क्या आपकी जन्म कुंडली में हैं पत्रकार बनने का योग…


प्रिय पाठकों, हर व्यक्ति में अलग-अलग क्षमता होती है। लेकिन स्वयं यह तय करना कठिन होता है कि हममें क्या क्षमता है इसलिये कभी कभी गलत निर्णय लेने से असफलता हाथ लगती है, परन्तु ज्योतिष एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा उचित व्यवसाय/क्षेत्र चुनने में मार्गदर्शन लिया जा सकता है। आजकल हाईस्कूल करने के बाद एक दुविधा यह रहती है कि कौन से विषय चुने जाएं जिससे डॉक्टर या इन्जीनियर का व्यवसाय चुनने में सहायता मिल सके। इसके लिये कुन्डली के ज्योतिषीय योग हमारी सहायता कर सकते हैं | 


ज्योतिष को चिरकाल से सर्वोत्तम स्थान प्राप्त है । वेद शब्द की उत्पति “विद” धातु से हुई है जिसका अर्थ जानना या ज्ञान है ।
ज्योतिष शास्त्रतारा जीवात्मा के ज्ञान के साथ ही परम आस्था का ज्ञान भी सहज प्राप्त हो सकता है ।


ज्‍योतिष शास्‍त्र मात्र श्रद्धा और विश्‍वास का विषय नहीं है, यह एक शिक्षा का विषय है।


पाणिनीय-शिक्षा4. के अनुसर”ज्योतिषामयनंयक्षुरू”ज्योतिष शास्त्र ही सनातन वेद का नैत्रा है। 


इस वाक्य से प्रेरित होकर ” प्रभु-कृपा ”भगवत-प्राप्ति भी ज्योतिष के योगो द्वारा ही प्राप्त होती है।


आज कल कई लोग मीडिया जगत में जाने के लिए काफी लोगउत्सुक रहते है लेकिन उनको अपना फ्यूचर पता नहीं चल पाता | आइये जानते हैं की है मीडिया में (पत्रकारिता में )जाने के लिए आपका कोनसा गृह सबसे सबसे ज्यादा मजबूत  होना चाहिए || ग्रहों का विभिन्न राशियों में स्थित होना भी व्यवसायका चयन करने में मदद करता है। यदि चर राशियों में अधिक ग्रह हो तो जातक को चतुराई, युक्ति निपुणता से सम्बधित व्यवसाय में सफलता मिलती है। यह ऐसा व्यवसाय करता है जिसमें निरंतर घूमना पड़ता हैं | यदि किसी जातक की कुंडली में  चन्द्र , और बुध की युति हो तो ऐसा जातक कवि, पत्रकार लेखक बनता है।


कुंडली में पत्रकार बनने के लिए बुध दशम भाव व शुक्र का अध्ययन करना चाहिए ।।पत्रकार अच्छा व्यवहार विश्लेषक वकता होता हैं वाणी प्रभावशाली होती हैं ।।जब कुंडली में द्वितीय भाव में बुध उच्च राशि में हो व चतुर्थ भाव में चनद्र हो हो तब जातक अच्छा पत्रकार बनता है चतुर्थ भाव जनता का हैं ।।द्वितीय भाव वाणी का हैं दशम भाव कार्य वयवसाय का भाव है ।।


बुध लेखनी दशम भाव लोगों की नज़र का भी भाव हैं ।।तृतीय भाव लोगों की बोलती बंद करने का भी भाव है।। तृतीय भाव मे जब गुरु शुक्र का सम्बन्ध हो द्वादश भाव में केतु हो ऐसे में जातक जबरदस्त प्रभावशाली व्यक्तित्व वाला पत्रकार होता हैं।। व सभी की वकताआो की बोलती बनद करदेता हैं बुध चनद्र चतुर्थ भाव में हो दशम मे उच्च गुरु हो शनि का सम्बन्ध शुक्र से सम्बन्ध लगन में हो ऐसे में प्रिंट मीडिया कि तरफ़ ध्यान आकर्षित करने वाला श्रेष्ठ ईमानदार पत्रकार होता हैं ।। अनुभव में आया है कि मिथुन, कन्या, वृषभ, तुला, मकर और मीन लग्न के लोग लेखन कार्य में अवश्य हो सकते हैं। ज्यादातर बड़े लेखक इन्ही लग्नों में जन्मे हैं।   


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमेश यदि नवम् भाव में हो तो एक सफल लेखक बनने के लिए यह एक उत्तम ग्रहयोग है। जन्मकुंडली में यदि सरस्वती योग योग बन जाए तो आप उच्चकोटि के लेखक हो सकते हैं। सरस्वती योग, शारदा योग, कलानिधि योग एक ही होते हैं। इनके नाम अलग अलग हैं जब कुंडली में केन्द्र, त्रिकोण और द्वितीय भाव में एक साथ या अलग-अलग बुध , शुक्र और गुरु ग्रह बैठते हैं तो यह महान योग होता है। .


इस प्रकार के व्यवसायों में वांछित योग्यता के लिए तृतीय भाव, बुध तथा लेखन के देवता गुरु की युति श्रेष्ठ परिणाम देती है। लेखन कार्य में कल्पनाशक्ति की आवश्यकता रहती है। इसलिए कल्पनाकारक चंद्रमा की शुभ स्थिति भी वांछित है।जुझारू पत्रकारिता के युग में मंगल, बुध, गुरु के बल व किसी शुभ भाव में युति के फलस्वरूप पत्रकारिता व संपादन कार्य में सफलता मिलती है। लेखन कार्य के तृतीय भाव के बल की भी जांच करनी होगी।


बुध दशम भाव में गुरु के साथ हो द्वितीय भाव में चनद्र हो पंचम में उच्च शनि से राहु द्रष्ट हो ऐसे में जातक समाचार पत्रों का संपादन या प्रकाशन का कार्य करता है ।।तृतीय भाव में केतु बुध हो द्वितीय भाव में सूर्य हो दशम मे उच्च का शनि हो ऐसे में जातक समाचार चैनलों में मुख्य पत्रकारिता का कैरियर जातक प्राप्त करता है।। शुक्र बुध चतुर्थ भाव में हो दशम मे मंगल के साथ राहु हो द्वितीय भाव में सूर्य की दृष्टि हो ऐसे में जातक प्रसिद्ध समाचार पत्र का प्रकाशन करता है ।।


बुध दशम भाव में निच राशि में हो शनि द्वादश भाव में हो तृतीय भाव में केतु के साथ गुरु हो ऐसे में जातक खोदकर खबर प्रकाशित करने वाला पत्रकार होता हैं गुरु केतु का सम्बन्ध जातक ऊँचाईयो पर लेजाने वाला होता हैं ।।राहु अष्टम भाव में हो गुरु केतु बुध की राशि में द्वितीय भाव में हो बुध दशम भाव में चनद्र के साथ हो ऐसे जातक प्रसिद्ध परिवार सहित पत्रकारिता के श्रेत्र मे अग्रणीय पत्रकार होता हैं गुरु बुध केतु तृतीय भाव में हो दशम मे उच्च का शुक्र हो लगन में सूर्य हो ऐसे में देश का सबसे प्रसिद्ध पत्रकार होता हैं ।।


हमारे शास्त्रों में गजकेसरी योग के निम्नफल बताए गए हैं —

गजकेसरीसंजातस्तेजस्वी धनधान्य
मेधावी गुणसम्पन्नो राज्यप्राप्तिकरो भवेत्।।  

अर्थात गजकेसरी योग में उत्पन्न जातक तेजस्वी, धनधान्य से युक्त, मेधावी,गुणी और राजप्रिय होता है।   


-शाश्त्र अनुसार सरस्वती योग- जब कुंडली में बुध,गुरु,शुक्र एक साथ या अलग-अलग केन्द्र त्रिकोण या द्वितीय भाव में बैठते हैं तो सरस्वती योग बनता है। 

शास्त्र कहता है-   


धीमान नाटकगद्यपद्यगणना-अलंकार शास्त्रेयष्वयं। 
निष्णात: कविताप्रबंधनरचनाशास्त्राय पारंगत:।। 
कीर्त्याकान्त जगत त्रयोऽतिधनिको दारात्मजैविन्त:। 
स्यात सारस्वतयोगजो नृपवरै : संपूजितो भाग्यवान।।   


अर्थात्- सरस्वती योग में जन्मे जातक बुद्धिमान, गद्य, पद्य, नाटक, अलंकार शास्त्र में कुशल ,काव्य आदि का रचैयता शास्त्रों के अर्थ में पारंगत, जगत प्रसिद्ध, बहुधनी, राजाओं द्वारा भी सम्मानित एवं भाग्यवान होता है।   


—-संपादक (इलेक्ट्राॅनिक मीडिया): इस व्यवसाय के लिए मंगल, बुध व गुरु के अतिरिक्त शुक्र का महत्व अधिक है तथा भावों में लग्न, द्वितीय व तृतीय तीनों का बली होना आवश्यक है। 


—- न्यूज रीडर: न्यूज रीडर के लिए द्वितीय भाव, लग्न, बुध व गुरु बली होने चाहिए क्योंकि न्यूज रीडर का कार्य एक जगह स्थिर होकर बोलना है इसलिए फोकस्ड और स्थिर होकर बैठने के लिए शनि का भी लग्न अथवा लग्नेश पर प्रभाव वांछित है। 


— एंकर: सफल एंकर बनने के लिए शुक्र, बुध, चंद्रमा व गुरु का महत्व सर्वोपरि है।  


—रेडियो जाॅकी: कुशल रेडियो जाॅकी बनने के लिए जातक का वाकपटु होना तथा तुरंत निर्णय लेकर धारा प्रवाह बोलना व अपनी वाणी में हास्य, व्यंग्य व अभिव्यक्ति की योग्यता होना नितांत आवश्यक है जिसके लिए बुध, गुरु, चंद्र, वाणी का द्वितीय भाव तथा अभिव्यक्ति के तृतीय भाव के अतिरिक्त कारक राशियों जैसे मिथुन व कन्या का बली होना आवश्यक है। द्वितीयेश, लग्नेश व दशमेश की युति शुभ भाव में हो तथा गुरु से दृष्ट हो तो भी कुशल रेडियो जाॅकी बने। 


—-ज्योतिष में लेखन का मुख्य ग्रह बुध माना जाता है। साथ ही बुध वाणी ,बुद्धि, तर्क शक्ति का कारक भी होता है। अत: बुध का श्रेष्ठ होना अच्छा लेखक के लिए आवश्यक है। लेखन से सम्बन्धित अन्य महत्वपूर्ण ग्रह चन्द्र और गुरु होते हैं क्योकि चन्द्र मन, भावुकता, संवेदना व कल्पना का कारक होता है और गुरु ज्ञान,कौशल,स्वस्थ मेधा शक्ति का कारक होता है इसलिए अच्छे लेखन के लिए इन ग्रह का सहयोग विशेष योग प्रदान करता है।   


—बुध ग्रह जन्मकुंडली में तीसरे भाव से जुड़ा होने से लेखन का विशेष योग बनता है क्योंकि बुध लेखन का और तीसरा भाव हाथ का भाव होने से अच्छा लेखन कार्य किया जाता है। तीसरे भाव से पत्रकारिता, संपादन का कार्य भी किया जाता है। इसके अलावा बुध ग्रह यदि शुभ स्थिति में 1, ., 4, 5, 7, 8, 9 भावों में स्थित हो, तो जातक सफल लेखक बन सकता है  क्योंकि ये सभी भाव किसी न किसी रूप से शिक्षा, बुद्धि, ज्ञान, सफलता, व्यवसाय एवं भाग्य से संबंधित हैं। यदि बुध , गुरु, या शुक्र स्वग्रही या उच्च के हो तो लेखन के क्षेत्र में अच्छे परिणाम आते हैं।      
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-जानिए जन्म पत्री, नक्षत्र और राशियों के बारे में जानकारियां—-


जन्म कुंडली का रहस्य: मनुष्य के कार्यक्षेत्र में ग्रह-नक्षरों की भूमिका—


सूर्य-सरकारी नौकरी, राजनीति, आंकड़ों से जुड़ा काम।
चंद्रमा—संगीत, कलाएं, रसायन क्षेत्र।
मंगल—तर्क विद्या से जुड़ा व्यवसाय, इंजीनियरिंग, जायदाद संबंधी विवाद।
बुध—-एकाउंटेंसी, पत्रकारिता, ज्योतिष।
बृहस्पति—मानविकी, बैंकिंग, प्राणी विज्ञान, प्रबंधन।
शुक्र—ललित कलाएं, पर्यटन, एनिमेशन, ग्राफिक्स।
शनि—भूगर्भ विज्ञान, पुरातत्व विज्ञान, इंजीनियरिंग, श्रम कानून।
केतु–भाषा विज्ञान, कंप्यूटर, मौसम विज्ञान।
राहू—मनोविज्ञान, विश्लेषण संबंधी कार्य, अंतरिक्ष विज्ञान इंजीनियर, विमान चालक।
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अष्टक वर्ग—ग्रहों की गति बताने के लिए बिंदुओं का प्रयोग किया जाता है।।
दशा: मनुष्य के जीवन अवधि या चरण।
कर्म: व्यक्ति की शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उपलब्धियों का कुल योग।
गोचर: ग्रहों की गति।
कर्म स्थान: जन्म कुंडली का दसवां घर, जो बताता है कि जातक का पेशा क्या होगा?
राशियां—-राशि चक्र के 1. भाग, हरेक 3. डिग्री का, इस तरह सब मिलकर 360 डिग्री पूरा करती हैं। वे पश्चिमी ज्योतिष शास्त्र की राशियों के अनुरूप हैं।
साढ़े साती—जन्म के समय चंद्रमा की स्थिति में शनि का प्रवेश अशुभ माना जाता है।


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