जानिए की ज्योतिष का प्रयोग कर शेयर बाजार में लाभ कैसे पायें.???


—प्रायः कम समय में अधिक से अधिक धन कमा कर अर्जित करना और अपने सुख संसाधन को बढ़ाना सभी की सोच होती है और कई लोग इसमें सफल भी होते है और कई लोग पैसे गवां भी देते है…
ज्योतिष के माध्यम से जानिए की शेयर बाजार केसे धन कमाया जाये–– 


—दीपावली पर अनेक लोग सट्टा मार्किट में अपनी किस्मत आजमाते है , कई लाभ पाते है और कई अपना धन गवां बैठते है ..प्रायः सभी के मन में डर/शंका होता है की अपना पैसा कहाँ लगाये जिससे नुकशान न हो..??/


क्या शेयर बाजार से लाभ मिलेगा ?


आइये जानते है ज्योतिष की दृष्टि से किस व्यक्ति विशेष के लिए शेयर बाजार लाभदायक व सफलतादायक होगा या नहीं—


——यदि जन्मकुंडली में जन्म लग्न या चंद्र लग्न से भाव ., 6, .. या 11 में शुभ ग्रह हों और भाग्येश केंद्र या त्रिकोण में हो, तो जातक को अकस्मात् धन की प्राप्ति हो सकती है। 
—-यदि भाव 1, ., 5, 9, 10 या 11 में नीच या नीचांश के बिना धनेश और लग्नेश या धनेश और लाभेश या भाग्येश और दशमेश अथवा धनेश और पंचमेश का योग हो, तो जातक को लाॅटरी, शेयर, सट्टे से लाभ मिलता है।
—-लग्न से ग्रह भाव 1, 2, 5, 7, 8, 10 और 11 में हों तथा कहीं भी दो ग्रहों से अधिक की युति न हो, तो शेयर मार्केट या सट्टे से असीम धन की प्राप्ति की संभावना रहती है।
—–मकर का सूर्य से रहित चंद्र लग्न में हो, चतुर्थ और सप्तम में गुरु हो, अस्त नीच और नीचांश रहित शनि शुभ स्थान में हो, तो भी अकस्मात् धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
——मेष लग्न की कुंडली में लग्न से चतुर्थ भाव में गुरु, सप्तम में शनि, अष्टम में शुक्र, नवम में गुरु, दशम में मंगल तथा पंचम में चंद्र हो, तो लाॅटरी, शेयर या सट्टे से धन लाभ के योग बनते हैं।
—–प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव में शुभ बली ग्रह हों तो शेयर या सट्टे से धन प्राप्ति के योग बनते हैं। 
पंचम भाव में गुरु और लग्नेश हों तो अनायास धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
—–यदि कुंडली के पंचम भाव में चंद्र हो और उसे शुक्र देख रहा हो तो उस स्थिति में भी जातक को अनायास धन की प्राप्ति होती है।
—–कर्क लग्न की जन्मकुंडली में अष्टम भाव में कुंभ राशिस्थ बुध और शुक्र हों और किसी शुभ भाव में चंद्र तथा मंगल की युति हो, तो उस स्थिति में भी अकस्मात् धन प्राप्ति की संभावना रहती है।
——यदि सिंह लग्न की कुंडली में लग्न में पूर्ण चंद्र और सप्तम में शनि हो तथा एकादश में गुरु और मंगल का योग हो, तो भी अकस्मात् धन लाभ की संभावना रहती है।
—–मीन लग्न की कुंडली में 5वें भाव में बुध या 11वें भाव में शनि हो, तो लाॅटरी, शेयर या सट्टे से लाभ की संभावना रहती है।
—–यदि कुंडली में पंचमेश और लग्नेश का योग हो या लग्नेश बली हो और राहु व बुध कारक हों, तो अकस्मात् धन प्राप्ति की संभावना रहती है। 




दो ग्रहों का एक राशि में योग हो तथा दोनों 5 अंश से कम पर हों तो धन लाभ के उत्तम योग बनते हैं।
धनेश और लाभेश चतुर्थ भाव में हों और चतुर्थ भाव का स्वामी शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो अकस्मात् धन की प्राप्ति हो सकती है। शेयर, लाॅटरी या सट्टे से धन कमाने के इच्छुक लोगों को चांदी की अंगूठी में शुद्ध लहसुनिया रत्न पहनना चाहिए।


अपने नामांक, मूलांक और भाग्यांक की तरह ही कंपनी का मूलांक, भाग्यांक तथा नामांक निकालकर मैत्री चक्र के आधार पर उनके संबंधों का निर्णय करके लाभप्रदता की स्थितियों का निर्णय व निर्माण कर सकता है। 


इन अंकों के मध्य अधिक शत्रुतापूर्ण संबंध आर्थिक हानि को दर्शाते हैं। और यदि इन अंकों के मध्य एक से अधिक संबंध हों तो व्यक्ति को इस कंपनी के शेयरों से न तो अधिक लाभ होगा और न ही अधिक हानि ।
यहां यह बात हमें नहीं भूलनी चाहिए कि यदि द्वादशेश, अष्टम स्थान में स्थित हो या षष्ठेश अष्टम भाव में स्थित हो तो विपरीत राजयोग का निर्माण हो जाता है, परंतु इसका तात्पर्य यह है कि जातक को अष्टम भाव से संबंधित अशुभ फल नहीं मिलेंगे अर्थात् जातक को अष्टम भाव से संबंधित शुभ फल से कम परिश्रम द्वारा अधिक धन की प्राप्ति इस प्रकार, शेयर बाजार जैसे लाभ की भी प्राप्ति नहीं होगी अर्थात् जिसकी कुंडली में द्वादशेश या षष्ठेश या दोनों अष्टम भाव में स्थित हो जाएं तो ऐसे व्यक्ति को शेयर बाजार में कभी भी निवेश नहीं करना चाहिए, अन्यथा लाभ की अपेक्षा हानि की संभावना ही अधिक रहेगी। इसके अतिरिक्त यदि षष्ठेश पंचम भाव में राहु के साथ स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति को शेयर बाजार में अकस्मात् धन प्राप्ति की संभावना अधिक रहती है। 
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डूबा धन मिलेगा या नहीं…???


यह जानने के लिए लग्नेश, धनेश व चंद्र की स्थिति का अध्ययन करना चाहिए। 
तीनों का शुभ योग धन मिलने की संभावना को बढ़ाता है। चतुर्थ भाव से आगे चंद्र व सूर्य हों तो धन कठिनता से वापस मिलता है। उक्त योगों के साथ-साथ शुभ मुहूर्त व नक्षत्रों का विश्लेषण भी करना चाहिए। मंगलवार को दिया गया ऋण शीघ्रता से वापस नहीं आता है।
क्रय-विक्रय में तीनों पूर्वा, विशाखा, कृत्तिका, आश्लेषा और भरणी (कुंभ लग्न, रिक्ता तिथि, मंगलवार) वर्जित हैं। अतः क्रय-विक्रय हमेशा शुभ चंद्र के योग में करना चाहिए।
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कौन-सा शेयर खरीदें ? 
प्रायः लग्नेश का संबंध जिन वस्तुओं से हो, जातक को उन वस्तुओं के व्यापार करने वाली कंपनियों के शेयर खरीदने चाहिए।
जैसे किसी व्यक्ति का मकर या कुंभ लग्न है तो लग्नेश शनि होगा अर्थात् ऐसे व्यक्ति को शनि से संबंधित लोहे, पेट्रोल, केरोसीन, कोयला, खान से संबंधित उत्पादित वस्तुओं का कार्य करने वाली कंपनियों जैसे स्टील अथारिटी आॅफ इंडिया लिमिटेड, रिलायंस पेट्रो केमिकल्स तथा उत्खनन का कार्य करने वाली कंपनी के शेयरों से लाभ होने की संभावना अधिक होती है।


इसके अतिरिक्त लग्न के अंश और राशि के आधार पर नक्षत्र स्वामी से संबंधित ग्रह का चुनाव करके उससे संबंधित वस्तुओं का व्यापार करनेवाली कंपनियों का शेयर खरीदना भी लाभप्रद हो सकता है। ऐसे ग्रह से संबंधित वस्तुओं के व्यापार करने वाली कंपनियों का चुनाव करें जो कुंडली में सबसे अधिक बलवान हो। योगकारक ग्रह से संबंधित वस्तु का व्यापार करने वाली कंपनी का शेयर खरीदना अधिक लाभप्रद होगा।
जैसे मकर लग्न के लिए शुक्र योगकारक होगा तो ऐसे व्यक्ति को व्यक्ति को इलेक्ट्राॅनिक्स, सौंदर्य प्रसाधन उत्पादों की कंपनी, आभूषण, हीरे का व्यापार करने वाली कंपनी का चुनाव किया जाना चाहिए।
यदि अष्टमेश लग्न में स्थित हो और उच्च, स्वराशि, मूल त्रिकोण या मित्र की राशि में हो तो ऐसे ग्रह से संबंधित वस्तु का व्यापार करनेवाली कंपनी का चुनाव भी शेयर खरीदने के लिए किया जा सकता है।




यदि हम सभी ग्रहों से संबंधित ग्रहों की वस्तुओं को जान जाएं तो उस ग्रह से संबंधित होरा में कंपनी के शेयर को शुभ चैघड़िया का प्रयोग करते हुए हम खरीद कर अधिक लाभ कमा सकते हैं।




विभिन्न ग्रहों से संबंधित वस्तुओं के नाम इस प्रकार हैं- 
सूर्य: ईंधन, बिजली, चमड़े की वस्तुएं, ऊन, सूखे अनाज, गेहँू, औषधि, सरकार से संबद्ध कार्य। 
चंद्र: कपड़ा, दूध, शहद, मिठाई, चावल, जौ, जल, समुद्र, तरल पदार्थ। 
मंगल: हथियार, भूमि, मकान, प्राॅपर्टी, अस्पताल, डाॅक्टर, तांबा, लाल मसूर, तम्बाकू, सरसों। 
बुध: पन्ना, तिलहन, मूंग, खाद्य तेल, मिश्र-धातुएं, कापी, पेन, पेपर, समाचार पत्र, पत्रिका, मोबाइल फोन, संचार माध्यम। 
गुरु: बैंक, फाइनेंस, सलाहकार, ज्योतिष सामग्री, धर्मग्रंथ, हल्दी, बेसन, केसर, चने की दाल, केला। 
शुक्र: काॅस्मेटिक पदार्थ, रेडीमेड गारमेंटस, रेस्टोरेंट, होटल, इत्र, सजावट की वस्तु, रेशम।
शनि: लोहा, कोयला, पेट्रोल, बिजली, मशीन, यंत्र, सरिया, निर्माणकार्य, केरोसीन।
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जानिए वारों के अनुसार तेजी मंदी का ज्ञान – 
अनुभव के अनुसार वस्तुओं में तेजी-मंदी प्रायः सोमवार और मंगलवार को या शुक्रवार और शनिवार को ही बनती है।
– सोमवार को तेजी या मंदी से विपरीत भाव मंगलवार को रहता है। यदि किसी वस्तु पर सोमवार को तेजी रहे तो वह मंगलवार की दोपहर तक ही रहती है। और यदि सोमवार को मंदी आए तो वह भी मंगलवार को दोपहर तक रहती है। 
– मंगलवार को तेजी हो तो वह बुधवार की दोपहर तक रहती है और उसके बाद मंदी आ जाती है। इसी प्रकार यदि मंगलवार को मंदी हो तो प्रायः बुधवार की दोपहर तक रहती है और उसके बाद वस्तु में तेजी आती है। 
– बुधवार को वस्तु पर मंदी हो तो गुरुवार को तेजी जरूर आएगी। –
यदि गुरुवार को तेजी हो तो शुक्रवार दोपहर के बाद मंदी और फिर शनिवार को तेजी होगी। कभी-कभी गुरुवार की तेजी शनिवार तक बनी रहती है। –
शुक्रवार की तेजी या मंदी कभी भी स्थिर नहीं रहती। 
– शनिवार को वस्तु पर आई तेजी या मंदी प्रायः मंगलवार की दोपहर तक चलती है। 
– कभी-कभी शनिवार की तेजी-मंदी अगले शनिवार तक ही समाप्त होती है। शनिवार को यदि किसी वस्तु में उतार-चढ़ाव या तेजी-मंदी दो तरफा चलती है तो उसमें शीघ्र मंदी आ जाती है। 
– रविवार की तेजी या मंदी सोमवार को प्रायः उलटी दिशा में चलती है। इसके अतिरिक्त यदि रविवार की चली तेजी सोमवार को मंदी न हो तो मंगलवार को बाजार का रुख देखकर ही कार्य करना चाहिए। 
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क्या है शेयर का अर्थ? 
किसी भी बड़े उद्योग को स्थापित करने के लिए अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है।
किस समय शेयर खरीदें या बेचें ? 


शेयर से लाभ कमाने के लिए उपयुक्त समय का भी काफी महत्व है। अच्छा से अच्छा शेयर गलत समय पर खरीदने पर आपको नुकसान दे सकता है और बेकार से बेकार शेयर भी उपयुक्त समय पर खरीदे जाने पर आपको लाभ दे सकता है।ज्योतिष के जानकार शेयर बाजार तथा वायदा व्यापार में अधिक धन कमाते देखे गये हैं। ज्योतिषियों का मुख्य कार्य पूर्वानुमान लगाना है। वे ग्रह, राशि और भाव के आधार पर ही पूर्वानुमान लगाते हैं। 
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सूर्य:—– 


यह ब्रह्मांड का राजा ग्रह है। इसे स्टाॅक एक्सचेंज का कारक भी मानते हैं। जब कभी कोई ग्रह सूर्य के कारण अस्त होता है तो शेयर बाजार का रुख बदल जाता है। 
यदि बाजार तेजी की ओर चल रहा हो तो मंदी की ओर और यदि मंदी की ओर चल रहा हो तो तेजी की ओर चलने लगता है।
अग्नि तत्व राशियों (1, 5, 9) तथा वायु तत्व राशियों (3, 7, 11) में सूर्य बाजार में तेजी लाता है। सूर्य पर जब अशुभ ग्रह मंगल, शनि और राहु का प्रभाव होता है, या वह शत्रु राशि में होता है तो बाजार का रुख तेजी की ओर होता है।इसलिए सूर्य संक्रांति की ग्रह स्थिति को देख कर ज्योतिषी महीने भर के लिए बाजार के रुख का पूर्वानुमान लगाते हैं।सूर्य का राशि में गोचर या दृष्टि उस राशि की कारक वस्तुओं में तेजी लाती है। सूर्य का राहु, केतु, हर्षल, नेप्च्यून, प्लूटो, शनि या मंगल के साथ संबंध बाजार के रुख में परिवर्तन लाता है।


चंद्रमा:—— 


यह पृथ्वी के सबसे निकट तथा शीघ्रगामी ग्रह है। इसलिए इसका प्रभाव भी सबसे अधिक होता है। दैनिक तेजी/ मंदी का विचार चंद्रमा से किया जाता है। चंद्रमा का बल उसके पक्ष के अनुसार होता है। 
चंद्रमा शुक्ल पक्ष एकादशी से कृष्ण पक्ष पंचमी तक पूर्ण बली तथा शुभ रहता है। 
कृष्ण पक्ष षष्ठी से अमावस्या तक निर्बल होता जाता है तथा अशुभ कहलाता है। 
शुक्ल प्रतिपदा से वह बल प्राप्त करना आंरभ करता है और इस पक्ष की पंचमी से दशमी तक मध्यम बली कहलाता है। 
शुभ चंद्रमा मंदी कारक और अशुभ तेजी कारक होता है। 
अशुभ चंद्रमा का पाप ग्रहों से संबंध अधिक तेजी लाता है। 
चंद्रमा के शुक्ल पक्ष में प्रवेश की कुंडली बना कर तेजी/मंदी का अनुमान लगाया जाता है। 
अग्नि तत्व राशियां में चंद्रमा का गोचर तेजी का कारक होता है। पीड़ित, शत्रुराशिस्थ तथा पाप मध्य चंद्रमा तेजी कारक होता है। 
चंद्रमा का सर्वाधिक प्रभाव तरल पदार्थों पर होता है। भरणी, कृत्तिका, आद्र्रा, अश्लेषा तथा मघा नक्षत्रों पर उदय सर्वाधिक तेजी लाता है।


मंगल:—– 


मंगल अग्नि तत्व ग्रह है, इसलिए तेजी कारक है। जब मंगल अग्नि तत्व या वायु तत्व राशियों में गोचर करता है तो तेजी लाता है। जल तत्व राशियों में अचानक तेजी या मंदी लाता है। उस पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव तेजी लाता है। वह जब वक्री होता है तो तेजी लाता है। मार्गी तथा शुभ ग्रहों के प्रभाव में होने पर मंदी लाता है। यदि मंगल उच्च राशि मकर में वक्री हो तो अधिक तेजी लाता है और नीच राशि कर्क में वक्री हो तो अचानक तेजी या मंदी लाता है।


बुध:—— 


बुध व्यापार, बुद्धि, वाणी और शेयर बाजार का कारक ग्रह है। इसमें तेजी और मंदी दोनों का फल मिलता है। यह शीघ्रगति ग्रह है तथा हमेशा अन्य ग्रहों का प्रभाव देता है। इसलिए शेयर बाजार की जानकारी के लिए बुध का अध्ययन करना अति आवश्यक है। बुध के वक्री होने पर तेजी आती है। यदि वक्री बुध पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो तेजी अधिक होती है। उच्च का बुध वक्री होने पर मंदी कारक और नीच का वक्री होने पर तेजी कारक होता है। बुध के उदय होने पर शेयर बाजार में पहले तेजी फिर मंदी आती है।


गुरु:—– 


यह एक नैसर्गिक शुभ ग्रह हैं, इसलिए मंदी कारक है। इसकी गति मंद होने के कारण यह एक वर्ष के लिए तेजी या मंदी लाता है। अशुभ प्रभाव में बृहस्पति तेजी का कारक बन जाता है। बृहस्पति के वक्री होने पर स्थायी मंदी आती है। सिंह राशि में वक्री होने पर यह तेजी कारक होता है। मित्र राशि, स्वराशि और उच्च राशि में स्थित हो तो लंबे समय तक मंदी लाता है। उच्च का गुरु वक्री होने पर यदि अशुभ प्रभाव में हो तो तेजी कारक अन्यथा मंदी कारक होता है। नीच का गुरु वक्री हो तो तेजी लाता है।
शुक्र:—- 


शुक्र नैसर्गिक शुभ ग्रह है, इसलिए मंदी कारक है। भोग का कारक ग्रह होने के कारण जातक को शारीरिक सुख-सुविधा का भोग करवाता है अर्थात इसका शेयर बाजार पर विशेष प्रभाव नहीं देखा गया है। शुक्र किसी भी राशि में अकेला स्थित हो तो मंदी कारक होता है। बुध की राशियों मिथुन और कन्या में स्थित शुक्र तेजी लाता है। इसके वक्री होने पर सामान्यतः मंदी आती है। यह यदि मिथुन या कन्या राशि में वक्री हो तो तेजी आती है। वृष, सिंह, तुला या वृश्चिक राशि में शुक्र मार्गी हो तो तेजी आती है। शुक्र के अस्त होने पर बाजार में तेजी आती है।


शनि:—— 


शनि नैसर्गिक पापी ग्रह है, इसलिए तेजी कारक है। शनि की गति मंद होने के कारण तेजी या मंदी अधिक समय तक रहती है। शनि का संबंध यदि सूर्य के साथ मेष राशि में हो तो मंदी कारक होता है। सिंह, कन्या, मकर और तुला राशियों में शनि का गोचर तेजी कारक होता है। शनि का वक्री होना तेजी कारक होता है। उच्च का शनि वक्री हो तो चित्रा नक्षत्र में तेजी कारक, स्वाति नक्षत्र में मंदी कारक तथा विशाखा नक्षत्र में पुनः तेजी कारक होता है। शनि का प्रभाव नक्षत्र स्वामी के अनुसार बदलता रहता है।


राहु/केतु:—–


राहु/केतु की वक्री गति सामान्य गति मानी जाती है। नैसर्गिक पापी ग्रह होने के कारण ये तेजी कारक ग्रह हैं। इन दोनों का संबंध जब भी पापी ग्रहों के साथ हो तो अधिक तेजी आती है। राहु/केतु की अपनी कोई भी राशि नहीं है। हालांकि कुछ विद्वानों ने इनको स्वराशि और उच्च तथा नीच राशियां दे रखी हैं। इस दृष्टि से राहु की स्वराशि कन्या और उच्च राशि मिथुन है। व्यापार चिंतन में तेल और तिलहन की तेजी मंदी का विचार: प्राचीन काल में लोग अपनी खुराक में घी का उपयोग अधिक करते थे क्योंकि उस समय पशुपालन हर घर में होता था। और दूध, घी, मक्खन आदि सरलता से उपलब्ध हो जाते थे। आगे चलकर से शहरीकरण की वजह से गांव कम होते गये जिससे पशुपालन वृत्ति में कमी आई और आम घरों में घी का उपयोग कम होने लगा और घी का स्थान तेल ने ले लिया। अन्य ग्रहों का जब चंद्र पर प्रभाव नहीं पड़ता है तब चंद्र के आधार पर रोजाना तेजी मंदी का विचार किया जाता है।


चंद्र जब-जब मेष, मिथुन, कर्क, तुला, मकर अथवा कुंभ राशि में भ्रमण करता है, तब-तब तेल बाजार में तेजी आती है और अन्य राशियों में चंद्र के भ्रमण से मंदी आती है।
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कुछ उपयोगी सूत्र:—— 


जब अमावस्या वृष, सिंह, कन्या, वृश्चिक, धनु अथवा मीन राशि में हो, तब तिलहन बाजार में एक महीना मंदी रहती है। 
– मेष राशि में चंद्र और मंगल की युति हो, अथवा चंद्र से सप्तम् भाव में मेष राशि का मंगल हो तब तेजी आती है। 
– मकर राशि में मंगल उच्चांश में स्थित हो और मेष में चंद्र का भ्रमण हो, अथवा चंद्र मंगल की अंशात्मक युति मकर राशि में हो तो तेजी आती है। 
– चंद्र और मंगल की युति तुला अथवा वृश्चिक राशि में हो, अथवा तुला या वृश्चिक राशि स्थित चंद्र पर मंगल की दृष्टि हो तो बाजार मंदा चलता है।
– कुंभ अथवा मीन राशि में चंद्र और मंगल की युति अथवा कुंभ या मकर राशि स्थित चंद्र पर मंगल की दृष्टि होने पर बाजार में मंदी आती है। 
– कन्या राशि स्थित बुध के साथ चंद्र की युति या दृष्टि होने पर बाजार में मंदी आती है।
– कर्क राशि स्थित बुध के साथ चंद्र की युति से बाजार में तेजी आती है। 
– मेष राशि के बुध से चंद्र की युति होने पर बाजार में तेजी होती है। 
– किसी भी राशि में गुरु और चंद्र की युति अथवा गुरु पर चंद्र की दृष्टि हमेशा मंदी लाती र्है।
– गुरु वृष, वृश्चिक या मीन राशि में हो और चंद्र का भ्रमण धनु या मीन राशि में हो तो बाजार में मंदी आती है। 
– शुक्र की राशि वृष या तुला में चंद्र-शुक्र की युति होने पर तेजी आती है। 
– तुला, मकर या कुंभ का शुक्र हो और चंद्र का भ्रमण तुला में हो तब भी बाजार में तेजी आती है। 
– कर्क राशि में चंद्र-शुक्र की युति होने पर बाजार में भारी तेजी आती है। 
– किसी भी अग्नि तत्व की राशि में चंद्र-शुक्र की युति होने पर बाजार तेज होता है।
– स्वाराशि के शनि पर गोचर के चंद्र का भ्रमण बाजार में तेजी लाता है। 
– शनि और चंद्र का संबंध बाजार में सदा तेजी लाता है।

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