चन्द्रमा मन का अधिष्ठाता है। मन की कल्पनाशीलता चन्द्रमा की स्थिति से प्रभावित होती है। ब्रह्मांड में जितने भी ग्रह हैं, उन सभी का व्यक्ति के ‍जीवन पर विशेष और अत्यंत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। मानव ने जब से काल के चिंतन का आरंभ किया, उसी समय से चन्द्रमा उसके लिए अपने घटने-बढ़ने की प्रक्रिया के कारण प्रकृति का...
वर्तमान समय में अभिनय की दुनिया में भी बहुत से युवक-युवतियाँ अपना भाग्य आजमाने के लिए प्रयास रहते हैं। बहुतों को सफलता मिलती है और बहुत से असफल भी रहते हैं। ऎसे कौन से योग होते हैं जिनके आधार पर व्यक्ति सफल रहता है। आइए जानने का प्रयास करें। फिल्म अभिनेता हो या फिर टेलिविजन के पर्दे पर काम करने...
भारतीय वैदिक ज्योतिष में जब से 12 राशियों और 27 नक्षत्रों की पहचान की गई, तब से आज तक मनुष्य ने बेशक भविष्य जानने की अनेक पद्धतियों को विकसित कर लिया हो, परंतु फिर भी नक्षत्र से भविष्य जानने की पद्धति का अपना अलग ही महत्व बना हुआ है। राशि एवं नक्षत्र के आधार पर रोगों का वर्णन भी...
जीवन और मृत्यु का शाश्वत चक्र अनादि काल से अस्तित्व में है। जीवन के बाद मृत्यु और मृत्यु के बाद जीवन की इस सतत् प्रक्रिया के मध्य कुछ अवकाश रह जाता है और इसी रिक्त स्थान में अशरीरी आत्माओं अर्थात् भूत-प्रेत, पिशाचादि के रूप में भी जीवात्मा कुछ काल व्यतीत करता है। इस काल का निर्धारण मृत्यु के प्रकार...
कुंडली में कई तरह के योग बताए गए हैं। उन्हीं में से एक योग है- ‘प्रेत श्राप योग।’ कहते हैं कि जिस भी जातक की जन्म पत्रिका में शनि-राहु या शनि-केतु की युति होती है तो इस युति को प्रेत शाप योग कहते हैं। दूसरा यह कि राहु अथवा केतु का चतुर्थ या दूसरे (कुटुम्ब स्थान) से संबंध होने...
जन्मकुंडली में सैकड़ों तरह के योग होते हैं उनमें से एक योग पिशाच योग कहलाता है जो कि राहु के कारण उत्पन्न होता है। पिशाच योग राहु द्वारा निर्मित योगों में यह नीच योग है।पिशाच योग जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में होता है वह प्रेत बाधा का शिकार आसानी से हो जाता है।इनमें इच्छा शक्ति की कमी रहती है...
चिकित्सा विज्ञान के अनुसार गठिया रोग तब होता है जब शरीर में उत्पन्न यूरिक एसिड का उत्सर्जन समुचित प्रकार से नहीं हो पाता है। पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने पर भी जोड़ सख्त होने लगते हैं। इससे जोड़ों के बीच स्थित कार्टिलेज घिसने लगता है और दर्द की अनुभूति होती है। आयुर्वेद के अनुसार जोड़ों में वात...
महिमा चौधरी का जन्म 13 सितंबर 1973 को दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में सुबह 3 बजकर 30 मिनट पर सिंह लग्न ओर कुम्भ राशि मे हुआ था। जन्म नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद का तृतीय चरण हैं। वर्तमान में केतु की विंशोत्तरी महादशा में बुध की अंतर्दशा चल रही है। अक्टूबर 2020 से 20 वर्ष के लिए शुक्र की महादशा आरम्भ...
हिंदू धर्म ग्रंथों में प्रकृति को देवता कहा गया है। जल, अग्नि, वायु, धरती और आकाश, इन पंचतत्वों से बने शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए भी इन पांच तत्वों की आवश्यकता होती है। इन्हीं पंचतत्वों में से एक है धरती। इस पर पाई जाने वाली समस्त वनस्पतियां, पेड़-पौधे हमारे जीवित रहने के लिए जितने जरूरी हैं, उतने...
सुब्रह्मण्यम स्वामी का जन्म 15 सितंबर 1939 ( गुरुुुवार) को म्य्लापोरे, चेन्नई, भारत में हुआ हैं। उनकी कुंडली सिंह लग्न की है। स्वामी की कुंडली में लग्न में सूर्य और बुध का 'बुद्धादित्य' योग है, जिसके प्रभाव से  उनको प्रखर बुद्धि और वाक्पटुता मिली है। लग्नेश, लग्नस्थ में ही स्थित हैं। इसी ने प्रखर वक्ता, अर्थशास्त्री, बनने में मदद की उनकी...