बेटियां..(THE  DAUGHTER )….


—-पंडित दयानन्द शास्त्री””अंजाना””—.(. —राजस्थान )


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बहुत चंचल, बहुत खुशनुमा सी होती हें बेटियां…
मासूम होती,नाजुक सा दिल रखती हें बेटियां.. 
बात बात पर रोती हें,नादान सी होती हें बेटियां…
ओस के बूंद सी सुकोमल होती हें””अंजाना”‘ बेटियां…
बेटा तो करता हें एक ही  कुल को रोशन  …
किन्तु -दो-कुल की लाज होती हें बेटियां..
बेटा अगर हें हीरा, तो सच्चा मोती होती हें””अंजाना”‘ बेटियां …
कहने को परायी अमानत होती हें बेटियां…
परन्तु बेटों से बढाकर होती हें बेटियां…
घर लगता हें वो सुना सुना सा,
जहाँ से विदा हो जाती हें””अंजाना”‘ बेटियां …
घर से जाते-जाते हमें कितना रुला जाती हें हमारी बेटियां….
यह “”अंजाना”” नहीं कहता ,ये तो वो इश्वर भी कहता हें की….
जब वो बहुत खुश होता हें तो ….
आशीर्वाद में देता हें बेटियां….
ख़ुशी और गम यह केसा अजीब रिश्ता हें मेरे भाई….
कहता हें “”अंजाना”‘इनका ध्यान एवं आशीर्वाद हमेशा रखना मेरे भाई…
बहुत चंचल, बहुत खुशनुमा सी होती हें बेटियां…


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—-पंडित दयानन्द शास्त्री””अंजाना””—.(.90.4.90067 —राजस्थान )

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