शुभ विक्रम संवत- ..67, शालिवाहन शक संवत- .9.2,
संवत्सर का नाम- शोभन, अयन- उत्तरायन, ऋतु- वसंत,
मास- चैत्र, पक्ष- कृष्ण, तिथि- एकादशी प्रात: 10.22 पश्चात द्वादशी,
हिजरी सन्- 1432, मु. मास- रबिलाखर, तारीख- 24,
नक्षत्र- घनिष्ठा मंगलरात्रि 5.31 पश्चात शततारा, योग- साध्य अहोरात्र,
सूर्योदयकालीन करण- कौलव,
चन्द्रमा- मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश सायं 04.07 मिनट पर करेंगे।
ग्रह योग- पंचक सायं 04.07 मिनट से प्रारंभ होंगे। दिन- शुभ।
दिशाशूल- उत्तर में। मुहूर्त- निवेश का मुहूर्त।
दिन का पर्व- पापमोचनी एकादशी।
कार्य की अनुकूलता के लिए- रस पदार्थ का दान करें।
उपयोगी ज्ञान- भवन के अग्नि कोण (पूर्व-दक्षिण का कोना) में जल रखने से निराशा आती है।
शुभ समय- प्रात: 07.19 से 09.06 दिन 3.20 से 05.16।
सुझाव- आवश्यक न हो तो दिन 12.31 से 2.14 के मध्य शुभ कार्य न करें
संवत्सर का नाम- शोभन, अयन- उत्तरायन, ऋतु- वसंत,
मास- चैत्र, पक्ष- कृष्ण, तिथि- एकादशी प्रात: 10.22 पश्चात द्वादशी,
हिजरी सन्- 1432, मु. मास- रबिलाखर, तारीख- 24,
नक्षत्र- घनिष्ठा मंगलरात्रि 5.31 पश्चात शततारा, योग- साध्य अहोरात्र,
सूर्योदयकालीन करण- कौलव,
चन्द्रमा- मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश सायं 04.07 मिनट पर करेंगे।
ग्रह योग- पंचक सायं 04.07 मिनट से प्रारंभ होंगे। दिन- शुभ।
दिशाशूल- उत्तर में। मुहूर्त- निवेश का मुहूर्त।
दिन का पर्व- पापमोचनी एकादशी।
कार्य की अनुकूलता के लिए- रस पदार्थ का दान करें।
उपयोगी ज्ञान- भवन के अग्नि कोण (पूर्व-दक्षिण का कोना) में जल रखने से निराशा आती है।
शुभ समय- प्रात: 07.19 से 09.06 दिन 3.20 से 05.16।
सुझाव- आवश्यक न हो तो दिन 12.31 से 2.14 के मध्य शुभ कार्य न करें