रमल अरबी ज्योतिष बताएगा धन लाभ कब कैसे..????
लेखक—डाॅ. नरेन्द्र कुमार ‘‘भैया‘‘ रमलाचार्य 

      
      रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र में यह द्वितिय घर का सवाल है । जबकि रमल ज्योतिष शास्त्र में .6 घर होते हैं और यह सभी घर जीवन की समस्त स्थिावर और जंगम साथ ही भूत-भविष्य-वर्तमान बातों से सम्बन्धित रखते हैं। प्रश्नकर्ता इसी नियत से प्रश्न करे कि मुझे या अमुक व्यक्ति को धन लाभ और धन से सम्बन्धित शान्ति कब कैसे प्राप्ति होगी। यदि प्रस्तार यानी कि जायचे केे द्धितिय घर में शुभ शकल हो और गवाहन भी शुभ हो साथ ही नजर-ए-मिकारना होतो उसे धन लाभ और धन से सम्बन्धित प्राप्ति शीघ्र आसानी से होती है। 

यह स्थिति जीवन के आधे से अधिक समय तक रहेगी। यदि प्र्रस्तार के द्वितिय घर मेें महान अशुभ शकल होतो धन लाभ व शान्ति प्राप्ति नहीें होती है। यदि शकल साबित होतो देरी और परेशानी विशेष के बाद ही धन की प्राप्ति होती है। साथ ही जितना और जो चाहते हंै प्राप्ति का योग नहीं होना पाया जाता है। यदि प्रस्तार के प्रथम घर में शकल लहियान जो कि गुरू ग्रह की शकल है साथ ही शकुन पंक्ति की प्रथम घर की मालिक भी है। नुस्तुल खारिज यह भी गुरू ग्रह की शकल है और दो बिन्दुओं को विघमान रखने वाली है तो धन की वाबत् भाग्य का उत्थान का प्रतिक हेाना पाया जाता है। लेकिन अन्तिम समय तक ठिकाउ नहीं हेाना दिखाई देता है। यदि शकल अतवे खारिज, कब्जुल खारिज प्रथम घर होतो प्रश्नकर्ता का भाग्य कमजोरी की स्थिति में स्थिायी तौर पर पाया जाता है। जिससे धन लाभ प्राप्ति का योग नहीं बनता है। 

यदि प्रस्ताार के द्वितिय घर में अंकिश शकल हो जो कि शनि ग्रह की शकल है और एक बिन्दु वाली शकल हैे भाग्य की भाग्यहीनता के कारण भाग्य निर्बल है व आगामी समय में भी यह स्थिति रहेगी। अतः कभी किसी स्थिति में धन लाभ व स्थिायी सम्पत्ति की प्राप्ति का योग नहीं होना दिखाई देता है। यदि प्रस्तार के द्वितिय घर में व चतुर्थ घर में उक्ला शकल हो जो कि शनि ग्रह की महान अशुभ शकल है, साथ ही नजर-ए-मिकारना और नजर-ए-तसरीक रखती होतो दफीना यानी कि खजाना (गढा धन) प्राप्ति होता है। जिसमें स्वर्ण मुद्राएॅ या स्वर्ण के आभूषण की प्राप्ति होती है। 
मगर शर्त है कि सारी शकलें बलावल केे अनुसार शुभ दाखिल होना अवश्य चाहिए। यदि प्रस्तार के द्वितिय घर में कब्जुल दाखिल शकल हो या अतवे दाखिल शकल हो इनकी नजर गवाहन घर पर बरावर पडे साथ ही नजर-ए-तररीर की दृष्टि होती है। 

प्रश्नकर्ता को आजीवन धन की कमी का समाना नहीं करना पडेगा। साथ किसी ना किसी कार्य और बात द्वारा स्थिायी तौर पर धन की प्राप्ति, एक़ित्रत धन और स्थिायी सम्पत्ति का योग भी नहीं पाया जाता है। यदि प्रस्तार के द्वितिय घर में महान अशुभ शकलें और उन महान अशुभ शकलों की दृष्टि होेतो जातक जीवन भर हर वक्त दरिद्रता की स्थिति में बना रहेगा। वह दाने-दाने को मुॅह ताज रहेगा। अन्य कोई व्यक्ति मदद को तैयार नहीं होगा। 
      
मल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र में बिना कुण्डली के भविष्य कथन जाना जाता है। इस शास्त्र में किसी प्रकार की जन्म कुण्डली की आवश्यकता कभी किसी स्थिति में नहीं होती है। रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र में प्रश्नकर्ता के हाथ पर पासे जिसे अरबी भाषा में ’’कुरा’’ कहते हैं। इन पासों को किसी शुद्व पवि़त्र स्थान पर डलवाए  जाते हंैं। इन पासों से प्राप्ति शकलों (आकृतियों) के मुताबिक जो शकल आती है। उससे रमल ज्योतिष शास्त्र में प्रश्नकर्ता का नाम, माता-पिता का नाम, वार, दिन, तिथि और तो और पंचाग की आवश्यकता नहीं होती है। यह सारी स्थिति प्रश्नकर्ता द्वारा विद्वान रमलाचार्य के समक्ष होने पर होती है। यदि प्रश्नकर्ता रमल (अरबी ज्योतिष) शास्त्र के विद्धान के समक्ष ना होतो प्रश्नकर्ता केा ’’प्रश्न-फार्म’’ के माध्यम से अमुक धन से सम्बन्धित अथवा अन्य किसी सबाल के जबाव मय समाधान के फलादेश  किया जा सकता है। 


                              
                         डाॅ0 नरेन्द्र कुमार ‘‘भैया‘‘ रमलाचार्य 

रमल (अरबी ज्योतिष) शोध संस्थान (रजि0)

., महल खास, किला, भरतपुर (राजस्थान)

फोन-(05644) .2 3216 मो0-094142 68172 

Website-www.ramalarabicastrology.com

E-mail-narendrabhaiya 9@gmail.com

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