आदरणीय रामेन्द्र प्रताप  सक्सेना जी(लखनऊ वाले-.9598874.4.;;;            094.5087497 begin_of_the_skype_highlighting            09415087497      end_of_the_skype_highlighting      ;;;;)
नमस्कार,
महोदय, प्रभु  जी वेसे तो हम आपको जानते नहीं..किन्तु आपने मर्यादा का उल्लंघन किया हे…बिना किसी मतलब /जानकारी आप कुछ भी लिखते जा रहे हो..आपको क्या पता हे हमारे बारे में.???? जो इतना उलुल-जुलूल लिख रहे हे आप..???क्या जानते हे आप ..वेद.,,.वैदिक  विद्या और शास्त्रों के बारे में..????आज जब इन सभी क्षेत्रो में (जो कभी केवल ब्रह्मण वर्ग/वर्ण के लिए ही हुआ करते थे..) समाज. के सभी वर्ग और वर्ण के लोगों पदार्पण हो गया हे ..(ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती)..किन्तु जब दुसरे किसी क्षेत्र  में कार्य करने पर अन्य वर्ण/ वर्ग के व्यक्ति को रोका नहीं जाता/ कुछ नहीं कहा जाता हे… तो फिर सभी बिचारे विप्र/ब्रह्मण के पीछे ही क्यों पड़े रहते हे..????.आप का कहना हे मेने आखरी बार फ्री/ निशुल्क से कब दी थी तो जनाब आपकी जानकारी के  लिए बता दू..में रोजाना   मेरे यहाँ आने वाले फोन काल्स और व्यक्तिगत मुलाकात वालों से .कुछ नहीं लेता हु..वेसे भी आपको बताकर मुझे कोई इनाम तो जितना नहीं हे..यह व्यवस्था तो फालतू परेशान करने वालों के लिए की गयी थी/ फिकटियों  के लिए की गयी थी..जो की ज्योतिष और ज्योतिषी दोनों का मजाक बनाकर समय ख़राब करते हे..??? क्या एक ब्रह्मण/ ज्योतिषी को जीने का अधिकार नहीं हें???वह अपना जीवन यापन केसे करेगा?? घर केसे चलाएगा???अन्य आवश्यकताएं केसे पूरी होगी जी..आप ही कोई रास्ता बताइए..???वो ज़माने गए जब जातक/जजमान बिना मांगे ही दक्षिणा दे देता था??अब  तो तय शुदा रकम/ पेमेंट देने में भी आना कानी करते हे????आप ने यदि यही बात किसी और / अन्य समुदाय/वर्ग/वर्ण/ जाती के खिलाफ/ विरुद्ध  की होती हो अभी तक हजारों..जवाब/ टिप्पणिया मिल चुकी होती..आपको..वो तो ब्रह्मण ही हे जो चुपचाप आपनी मर्यादा में रहकर कार्य करता रहाहे….
आपने हमारे ज्ञान /अनुभव   पर भी saval  khade  kiye  हें तो प्रभु जी आप की जानकारी के  लिए बता दे की हम pichale kafi समय से anek atr-पत्रिकाओं में lekh लिख rahen हे और apne samachar patr का sampadan भी करते हे जी..और कई masik पत्रिकाओं के उपसंपादक भी हें/rah चुके ने…####अधिक के लिए आप हमसे बात/चर्चा कर सकते हे जी आपका स्वागत हे..धन्यवाद    ..प्रतीक्षारत—-

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