क्या कहती है नए साल की कुंडली –पं. अशोक पँवार ‘मयंक’—
शनि-मंगल समसप्तक योग : खतरे का संकेत—
नए वर्ष की शुरुआत 4 अप्रैल …1, सोमवार से हो रही है। इस समय प्रातःकालीन लग्न कुंडली से जानेंगे कि यह वर्ष कैसा रहेगा?
मीन लग्न से नववर्ष की कुंडली में षष्ट स्थान (रोग, कर्ज, शत्रु भाव) का स्वामी सूर्य पंचमेश चन्द्र व भाग्येश धनेश मंगल के साथ है।
दशमेश गुरु लग्न में स्वराशिस्थ होने के साथ-साथ चतुर्थेश व सप्तमेश बुध से शनि सप्तक में रहकर समसप्तक योग बना रहा है।
इस कारण भारत के शासकों को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। कहीं भूकंप, बाढ़ या समुद्री विनाश लीला से भारी जन-धन की हानि के योग बनते हैं। शत्रु पक्ष से भी परेशानियों का सामना करना पडे़गा। नक्सलवाद, माओवाद भी हावी रहेगा। भारी वर्षा से जन-धन हानि के योग भी बनते है।
चन्द्र, गुरु, मंगल व सूर्य, बुध सभी जल चर राशियों में है। शनि मंगल का समसप्तक योग किसी भारी दुर्घटना का भी संकेत देता है।
दशम भाव में नीच का राहु केन्द्र सरकार को किसी भारी मुसीबत में डाल सकता है। इधर नीच का केतु चतुर्थ भाव में होने से जनता में क्लेश का कारण बनेगा। जनता महँगाई से निजात नहीं पाएगी।
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##चैत्र प्रतिपदा : कैसा होगा साल देश के लिए —- विक्रम संवत 2068 और देश का भविष्य—-
संवत्‌ 2068 का राजा चंद्र स्त्री ग्रह है। चंद्र का वर्षेश होना सशक्त शासन का संकेत नहीं है। लेकिन मंत्री पद गुरु के पास होने से न्याय के क्षेत्र में, नारी जगत के मामलों मे कुछ कार्य सराहनीय होंगे। ग्रह परिषद में शनि को शस्येश, नीरसेश व धनेश ये तीन पद प्राप्त हुए है। शस्येश शनि राजनीतिज्ञों मे परस्पर भेद बुद्धि पैदा करेगा। ईख, जो, गेहूँ आदि की फसलों को क्षति पहुँचाएगा।
सत्ता की दौड़ में राजनीतिक वर्ग एक-दूसरे पर कीचड़ उछालते नजर आएँगे। जनता के लिए कुछ भी कार्य नहीं होंगे। शनि का नीरसेश होना, जमीन-जायदाद, खाद्य तेलों, दाल-दलहनादि में तेजी लाएगा। इससे जनता परेशान रहेगी।
शुक्र, धान्येश होने से शीतकालीन अनाज आदि फसलों को हानि पहुँचने की आशंका है। इससे किसान वर्ग परेशान रहेगा। महँगाई पर सरकार लगाम लगाने में नाकाम रहेगी।
बुध को मेघेश, फलेश व दुर्गेश जैसे महत्वपूर्ण पद होने के कारण वर्षा पर्याप्त होगी। गेहूँ, चना, जौ आदि की फसलें भी अच्छी होंगी। दुर्गेश जैसा महत्वपूर्ण पद बालग्रह के पास होने से कहीं-कहीं दुःखद घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। इस वजह से सैन्य बल का प्रयोग करना पड़ सकता है। भ्रष्टाचार, अनैतिक कार्य, चोरी आदि रोकने के लिए कठोर कदम भी उठाना पड़ेंगे।
कहीं-कहीं मुस्लिम राष्ट्र में सेना राष्ट्रनायकों के नियंत्रण में नहीं रहेगा, जिससे शासन हतप्रभ रहेगा। आकाशीय मंत्री मंडलानुसार राष्ट्रनायकों के लिए चिंताजनक स्थिति रहेगी।
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भारतीय नववर्ष आरंभ –चंद्रमा का रहेगा राज, मंत्री बने बृहस्पति— डॉ. रामकृष्ण डी. तिवारी —
नव संवत्सर से प्रारंभ हो रहा नया वर्ष उतार-चढ़ाव वाला रहने के आसार हैं। रोहिणी का आवास समुद्र पर होने से वर्षा सामान्य से अधिक होगी। अनाज, पुष्प और फल ज्यादा मात्रा में होंगे। कर्ज से काम करने की प्रवृत्ति बढ़ने के योग हैं। नवीन नेतृत्व के उदय की संभावना भी दिखाई दे रही है।
भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत्‌) को नव संवत्सर भी कहते हैं। इस संवत्सर का नाम क्रोधी तथा इसका राजा चंद्र तथा मंत्री बृहस्पति है। संवत्सर के क्रम में अठारहवें क्रम पर ‘क्रोधी’ नामक संवत्सर आता है। दान, जप, पुण्य व धार्मिक कृत्य के संकल्प में इस नाम का ही उपयोग चालू वर्ष में होगा। इसका वर्ष पर प्रभाव इस प्रकार रहेगा जिससे राजनेता, शासक वर्ग व प्रशासन की कार्य करने की नियति में व्यक्तिगत स्वार्थ का समावेश अधिक होगा।
स्वयं के लोभ की पूर्ति नहीं होने पर विवाद, तनाव की स्थिति बनेगी। इस संवत्सर के कर्मों में भूकम्प, भूस्खलन, अतिवृष्टि, अनावृष्टि, अति-गर्मी व अति-शीत, अग्निकांड, विस्फोट आदि से जनहानि का योग बनेगा। यह रेवती नक्षत्र व ऐंद्र योग से 4 अप्रैल 2011 से प्रारंभ होकर 22 मार्च 2012 तक रहेगा। इस वर्ष में रोहिणी का आवास समुद्र पर होने से वर्षा सामान्य से अधिक होगी।
इस कारण अन्न, पुष्प, फल प्रचुर मात्रा में होंगे। संवत्‌ का घर माली के यहाँ होने से गेहूँ, चावल, चना, गन्ना, उड़द आदि की पैदावार अच्छी रहेगी। इनकी कीमत सोना, चाँदी, ताँबा के अनुसार वृद्धिकारक रहेगी। संवत्‌ अपनी सवारी मृग पर करेंगे। मृग भ्रमण से बाह्य आडंबर, आकर्षण के प्रति लोगों का रुझान व विस्तार होगा। अच्छी बारिश व अच्छी पैदावार की स्थिति भी निर्मित होगी।
वर्ष का राजा चंद्रमा बनने से धान्य, फल, घास, फूल व रसदार फसल की पैदावार में आशातीत वृद्धि होगी। समारोह और मंगल कार्यों पर व्यय की अधिकता से महँगाई में वृद्धि होगी। महिला संतों का प्रभाव बढ़ेगा। समाज में स्त्रियों के कार्यों की सराहना व उनके अधिकारों का उपयोग अधिक होगा। सामान्यजन को आर्थिक परेशानी होगी। मानसिक रोगों, मधुमेह, श्वास, कफ के रोगों का असर शीघ्र व अधिक रहेगा।
अनाज के व्यापारियों को स्वर्णकार को लाभ प्रदान करने में बृहस्पति सबसे प्रमुख होंगे। न्यायपालिका का सम्मान बढ़ेगा। धार्मिक कार्यों से जु़ड़े व्यक्तियों के लिए वर्ष अनुकूल फलदायी रहेगा। दुर्गेश बुध की वजह से सभी को अपनी आंतरिक शक्ति बढ़ाने का उपाय करने का प्रयास करते हुए देखा जाएगा। धनेश शनि के कारण जनसामान्य में पूँजी की कमी रहेगी।
विद्वानों की आर्थिक स्थिति नकारात्मक रहेगी। किसान व व्यापारी को अधिकारियों के कारण तनाव व परेशानी होने के आसार हैं। नीरसेश विभाग शनि के पास होने से इनके अधिकार की वस्तुएँ, तेल, पेट्रोलियम पदार्थ, डीजल, कच्चा तेल, फर्नेस ऑइल, गर्म कपड़ा, चमड़े की वस्तुएँ, काली मिर्च, लकड़ी, लौह पदार्थ और मसालों में वृद्धि कारक योग बनेगा।

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