—मासिक धर्म के समय आप जो भी कपड़ा/सेनेटरी नेपकिन/पेड़ प्रयोग करती हें हेनुन्हें कही भी सरे रह नहीं फेंकें…उसे किसी कागज में अच्छी तरह लपेटकर फेंकना चाहिए…कारण की इन्हें जानवर(कूट, गाय आदि ) अनजाने में खा लेते हें और उन्हें वही मासिक धर्म की परेशानी/तकलीफ से होती  हें…जो दिन प्रतिदिन लाइलाज होती जा रही हें..
आप जानते हें की ज्योतिषीय आधार पर मासिक धर्म वही शुद्ध होता हें जो 28 वें दिन आये…क्योंकि नक्षत्र 27 हें आर्थात जिस नक्षत्र में आज मसिल आया हें उसी नक्षत्र में अगले माह आएगा…आगे पीछे जो मासिक हो जाता हें उसका कारण भी ये नक्षत्र ही होते हें..ध्यान रखे की कब-कब मासिक आया और कब कब नक्षत्र आये…
06 .– विशेष पर्व/त्यौहार पर पति-पत्नी सम्भोग/गृहस्थ कर्म नहीं करें..

आइये जाने की उपरी बाधा/परेशानी/नजर की क्या पहचान हें..????

—-उस स्त्री की माहवारी का रक्त/खून कुछ काला पन लिए होता हें..
—-उस स्त्री को महावरी के समय उसकी जांघों  पर अजीब  तरह के निशान हो जाते हें.और माहवारी ख़त्म होते ही वे निशान खुद बा खुद गायब हो जाते हें..
—इसी महिलाओं को (निद्रावस्था में)लगता हें/आभास होता हें की कोई पुरुष उनके साथ सम्भोग करता   हें.
—-ऐसी महिलाएं मोटी, थुलथुले शरीर वाली हो जाती हें किन्तु अंदर से कमजोर होती हें..
उपरोक्त कारण/निशानी से उपरी बाधा/नजर दोष वालो महिला/स्त्री की पहचान हो जाती हें..और यही नजर/उपरी बाधा की  निशानी-पहचान हें..
यदि आप इनसे बचाना सुरक्षित रहना चाहती हें तो प्लीज/कृपया …ऊपर लिखे सुझाव उपनाएं और सुखी रहें…
“शुभम भवतु “..कल्याण हो…
### पंडित दयानन्द शास्त्री####


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