कंगना रानौत बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री है। इन्होने बॉलीवुड की कई प्रसिद्ध फिल्मों में काम किया है। ये बॉलीवुड में फैशनेबल हस्तियों में से एक मानी जाती है। इन्हें अपनी फिस्म के लिये कई पुरस्कार भी जीते है। आज इनकी कुड़ली में एक नजर डालते हैं।
  • कंगना का जन्म .. मार्च, .987 में  हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में भांबला मंडी स्थित पैतृक आवास पर हुआ हैं।
  • इनका जन्म लग्न और राशि धनु बनता हैं जिनका स्वामी बुध, तृतीय भाव मे स्थित हैं,कुम्भ राशिस्थ होकर।
  • जन्म के समय ग्रहों की स्थिती के कारण इनकी कुड़ली में सूर्य, बृहस्पति ओर राहु, मीन राशि में स्थित हैं,चतुर्थभाव में।
  • धन भाव में,शुक्र , मकर राशि में स्थित हैं।
  • 12वें भाव मे शनि, वृश्चिक राशि ओर ज्येष्ठा नक्षत्र में स्थित हैं और मेष राशि का स्वामी  मंगल, जो साहस और पराक्रम का प्रतीक है, पंचम भवस्थ हैं।
  • लग्न का चंद्रमा, पंचम में मंगल के साथ, महालक्ष्मी योग बन रहा हैं।
  •  इसके साथ साथ साइन ऑफ लियो में बृहस्पति के पारगमन से सूर्य कुंडली में ग्रहों के साथ अंतर-संबंध बना रहा है।
  • धनु राशि की कुंडली में लग्न भाव का चंद्रमा कंगना को पारस पत्थर बनाता है, इसलिए वह सफल होंगी और साथ रहने वाले को भी सफलता देंगी। वहीं, कंगना की कुंडली में त्रिक का राहु उन्हें अपने शुत्र से अधिक ताकतवर बनाकर शत्रु हंता बनाता है।
  • गुरु, राहु का चाण्डाल भी असरकारी रहेगा।शनि, गुरु की युति भी उनको लाभ देगी। पूर्वाभास या शत्रुहन्ता स्थिती बनाती हैं।
  • शत्रु कोई भी हो, उसकी हार होगी। यह चन्द्रमा, मूल नक्षत्र के चतुर्थ चरण मे हें।
  • उनका जन्म कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अर्थातजय तिथि में हुआ जो बहुत महत्वपूर्ण हैं।
  • उनका गण-राक्षस,
  • वर्ण-क्षत्रिय,तत्व- वायु, करण – कौलव के चर में हुआ हैं।

मनुष्य गण तथा देव गण वाले लोग सामान्य होते हैं। जबकि राक्षस गण वाले जो लोग होते हैं उनमें एक नैसर्गिक गुण होता है कि यदि उनके आस-पास कोई नकरात्मक शक्ति है तो उन्हें तुरंत इसका अहसास हो जाता है। कई बार इन लोगों को यह शक्तियां दिखाई भी देती हैं, लेकिन इसी गण के प्रभाव से इनमें इतनी क्षमता भी आ जाती है कि वे इनसे जल्दी ही भयभीत नहीं होते। राक्षस गण वाले लोग साहसी भी होते हैं तथा विपरीत परिस्थिति में भी घबराते नहीं हैं।
इनकी कुड़ली में कुंभ राशि में बुध पर 3से भाव में है एवम 1.वें घर में कन्या का का केतु अपना स्थान बनाये है। इसके साथ ही बृहस्पति ने कन्या में केतु पर ट्रांजिट किया है। इनके जीवन में कई उतार चढाव आयेंगे। कंगना की कुड़ली में केतु के पारगमन के कारण,  जीवन एक मोड़ ले सकता हैं। बुध निर्णय लेने की क्षमता, विवेक, तर्क का प्रतिनिधित्व करता है, बुध का स्थानांतरित होने से अच्छे परिणाम मिलेंगे।
मणिकर्णिका नाम कंगना Ranaut के जीवन का टर्निंग प्वाइंट है। इस नाम से बनी फिल्म से फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उनकी विशिष्ट पहचान बनी तो इसी को लेकर कंगना ने मणिकर्णिका नाम से अपना ऑफिस भी बनवाया। धनु राशि की कंगना रणौत के साथ इस नाम से एक मजबूत पहचान उनके कुंडली के ग्रह दशा के अनुकूल है।
ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री जी के अनुसार, मणिकर्णिका का मुम्बई में तोड़ा कार्यालय भी उन्हें प्रसिद्धि देगा। अगर किसी को लगता है कि मौजूदा स्थितियां कंगना को विचलित करेंगी तो वह भ्रम में है।
कंगना की कुंडली मे वर्तमान में चन्द्रमा की विंशोत्तरी महादशा चल रही है, 28 अक्टूबर 2014 से जो अक्टूबर 2024 तक रहेगी। अंतर्दशा बुध की जनवरी 2022 तक चल रही जो उनके सम्मान, प्रभाव में वृद्धि करेगी।चन्द्रमा, लग्नेश होकर लग्नस्थ ही हैं।
‘मणिकर्णिका’ पर चला बुलडोजर कंगना को राजनीति मुकाम दिलाने का पायदान बनेगा। अगर कंगना ने राजनीति में जाने का निर्णय लिया तो वहां भी सफलता मिलनी तय है। पंडित दयानन्द शास्त्री जी ने बताया कि कंगना रणौत की कुंडली में ग्रहों की चाल और दशाएं बता रही हैं कि यह वह वक्त है, जब लोग कंगना की हिम्मत देखेंगे और उनके साथ जुड़ेंगे।
इस तरह की बाधाएं कंगना को मजबूत करेंगी।
ये अपनी फिल्म में बोल्ड और कठिन भूमिकाओं में देखेंगी। कन्या के बृहस्पति में संक्रमण से इनके लिए शुभ होगा। शनि का पारगमन विभिन्न मोर्चों पर परीक्षण करेगा। शनि ग्रहों के बीच सैटर्न रिटर्न से कुछ कानूनी विवादों को जन्म दे सकता है।
क्या होगा ग्रहों के इस राशि परिवर्तन का असर महाराष्ट्र सरकार,  कंगना ओर भारतवर्ष पर
  • आगामी 23 सितंबर 2020, बुधवार को सुबह लगभग 8 बजे  रहस्यमयी ग्रह राहु, मिथुन राशि से वृषभ राशि मे वक्री होकर प्रवेश करेगा।इसके साथ ही केतु भी वृश्चिक में वक्री होकर अपनी चाल 18 वर्षो बाद बदलने वाला हैं।
  • यह उद्वव ठाकरे के लिए अच्छा संकेत नही है क्यों कि उनकी राशि वृषभ है।
  • राहु केतु के इस परिवर्तन से उनकी सत्ता खतरे में आ सकती हैं।
  • महाराष्ट्र राज्य की राशि, सिंह बनती हैं। जिसमे राहु,10 वे भाव कोई राजनीतिक संकट खड़ा कर सकता हैं।
  • यह वक्री, राहु और केतु का प्रभाव 12 अप्रेल 2022 तक वृषभ राशि पर रहेगा।इनका यह परिवर्तन या वक्री होने का प्रभाव मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि वालों को शुभ फलदायक रहेगा।
  • सर्वविदित है कि नवग्रहों में राहु केतु की चाल हमेशा, उल्टी ही होती हैं।
  • सूर्य ही एकमात्र ग्रह है जो हमेशा सीधी चाल चलता हैं।
  • राहु का वक्री होना इस वर्ष की सबसे बड़ी ज्योतिषीय घटनाओं में गिना जाएगा।
  • राहु केतु का यह परिवर्तन दंगे, अग्निकांड, भय, बाढ़ का आकस्मिक प्रकोप से सकता हैं।
  • कोरोनो के प्रभाव में आकस्मिक वृद्धि होकर, कमी हो सकती हैं।
  • पड़ोसी देश चीन से तनातनी, युद्ध भी करवा सकती हैं।
  • प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की राशि पर केतु का संचरण , संकट बढ़ा सकते हैं।क्योंकि राहु में जहां शनि के गुण होते है वहीं केतु में मंगल के गुण प्रभाव दिखाते हैं।
  • सत्ता पक्ष में बेचैनी बढ़ सकती हैं।
  • अगले वर्ष कोरोना संक्रमण से आगामी 13 जनवरी 2021 के बाद कुछ राहत सम्भव है।
  • ईश्वर की आराधना करे, स्वयम का ध्यान रखें।
  • राहु 23 सितंबर 2020, बुधवार को सुबह 8.20 बजे मिथुन से वृषभ राशि में गोचर करेगा। राहु 12 अप्रैल 2022 तक इसी राशि में स्थित रहेगा। राहु की चाल हमेशा उल्टी दिशा में होती है। राहु का राशि परिवर्तन इस साल की सबसे बड़ी ज्योतिषीय घटनाओं में से एक है। अतः इसका प्रभाव भी सभी राशियों पर जबरदस्त तरीके से होगा।
  • धार्मिक ग्रंथों में राहु को सर्वदा अपने भक्तों पर वैभव और बाहुल्य प्रदान करने को प्रस्तुत, मित्रवत एवं प्रेम से परिपूर्ण, चंदन पुष्प एवं क्षत्र से सुशोभित नीले रंग में व्यक्त, खड़क और खाल से सुशोभित दक्षिण दिशा की ओर मुंह किए हुए भद्रासन पर आसीन चारों ओर सिद्धियों से घिरे हुए गहरे नीले रंग के राहु हम पर कृपा करें, इस तरह से प्रार्थना की गई है।

  • राहु प्रदर्शन कराने वाला होता है। यह गुब्बारे जैसा होता है, जो जगह अधिक घेरता है जबकि अंदर कुछ नहीं होता है। राहु ओवर कॉन्फिडेंट भी बनाता है जो बाद में समस्या का कारण बनता है। ओवर कॉन्फिडेंस को नियंत्रित करके रखा जाए तो यह व्यक्तित्व का काफी प्रसार करता है। व्यक्ति बहिर मुखी हो जाता है अपनी बात को सबके सामने रखने में निपुण हो जाता है। वैसे यह भी देखा गया है कि कई बार व्यक्ति को करियर में अच्छी उन्नति भी मिलती है। विज्ञापन, राजनीति, मार्केटिंग, सेल्स संबंधित क्षेत्र से जुडे लोगों को इस राहु से लाभ भी होता है। स्वभाव के अनुसार, राहु को पापी ग्रह की संज्ञा दी गई है। आमतौर पर कुंडली में राहु का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय उत्पन्न हो जाता है। परंतु कोई भी ग्रह शुभ या अशुभ नहीं होता है बल्कि उसका फल शुभ-अशुभ होता है। यदि कुंडली कोई ग्रह मजबूत स्थिति में होता है तो वह शुभ फल देता है। राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है।

राहु है कैंसर और आकस्मिक दुर्घटना का कारक

  • राहु में थोड़ा भ्रम भी रहता है तो कई बार ऐसा भी हो जाता है कि व्यक्ति के सामने कई रास्ते आ जाएं, जिसमें उसको सही चुनाव करना कठिन हो जाए। फूड प्वाइजनिंग, डायरिया, कैंसर और आकस्मिक दुर्घटना कराने में मुख्य भूमिका राहु ही निभाते हैं। राहु सर्प है और चंदन के ऊपर सर्प के विष का प्रभाव नहीं पड़ता है। राहु जिस राशि के ऊपर संचरण करता है, उस राशि वाले को विष का भय रहता है। राहु की वजह से किसी प्रकार की एलर्जी का भी सामना करना पड़ सकता है। राहु विष कारक होता है। ज्योतिष के अनुसार राहु जिस राशि से गुजरता है, वहां पर अपने विष का प्रभाव छोड़ता है।

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