जन्म समय नहीं है तो हम बताएं–पं. आरएन चतु्र्वेदी
कृष्णामूर्ति ने शासक ग्रहों एवं उसकी उपयोगिता का अन्वेषण करके फलित ज्योतिष को पूर्णता की ओर अग्रसर कर दिया है। यह अभूतपूर्व खोज है, जो किसी भी जातक का एक्यूरेट जन्म समय न होने पर उसकी जानकारी देने में सक्षम है। इसमें सबसे पहले शासक ग्रह निकालें। उनमें जो भी सबसे बली हो या चंद्र नक्षत्र या राशि में जो बली हो, वही प्रश्न कर्ता की लग्न होती है। यदि व्यक्ति को जन्म का लगभग समय मालूम है तो उस संभावित समय की लग्न देखें,जिसका स्वामी चंद्र नक्षत्र का स्वामी हो, वही जन्म की लग्न होती है। या उस समय के शासक ग्रहों में सबसे बली जो ग्रह हो, वह उन संभावित लग्नों में स्वामी बनता हो तो वही जन्म लग्न होती है। जन्म के समय लग्न कितने अंशों पर थी, इसका पता शासक ग्रहों से लगाया जा सकता है। नीचे दिए जा रहे उदाहरण से इस सूत्र को आसानी से समझा जा सकता है।
.9 मई .996 को एक महिला अपनी शादी के बारे में पूछने के लिए आई। उसने अपनी जन्म तारीख 15 अक्टूबर 1959 बताई तथा अपने जन्म समय के बारे में अनभिज्ञता जतायी। जन्म स्थान 21 अंश 1. कला उत्तर तथा देशान्तर 79 अंश 12 कला पूर्व था। इस पर मैंने तात्कालिक शासक ग्रह देखे, जो इस तरह थे-
प्रश्न दिनांक-29 मई 1996
प्रश्न समय-15.25
प्रश्न स्थान-अक्षांश 20..8 उत्तर
रेखांश 78.33 पूर्व
प्रश्न समय के शासक ग्रह इस तरह से थे-
लग्न-कन्या 29 अंश 8 कला 25 विकला पर थी, लग्नेश बुध तथा लग्न नक्षत्रेश मंगल हुआ।
चंद्र की स्थिति-कन्या राशि में 29 अंश 13 कला 16 विकला पर चंद्र स्थित था, अतः चंद्र लग्नेश बुध और चंद्र नक्षत्रेश मंगल हुआ।
वार स्वामी-बुध
जन्म समय निर्धारित करने के लिए चंद्र नक्षत्र को देखना चाहिए। 15 10-1959 को चंद्र रात्रि 12.15 एएम बजे मीन राशि में छह अंश पर शनि के नक्षत्र में था। शनि शासक ग्रहों में नहीं है। अगला नक्षत्र रेवती है, जिसका स्वामी बुध है, जो एक शक्तिशाली ग्रह है, अतः यह उसका जन्म नक्षत्र होना चाहिए। रेवती नक्षत्र रात्रि के 9 बजे से आरंभ होता है।
वृष लग्न रात्रि के 9 बजकर 33 मिनट तक है। किंतु इसका स्वामी शुक्र शासक ग्रह नहीं है। इसके बाद मिथुन लग्न उदय हो रही है, जिसका स्वामी बुध शासक ग्रहों में शक्तिशाली है। मिथुन लग्न में तीन नक्षत्र आएंगे, मिथुन लग्न में आने वाले तीनों नक्षत्रों के स्वामी गुरु, राहु व मंगल हैं। गुरु शासक ग्रहों में नहीं है, अतः गुरु के नक्षत्र में जन्म नहीं हुआ। राहु बुध का द्योतक है। लेकिन शासक ग्रहों में सीधा संबंध नहीं है। मंगल शासक ग्रहों में है, अतः मंगल के नक्षत्र में राहु के उप नक्षत्र में इनका जन्म हुआ। यह मिथुन लग्न में 1 अंश 4 कला 17 विकला पर आता है। यह लग्न रात्रि को 9.36 बजे उदय हो रही है। इस समय के आधार पर मैंने उस महिला की कुंडली बनायी और उसकी सत्यता की परीक्षा के लिए उसके जीवन की बीती घटनाएं बतायीं।
सूत्रों को प्रायोगिक रूप से समझाने के लिए संक्षिप्त कुंडली विश्लेषण प्रस्तुत है-
जन्म विवरण
जन्म तिथि-15.10.1959
समय-21.36 बजे
स्थान-21.10, 79.12
मिथुन लग्न की कुंडली में शुक्र तृतीय में, सूर्य-राहु चतुर्थ में, मंगल-बुध पंचम में, गुरु षष्ठम में, शनि सप्तम में, केतु-चंद्र दशम भाव में बैठे हैं।
निरयन भाव चलित कुंडली में लग्न मिथुन, तृतीय में शुक्र, चतुर्थ में राहु, पंचम में बुध-सूर्य-मंगल, षष्ठ में गुरु, सप्तम में शनि तथा दशम भाव में चंद्र-केतु थे।
उसका व्यक्तित्व
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लग्न का उप नक्षत्र राहु है, जो मंगल के नक्षत्र में है। राहु कन्या राशि में होने के कारण वह देखने में सुंदर व तेजतर्रार है। दूसरे भाव का उप नक्षत्र बुध है, अतः वह अधिक बोलने वाली और मृदुभाषी है।
शिक्षा
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चौथे भाव का उप नक्षत्र राहु है, वह चौथे औऱ पांचवे भाव का नक्षत्रीय स्तर पर कारक है। उप नक्षत्र स्तर पर 3 व 6 भाव का कारक है। इसलिए उच्च शिक्षा पाने में असमर्थ रही है। उपनक्षत्र का 3 व 5 भाव का कारक होने के कारण शिक्षा में बाधा आयी और शिक्षा हाईस्कूल के बाद बंद हो गयी।
विवाह
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सातवे भाव का उप नक्षत्र शुक्र है और वह अपने ही नक्षत्र में है, अतः उसका पति देखने में सुंदर होगा। शुक्र तीसरे भाव का कारक है, अतः उसकी ससुराल पड़ौस में होगी। शुक्र नक्षत्रीय और उप नक्षत्रीय स्तर पर 3,4 व 6 भाव का कारक होने से वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण नहीं होगा। क्योंकि सप्तम भाव का कारक शुक्र 2,5,11 भाव का कारक नहीं है। अतः पारिवारिक जीवन मध्य, सुखद और स्थाई नहीं है। सातवे भाव का उप नक्षत्र अपने ही नक्षत्र में तथा अग्नि तत्व राशि में होने से उस महिला में अत्यधिक सैक्स भावना है। दशा नाथ शुक्र के 3,4,6 भाव के कारक होने के कारण शादी नरक तुल्य हो गयी और तलाक में बदल गयी।
प्रेम संबंध
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पांचवे भाव का उपनक्षत्र सूर्य है, जो मंगल के नक्षत्र में है तथा शनि के उप नक्षत्र में है। मंगल ने इस विषय में हिम्मत दी औऱ शनि क्योंकि कोई कानून नहीं मानता, अतः प्रेम संबंधों में वह दुस्साहसी और निडर है। शनि द्विस्वभाव राशि में होने के कारण उसने कई प्रेमियों के साथ खुलकर आनंद लिया।
दूसरा विवाह
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सप्तम भाव का उप नक्षत्र न तो बुध है और न ही द्विस्वभाव राशियों से संबंधित है। दशा का स्वामी भी बुध या द्विस्वभाव राशियों से संबंधित नहीं है तथा दूसरे भाव का उप नक्षत्र सप्तम भाव से भी संबंधित नहीं है, अतः दूसरी शादी नहीं होगी।
अंत में उसने स्वीकार किया कि उसने अपना समय जानबूझकर नहीं बताया था, क्योंकि उसे गोपनीय बातों के खुल जाने का डर था। अंततः वह बुझे मन से धन्यवाद देकर चली गयी।
पं. आरएन चतु्र्वेदी
-19 सी, गोविंद नगर, मथुरा

17 COMMENTS

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    • पौरुष
      पंडित जी नमस्ते
      ..-.5-1986 उन्होंने मेरे मुहूर्त मेरा जन्म समय नहीं कि क्या आप मेरी मदद कर सकते है

    • पंडित जी मुझे अपना जन्म समय जानना है मेरी जन्म तारिक ..,02,200. हैं

  1. Pandit ji namaste
    Mera dob .9-..-1995 ko hua h mera janam samay 8-10k bich hua h pls mujhe sahi smay btae

  2. Namaste panditji mere dob ../.8/.994 hai.
    Mera birth time 8 se 9:30 ke beech me hai exact time nhi pata hai .please bataane ka kast kare .

  3. Sir
    Mera Janam samay nahi pata h
    Ghar wale batata h raat . baje se subah 4 ke beech me Janam hua h mera
    11 April 1981 date h
    Time raat ke 1 baje se subah ke 4 baje ke beech me h
    Naam kapil Saxena
    Plz sir meri kundali ya rashi abtaiye me bahut paresan hu apne Jeewan se sab Bura ho raha h hamesha
    Plz Pandit ji plz bataiye

  4. पंडित जी मुझे अपना जन्म समय जानना है मेरी जन्म तारिक ..,02,200. हैं

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