हमको याद करो——
अपनी बिज़ी जिंदगी से..
थोडा खुद को आजाद करो…
उठाओ अपना मोबाईल..
और हमको याद करो…
पूछ लिया करो कभी -कभी…
आप हमारी भी अहमियत…
हमने माना हे आपको दोस्त…
आप भी हमें दो …..
फ्रेन्ड सी अहमियत….
दो लफ्ज/ अल्फ़ाज अपनेपन के….
बड़ा सहारा देते हे…
ये अल्फाज़ ही तो…..
अंधेरों में भी उजियारा देते हे…..
### दयानंद “बन्धु “

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