अँगूठे में छुपे कैसे-कैसे भेद —-
अँगूठा मानवीय चरित्र का प्रतीक है। अँगूठा वह धुरी है जिस पर संपूर्ण जीवन चक्र घूमता रहता है। सफलता दिलवाने वाला अँगूठा सुडौल, सुंदर और संतुलित होना चाहिए। उसकी इच्छा व तार्किक बुद्धि एक-दूसरे के पूरक होने चाहिए।
चौकोर अँगूठे वाले व्यक्ति आक्रामक और शीघ्र काम करने वाले होते है। चपटे अँगूठे वाले व्यक्ति कोमल स्वभाव के होते हैं। ऐसा व्यक्ति अपने लक्ष्य के रास्ते में आने वाली बाधा को नष्ट कर देता है। ऐसे युवाओं को सही मार्गदर्शन मिलना बड़ा जरूरी होता है। पतली कमर के समान अँगूठे वाला व्यक्ति चुस्त व चालाक बुद्धि का होता है, लेकिन यदि दूसरा पोर मोटा हो तो वह अपना उल्लू सीधा करने के लिए कोई भी अनैतिक कार्य कर सकता है, ऐसा व्यक्ति कूटनीति में प्रवीण होता है।
बृहस्पति पर्वत से काफी नीचे से निकलने वाले अँगूठे वाला व्यक्ति मिलनसार, विवेकी होने के साथ अच्छे साहित्य का ज्ञाता होता है, वह अत्याचारों का विरोधी होता है। बृहस्पति पर्वत से कम दूरी पर निकलने वाले अँगूठे का व्यक्ति अल्पबुद्धि वाला होता है। ऐसे व्यक्ति स्वार्थी, लालची व संकीर्ण विचारों वाले होते हैं।
अँगूठा जितना ऊँचा और गुरु पर्वत के समीप होगा, उतना ही दिमाग कम होगा। पहले पोर की अपेक्षा यदि अँगूठे का दूसरा पोर लंबा हुआ और पहला छोटा हुआ तो व्यक्ति कानूनी बात करने वाला, विचारक और बहुभाषी होता है।
अँगूठे के प्रथम पोर के नीचे की ओर शुक्र पर्वत के ऊपर से दो रेखाएँ हों तो संपत्ति मिलती है। यदि ये रेखाएँ मिल-जुलकर चलती जाएँ या अंत में मिल जाएँ तो ऐसा व्यक्ति जुआ खेलकर प्रायः संपत्ति नष्ट करता है।
दो अँगूठे वाले अपने आप किसी द्वंद्व में उलझ जाते हैं। सामान्य रूप से काम करते-करते वे उलझनों का निर्माण कर फिर विद्रोह करते हैं। संघर्ष करते रहने में उन्हें एक आनंद आता है और उसमें अंतिम दम तक रत रहते हैं। तीस से चालीस प्रतिशत अपराध वृत्ति इनमें पाई जाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here