आज .. -.1 -2012 (गुरुवार) को माघ कृष्ण चतुर्थीसंकट चौथ हें —
भगवान गणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश हैं। कल यानी 12 जनवरी, गुरुवार को तिल चतुर्थी है। यदि इस दिन नीचे लिखा उपाय करें तो धन संबंधी सभी समस्याएं दूर हो सकती हैं। यह तिथि व उपाय बहुत ही विशेष हैं। इस उपाय से भक्त जल्दी ही धनवान बन जाता है।
माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकट चौथ कहलाती है। इसे वक्रतुण्डी चतुर्थी, माही चौथ अथवा तिलकुटा चौथ आदि नामो से भी जाना जाता है। इस दिन संकट हरण भगवान गणेश तथा चन्द्रमा की पूजा की जाती है। अपने संतान की दीर्घायु और सुखद भविष्य के लिए सभी पुत्रवति स्त्रियाँ इस व्रत को रखती हैं।
व्रत विधान –
इस दिन स्त्रियाँ निर्जल व्रत करती हैं। पटरे पर मिट्टी की डली को गौरी-गणेशजी के रूप में रखकर उनकी पूजा की जाती है। इन गौरी-गणेश को अगले वर्ष के लिए भी संभाल कर रखा जाता है। जब तक ये खंड़ित (टूट) न हो जाएँ, इन्ही से पूजा की जाती है। प्रशाद के रुप में तिल तथा गुड़ का बना लड्डु और शकरकंदी चढ़ायी जाती है। अग्नि की सात बार परिक्रमा की जाती है तथा कथा सुनने के बाद लोटे में भरा जल चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है। कही-कही तिल को भून कर गुड के साथ कूटा जाता है । इससे तिलकुट का पहाड़ बनाया जाता है। तो कहीं तिलकुट का बकरा बनाकर उसकी पूजा करके घर का कोई बालक उसकी चाकू से गर्दन काटता है ।
व्रत कथा –
एक बार राक्षसों से भयभीत होकर देवता भगवान शंकर की शरण में गए। उस समय भगवान शिव के पास भगवान कार्तिकेय तथा गणेश भी उपस्थित थे। शिवजी ने दोनों से पूछा – तुममे से कौन देवताओं के कष्ट समाप्त करेगा।तब कार्तिकेय और गणेश दोनो ही जाने की इच्छा प्रकट की। ऐसा जान मुस्कारते हुए शिव ने दोनो बालको को पृथ्वी की परिक्रमा करने को कहा तथा यह शर्त रखी – जो सबसे पहले पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करके आ जाएगा, वही सबसे वीर तथा सर्वश्रेष्ठ देवता घोषित किया जाएगा।ऐसा सुनते ही कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर चढ़कर पृथ्वी की परिक्रमा करने चल दिए। इधर गणेश जी के लिए चूहे के बल पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाना असम्भव था। इसलिए वे सात बार माता-पिता की परिक्रमा करके बैठ गए।उधर रास्ते में कार्तिकेय को पूरे पृथ्वी मण्डल में उनके आगे चूहे के पद चिन्ह दिखाई दिए। परिक्रमा करके लौटने पर निर्णय की बारी आई। तब कार्तिकेय जी ने स्वयं को विजेता बताया। इस पर गणेश ने भगवान शिव से कहा माता-पिता में ही समस्त तीर्थ निहित है। इसलिए मैने आपकी सात बार परिक्रमा की है।गणेश जी की बात सुनकर समस्त देवताओं तथा गौरी-शंकर ने गणेश की भरपूर प्रशंसा की तथा आशीर्वाद दिया की तीनों लोको में सर्व प्रथम तुम्हारी ही पूजा होगी।तब शिव की आज्ञा पाकर गणेश जी ने देवताओं का संकट दूर किया। चन्द्रमा से गणेश जी के विजय का समाचार सुनकर भगवान शंकर ने चन्द्रमा को वरदान दिया कि चौथ के दिन चन्द्रमा पूरे विश्व को शीतलता प्रदान करेगा। जो स्त्री पुरुष इस तिथि पर चन्द्रमा का पूजन तथा चन्द्रमा को अर्घ्य देगा उसे एश्वर्य, पुत्र, सौभाग्य की प्राप्ति होगी।माना जाता है तभी से पुत्रवती माताएँ पुत्र तथा पति की सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं।
उपाय—-
तिल चतुर्थी के दिन (12 जनवरी, गुरुवार) घर में श्वेतार्क गणपति अर्थात आंकड़े के गणेश की स्थापना करें व उन्हें तिल-गुड़ के लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद लाल चंदन की माला से नीचे लिखे मंत्र का 5 माला जप करें। यह क्रम लगातार 21 दिनों तक जारी रखें। आप देखेंगे कि कुछ दिन समय में पैसे से संबंधित आपकी हर समस्या दूर जाएगी।
मंत्र—–
“”ऊँ नमो सिद्धिविनायकाय सर्वकार्यकत्र्रे सर्वविघ्नप्रशमनाय””