वास्‍तु-ज्योतिष के उपायों द्वारा पायें सुख-चेन की नींद—
(वास्तुशास्त्र सम्मत सोने के नियम)—-
आपका शयनकक्ष वास्‍तु के अनुसार क्‍यों न निर्मित किया गया हो, की किन्तु यदि आपको सोने के नियम नहीं मालूम हैं तो आप तनावग्रस्‍त रहेंगे। यहां हम आपको बता रहे हैं शास्त्र सम्मत सोने के कुछ नियम—-
—–सोते समय वास्तु के अनुसार सिर सदैव दक्षिण में व पैर उत्तर दिशा में होने चाहिये अगर ऐसा किसी कारण वश यह संभव न हो तो यह स्मरण रहे कि इसका विपरीत कभी न करें अर्थात उत्तर दिशा में सिर व दक्षिण में पैर कदापि न करें। क्योंकि जिस प्रकार पृथ्वी की उत्तर दिशा उत्तरी ध्रुव व दक्षिण दिशा दक्षिणी ध्रुव है और पृथ्वी में चुंबकीय शक्ति है वैसे ही हमारे शरीर में सिर हमारा उत्तरी ध्रुव व पैर दक्षिणी ध्रुव है और समान ध्रुव परस्पर विकर्षण उत्पन्न करते है। अतः यदि हम सिर उत्तर व पैर दक्षिण में करेंगे तो पृथ्वी उत्तरी ध्रुव पर हमारा उत्तरी ध्रुव व दक्षिणी ध्रुव पर हमारा दक्षिणी ध्रुव होगा और हमारे शरीर में पृथ्वी से विकर्षण उत्पन्न होगा और नींद अच्छी नहीं आयेगी व शारीरिक व्याधियां भी उत्पन्न हो सकती हैं।
—– बेड या पलंग आरामदायक होना चाहिए, परन्तु बेड के बीचों-बीच कोई लैम्प, पंखा, इलैक्ट्रानिक उपकरण आदि नहीं होना चाहिए। अन्यथा शयनकर्ता का पाचन प्रायः खराब रहता है।
—— घड़ी को कभी भी सिर के नीचे या बिस्तर या बीएड के पीछे रखकर नहीं सोना चाहिए। घड़ी को बेड के सामने भी नहीं लगाना चाहिए अन्यथा बेड पर सोने वाला जातक हमेशा चिन्ताग्रस्त या तनाव में रहता है। घड़ी को बिस्तर के दायीं अथवा बायीं तरफ ही लगाना हितकर रहता है।
—- परिवार का कोई सदस्य मानसिक तनाव से ग्रस्त हो तो काले मृग की चर्म बिछाकर सोने से लाभ होता है। किसी भी सदस्य को बुरे स्वप्न आते हो तो गंगा जल सिरहाने रख कर सोएँ।
——-अर्ध चनद्रकार या गोल तकिये वाला पलंग या बेड वायु तत्व का प्रतिधिनित्व करता है। जो लोग फैक्टरीए कारखानेए पेपर मिलए शुगर मिल या लकड़ी के कारखाने में कार्यरत होए उनके लिए इस प्रकार का पलंग या बेड विशेष लाभकारी रहता है।
——-तिकोने कोने वाला पलंग या बेड किसी भी जातक के लिए शुभ नहीं माना जाता है। इस प्रकार के बेड में अग्नितत्व की प्रधानता रहती हैं, जिसके फलस्वरूप नींद में बाधा पहुंचती है।
——–चोकोर तकिया वाला पलंग या बेड पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। जिन लोगों का पृथ्वी तत्व में जन्म हुआ हैए उनके लिए चैकोर प्रकार के तकिया शुभ माने जाते है। चैकोर तकिया वाले पलंग या बेड उन लोगों के लिए भी शुभ होते हैं, जो किसी प्रकार का व्यवसाय करते है।
——-लहरदार घेरों वाला पलंग या बेड जल तत्व का प्रतीक माना जाता है। जल तत्व में जन्म लेने वाले व्यक्तियों जैसे- कलाकार, संगीतकार, डिजाइनकार एंव राजनैतिक व्यक्तियों के लिए विशेषकर लाभकारी प्रतीत होता है। जिन जातकों का चन्द्रमा बलवान होए उनके लिए भी इस प्रकार के बेड शुभ माने जाते हैं।
——- बेड पर सादी डिजाइन तकिये व चादर रखने चाहिए न कि रंग- बिरंगी व अधिक डिजाइन वाले हो।
—- बेड रूम में मन्दिर व पूर्वजों की तस्वीरें न रखें।
——- सोने से पूर्व ध्यान , बड़ो को प्रणाम करके सोना चाहिए !
—— बेड के नीचे कुछ भी नहीं रखना चाहिए , आज कल बॉक्स बेड का प्रचलन अनिद्रा अथवा अतिनिद्रा की बीमारिया लाता है !
—– बेड का तकिया/सिरहाना दीवार के पास हो , बीचोबीच कमरे में नहीं सोना चाहिए , लोग पंखे के बिलकुल नीचे सोते है , यह ठीक नहीं है !
—–. काले या बहुत डार्क रंग की बेडशीट या तकिया लगाने से डरावने स्वप्न बहुत आते है अतः हलके रंग प्रयोग करें..
—छोटे बच्चो को इतिहास , पुराण की प्रेरक कहानिया सुना कर सुलाए जो चरित्र निर्माण में सहायक होती है !
—– बेड रूम में युद्ध वाले, डरावने और हिंसक जानवरों के चित्र नहीं लगाने चाहिए। सादे और सुन्दर चित्र या पेंटिंग लगाना शुभ रहता है। —बहुत ऊंची खाट,पलंग/बिस्तर , मैली खाट , टूटी खाट पर नहीं सोना चाहिए !
—-सिर नीचा करके नहीं सोये !
—– बहुत ऊंची तकिया लगाकर नहीं सोये !
— कभी भी शयनकक्ष के झाडू न रखें। तेल का कनस्तर, अंगीठी आदि न रखें। व्यर्थ की चिंता बनी रहेगी। यदि कष्ट हो रहा है तो तकिए के नीचे लाल चंदन रख कर सोएँ।
——- शयन कक्ष में जूठे बर्तन न रखे इससे पत्नी का स्वास्थ्य खराब होता है, धन की कभी अनुभव होने लगती है।
—– जूंठे मुह , भीगे पैर रख कर , मुख में ताम्बूल , पान मसाला आदि रख कर नहीं सोना चाहिए !
——कभी भी नग्न-अवस्था में नहीं सोना चाहिए , आयु कम होती है !
——शयन कक्ष में ड्रेसिंग टेबल या बड़ा दर्पण सिर के सामने नहीं होना चाहिए। क्योंकि ऐसा होने से जातक अकारण अनेक प्रकार के संकटो घिरा रहता है। यदि जगह की कमी है, तो दाहिने या बांयी ओर रखना चाहिए। —— शयनकक्ष में पानी का बड़ा बर्तन या मछली घर भी रखना हितकर नहीं होता है। उपरोक्त सावधानियों से आप सुख व भरपूर नींद प्राप्त कर सकते है।
—— सिर पर पगड़ी अथवा , जाड़ो में गरम टोपी लगाकर नहीं सोना चाहिए !
—— घुटने से नीची चारपाई या बेड पर सोने से घुटने की बीमारिया होती है !
——गृहस्वामी का शयनकक्ष नैऋत्य कोण या दक्षिण दिशा में बनाएं।
—–बच्चों का शयनकक्ष पश्चिम अथवा उत्तर दिशा में होना चाहिए। बच्चे सोते समय अपने सिर को पूर्व दिशा में रख सकते हैं।
——-उत्तम स्वास्थ्य के लिए दक्षिण दिशा की ओर सिर रख कर सोंयें। उत्तर दिशा में सिर कभी भी न रखें।
—– बेड रूम में हल्के गलाबी रंग का प्रकाश होना चाहिए जिससे पति व पत्नी में अपसी प्रेम बना रहता है।
—- बेड रूम के दरवाजे के सामने पैर करके सोना भी अशुभ माना गया है।
—–शयन कक्ष की दीवारों का रंग हल्का पीला या गुलाबी रंग होना चाहिए जिससे आपसी प्रेम में इजाफा होता है।
——-शयन कक्ष में दर्पण न लगायें। यह आपसी सम्बन्धों में दरार पैदा करता है। यदि जगह की कमी के कारण दर्पण रखना भी पड़े तो, उसे ढककर रखें और प्रयोग के समय ही उसे खोलें। दर्पण यदि किसी अलमारी के अन्दर रखा जाय तो, उत्तम रहेगा।
——-शयन कक्ष में किसी भी प्रकार का इलेक्ट्रानिक उपकरण नहीं रखना चाहिए।
———उत्तर दिशा की ओर सिर रखकर सोने को अत्यंत हानिकारक माना गया है। अतः सोते समय सिर को पृथ्वी पर इस प्रकार मानी गयी है कि उसका सिर ईशान कोण में नीचे की ओर मुख करके है पैर सिकुड़े हुए पंजे र्नैत्य कोण में है दोनों भुजायें आग्नेय व वायव्य कोण में है।
—- वास्तु के अनुसार हमेशा दक्षिण दिशा में सिर व पश्चिम दिशा में पैर करके सोना चाहिए ताकि पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के अनुसार आप दीर्घायु एंव गहरी नींद प्राप्त कर सकें।
—–शयन कक्ष का निर्माण नैऋत्य कोण में उपयुक्त माना गया है।
अंत में यदि सयुक्त परिवार में है , यदि संभव हो सके तो अपने से बड़ो की यथा संभव सेवा करके ही सोये ! बड़ो , बुजुर्गो का आशीवाद , सदगुरु का ध्यान करके ही सोये , यह बहुत आवश्यक है !
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शयन हेतु कुछ आवश्यक नियम——
दिशा सम्बन्धी नियम—–
१. हमेशा दक्षिण की ओर सिर रख कर सोना चाहिए !
२. पश्चिम दिशा शयन हेतु द्वितीय उत्तम अवस्था है !
३ उत्तर की ओर सिर करके कभी नहीं सोना चाहिए !
४ इशान / पूर्व की ओर भी सिर करके नहीं सोना चाहिए !
( उपरोक्त दिशाए इस लिए बताई जा रही है क्योकि मैग्नटिक फ़ील्ड के दुष्प्रभाव से बचा जा सके और प्राण ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा प्राप्त किया जा सके ! )
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भगवान् श्री राम भी सोने से पूर्व गुरु के चरणों की सेवा अवश्य ही करते थे ! कृपया राम चरित मानस का सन्दर्भ ले —–
निशि प्रवेश मुनि आयसु दीन्हा , सबही संध्या बंदनु कीन्हा !!
कहत कथा इतिहास पुरानी , रुचिर रजनि जुग जाम सिरानी !!
मुनिवर सयन कीन्हि तब जाई , लगे चरण चापन दोउ भाई !!
जिन्हके चरण सरोरुह लागी , करत विविध जप जोग बिरागी !!
तेई दोउ बन्धु प्रेम जणू जीते , गुरु पद कमल पलोटत प्रीते !!
बार बार मुनि आज्ञा दीन्ही , रघुबर जाई सयन तब कीन्ही !!

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