श्रीगणप​ति आरती——
गजाननं भूतगणा​दिसे​वितं क​पित्थजम्बूफलचारूभक्षणम्।
उमासुतं शोक​विनाशकारकं नमा​मि ​विघ्नेश्वरपादपंकजम्।।
जय गौरी नन्दा ह​रि जय गिरिजानन्दा ह​रि जय गौरी नन्दा।
गणप​ति आनंदकंदा मैं चरणनवन्दा॥ ह​रि ॐ जय
सूंड सुंडालो नेत्र ​विशालो कुण्डल झलकन्दा ह​रि कुण्डल झलकन्दा।
कुमकुम केसर चन्दन ​सिन्दुर वदन ​विन्दा॥ ह​रि ॐ जय
मुकुट सुघट शोभंता मस्तक शोभंता ह​रि मस्तक शोभंता
ब​हियाँ बाजूबन्दा पहुँची ​निरखंता॥ ह​रि ॐ जय
रतन जडित सिंहासन शोभित गणपति आनंदा ह​रि गणपति आनंदा।
गल मोतियन की माला गल वैजयंती माला सुरनर मुनि वन्दा॥ ह​रि ॐ जय
मूषक वाहन राजत शिव सुत आनंदा ह​रि शिव सुत आनंदा।
कहत शिवानन्द स्वामी भजत हराहर स्वामी मेटत भव फंदा॥ ह​रि ॐ जय
जय गौरी नन्दा ह​रि जय गिरिजानन्दा ह​रि जय गौरी नन्दा।
गणप​ति आनंदकंदा मैं चरणनवन्दा॥ ह​रि ॐ जय

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