कुछ मुक्तक…आपकी नज़र…..
(१) कुछ रिश्ते अनजाने में हो जाते हैं !
पहले दिल फिर जिंदगी से जुर जाते हैं !!
कहते हैं उस दौर को दोस्ती….!
जिसमे लोग जिंदगी से भी प्यारे हो जाते हैं !!
(२) समझ सका न कोई मेरे दिल को !
ये दिल यूँ ही नादान रह गया !!
मुझे कोई गम नहीं इस बात का !
अफसोस हैं की मेरा यार भी मुझसे अंजान रह गया !!
(३) उसको चाहते रहेंगे यूँ उम्र गुजर जायेगी !
मौत आएगी और जिंदगी ले जायेगी !!
मेरे मरने पे भी मेरे सनम को रोने न देना !
उसको रोते देख मेरी रूह तड़प जायेगी !!
(४) प्यास ऐसी की पी जाऊ आँखे तेरी !
नसीब ऐसा की हासिल जहर भी नहीं !!
बे ग़र्ज वफाए कोई हमसे पूछे…!
जिसे टूट के चाहा उसे खबर भी नहीं !!
(५) अब भी ताज़ा हैं जख्म सिने में !
बिन तेरे क्या रखा हैं जीने में…!!
हम तो जिन्दा हैं तेरा साथ पाने को !
वर्ना देर नहीं लगती हैं जहर मिने में !!
====पंडित दयानंद शास्त्री”विशाल”=====
मोब. -. …

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