क्या देव गुरु बृहस्पति हें  मोटापा का कारण..???


पुरुष हो या स्त्री, परफेक्ट फिगर या संतुलित काया आज समय की माँग हो चली है। इसी के चलते शरीर पर मांस चढ़ते ही स्त्री-पुरुष डाइटिंग के फेर में पड़ने लगते हैं। जिम के चक्कर काटने लगते हैं। वह समय जब तक वे जिम या डाइटिंग के नियम पालते हैं, वजन घटता है। बाद में फिर वही ढाक के तीन पात… वेसे मेने अपने अनुभव में यह पाया हें की जिन जातक की जन्म(लग्न) कुंडली में देव गुरु वृहस्पति किसी पापी ग्रह  से दृष्ट हो,किसी पापी ग्रह के साथ युति हो अथवा गुरु की महादशा,अन्तर्दशा अथवा प्रतांतर चल रहा हो तब भी मोटापे का प्रभाव देखने में आता हें.. गुरु ग्रह की डिग्री(अंश) की भी भूमिका महत्व पूर्ण होती हें..  यदि बृहस्पति जन्मपत्रिका में अस्त या वक्री हों तो मोटापे से संबंधित दोष आते हैंऔर पाचन तंत्र के विकार परेशान करते हैं। जब-जब गोचर में बृहस्पति लग्न, लग्नेश तथा चंद्र लग्न को देखते हैं तो वजन बढऩे लगता है  

वास्तव में हमारे शरीर की संरचना हमारी कुंडली निर्धारित करती है। चंद्रमा, बृहस्पति और शुक्र ये तीन ग्रह शरीर में वसा की मात्रा को नियंत्रित करते हैं। वात, पित्त व कफ की मात्रा बढ़ने से शरीर में मोटापा बढ़ता है। इसके अलावा यदि लग्न में जलीय राशि जैसे कर्क, वृश्चिक हो और इनके स्वामी भी शुभ हो या लग्न में जलीय प्रकृति का ग्रह हो तो शरीर पर मोटापा बढ़ेगा ही। ऐसी स्थिति में बाहरी उपाय की बजाय ग्रहों को मजबूत करना फायदा देगा
बृहस्पति आशावाद के प्रतीक हैं, गुरू हैं, ग्रह हैं तथा देवताओं के मुख्य सलाहकार हैं। वे उपदेशक हैं, प्रवाचक हैं तथा सन्मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं। वे विज्ञान हैं, दृष्टा हैं तथा उपाय बताते हैं जिनसे मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो। यदि गुरू अपने सम्पूर्ण अंश दे दें तो व्यक्ति महाज्ञानी हो जाता है। मैंने बृहस्पति को लेकर जब परीक्षण करने शुरू किये तो ब़डे अजीब पैरामीटर्स मैंने तय किये यथा जब बृहस्पति नीच राशि में हों तब व्यक्ति की चर्बी कम होगी या अधिक होगी।
यदि बृहस्पति का पूजा-पाठ करेंगे तो अवश्य ही मोटापा घटाने के लौकिक उपाय सफल हो जायेंगे अन्यथा बार-बार व्यायाम शालाओं में जाना पडे़गा और खर्चे का मीटर भी बढे़गा। मैंने जो बहुत मजेदार परीक्षण किया वह यह कि जन्मचक्र में बृहस्पति का गोचर प्रयोग करते हुऎ यह देखा कि बृहस्पति किस भाव पर दृष्टि डाल रहे हैं तथा वह भाव किस दिशा में प़डता है।छठे स्थान में बुध या बृहस्पति हो तो जातक को नमकीन वस्तुएँ पसंद आती हैं।बृहस्पति बलवान होकर राज्य या धन स्थान में हो तो जातक मीठा खाने का शौकीन होता है।
 लग्न का बृहस्पति अतिभोजी बनाता है मगर यदि अग्नि तत्वीय ग्रह (मंगल, सूर्य बृहस्पति) निर्बल हों तो व्यक्ति की पाचन शक्ति गड़बड़ ही रहेगी।..मुझे यह देखकर ब़डा आश्चर्य हुआ कि जिन महिलाओं  की कुंडलियों में बृहस्पति नीच राशि में हैं उनमें मोटापा अधिक बढ़ता है। जिनमें बृहस्पति अत्यन्त शुभ अंशों में हों उनमें भी ऎसा देखने को मिल सकता है। 
जो लोग बृहस्पति के लग्न  में जन्म लेते हैं उनमे भी वसा तत्व अधिक मिलेगा और मोटापे को रोक नहीं पायेंगे। जिन लोगों की धनु या मीन राशि है उनको भी कालान्तर में यह समस्या उत्पन्न होगी। बृहस्पति एक तरफ ज्ञान, विज्ञान व विद्वत्ता देते हैं, दूसरी तरफ इस तरह के कष्ट भी देते हैं। हम सब जानते हैं कि परिश्रम करने से या कसरत करने से मोटापा कम होता है अर्थात् बृहस्पति के अंश अधिक होने से कसरत करनी प़डती है यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है। आधुनिक गुरूओं ने कसरत को योगा बना दिया है।
इन उपायों से होगा लाभ—
——यदि कुंडली में जलीय लग्न हो, चंद्रमा की स्थिति ठीक न हो तो चाँदी के गिलास में पानी पीना, सफेद वस्तु का सेवन करना लाभ‍दायक रहता है। चंद्र मंत्र का जाप, चंद्र यंत्र धारण करना भी लाभ देते हैं।
—— गुरु आध्यात्मिक ज्ञान का कारक है | अत : ब्राम्हण देवता , गुरु का सम्मान करे | 

——-वृहस्पति वार को ॐ ब्रम्ह वृहस्पताये नम : का जाप करे | 


—- यदि कुंडली में बृहस्पति खराब हो या उच्च स्थित हो (बुरे भाव का स्वामी होकर) तो तैलीय-मसालेदार भोजन से परहेज रखें। गले में हल्दी की गाँठ गुरुवार को धारण करने से मोटापे पर नियंत्रण हो सकता है। पीली वस्तुओं का दान और गुरु के मंत्र का जाप लाभ दे सकता है।

—–यदि शुक्र खराब होने से मोटापा बढ़ रहा है तो सफेद व ठंडी चीजों से परहेज रखें। मांस-मदिरा के सेवन से बचें। त्रिफला का नियमित सेवन करने से लाभ मिलता है। खट्टी-मीठी वस्तुओं का दान भी लाभ देगा।

—–कई बार गोचर के ग्रहों का लग्न से भ्रमण होने पर भी मोटापा बढ़ता है। अत: इन ग्रहों का अध्ययन करके अन्य उपायों के साथ इन उपायों को अपनाने से उपयुक्त फल प्राप्त हो सकते हैं।

—-इस कड़ी में गुरुवार के दिन गुरु यानि देवगुरु बृहस्पति के वैदिक मंत्र जप से पेट रोग और मोटापे से पैदा हुई परेशानियों से निजात मिलती है। इनमें  अपेंडिक्स, हार्निया, मोटापा, पीलिया, आंत्रशोथ, गैस की समस्या आदि प्रमुख है। 
——बृहस्पति के दोषों के निवारण के लिए शिव सहस्त्र नाम जप, गऊ और भूमि का दान तथा स्वर्ण दान करने से अरिष्ट शांति होती है।

—–गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति की पूजा में गंध, अक्षत, पीले फूल, पीले पकवान, पीले वस्त्र अर्पित कर इस गुरु का यह वैदिक मंत्र बोलें या किसी विद्वान ब्राह्मण से इस मंत्र के जप कराएं –  


ऊँ बृहस्पतेति यदर्यो अर्हाद्युमद्विभार्ति क्रतुमज्जनेषु। 
यद्दीदयच्छवसे ऋतु प्रजात तदस्मासु द्रविणं देहि चितम्। 

संभव हो तो यह मंत्र जप करने या करवाने के बाद योग्य ब्राह्मण से हवन गुरु ग्रह के लिए नियत हवन सामग्री से कराना निश्चित रूप से पेट रोगों में लाभ देता है।

—-गुरूवार को बृहस्पति पूजन में केल का पूजन अनिवार्य हैं। .


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