इस वर्ष (…. में) कब और क्यों मनाएं राखी/रक्षाबंधन..???
मुंबई से प्रकाशित श्री वल्लभ मनीराम पंचांग के आधार पर इस वर्ष राखी /रक्षाबंधन दिनांक 20 अगस्त 2013 (मंगलवार)को पूर्णमासी प्रातः 10/22 मिनट से प्रारम्भ हो जायेगी और 10/22 मिनट से ही भद्रा लग रहे है । जो रात्रि 8/49 मिनट तक रहेगे ।
सभी जानते हें की भद्राकाल में रक्षा बंधन करना या कोई भी शुभ कार्य करना ठीक/शुभ/अच्छा नही होता है ।
अतः सूर्य साक्षी दूसरे दिन अर्थात् 21 अगस्त 2013 (बुधवार) को पूर्णमासी सूर्य उदय के समय भी रहेगी और उस वक्त भद्रा को भी कोई दोष नही है । इसलिए सूर्य साक्षी प्रातःवेला में 7/15 के बाद तथा उसी वक्त श्रंगार ग्वाल में भगवान को राखी धरायी जायेगी । इसके बाद सभी बहिने अपने-अपने भाईयो की कलाई पर राखी बांध सकती है । जिससे उन भाईयो के दीर्ध आयु की कामना भी कर सकती है ।
जीवन में खुषी का पर्व है राखी और श्रावणी पूर्णिमा ।………….
रक्षाबंधन त्यौहार २० अगस्त (मंगलवार)को रात 20 -45( रात्री आठ बजकर 45 मिनट के बाद)के बाद…..
श्रावण के महीने में प्रकृति अपने पूर्ण यौवन पर होती है चारो और हरियाली हरियाली होती है । चारो और रिमझिम रिमझिम हल्की हल्की बरसात होती रहती है । श्रावण महीना देवताओं का महीना माना गया है । मान्यता है कि इन दिनोे चर्तुमार्स में सभी देवी देवताये पृथ्वी पर भ्रमण करते है । इन दिनों मौसम बडा ही सुहावना होता है पुरवाई हवा चलती है । मेघ उमड उमड कर आते है । बारिष की रिमझिम मौसम को सुहावना बना देती है प्रकृति पृथ्वी पर चारो और हरियाली की चादर सी बिछा देती है । जगह जगह गाॅव गाॅव पेडो पर झूले डाले जाते है । और महिलाएं व बच्चे विभिन्न गीतो को गाते है । जो हर किसी को सुहावने लगते है । मन चाहता है बस चारो और हरियाली को निहारते रहे, ठंडी एवं सुगंदित हवाओ के झोको से मन प्रफुल्लित हो जाता है । घर परिवार में बहिन बैटी घर आती है । चारो ओर का माहौल अच्छा होता है । साथ साथ मनोरजंन के साधन भी होते है । साथ खीर सैमई ओर घेवर का आनन्द लिया जाता है ।
इसी दिन चारो वेदो के लोग भी श्रावणी कर सकते है । श्रावणी नदी के किनारे या अपने घर के चोक में बैठकर भी पितरों की शांति/मोक्ष के लिए उपाय/अनुष्ठान किया जाता है ।

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