वर्ष …2 में 15 जनवरी को मनेगी मकर संक्रांति…क्यों..???


इस बार की मकर संक्रांति 15 जनवरी 2012 को मनाने का एक मात्र कारण यह हें की 14 जनवरी 2012 को रात्रि 12 बजकर 58 मिनट पर सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा..इसी कारण मकर संक्रांति इस बार 15 जनवरी (रविवार)को मनाई  जाएगी..पुरे दिन अनुष्ठान  और दान-पुन्य किये जा सकेंगे…पुण्यकाल भी प्रातः काल  /सूर्योदय से आरम्भ होगा …

क्या हें कारण 15 जनवरी को मनाने का..???
एक सर वर्ष में .65 दिन और 06 घंटे होते हें…गणित करते समय 06 (छः) घंटे छोड़ दिए जाते हें..प्रत्येक चोथे वर्ष/साल मेजाकर यह अंतर 18 (अठ्ठारह) घंटे का हो जाता हें..तो मकर संक्रांति कीतिथि /मनाने का दिन …एक दिन बढ़ने की संभावना रहती हें…इसी कारण से इस  वर्ष(2012 में) मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा…
कुछ पर्व-त्योहारों को छोड़कर अधिकांश उदियत सूर्य( सूर्य उदय ) के अनुसार ही मनाये जाते हें/संपन्न होते हें…
इसका मुख्य कारण निरयन ज्योतिष के अनुसार सूर्य के सापेक्ष पृथ्वी का २३ अंश २६ कला का झुकाव होना हें..यह झुकाव अयनांश में होता हें..निरयन ज्योतिष के आधार पर सायन गणना और आयनांश के आधार पर ( योग से)हमेश मकर संक्रांति १४ जनवरी को मन लो जाती हें…यह योग हर चार (04 ) वर्ष के बाद आता हें..आमजन तो अंग्रेजी माह जनवरी  की तारीख को ही मकर संक्रांति मनाता आ रहा हें और इस बार भी इसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता..!!!

इस दिन को धार्मिक कार्यों के लिए बहुत पवित्र और शुभ फलदायी माना गया है। इस दिन किए जाने वाले कर्म और खान-पान के संबंध में कई परंपराएं चली आ रही है। इन प्रथाओं का आज भी पालन किया जाता है। मकर संक्रांति में पर सभी तिल-गुड़ और खिचड़ी अवश्य ही खाते हैं साथ ही देशभर में कई स्थानों पर पतंग उड़ाई जाती है।इस दिन तिल-गुड़ से बने व्यंजन खाए जाते हैं।तिल-गुड का दान किया जाता हें..

मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ खाते हैं क्योंकि इसका हमारे स्वास्थ्य को काफी फायदा मिलता है। तिल और गुड़ का स्वभाव गर्मी देने वाला होता है। मकर संक्रांति बताती है कि अब शीत ऋतु के जाने का समय आ गया है और अब दिन बड़े तथा रात छोटी होना शुरू होने वाली है। ऐसे में तिल-गुड़ खाने से हमारा शरीर जाती हुई ठंड के प्रभाव को कम करता है। इससे मौसम बदलते वक्त होने वाली वात-पित्त और कफ की बीमारियों से निजात मिलती है। अन्यथा अधिकांश लोगों को मौसम परिवर्तन के समय छोटी-छोटी बीमारियां अवश्य ही परेशान करती हैं।

तिल और गुड़ हमारा पेट साफ रखने में काफी कारगर उपाय है। इसी वजह से कई लोग खाने के बाद गुड़ अवश्य खाते हैं। जब भी मौसम परिवर्तन होता है तो एकदम हमारा शरीर उसके अनुकूल नहीं हो पाता, फलस्वरूप में हमें पेट संबंधी या कफ संबंधी बीमारियां हो जाती हैं। इसी से बचने के लिए मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का अधिक से अधिक खाते हैं।

संक्रांति पर पतंग उड़ाने का फायदा यही है कि इससे हमारे शरीर को कुछ समय सूर्य की धूप का लाभ मिल सके। धूप में पतंग उड़ाने से सन बाथ से प्राप्त होने वाले सभी लाभ हमारे शरीर को मिल जाते हैं। इस दिन मौसम परिवर्तन शुरू हो जाता है। ठंड कम होती है और गर्मी बढऩे लगती है। ऐसे में धूप में पतंग उड़ाने से हमारा शरीर इस मौसम में आसानी से ढल जाता है।

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