चुनाव में नामांकन के समय शुभ मुहूर्त का चयन कैसे करें

चुनाव के समय अपनी जन्म कुण्डली के योग और बलाबल, भलीभांति देखकर ही कोई कार्य (नामांकन आदि) करें। शुभ मुहूर्त आपके भविष्य को बदले या न बदले, परंतु जीवन के प्रमुख कार्य शुभ मुहूर्त में करते हैं तो आपका जीवन निश्चित ही आनंददायक बन जाएगा। अत: हमें अवश्य ही शुभ समय का चयन करना चाहिए। 

कैसे बनता है शुभ  मुहूर्त–

शुभ मुहूर्त आपके भविष्य को बदले या न बदले, परंतु जीवन के प्रमुख कार्य शुभ मुहूर्त में करते हैं तो आपका जीवन निश्चित ही आनंददायक बन जाएगा।
अत: हमें अवश्य ही शुभ समय का चयन करना चाहिए।

 ज्योतिष अनुसार शुभ मुहूर्त निकालने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाता है-


तिथि,
वार,
नक्षत्र,
योग,
करण,
नवग्रहों की स्थिति,
मलमास,
अधिकमास,
शुक्र और गुरु अस्त,
अशुभ योग,
भद्रा,
शुभ लग्न,
शुभ योग
तथा राहूकाल आदि
इन्हीं के योग से शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। यथा सर्वार्थसिद्धि योग।
यदि सोमवार के दिन रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, अनुराधा तथा श्रवण नक्षत्र हो तो सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण होता है। 
शुभ मुहूर्तों में सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त इनको माना जाता है-
गुरु-पुष्य योग — यदि गुरुवार को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में हो तो इससे पूर्ण सिद्धिदायक योग बन जाता है।
जब चतुर्दशी सोमवार को और पूर्णिमा या अमावस्या मंगलवार को हो तो सिद्धिदायक मुहूर्त होता है।
इस योग में किया गया कार्य शीघ्र ही पूरा हो जाता है।
अर्थात शुभ योगों की गणना कर उनका उचित समय पर जीवन में इस्तेमाल करना ही शुभ मुहूर्त पर किया गया कार्य कहलाता है। 

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