सुप्रभात पंडित जी (पंडित परशुराम पराशर)…..
सदर नमन -वंदन-आभार!!!!
अब आप कहेंगे की आभार किस बात का..तो जी आपने हमें “फुकरा” की उपाधि से नवाजकर /प्रदान करके हम जो उपकार/अनुकम्पा/कृपा की हे उसके लिए..आपका आभार…
वेसे आपकी तारीफ करनी होगी..अपना चेहरा छुपाने के लिए तरीका अच्छा(बहुत बढ़िया) ढूंडा हे जी आपने..परशुराम जी की फोटो लगाकर ..क्या आपकी शक्ल/चेहरा इतना बुरा हे की उसे दुनिया से छुपाने की जरुरत हें???
अरे आप तो इतने-ज्ञानी-ध्यानी हें फिर क्यों चेहरा छुपाते हें?? आपको क्या यह बात शोभा देती हें???
आपके प्रोफाईल पर न तो आपका नंबर हें और न ही कोई अता-पता??? क्या बात हें जी?? कोई गड़बड़-चक्कर-वक्कर तो नहीं हे न????
मेरी तो सारी जानकारी/बातें सभी जगह(बुक्स/मेरे ब्लोग्स/वेबसाईट्स/फेसबुक/ऑरकुट …या अन्य सभी जगहों पर उपलब्ध हें जी..आपकी तरह हम चेहरा/जानकारी/पहचान नहीं छुपाते हें जी..???!!!
आपने लिखा हें..आप अमेरिका..लोन्स अन्जलिस में रहते हें..तो फिर यहाँ के ज्योतिष सम्मलेन में केसे ??? वाराणसी में पढाई की हे न?? यही सब कुछ फर्जीवाड़ा सिखा क्या ???
आपकी इतनी तो उम्र हो गयी हे न..क्या दिया समाज/देश को??? और इस वास्तु-ज्योतिष-कर्मकांड के लिए क्या किया आपने आपने???
में तो आपसे उम्र एवं अनुभव दोनों में बहुत छोटा हूँ फिर भी खुश और संतुष्ट हूँ जी अपने प्रयासों और किये गए कार्यों से..???
आपकी तो आप ही जाने ???
भगवन भला करे आपका..आप स्वस्थ-व्यस्त और मस्त रहें..दीर्घायु हो..यही प्रार्थना और कमाना हे जी भगवान/इश्वर से…
शेष कुशल..आपकी कुशलता की कामना के साथ….
आपका अपना..
पंडित दयानंद शास्त्री…
आपके उत्तर की प्रतीक्षा में…प्रतीक्षारत…

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