आप का क्या कहना..?????


(लेखक-पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री..मोब.–.9669.90067 )
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चाँद का क्या कहना वो तो लाखो में एक है 
आप का क्या कहना “विशाल” आप तो करोडो में एक है 
अपनी दोस्ती का क्या कहना वो तो खुदा से भी नेक है
क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है 


एक दिन का इंतजार भी दुस्वार हो जाता है 
लगने लगते है आपने भी पराये “विशाल”
और एक अजनबी पर एतबार हो जाता है


किसी ने दिल को इस कदर छू लिया की 
हम किसी दूसरे को छू न सके 
हम तो चले थे दोस्त बनाने “विशाल”
और 
वो तो धडकन बन बैठे
आप तो चाँद हो जिसे सब याद करते है “विशाल”
हमारी किस्मत तो तारो जैसी है याद तो दूर 
लोग अपनी खाव्हिसो के लिए 
हमारे टूटने की फरियाद करते है…..


(लेखक-पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री..मोब.–09669290067 )

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